14-01-2021, 05:26 PM
Update 20
सुबह रामू करीब ७ बजे सो के उठता है और नहा धोकर नाश्ता करने आंगन में आता है तो देखता है कि सविता के चेहरे पर उदासी के बादल छाए हुए थे और बेला भी बड़ी उदास दिखाई दे रही थी
रामू - क्या बात है मां आप दोनों इतनी उदास क्यों दिखाई दे रही हो?
सविता - रामू तेरे मौसा जी की तबीयत बहुत खराब हो गई है अभी सुबह - सुबह तेरी धन्नो मौसी का फोन आया था , मेरा मन बड़ा घबरा रहा है
रामू - आप चिंता क्यों करती हो मां मै आपको धन्नो मौसी के घर छोड़ आता हूं आपको उनसे बात करके अच्छा लगेगा
बेला - हां मां रामू सही बोल रहा है आप एक बार हो आओ धन्नो मौसी के घर।
सविता - तू भी चलेगा मेरे साथ मै अकेली नहीं जाऊंगी ।
रामू - अच्छा ठीक है पर कितने दिन रहना पड़ेगा?
सविता - १ हफ्ता कम से कम ।
रामू कुछ सोचता है - अच्छा ठीक है पर खेतों का ध्यान कौन रखेगा इतने दिन ?
बेला - तू अपने दोस्त जग्गू से बोल दे ना वो रख लेगा अपने खेतों का ध्यान बस ७ दिन की ही तो बात है
रामू - ठीक है और बेला तू भी चलेगी ना धन्नो मौसी के घर ?
बेला - अरे रामू मै क्या करूंगी वहां जाकर मेरा मन नहीं लगेगा
रामू गुस्से में - यहां अकेली रह के क्या करेगी।
बेला नाराज़ होती हुई - ठीक है
सविता - बेला अपने कुछ कपड़े रख ले और रामू के भी रख लेना
रामू - बस मुझे थोड़ा समय दो मां मै अभी आया फिर हम धन्नो मौसी के घर निकलते है
सविता - कहां जा रहा है ?
रामू तबतक निकल जाता है और सीधा वो हवेली पहुंचता है सेठ हीरालाल हुक्का पी रहा था
रामू - मालिक मुझे कुछ दिन की छुट्टी चाहिए
हीरालाल - काम करते हुए तुझे एक हफ्ता नहीं हुआ तू छुट्टी मांगने लगा
रामू - मालिक मौसा जी की तबीयत बहुत खराब है इसलिए जाना जरूरी है
हीरालाल - ओह वो प्यारेलाल है ना तेरा मौसा
रामू - आपको कैसे पता मालिक ?
हीरालाल - वो तेरे बाप मुरली का चेला था , वो मेरे यहां ही काम करता था जब तेरे बाप की मौत हुई थी तब उसने काम करना छोड़ दिया था , अच्छा तुझे कितने दिन की छुट्टी चाहिए ?
रामू - मालिक बस ७ दिन की
हीरालाल - ठीक है
रामू - शुक्रिया मालिक
फिर रामू वहां से अपने घर की तरफ निकल जाता है और घर आते वक़्त वो जग्गू को भी बोल देता है कि ७ दिन तक वो उसके खेतों का भी ध्यान रखे
रामू जब घर पहुंचता है तो सविता आंगन में एक बक्सा लेके बैठी हुई थी और बेला के हाथ में एक बैग था
सविता - कहां गया था लल्ला?
रामू - ये बस की टिकट लेने गया था आपने सामान रख लिया ना मां
सविता - हां लल्ला
रामू - चलो चलते हैं मां
फिर रामू , ब्ला और सविता घर में ताला लगाकर बस स्टैंड की तरफ निकल जाते हैं
करीब २ घंटे बाद वो धन्नो के गांव पहुंचते है और देखते ही देखते सभी धन्नो के घर पहुंच गए
रामू बाहर से दरवाज़ा खटकाता है कुछ समय बाद अंदर से धन्नो दरवाज़ा खोलती है
धन्नो के चेहरे का रंग थोड़ा उड़ा हुआ था और बाल भी बिखरे हुए थे , ऐसा लग रहा था कि उसकी किसी ने ज़बरदस्त चुदाई की हो
सविता - क्या हुआ दीदी ऐसे क्या देख रही हो !
धन्नो - कुछ नहीं सविता। तुमने बताया नहीं की तुम लोग आज ही आने वाले हो ?
