Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery चुदक्कड़ गाँव की रासलीला
#32
Update 30



जग्गू का घर -



सुबह का समय था घड़ी में करीब ६ बजे थे। माला आज जल्दी उठ गई थी क्योंकि आज माला का जन्मदिन था



माला आज काफी खुश थी। गांव का मौसम बहुत ठंडा था, माला ने अपनी धुली हुई साड़ी उठायी और गमछा उठाके बाथरूम में घुस गयी। माला ने आईने के सामने अपने बाल खोल दिये और फिर अपनी साड़ी वहीं उतार दी, फिर अपनी ब्लाउज उतारकर दरवाजे पर टांग दिया।



माला ने अपने पेटीकोट के नाड़े को खींचकर ढीला किया और दोनों पैरों को उसमे से निकाला। माला अब एक छोटी कच्छी और ब्रा में थी। कच्छी और ब्रा दोनों गुलाबी रंग के थे जिसपर फूल बने हुए थे। उसका गोरा चमकदार बदन बहुत ही मादक लग रहा था फिर माला ने शीशे में देखते हुए अपनी ब्रा की हुक खोल दी । ब्रा खुलते ही माला की बड़ी बड़ी चुचियाँ फुदककर बाहर आ गयी माला के चूचक हल्के भूरे रंग के थे।



इसके बाद उसने अपनी कच्छी को उतार दिया और दोनों ब्रा और कच्छी को वहीं दरवाज़े पर लटका दिया। फिर उसने अपनी बुर पर बढ़ी हुई केश की ओर देखा और मन में सोचा कि झाँठे काटे की ना। वैसे तो माला 43 की थी पर तन बदन का कसाव अभी भी 35 का ही था। फिर उसने अपनी बुर को ऊपर से सहलाया और मन में बोली कल साफ करूँगी।



माला फिर अपनी मस्त चौड़ी गांड को बाथरूम में रखे मचिया पे टिका दिया और अपने नंगे बदन पर मग से पानी डालने लगी। पानी उसके बदन पर मक्खन की तरह फिसल रहा था। वो बिल्कुल अद्भुत स्त्री लग रही थी। एक औरत के बदन में जो हर मर्द चाहता है वो सब था माला के पास। माला ने नहाने के दौरान वहीं बैठे बैठे पेशाब भी कर दिया। पेशाब की वजह से पानी हल्का पीला हो गया था जिसे उसने पानी से ही बहा दिया।



कुछ देर बाद उसने अपने जिस्म पर साबुन लगाया। अपनी काँखों, गर्दन , चुचियाँ, गांड, गांड की दरार, और अंत में बुर पर भी। सब जगह लगाने के बाद उसने खूब बदन को रगड़ा। वैसे तो वो इतनी गोरी थी कि मैल भी उसपर बैठे तो इतरा के, पर वो ऐसा होने नहीं देती थी। इसके बाद उसने साबुन को पानी से साफ किया और एक दम साफ हो गयी। चूंकि घर में उसका बेटा जग्गू अभी सो रहा था इसलिए बाथरूम से सिर्फ साया बांध के आ गयी।



साया उसके चुचियों के ठीक ऊपर बंधा था और गांड को बस ढके हुए था। उसकी जाँघे और गांड मोटी और हल्की चर्बीदार थी। उसका पेट भी ठीक ऐसे ही था।



अक्सर इस उम्र की औरतों को ये चीज़ें और कामुक बना देती हैं। भरी हुई चूतड़ों से औरतो की चाल निखर जाती है। क्योंकि जब वो चलती हैं तो चूतड़ों के हिलने से औरतें मर्दो के दिलों की धड़कने बढ़ाती हैं, ठीक वही चाल अभी माला की हो चुकी है। अपने भारी चूतड़ों की उछाल उसके काबू में नहीं थी। ठीक वैसे ही उसकी चूचियों की चाल होती थी पर ब्रा पहनने से उनकी हरकत काफी कंट्रोल रहती थी।



माला ने फिर साड़ी पहनी और फौरन स्लीवलेस ब्लाउज पहन लिया। जिसमे आगे आधी चुचियाँ साफ दिख रही थी और पीछे पूरी पीठ लगभग नंगी ही थी। ऐसा नहीं था कि माला इस तरह की ब्लाउज़ हमेशा पहनती थी पर आज उसका जन्मदिन था इसलिए उसने आकर्षक दिखने के लिए स्लीवलैस ब्लाउज़ पहना था।



तभी माला के कमरे का दरवाज़ा खटका।



माला ने दरवाजा खोला सामने उसका बेटा जग्गू खड़ा था।



जग्गू - जन्मदिन मुबारक हो मां। और ऐसा बोलते हुए उसने एक तोहफा अपनी मां की तरफ बढ़ा दिया



माला - मेरा प्यारा बेटा। तुझे याद था। फिर माला जग्गू का माथा चूमते हुए बोली - ये क्या है ?



