14-01-2021, 01:38 PM
(This post was last modified: 29-02-2024, 04:57 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अब उसने अपने पैर ऊपर उठा कर मेरी कमर के गिर्द लपेट लिए थे। मैंने भी उसका सिर अपने हाथों में पकड़ कर अपने सीने से लगा लिया और धीरे धीरे धक्के लगाने लगा। जैसे ही मैं ऊपर उठता तो वो भी मेरे साथ ही थोड़ी सी ऊपर हो जाती और जब हम दोनों नीचे आते तो पहले उसके नितम्ब गद्दे पर टिकते और फ़िर गच्च से मेरा लंड उसकी चूत की गहराई में समां जाता। वो तो मस्त हुई ‘आह उईई माँ’ ही करती जा रही थी। एक बार उसका शरीर फ़िर अकड़ा और उसकी चूत ने फ़िर पानी छोड़ दिया।
वो झड़ गई थी ! आह…! एक ठंडी सी आनंद की सीत्कार उसके मुँह से निकली तो लगा कि वो पूरी तरह मस्त और संतुष्ट हो गई है।
मैंने अपने धक्के लगाने चालू रखे। हमारी इस चुदाई को कोई 20 मिनट तो हो ही गए थे, अब मुझे लगाने लगा कि मेरा लावा फूटने वाला है, मैंने कणिका से कहा तो वो बोली,’कोई बात नहीं, अन्दर ही डाल दो अपना पानी ! मैं भी आज इस अमृत को अपनी कुंवारी चूत में लेकर निहाल होना चाहती हूँ !’
मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और फ़िर गर्म गाढ़े रस की ना जाने कितनी पिचकारियाँ निकलती चली गई और उसकी चूत को लबालब भरती चली गई।
उसने मुझे कस कर पकड़ लिया। जैसे वो उस अमृत का एक भी कतरा इधर उधर नहीं जाने देना चाहती थी। मैं झड़ने के बाद भी उसके ऊपर ही लेटा रहा।
मैंने कहीं पढ़ा था कि आदमी को झड़ने के बाद 3-4 मिनट अपना लंड चूत में ही डाले रखना चाहिए इस से उसके लंड को फ़िर से नई ताकत मिल जाती है और चूत में भी दर्द और सूजन नहीं आती।
थोड़ी देर बाद हम उठ कर बैठ गए। मैंने कणिका से पूछा- कैसी लगी पहली चुदाई मेरी जान?’
‘ओह ! बहुत ही मजेदार थी मेरे भैया?’
‘अब भैया नहीं सैंया कहो मेरी जान !’
‘हाँ हाँ मेरे सैंया ! मेरे साजन ! मैं तो कब की इस अमृत की प्यासी थी। बस तुमने ही देर कर रखी थी !’
‘क्या मतलब?’
‘ओह, तुम भी कितने लल्लू हो। तुम क्या सोचते हो मुझे कुछ नहीं पता?’
‘क्या मतलब?’
‘मुझे सब पता है तुम मुझे नहाते हुए और मूतते हुए चुपके चुपके देखा करते हो और मेरा नाम ले लेकर मुट्ठ भी मारते हो !’
‘ओह… तुम भी ना… एक नंबर की चुदक्कड़ हो रही हो !’
‘क्यों ना बनूँ आखिरर खानदान का असर मुझ पर भी आएगा ही ना?’ और उसने मेरी ओर आँख मार दी।
फ़िर आगे बोली ‘पर तुम्हें क्या हुआ मेरे भैया?’
‘चुप साली अब भी भैया बोलती है !![[Image: 27285384_007_2f35.jpg]](https://cdni.pornpics.com/1280/1/179/27285384/27285384_007_2f35.jpg)
The end
वो झड़ गई थी ! आह…! एक ठंडी सी आनंद की सीत्कार उसके मुँह से निकली तो लगा कि वो पूरी तरह मस्त और संतुष्ट हो गई है।
मैंने अपने धक्के लगाने चालू रखे। हमारी इस चुदाई को कोई 20 मिनट तो हो ही गए थे, अब मुझे लगाने लगा कि मेरा लावा फूटने वाला है, मैंने कणिका से कहा तो वो बोली,’कोई बात नहीं, अन्दर ही डाल दो अपना पानी ! मैं भी आज इस अमृत को अपनी कुंवारी चूत में लेकर निहाल होना चाहती हूँ !’
मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और फ़िर गर्म गाढ़े रस की ना जाने कितनी पिचकारियाँ निकलती चली गई और उसकी चूत को लबालब भरती चली गई।
उसने मुझे कस कर पकड़ लिया। जैसे वो उस अमृत का एक भी कतरा इधर उधर नहीं जाने देना चाहती थी। मैं झड़ने के बाद भी उसके ऊपर ही लेटा रहा।
मैंने कहीं पढ़ा था कि आदमी को झड़ने के बाद 3-4 मिनट अपना लंड चूत में ही डाले रखना चाहिए इस से उसके लंड को फ़िर से नई ताकत मिल जाती है और चूत में भी दर्द और सूजन नहीं आती।
थोड़ी देर बाद हम उठ कर बैठ गए। मैंने कणिका से पूछा- कैसी लगी पहली चुदाई मेरी जान?’
‘ओह ! बहुत ही मजेदार थी मेरे भैया?’
‘अब भैया नहीं सैंया कहो मेरी जान !’
‘हाँ हाँ मेरे सैंया ! मेरे साजन ! मैं तो कब की इस अमृत की प्यासी थी। बस तुमने ही देर कर रखी थी !’
‘क्या मतलब?’
‘ओह, तुम भी कितने लल्लू हो। तुम क्या सोचते हो मुझे कुछ नहीं पता?’
‘क्या मतलब?’
‘मुझे सब पता है तुम मुझे नहाते हुए और मूतते हुए चुपके चुपके देखा करते हो और मेरा नाम ले लेकर मुट्ठ भी मारते हो !’
‘ओह… तुम भी ना… एक नंबर की चुदक्कड़ हो रही हो !’
‘क्यों ना बनूँ आखिरर खानदान का असर मुझ पर भी आएगा ही ना?’ और उसने मेरी ओर आँख मार दी।
फ़िर आगे बोली ‘पर तुम्हें क्या हुआ मेरे भैया?’
‘चुप साली अब भी भैया बोलती है !
![[Image: 27285384_007_2f35.jpg]](https://cdni.pornpics.com/1280/1/179/27285384/27285384_007_2f35.jpg)
The end
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


![[+]](https://xossipy.com/themes/sharepoint/collapse_collapsed.png)