सविता - दीदी सब इतनी जल्दी जल्दी में हुआ की समय ही नहीं मिला कुछ बताने का।
धन्नो - कोई बात नहीं अंदर आ जाओ।
(Update १२ dhanno ke pariwar ka introduction hai padh lena)
फिर तीनों अंदर आते हैं
धन्नो रामू को देखकर बोलती है - अरे रामू कितना बड़ा हो गया है तू
रामू मन में सोचता है - मौसी तू भी अपनी ढलती उम्र में और भी जवान होती जा रही हाई
रामू फिर धन्नो की बड़ी बड़ी चूचियों को घूर घूर कर देखने लगता है
धन्नो रामू की नजरों का पीछा करके भाप लेती है कि रामू की नजर उसकी चूचियों पर है
तभी रसोई से घर की बहू लता चाय लेकर आती है
रामू - नमस्ते भाभी जी
लता - नमस्ते देवर जी ऐसा कहकर लता साइड में खड़ी हो जाती है और अपने पल्लू से अपना सर ढक लेती है
धन्नो गुस्से में - ये क्या है बहू , तुम्हे पता है ना रामू चाय नहीं पीता , जाओ उसके लिए गरम दूध लेकर आओ
लता - माफ करना मां जी , मै अभी लेके आती हूं
रामू - कोई बात नहीं भाभी मैं चाय ही पी लूंगा
धन्नो - यहां क्यों खड़ी है घर के काम कर , इतने काम पड़े हैं कौन करेगा ! तेरा बाप
लता फिर सीधे रसोई में घुस जाती है
सविता - क्या बात है दीदी आप इतना चिल्ला क्यों रही हो बेचारी पर।
धन्नो - बेचारी और ये, कोई बात नहीं है मेरी बन्नो तू इन सबमें मत पड़
फिर रामू सविता और बेला प्यारेलाल (धन्नो का पति) से मिलते हैं , प्यारेलाल की हालत बहुत खराब हो चुकी थी उसको लकवा मार गया था जिसे उसके कमर से नीचे का शरीर बिल्कुल भी काम नहीं करता था वो लोग उससे मिलते है और बातों ही बातों में शाम हो जाती है
फिर घर की औरतें मिलकर रात का खाना बनाती है और रामू अपने बड़े भइया भीमा से मिलने उसके कमरे में आ जाता है भीमा सोकर उठा ही था
रामू - प्रणाम भईया
भीमा - अरे रामू तू कब आया?
Continues....
सुबह रामू करीब ७ बजे सो के उठता है और नहा धोकर नाश्ता करने आंगन में आता है तो देखता है कि सविता के चेहरे पर उदासी के बादल छाए हुए थे और बेला भी बड़ी उदास दिखाई दे रही थी
रामू - क्या बात है मां आप दोनों इतनी उदास क्यों दिखाई दे रही हो?
सविता - रामू तेरे मौसा जी की तबीयत बहुत खराब हो गई है अभी सुबह - सुबह तेरी धन्नो मौसी का फोन आया था , मेरा मन बड़ा घबरा रहा है
रामू - आप चिंता क्यों करती हो मां मै आपको धन्नो मौसी के घर छोड़ आता हूं आपको उनसे बात करके अच्छा लगेगा
बेला - हां मां रामू सही बोल रहा है आप एक बार हो आओ धन्नो मौसी के घर।
सविता - तू भी चलेगा मेरे साथ मै अकेली नहीं जाऊंगी ।
रामू - अच्छा ठीक है पर कितने दिन रहना पड़ेगा?
सविता - १ हफ्ता कम से कम ।
रामू कुछ सोचता है - अच्छा ठीक है पर खेतों का ध्यान कौन रखेगा इतने दिन ?
बेला - तू अपने दोस्त जग्गू से बोल दे ना वो रख लेगा अपने खेतों का ध्यान बस ७ दिन की ही तो बात है
रामू - ठीक है और बेला तू भी चलेगी ना धन्नो मौसी के घर ?
बेला - अरे रामू मै क्या करूंगी वहां जाकर मेरा मन नहीं लगेगा
रामू गुस्से में - यहां अकेली रह के क्या करेगी।
बेला नाराज़ होती हुई - ठीक है
सविता - बेला अपने कुछ कपड़े रख ले और रामू के भी रख लेना
रामू - बस मुझे थोड़ा समय दो मां मै अभी आया फिर हम धन्नो मौसी के घर निकलते है
सविता - कहां जा रहा है ?
