14-01-2021, 05:29 PM
Update 26
रामू और लता घर पहुंच जाते हैं दोपहर का समय था सब खाना खाकर सो जाते हैं शाम को रामू की नींद करीब ६ बजे खुलती है वो हाथ मुंह धोकर आता है तो देखता है कि उसकी चारपाई पर भीमा बैठा है
भीमा - रामू दारू के ठेके पर चलेगा क्या ?
रामू - नहीं भाई आप जाओ मेरा मन नहीं है
भीमा - तू चल तो सकता है ना , मै नशे में ठेके से अकेले कैसे आऊंगा ?
रामू - ठीक है मै भी चलता हूं फिर
फिर दोनों ठेके पर आ जाते है रामू शराब नहीं पीता था पर भीमा जी भरकर पीता था और वो पीता चला जाता है जब उसका कोटा पूरा हो जाता है और वो ठीक से चल भी नहीं पाता तो रामू उसको अपने कंधे का सहारे से घर वापस लाने लगता है भीमा शराब के नशे मै कुछ बड़बड़ाने लगता है
भीमा - रामू बड़ा ही कमीना निकला रे तू , बड़ा ही किस्मत वाला है तू , रगड़ रगड़ कर चोदता होगा उस चंपा रानी को क्यों?
रामू - कैसी किस्मत भइया , साला छुप छुपकर चुदाई करनी पड़ती है किस्मत तो आपकी है शादी जो हो गई है
भीमा - कौन तेरी भाभी ? वो रण्डी तो झूठन है अपने भाई की
रामू - क्या मतलब??
भीमा - मतलब वो अपने भाई से लगी हुई थी , उसके मां बाप ने उस झूठन को मेरे गले बांध दिया साली अपने भाई से चुदाती थी हरामजादी
रामू के दिमाग की नसें फड़फड़ाने लगती हैं उसको यकीन नहीं होता कि लता भाभी अपने भाई के साथ।।।।
रामू - आप झूठ बोल रहे हो ना भइया
भीमा - अरे रामू मेरी बात झूठी निकले तो मूत देना मेरे मुंह पर
रामू भीेमा को सहारा से उसके कमरे में ले जाता है लता कमरे में साड़ी पहन रही थी भीमा को नशे में देखते ही लता उसको सहारा देने आगे बढ़ती है तो भीमा उसके हाथ झटक देता है और बिस्तर पर गिर जाता है और कुछ ही पलों में वो सो जाता है
फिर सब रात का खाना खाते हैं और फिर रामू आपनी मां सविता और बहन बेला के साथ आंगन में गद्दे पर सो जाता है रामू का मन आज बहुत विचलित था वो कभी अपने सपने में भी नहीं सोच सकता था कि उसकी भाभी अपने भाई के साथ चुदाई करती थी और धन्नो मौसी अपने है सगे बेटे के साथ।।।। रामू को तो ये सोच सोच कर अजीब सा लग रहा था , वो यही सब सोचते सोचते सो गया
सुबह जब रामू की नींद खुली तो उसका मुंह उसकी मां सविता की बड़ी बड़ी चूचियों की मोटी दरार में घुसा हुआ था। रामू ने झटके से अपना मुंह पीछे किया तो उसने देखा कि उसकी मां की साड़ी का पल्लू उसकी पहाड़ जैसी छाती से हटा हुआ था और ब्लाउज के दो बटन भी खुले हुए थे ये देख रामू ने अपना सर जोर से झटका और सीधा बाथरूम से घुस गया
रामू बाथरूम से बाहर आया तो उसने देखा कि सविता उठ चुकी थी और रसोई में धन्नो मौसी के साथ नाश्ता तैयार कर रही थी सुबह के ७ बजे थे
तभी रामू ने देखा कि उसकी लता भाभी झाड़ू लेके छत पर जा रही है।
रामू अपनी भाभी के पीछे पीछे छत पर आ गया , उसने देखा कि लता भाभी झुक कर झाड़ू लगा रही थी जिससे लता की बड़ी बड़ी चूचियों की दरार रामू को साफ साफ दिखाई दे रही थी। रामू अपनी भाभी को झाड़ू लगाते देखकर गरम हो रहा था
लता ने भी अपनी तिरछी नजर से रामू की नजर का पीछा किया तो उसने पाया कि रामू लगातार उसकी बड़ी बड़ी चचियों को घूरे जा रहा है। ये देख लता के निचले होंठ फड़फड़ाने लगे
लता - ऐसे क्या घूर रहे हो देवर जी , अपना मुंह दूसरी तरफ करो
रामू - क्क क्यों ?
लता - करो भी , मुझे पिशाब जोर से लगी है
रामू अपना मुंह दूसरी तरफ कर लेता है पर कुछ देर बाद वो फिर से उस तरफ देखता है जहां लता खड़ी थी। लता मुस्कुराती हुई रामू को देखती है और अपनी झाड़ू को पटक के छत के कोने में जाके खड़ी हो जाती है और अचानक अपनी साड़ी और पेटीकोट उठाकर नीचे बैठकर रामू की तरफ देखते हुए मूतने लगती है इस बार वो रामू को दूसरी तरफ देखने को नहीं कहती और मूतने की बाद वो अपनी साड़ी ठीक करके रामू के सामने आके खड़ी हो जाती है
लता - एक बात पूछूं देवर जी ?
