14-01-2021, 01:55 PM
इस दौरान, वह मेरी कमर से मेरी पेटीकोट को ऊपर उठा पाने में कामयाब रहा और अब अचानक वह अपने घुटनों पर फिर से चला गया (और मेरे हाथ से बाहर अपने मुर्गा) और मेरी नितम्ब को चूमने लगा. अब उसने मेरे नितम्ब को चूमनाऔर चाटना और धीरे धीरे काटने लगा . मैं उत्तेजनावश गीली हो रही थी.अवचेतन रूप से (Subconsciously)
, मैंने अपनी ब्रा नीचे खींच कर पूरी तरह से अपने दोनों स्तनों को बेनकाब कर दियाl
ब्रा की पट्टियाँ मेरे कंधों पर अब भी थीं और मैंने अपने स्तनों को रगड़ना शुरू किया और उतेजना वश खुद अपने निपल्स के साथ खेल रही थी l अब एक हाथ नीचे ले गई और अपने पीछे अपने नग्न नितम्ब पर उसके सिर को दबा दिया l उसकी उंगलियाँ मेरी जांघों से होते हुए, उसकी उंगलियों ने मे्री नग्न योनि से खेलना शुरू कर दिया था मैं अपनी योनि व भग प्रदेश को बिल्कुल साफ़ अर्थात बाल रहित रखती थी lउसकी उंगलियाँ योनि और आसपास महसूस कर रही थी l
मैं ने अपने पैरों को (उसे औरअधिक पहुँच देने के लिए) फ़ैला दिया lऔर उसने एक उंगली धीरे डाली और उंगली से मुझे चोदना शुरू कर दिया lमैं ने खुद को पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर पाया और घुटनों पर कमजोर महसूस कर रही थी , लेकिन उसने मुझे खड़े किये रखा. उसने एक उंगलीसे शुरू कर मेरी चूत में दो उंगलियों घुसा दीं l धीरे धीरे उसने पहले तो धीरे धीरे और फिर बहुत तेजी से और फिर बहुत धीरे धीरे अपनी उँगलियाँ सधे हुए कलाकार की तरह अन्दर बाहर कर रहा था इससे मैं इतना उत्तेजित हो चुकी थी कि लग रहा था कि अब वह यह सब बन्द कर अपना . सख्त लंड मेरे अंदर घुसा दे पर अभी तक मैं कुछ भी कह नहीं पाई थी l
किसी तरह से मैं उअसकी ओर अपना मुँह घुमाने में कामयाब हुई और उअसका चेहरा अपने दोनों हाथों मे लेकर उसे खड़ा किया l
. पहली बार दिन के उजाले में उसके - सामने अपने स्तनों को उजागर किये हुए खड़ी थी और मेरा पेटीकोट मेरी कमर तक चढ़ा था और उसका नग्न सख्त गीला लण्ड मेरे नंगे पेट को गीला और चिपचिपा करते हुए सटा हुआ था l
मैंने उसके होठों परबहुत जोर से चूमा और उसने प्रति-उत्तर में वापस चूमा. यह चुंबन बहुत ही जंगली और आवेशपूर्ण था l हमारी जीभ एक दूसरे के मुंह के अंदर गहरे तक घुसी हुई थी और हम एक दूसरे की जीभ बहुत ही आवेश पूर्ण भावना चूस रहे थे l. पहले उसने मेरे स्तनों को रगड़ा और फ़िर उसका एक हाथ खिसक कर नीचे पहुँच गया और उसने अपनी उंगली मुझे फ़िर से चोदना शुरू कर दिया जबकि अभी भी हम एक दूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे l. मैंने भी उसी की तरह अपने हाथ को नीचे लेजा कर उसका सख्त लंड पकड़ लिया और उसपर प्यार से दूसरे हाथ से चोट करने लगी l
, मैंने अपनी ब्रा नीचे खींच कर पूरी तरह से अपने दोनों स्तनों को बेनकाब कर दियाl
ब्रा की पट्टियाँ मेरे कंधों पर अब भी थीं और मैंने अपने स्तनों को रगड़ना शुरू किया और उतेजना वश खुद अपने निपल्स के साथ खेल रही थी l अब एक हाथ नीचे ले गई और अपने पीछे अपने नग्न नितम्ब पर उसके सिर को दबा दिया l उसकी उंगलियाँ मेरी जांघों से होते हुए, उसकी उंगलियों ने मे्री नग्न योनि से खेलना शुरू कर दिया था मैं अपनी योनि व भग प्रदेश को बिल्कुल साफ़ अर्थात बाल रहित रखती थी lउसकी उंगलियाँ योनि और आसपास महसूस कर रही थी l
मैं ने अपने पैरों को (उसे औरअधिक पहुँच देने के लिए) फ़ैला दिया lऔर उसने एक उंगली धीरे डाली और उंगली से मुझे चोदना शुरू कर दिया lमैं ने खुद को पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर पाया और घुटनों पर कमजोर महसूस कर रही थी , लेकिन उसने मुझे खड़े किये रखा. उसने एक उंगलीसे शुरू कर मेरी चूत में दो उंगलियों घुसा दीं l धीरे धीरे उसने पहले तो धीरे धीरे और फिर बहुत तेजी से और फिर बहुत धीरे धीरे अपनी उँगलियाँ सधे हुए कलाकार की तरह अन्दर बाहर कर रहा था इससे मैं इतना उत्तेजित हो चुकी थी कि लग रहा था कि अब वह यह सब बन्द कर अपना . सख्त लंड मेरे अंदर घुसा दे पर अभी तक मैं कुछ भी कह नहीं पाई थी l
किसी तरह से मैं उअसकी ओर अपना मुँह घुमाने में कामयाब हुई और उअसका चेहरा अपने दोनों हाथों मे लेकर उसे खड़ा किया l
. पहली बार दिन के उजाले में उसके - सामने अपने स्तनों को उजागर किये हुए खड़ी थी और मेरा पेटीकोट मेरी कमर तक चढ़ा था और उसका नग्न सख्त गीला लण्ड मेरे नंगे पेट को गीला और चिपचिपा करते हुए सटा हुआ था l
मैंने उसके होठों परबहुत जोर से चूमा और उसने प्रति-उत्तर में वापस चूमा. यह चुंबन बहुत ही जंगली और आवेशपूर्ण था l हमारी जीभ एक दूसरे के मुंह के अंदर गहरे तक घुसी हुई थी और हम एक दूसरे की जीभ बहुत ही आवेश पूर्ण भावना चूस रहे थे l. पहले उसने मेरे स्तनों को रगड़ा और फ़िर उसका एक हाथ खिसक कर नीचे पहुँच गया और उसने अपनी उंगली मुझे फ़िर से चोदना शुरू कर दिया जबकि अभी भी हम एक दूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे l. मैंने भी उसी की तरह अपने हाथ को नीचे लेजा कर उसका सख्त लंड पकड़ लिया और उसपर प्यार से दूसरे हाथ से चोट करने लगी l
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.