जग्गू - मां वो तेरे लिए सिल्क की साड़ी लेकर आया हूं शहर से



माला - क्या ? शहर से ! कब ? ये तो बहुत मंहगी होगी ना ?



जग्गू - मां तू सवाल बहुत करती है जल्दी से देखकर बता तुझे मेरा तोहफा कैसा लगा



माला को दिल ही दिल में ये बात बड़ी अजीब लगी क्योंकि जग्गू ने आज से पहले कभी माला को इस तरह कोई तोहफा नहीं दिया था माला को लगा कि ज़रूर कोई तो बात है



माला - कोई बात है क्या जग्गू ?



जग्गू - नहीं मां क्यों?



माला ने सोचा कि एक तो उसका बेटा पहली बार उसके लिए कुछ लाया है और वो है कि उससे फालतू सवाल कर रही है



माला - कुछ नहीं। तू बाहर जा मै अभी ये साड़ी तुझे पहनकर दिखाती हूं



जग्गू - ठीक है



फिर जग्गू कमरे से बाहर चला गया ।



जग्गू मन में - आज मां बहुत खुश है आज मै अपने दिल की बात मां को बता कर ही रहूंगा कि मै बेला से प्यार करता हूं और बेला भी मुझसे उतना ही प्यार करती है। हे भगवान मां मान जाए।



इधर माला कमरे में अपनी संदूक से एक तस्वीर निकालती है और उस तस्वीर को अपने छाती से लगाकर बोलती है



माला - देखा आपने आपका बेटा कितना समझदार हो गया है अपनी मां का कितना ख्याल रखने लगा है अगर आप होते तो आपको अपने बेटे पर बहुत गर्व होता।



जग्गू बाहर से आवाज लगाता है - मां जल्दी करो मुझे खेतों में बहुत काम है



माला अपने आंसू साफ करती हुई - हां बस १ मिनट बेटा



फिर माला जल्दी से उस तस्वीर को अपने तकिए के नीचे दबा देती है और जल्दी से वो साड़ी पहनने लगती है जो जग्गू उसके लिए लेकर आया था



कुछ देर बाद माला अपने कमरे का दरवाज़ा खोलती है



माला उस साड़ी में बड़ी जंच रही थी। ऐसा लग रहा था कि स्वर्ग से कोई अपसरा धरती पर उतर आई हो



जग्गू - मां बहुत सुंदर लग रही है तू। मां मेरे लिए जल्दी से नाश्ता बना दे। मुझे खेतों में बहुत काम है



माला - ठीक है



जग्गू ने माला की तरफ एक नजर देखा और बोल दिया। माला को बड़ा अजीब लगा क्योंकि जग्गू ने ठीक से तारीफ तक नहीं की माला की। तारीफ करना तो छोड़ो ठीक से देखा भी नहीं माला को।



फिर माला जल्दी से जग्गू के लिए नाश्ता बनाकर लाती है



जग्गू - अरे हां मां तू शाम को तैयार रहना , आज रात का खाना हम बाहर खाएंगे



माला जग्गू की बात सुनकर बहुत खुश हो जाती है



माला - ठीक है बेटा तो मैं आज मिठाई की दुकान जल्दी बढ़ा दूंगी।



फिर जग्गू जल्दी से नाश्ता करके अपने खेतों में आ जाता है आज जग्गू ने सेठ हीरालाल से कहकर छुट्टी ले ली थी और शाम तक जग्गू अपने खेतों में ही काम करता रहता है



उधर रामू धन्नो मौसी के घर सुबह जल्दी उठ गया था रात को रामू और धन्नो के बीच जो भी हुआ उत्तेजना में हुआ। धन्नो की उम्र भले ही 45 साल हो चुकी थी लेकिन जवानी ने उसका साथ अभी तक नहीं छोड़ा था और रामू अपनी जवानी की चरम सीमा पर था इसलिए वो भी अपने आप को रोक नहीं पाया। सुबह सुबह ही रामू भीमा के साथ उसके खेतों की तरफ निकल गया था पता नहीं क्यों रामू को अपनी हरकत के बारे में सोच सोचकर बड़ी शर्मिंदगी मेहसूस हो रही थी। रामू पूरा दिन अपने भइया भीमा के साथ खेतों में ही काम करता रहा



इधर शाम हो चुकी थी और जग्गू अपनी मां माला के साथ बाहर खाना खाने आया था , गांव के बाहर एक छोटा सा रेस्टोरेंट था। बाहर खाना खाने जग्गू अपनी मां के साथ वहीं आता था



जग्गू - बोलो मां क्या ऑर्डर करू



माला - कुछ भी जो तेरा मन हो



जग्गू - अरे मां जन्मदिन आपका है या मेरा ?