रामू - हां पूछो भाभी
लता - देखो रामू बुरा मत मानना। अब तुमने इतना कुछ देख ही लिया है तो तुम मुझसे एक दोस्त की तरह बात कर सकते हो मै तुमसे वादा करती हूं कि किसी से कुछ नहीं कहूंगी
रामू - ठीक है ।
लता - तो बताओ कि तुम्हे तुम्हारी मां कैसी लगती है?
रामू - सच कहूं तो मां मुझे साड़ी में बहुत अच्छी लगती है , मां का हिलता हुए पेट मुझे बहुत पसंद है और....
लता - और ?
रामू अपना सर झटकते हुए - और कुछ भी नहीं। भाभी आप अपना दिमाग बेकार में ऐसी बातों में मत लगाओ , वैसे भी इस समय मेरा मन बहुत विचलित है
लता - क्यों किसी ने कुछ कहा तुम्हे ?
रामू - हां
लता - किसने और क्या कहा ?
रामू - रहने दो भाभी मै चलता हूं
लता रामू का हाथ पकड़ के - रुको , मुझे बताओ कि आखिर बात क्या है
रामू - वो भाभी कल शाम को मै भाइया के साथ घूमने गया था तो
लता - तो तुम्हारे भइया ने कुछ कहा क्या तुमसे ?
रामू - हां। अब वो मै आपको कैसे बताऊं ?
लता रामू का हाथ पकड़ के अपने सर पर रख देती है - तुम्हे मेरी कसम रामू बोलो क्या बात है
रामू - वो भाभी कल भइया ने रात को नाशे में मुझसे कहा कि तुम अपने भाई की झूठन हो , मुझे भइया की बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं है भाभी
लता - उन्होंने तुमसे बिल्कुल सच कहा है रामू , मै अपने भाई की झूठन हूं मै अपने भाई के साथ सो चुकी हूं और वो सब कर चुकी हूं जो एक भाई बहन अपने सपने में भी सोच नहीं सकते ।
रामू - पर भाभी आप इतनी समझदार औरत होकर भी।।।। आपसे ये सब कब हुआ ?? और कैसे हुआ ??
लता अपनी ज़िन्दगी की किताब को रामू के सामने खोल देती है
ये बात तबकी है जब मै १९ साल की थी..... Continues
रामू और लता घर पहुंच जाते हैं दोपहर का समय था सब खाना खाकर सो जाते हैं शाम को रामू की नींद करीब ६ बजे खुलती है वो हाथ मुंह धोकर आता है तो देखता है कि उसकी चारपाई पर भीमा बैठा है
भीमा - रामू दारू के ठेके पर चलेगा क्या ?
रामू - नहीं भाई आप जाओ मेरा मन नहीं है
भीमा - तू चल तो सकता है ना , मै नशे में ठेके से अकेले कैसे आऊंगा ?
रामू - ठीक है मै भी चलता हूं फिर
फिर दोनों ठेके पर आ जाते है रामू शराब नहीं पीता था पर भीमा जी भरकर पीता था और वो पीता चला जाता है जब उसका कोटा पूरा हो जाता है और वो ठीक से चल भी नहीं पाता तो रामू उसको अपने कंधे का सहारे से घर वापस लाने लगता है भीमा शराब के नशे मै कुछ बड़बड़ाने लगता है
भीमा - रामू बड़ा ही कमीना निकला रे तू , बड़ा ही किस्मत वाला है तू , रगड़ रगड़ कर चोदता होगा उस चंपा रानी को क्यों?
रामू - कैसी किस्मत भइया , साला छुप छुपकर चुदाई करनी पड़ती है किस्मत तो आपकी है शादी जो हो गई है
भीमा - कौन तेरी भाभी ? वो रण्डी तो झूठन है अपने भाई की
रामू - क्या मतलब??
