Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery चुदक्कड़ गाँव की रासलीला
#29
Update 27



लता अपनी ज़िन्दगी की किताब को रामू के सामने खोल देती है।



ये बात तबकी है जब मै १९ साल की थी और मेरा भाई मोनू १८ साल का।



मेरा बाप जयप्रकाश एक शराबी और जुवारी आदमी था दिन रात जुआ खेलना शराब पीना उसकी आदत है। माँ उसका हर सितम सहते रही। दोनों रोज़ लडते थे और दूसरे दिन मिल भी जाते थे।



एक दिन मै पानी पीने उठी तो मुझे माँ के रोने की आवाज़ सुनाई दी। मै जब उनके कमरे के पास गई तो मैंने माँ को चीखते सुना। बापु उन्हें मार रहा था पता नहीं किस बात पे। मैंने दरवाज़ा खटकाया तो कुछ देर बाद माँ बाहर आई मैंने उनसे पूछा की बापू तुम्हें क्यों मार रहें है।



पर माँ ने मुझे कुछ नहीं कहा और मुझे सोने को कहके वापस कमरे में चले गई।



मै कुछ देर वही खड़ी रही कुछ देर बाद माँ की चीखें और सिसकारियों की आवाज़ सुनाई दी मै डर के मारे भाई को उठाने गई।



जब भाई मेरे साथ माँ के कमरे के पास आया तो माँ के रोने की आवाज़ बंद हो चुकी थी और हलके हलके सिसकने की आवाज़ सुनाये दे रही थी । मै और मेरा भाई मोनू हम खिडके में से झाकने लगे हम बहुत डर गए थे। मुझे लगा की बापु नशे में माँ को जान से ना मार दे।



जब मै और भाई खिडकी के पास पहुंचे तो अंदर का नज़ारा देख दोनों की नज़रें झुक गई।



वो दोनों सम्भोग कर रहे थे माँ उलटी लेटी हुई थी और बापू उनके कमर पे थप्पड मारते हुए उन्हें पीछे से चोद रहे थे।



हमे वहां से जाना चाहिए था पर हम दोनों वहां से नहीं हटे।

वो दोनों तो कुछ देर बाद सो गये पर हमारे जवान जिस्म जग चुके थे। मै भाई से नज़रें चुराके अपने कमरे में जाके लेट गई।



कुछ देर बाद भाई मेरे कमरे में आया और उसने दरवाज़ा बंद कर दिया। मै उसे देखते रह गई दोनों की साँसे एक रफ़्तार में चल रही थी।



वो बिना कुछ बोले मेरे ऊपर आकर मुझसे चिपक गया



वो कुछ भी नहीं बोल रहा था। बस एक एक करके उसने पहले खुद के फिर मेरे सारे कपडे निकाल दिए। मै उस वक़्त तक सोचने समझने की शक्ति खो चुकी थी और सितम तो तब हुआ जब भाई ने अपनी ज़ुबान उस जगह लगाई जिसे आज तक मेरे सिवा किसी ने नहीं देखा था।



वो मुझे सर से ले के नीचे तक चूमता रहा चाटते रहा मै मचल रही थी भाई के जिस्म को अपने नाख़ून से नोच रही थी। पर नहीं जानती थी की भाई क्या क्या करेगा मेरे साथ।



उसने बस एक बार मेरे कानो को अपने मुंह में लेके धीरे से मुझसे पूछा।



लता मै तुझे अपना बना लूँ।



और मै हवस की आग में जलते हुए उससे कह बैठी हाँ भाई मुझे हमेशा हमेशा के लिए अपना बना लो।



उसके बाद उसने मुझसे कोई बात नहीं किया बस उसका वो हिस्सा मेरे अंदर घुसता चला गया और मै भाई के मुंह में चीख़ती चली गई क्योंकि उन्होंने मेरे होंठो को अपने होंठो में भर लिया था।



मै अपने भाई मोनू से बहुत प्यार करती थी और ये प्यार दिन ब दिन परवान चढ़ता रहा उस रात के बाद हमने कई रातें एक साथ पति पत्नी की तरह गुज़ारी।



एक दिन माँ और बापू बाहर गए हुए थे। तभी भाई ने मुझे पीछे से पकड़ के अपने कमरे में ले गया और हम अपने प्यार को और मज़बूत करने में लग गए पर होनी को कुछ और ही मंज़ूर था।



