14-01-2021, 05:23 PM
Update 17
रामू घर आता है और हाथ मुंह धोकर खाना खाने बैठ जाता है तभी वहां बेला आ जाती है
रामू - आ गई महारानी, गांव में घूम घूमकर बस मटरगस्ती करती रहती है
बेला - देखो ना मां रामू मुझे हमेशा डांटते रहता है
सविता - भाई है वो तेरा उसका पूरा हक है तुझपे जो चाहे वो करे मेरा लल्ला।
बेला - आप तो हमेशा इसकी ही तरफदारी करती रहती हो मां।
सविता - क्यों ना करू मै अपने लल्ला की तारीफ वो खेतों में दिनभर मेहनत करता है और तू है कि घर में मेरा हाथ तक नहीं बंटाती।
बेला - तू भी इसके साथ मिलकर मुझे डांटने लगी। मैं तो ये बताने आई थी कि आज चंपा बुआ घर में अकेली है और उसकी तबीयत भी ठीक नहीं है इसलिए उसने रात में उसके हिस्से का भी खाना बनाने के लिए बोला है
बेला की बात सुन रामू के कानों के साथ साथ उसका लन्ड भी खड़ा हो जाता है
सविता - रत्ना को चंदा के साथ अपने किसी रिश्तेदार की शादी में जाना था इसलिए उसने मुझसे पहले ही बोल दिया था
फिर बेला अपने कमरे में चली जाती है और सविता जल्दी से एक टिफिन में चंपा के लिए खाना लगाने लगती है
रामू - मां मैं चला जाऊंगा टिफिन देने। बेला इतनी रात को कहां जाएगी, वैसे भी गांव का माहौल ठीक नहीं है
सविता - ठीक है लल्ला तू ही चले जाना पर ध्यान रहे कि समय से घर आ जाना, कहीं घूमना फिरना नहीं
रामू - ठीक है मां
फिर रामू अपना खाना ख़त्म करके टिफिन के साथ चंपा के घर की तरफ निकल जाता है
चंपा रामू को अपने घर की तरफ आते देख लेती है और उसके चेहरे पर एक कातिलाना मुस्कान आ जाती है
रामू देखता है कि घर का दरवाज़ा खुला है और वो बिना दरवाज़ा खटकाए ही अंदर घुस जाता है
अंदर से चंपा एक दूध का ग्लास लेकर आती है
चंपा - ये ले रामू दूध पी ले।
रामू - तुझे कैसे पता कि मैं आया हूं
चंपा - कमीने तुझे अच्छे से जानती हूं , मुझे पता था कोई ना कोई बहाना बनाकर तू आ ही जायेगा
रामू टिफिन को बिस्तर पर रख देता है और अपनी शर्ट और पैंट उतारकर फेक देता है वो सिर्फ चड्डी में खड़ा था , चंपा रामू को चड्डी में खड़ा देख अपनी साड़ी उतार के नीचे गिरा देती है
********************
Continuous
रामू घर आता है और हाथ मुंह धोकर खाना खाने बैठ जाता है तभी वहां बेला आ जाती है
रामू - आ गई महारानी, गांव में घूम घूमकर बस मटरगस्ती करती रहती है
बेला - देखो ना मां रामू मुझे हमेशा डांटते रहता है
सविता - भाई है वो तेरा उसका पूरा हक है तुझपे जो चाहे वो करे मेरा लल्ला।
बेला - आप तो हमेशा इसकी ही तरफदारी करती रहती हो मां।
सविता - क्यों ना करू मै अपने लल्ला की तारीफ वो खेतों में दिनभर मेहनत करता है और तू है कि घर में मेरा हाथ तक नहीं बंटाती।
बेला - तू भी इसके साथ मिलकर मुझे डांटने लगी। मैं तो ये बताने आई थी कि आज चंपा बुआ घर में अकेली है और उसकी तबीयत भी ठीक नहीं है इसलिए उसने रात में उसके हिस्से का भी खाना बनाने के लिए बोला है
बेला की बात सुन रामू के कानों के साथ साथ उसका लन्ड भी खड़ा हो जाता है
सविता - रत्ना को चंदा के साथ अपने किसी रिश्तेदार की शादी में जाना था इसलिए उसने मुझसे पहले ही बोल दिया था
फिर बेला अपने कमरे में चली जाती है और सविता जल्दी से एक टिफिन में चंपा के लिए खाना लगाने लगती है
रामू - मां मैं चला जाऊंगा टिफिन देने। बेला इतनी रात को कहां जाएगी, वैसे भी गांव का माहौल ठीक नहीं है
सविता - ठीक है लल्ला तू ही चले जाना पर ध्यान रहे कि समय से घर आ जाना, कहीं घूमना फिरना नहीं
रामू - ठीक है मां
फिर रामू अपना खाना ख़त्म करके टिफिन के साथ चंपा के घर की तरफ निकल जाता है
चंपा रामू को अपने घर की तरफ आते देख लेती है और उसके चेहरे पर एक कातिलाना मुस्कान आ जाती है
रामू देखता है कि घर का दरवाज़ा खुला है और वो बिना दरवाज़ा खटकाए ही अंदर घुस जाता है
अंदर से चंपा एक दूध का ग्लास लेकर आती है
चंपा - ये ले रामू दूध पी ले।
रामू - तुझे कैसे पता कि मैं आया हूं
चंपा - कमीने तुझे अच्छे से जानती हूं , मुझे पता था कोई ना कोई बहाना बनाकर तू आ ही जायेगा
रामू टिफिन को बिस्तर पर रख देता है और अपनी शर्ट और पैंट उतारकर फेक देता है वो सिर्फ चड्डी में खड़ा था , चंपा रामू को चड्डी में खड़ा देख अपनी साड़ी उतार के नीचे गिरा देती है
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