भीमा - मतलब वो अपने भाई से लगी हुई थी , उसके मां बाप ने उस झूठन को मेरे गले बांध दिया साली अपने भाई से चुदाती थी हरामजादी
रामू के दिमाग की नसें फड़फड़ाने लगती हैं उसको यकीन नहीं होता कि लता भाभी अपने भाई के साथ।।।।
रामू - आप झूठ बोल रहे हो ना भइया
भीमा - अरे रामू मेरी बात झूठी निकले तो मूत देना मेरे मुंह पर
रामू भीेमा को सहारा से उसके कमरे में ले जाता है लता कमरे में साड़ी पहन रही थी भीमा को नशे में देखते ही लता उसको सहारा देने आगे बढ़ती है तो भीमा उसके हाथ झटक देता है और बिस्तर पर गिर जाता है और कुछ ही पलों में वो सो जाता है
फिर सब रात का खाना खाते हैं और फिर रामू आपनी मां सविता और बहन बेला के साथ आंगन में गद्दे पर सो जाता है रामू का मन आज बहुत विचलित था वो कभी अपने सपने में भी नहीं सोच सकता था कि उसकी भाभी अपने भाई के साथ चुदाई करती थी और धन्नो मौसी अपने है सगे बेटे के साथ।।।। रामू को तो ये सोच सोच कर अजीब सा लग रहा था , वो यही सब सोचते सोचते सो गया
सुबह जब रामू की नींद खुली तो उसका मुंह उसकी मां सविता की बड़ी बड़ी चूचियों की मोटी दरार में घुसा हुआ था। रामू ने झटके से अपना मुंह पीछे किया तो उसने देखा कि उसकी मां की साड़ी का पल्लू उसकी पहाड़ जैसी छाती से हटा हुआ था और ब्लाउज के दो बटन भी खुले हुए थे ये देख रामू ने अपना सर जोर से झटका और सीधा बाथरूम से घुस गया
रामू बाथरूम से बाहर आया तो उसने देखा कि सविता उठ चुकी थी और रसोई में धन्नो मौसी के साथ नाश्ता तैयार कर रही थी सुबह के ७ बजे थे
तभी रामू ने देखा कि उसकी लता भाभी झाड़ू लेके छत पर जा रही है।
रामू अपनी भाभी के पीछे पीछे छत पर आ गया , उसने देखा कि लता भाभी झुक कर झाड़ू लगा रही थी जिससे लता की बड़ी बड़ी चूचियों की दरार रामू को साफ साफ दिखाई दे रही थी। रामू अपनी भाभी को झाड़ू लगाते देखकर गरम हो रहा था
लता ने भी अपनी तिरछी नजर से रामू की नजर का पीछा किया तो उसने पाया कि रामू लगातार उसकी बड़ी बड़ी चचियों को घूरे जा रहा है। ये देख लता के निचले होंठ फड़फड़ाने लगे
लता - ऐसे क्या घूर रहे हो देवर जी , अपना मुंह दूसरी तरफ करो
रामू - क्क क्यों ?
लता - करो भी , मुझे पिशाब जोर से लगी है
रामू अपना मुंह दूसरी तरफ कर लेता है पर कुछ देर बाद वो फिर से उस तरफ देखता है जहां लता खड़ी थी। लता मुस्कुराती हुई रामू को देखती है और अपनी झाड़ू को पटक के छत के कोने में जाके खड़ी हो जाती है और अचानक अपनी साड़ी और पेटीकोट उठाकर नीचे बैठकर रामू की तरफ देखते हुए मूतने लगती है इस बार वो रामू को दूसरी तरफ देखने को नहीं कहती और मूतने की बाद वो अपनी साड़ी ठीक करके रामू के सामने आके खड़ी हो जाती है
लता - एक बात पूछूं देवर जी ?
रामू - हां पूछो भाभी
लता - देखो रामू बुरा मत मानना। अब तुमने इतना कुछ देख ही लिया है तो तुम मुझसे एक दोस्त की तरह बात कर सकते हो मै तुमसे वादा करती हूं कि किसी से कुछ नहीं कहूंगी
रामू - ठीक है ।
लता - तो बताओ कि तुम्हे तुम्हारी मां कैसी लगती है?
रामू - सच कहूं तो मां मुझे साड़ी में बहुत अच्छी लगती है , मां का हिलता हुए पेट मुझे बहुत पसंद है और....
लता - और ?
रामू अपना सर झटकते हुए - और कुछ भी नहीं। भाभी आप अपना दिमाग बेकार में ऐसी बातों में मत लगाओ , वैसे भी इस समय मेरा मन बहुत विचलित है
लता - क्यों किसी ने कुछ कहा तुम्हे ?
रामू - हां
लता - किसने और क्या कहा ?
रामू - रहने दो भाभी मै चलता हूं
लता रामू का हाथ पकड़ के - रुको , मुझे बताओ कि आखिर बात क्या है
रामू - वो भाभी कल शाम को मै भाइया के साथ घूमने गया था तो
लता - तो तुम्हारे भइया ने कुछ कहा क्या तुमसे ?
रामू - हां। अब वो मै आपको कैसे बताऊं ?
लता रामू का हाथ पकड़ के अपने सर पर रख देती है - तुम्हे मेरी कसम रामू बोलो क्या बात है
रामू - वो भाभी कल भइया ने रात को नाशे में मुझसे कहा कि तुम अपने भाई की झूठन हो , मुझे भइया की बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं है भाभी
लता - उन्होंने तुमसे बिल्कुल सच कहा है रामू , मै अपने भाई की झूठन हूं मै अपने भाई के साथ सो चुकी हूं और वो सब कर चुकी हूं जो एक भाई बहन अपने सपने में भी सोच नहीं सकते ।
रामू - पर भाभी आप इतनी समझदार औरत होकर भी।।।। आपसे ये सब कब हुआ ?? और कैसे हुआ ??
लता अपनी ज़िन्दगी की किताब को रामू के सामने खोल देती है
ये बात तबकी है जब मै १९ साल की थी..... Continues