जब हम भाई बहन एक दुसरे में खोये हुए थे तभी बापू वहां आ गये और उन्होंने एक लकड़ी से भाई और मेरी खूब पिटाई की। भाई को उन्होंने घर से निकाल दिया।



मै मार और दर्द से चीख रही थी मुझे नहीं पता था की बापू की नियत मुझपे भी ख़राब है।



उन्होंने अपने सारे कपडे निकाल दिए। मै बहुत डर गई थी। मै जानती थी की सारी गलती मेरी है और अगर मै चिल्लाई तो मै ही कसूरवार कहलाऊँगी। बापू के इरादे मै जान चुकी थी वो मुझे जो करने के लिए कहते गए मै करती गई। उनके जिस्म के हर हिस्से को मैंने चुमा उन्होंने जैसा कहा मैंने अपने मुंह में लिया उनके लंड को उन्होंने कितनी देर तक मुझसे चुसवाया और फिर उन्होंने अपने बाप होने का फ़र्ज़ भी निभा दिया।



मै चीख़ते रही चिल्लाती रही पर ना माँ को रहम आया न बापू को कोई रहम आया।



कुछ महिने ऐसे ही गुज़रते रहे माँ और मै रोज़ बापू के सामने पेश होते माँ मुझे मारती भी और प्यार भी करती थी मै एक तरह से ज़िंदा लाश बन चुकी थी जिसका सिर्फ एक काम था अपने बापू की इच्छा का पालन करना।



उन्होंने हर गंदे तरीके से मुझे भोगा उन्होंने मेरे साथ कितनी बार बिना मेरी मर्जी के संभोग किया । मुझे जैसा बोलते थे मैं वैसा करती थी। उन्होंने बाप होने का फर्ज अच्छी तरह से निभाया और मुझे जब जहां चाहा वैसे चोदा।



उस दौरान तुम्हारे भाई भीमा का रिशता हमारे घर आया। माँ तो मुझसे परेशान थी ही उसने जल्दी से मेरी शादी करवा दी और मै यहाँ आ गई। मां ने शादी के तोहफे के रूप में मुझे एक बहुत क़ीमती तोहफ़ा भी दिया। तुम्हारे भैया को मेरी मां ने सारी बात बता दी बस ये नहीं बताया की मेरा बापू भी वो सब कर चूका है मेरे साथ।



उस दिन से लेके आज तक मुझे न पति का सुख मिल पाया न एक औरत होने का।



लता बोलते बोलते रो पडती है।



रामू ये सब सुनके उसे अपने से चिपका लेता है।



रामू - बस बस चुप हो जाओ भाभी । मै भी तो आपके भाई जैसा हूँ ना आप ने ही तो कहा था की मै बिलकुल आपके भाई जैसा दिखता हूँ।



लता हंस पडती है - तो क्या ?



रामू - मेरा मतलब भाभी फिर आपके भाई मोनू का क्या हुआ ? वो घर से भाग कर कहां गया ?



लता - मोनू उस दिन गांव से शहर की तरफ भागा था लेकिन अगले दिन गांव में उसकी लाश आई । किसी ने बताया कि वो ट्रक के नीचे आ गया था शायद उसने शरम के मारे आत्महत्या कर ली हो ! या गलती से वो ट्रक के नीचे आ गया हो.... खैर छोड़ो रामू मै ये बात भुला चुकी हूं



रामू गुस्से में - भाभी मेरा मन तो कर रहा है कि आपके मां बापू को ज़िंदा जला दूं



लता - अब इसकी कोई जरूरत नहीं है उन दोनों को उनके कर्मों का फल मिल गया है बापू के पेट में कीड़े लग गए थे और समय पर इलाज न मिलने के कारण वो तिल तिल कर मरते रहे सालों तक फिर खत्म हो गए और मां अब बेसहारा हो चुकी थी उसको कोई सहारा नहीं देने आया और वो भी तिल तिल के मर गई। दोनों की चिता को मैंने अपने हाथों से आग दी थी।



रामू - ओह । भाभी जब आपने मुझे अपना भाई माना है तो ये भाई आपसे वादा करता है कि आपको इस घर में अपनी सास और पति के दिल में वो जगह , वो सम्मान ज़रूर दिलवाएगा जिसकी आप हकदार है



लता रामू को देखती रह जाती है



फिर रामू छत से नीचे उतर आता है और नाश्ता करने लगता है
Like Reply


Messages In This Thread
RE: चुदक्कड़ गाँव की रासलीला - by Tyler herro - 14-01-2021, 05:30 PM



Users browsing this thread: 3 Guest(s)