माला - मेरे लिए छोले भटूरे कर दे



जग्गू - और ?



माला - और हां खाना खाने के बाद फालूदा खाएंगे



जग्गू - ठीक है मां



माला एक खाली टेबल देखकर वहां बैठ जाती है और जग्गू कुछ देर बाद खाना लेकर आता है



जग्गू - मां मैंने दो प्लेट राजमा चावल भी ऑर्डर कर दिया है राजमा चावल भी खा लेंगे सिर्फ छोले भटूरे से क्या ही होगा।



माला - जग्गू बेटा तू कोई गलत काम तो नहीं कर रहा?



जग्गू - मां मै कोई गलत काम नहीं करता , अब हमारे वो दिन गए जब हमें खाने के बारे में भी सोचना पड़ता था। मां रामू की वजह से खेती भी इस साल बड़ी अच्छी हुई है और तेरे जन्मदिन पर पैसे खर्च नहीं करूंगा तो कब करूंगा !



माला - ठीक है बेटा पर याद रखना गलत काम करने वाले को ऊपर वाला बक्षता नहीं है



जग्गू - अरे मां अब ज़्यादा ज्ञान ना दो। मै समझ गया



फिर दोनों खाना खाते है और खाना खाने के बाद जग्गू फालूदा लेकर आता है



आज माला बड़ी खुश थी। फालूदा खाने के बाद दोनों टहलते हुए घर की तरफ आने लगते हैं अब इतना ठूसा था तो पचाना भी तो था



जग्गू मन में सोचता है कि यही सही मौका है अपनी मां को अपने और बेला के समबंध के बारे में बताने का।



जग्गू - मां सुनो



माला - हां बोलो बेटा



जग्गू - मुझे आपसे कुछ कहना है



माला - मै सुबह ही समझ गई थी कि कोई बात तो ज़रूर है बोल क्या बात है



जग्गू - नहीं मां ये सब मैंने आपके लिए ही किया है ऐसी कोई बात नहीं है दरअसल बात दूसरी है



माला - क्या ? पहेलियां मत भुझा जग्गू। बता क्या बात है ?



जग्गू - मां वो , मां दरअसल , मां मै ये कहना चाहता हूं , मां मुझे



माला - मां मां क्या कर रहा है बोल ना क्या बात है ?



जग्गू - मां मै बेला से प्यार करता हूं मतलब हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं



जग्गू ने हिम्मत करके एक ही सुर में बोल दिया।



चटाक.... माला ने खींच के एक थप्पड़ जग्गू की कनपटी पर धर दिया , सड़क बिल्कुल सुनसान थी। वहां कोई नहीं था इन दोनों के आलावा



माला - क्या बोला फिर से बोल ?



जग्गू - आह मां। मां मै और बेला एक दूसरे से प्यार करते हैं



चटाक.... चटाक..... चटाक......



माला - कुत्ते हरामजादे ये सब कर रहा है तू खेतों में



जग्गू रोते हुए - मां प्यार ही तो किया है मैंने बेला से कोई गुनाह नहीं किया जो आप इतना गुस्सा हो रही हो



माला - हरामजादे बेला ही मिली थी तुझे



चटाक.... चटाक.....



जग्गू - बेला में क्या खराबी है मां



माला - जग्गू हड्डियां तोड़ दूंगी तेरी अगर अब बेला का नाम अपनी ज़ुबान पर लिया तो



जग्गू - पर क्यों मां ?



माला गुस्से में - बात खतम जग्गू। गांव में इतनी लड़कियां है किसी के भी साथ रंगरलियां मना बस बेला नहीं। समझा कि नहीं।



जग्गू - क्यों मां क्यों ?



माला धाहड़ते हुए - क्योंकि



माला इससे आगे नहीं बोलती



माला - तुझे मेरी कसम जग्गू आज के बाद तू बेला से बात नहीं करेगा



जग्गू - ठीक है मां पर अगर तुम्हारी कसम की वजह से मेरी बेला को कुछ हो गया तो मै अपनी जान दे दूंगा



जग्गू रोता हुआ भागकर घर आ जाता है। और फिर माला भी रोती हुई धीरे धीरे चलती हुई घर आ जाती है
Like Reply


Messages In This Thread
RE: चुदक्कड़ गाँव की रासलीला - by Tyler herro - 14-01-2021, 05:32 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)