रामू तबतक निकल जाता है और सीधा वो हवेली पहुंचता है सेठ हीरालाल हुक्का पी रहा था
रामू - मालिक मुझे कुछ दिन की छुट्टी चाहिए
हीरालाल - काम करते हुए तुझे एक हफ्ता नहीं हुआ तू छुट्टी मांगने लगा
रामू - मालिक मौसा जी की तबीयत बहुत खराब है इसलिए जाना जरूरी है
हीरालाल - ओह वो प्यारेलाल है ना तेरा मौसा
रामू - आपको कैसे पता मालिक ?
हीरालाल - वो तेरे बाप मुरली का चेला था , वो मेरे यहां ही काम करता था जब तेरे बाप की मौत हुई थी तब उसने काम करना छोड़ दिया था , अच्छा तुझे कितने दिन की छुट्टी चाहिए ?
रामू - मालिक बस ७ दिन की
हीरालाल - ठीक है
रामू - शुक्रिया मालिक
फिर रामू वहां से अपने घर की तरफ निकल जाता है और घर आते वक़्त वो जग्गू को भी बोल देता है कि ७ दिन तक वो उसके खेतों का भी ध्यान रखे
रामू जब घर पहुंचता है तो सविता आंगन में एक बक्सा लेके बैठी हुई थी और बेला के हाथ में एक बैग था
सविता - कहां गया था लल्ला?
रामू - ये बस की टिकट लेने गया था आपने सामान रख लिया ना मां
सविता - हां लल्ला
रामू - चलो चलते हैं मां
फिर रामू , ब्ला और सविता घर में ताला लगाकर बस स्टैंड की तरफ निकल जाते हैं
करीब २ घंटे बाद वो धन्नो के गांव पहुंचते है और देखते ही देखते सभी धन्नो के घर पहुंच गए
रामू बाहर से दरवाज़ा खटकाता है कुछ समय बाद अंदर से धन्नो दरवाज़ा खोलती है
धन्नो के चेहरे का रंग थोड़ा उड़ा हुआ था और बाल भी बिखरे हुए थे , ऐसा लग रहा था कि उसकी किसी ने ज़बरदस्त चुदाई की हो
सविता - क्या हुआ दीदी ऐसे क्या देख रही हो !
धन्नो - कुछ नहीं सविता। तुमने बताया नहीं की तुम लोग आज ही आने वाले हो ?
सविता - दीदी सब इतनी जल्दी जल्दी में हुआ की समय ही नहीं मिला कुछ बताने का।
धन्नो - कोई बात नहीं अंदर आ जाओ।
(Update १२ dhanno ke pariwar ka introduction hai padh lena)
फिर तीनों अंदर आते हैं
धन्नो रामू को देखकर बोलती है - अरे रामू कितना बड़ा हो गया है तू
रामू मन में सोचता है - मौसी तू भी अपनी ढलती उम्र में और भी जवान होती जा रही हाई
रामू फिर धन्नो की बड़ी बड़ी चूचियों को घूर घूर कर देखने लगता है
धन्नो रामू की नजरों का पीछा करके भाप लेती है कि रामू की नजर उसकी चूचियों पर है
तभी रसोई से घर की बहू लता चाय लेकर आती है
रामू - नमस्ते भाभी जी
लता - नमस्ते देवर जी ऐसा कहकर लता साइड में खड़ी हो जाती है और अपने पल्लू से अपना सर ढक लेती है
धन्नो गुस्से में - ये क्या है बहू , तुम्हे पता है ना रामू चाय नहीं पीता , जाओ उसके लिए गरम दूध लेकर आओ
लता - माफ करना मां जी , मै अभी लेके आती हूं
रामू - कोई बात नहीं भाभी मैं चाय ही पी लूंगा
धन्नो - यहां क्यों खड़ी है घर के काम कर , इतने काम पड़े हैं कौन करेगा ! तेरा बाप
लता फिर सीधे रसोई में घुस जाती है
सविता - क्या बात है दीदी आप इतना चिल्ला क्यों रही हो बेचारी पर।
धन्नो - बेचारी और ये, कोई बात नहीं है मेरी बन्नो तू इन सबमें मत पड़
फिर रामू सविता और बेला प्यारेलाल (धन्नो का पति) से मिलते हैं , प्यारेलाल की हालत बहुत खराब हो चुकी थी उसको लकवा मार गया था जिसे उसके कमर से नीचे का शरीर बिल्कुल भी काम नहीं करता था वो लोग उससे मिलते है और बातों ही बातों में शाम हो जाती है
फिर घर की औरतें मिलकर रात का खाना बनाती है और रामू अपने बड़े भइया भीमा से मिलने उसके कमरे में आ जाता है भीमा सोकर उठा ही था
रामू - प्रणाम भईया
भीमा - अरे रामू तू कब आया?
Continues....