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मौसी की चुदाई,मौसी से चुदाई
#85
कोई 2-3 मिनट तक हम बिना कोई हरकत किये ऐसे ही पड़े रहे। वो नीचे पड़ी कुनमुना रही थी, अपने हाथ पैर पटक रही थी पर मैंने उसकी कमर पकड़ रखी थी इस लिए मेरा लंड बाहर निकालने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता था। मुझे भी अपने लंड के सुपारे के नीचे जहाँ धागा होता है, जलन सी महसूस हुई। यह तो मुझे बाद में पता चला कि उसकी चूत की सील के साथ मेरे लंड की भी सील (धागा) टूट गई है।

चलो अच्छा है अब आगे का रास्ता दोनों के लिए ही साफ़ हो गया है। हम दोनों को ही दर्द हो रहा था। पर इस नए स्वाद के आगे यह दर्द भला क्या माने रखता था।

‘ओह… भाई मैं तो मर गई रे…’ कणिका के मुँह से निकला- ओह… बाहर निकालो मैं मर जाऊँगी !’

‘अरे मेरी बहना रानी ! बस अब जो होना था हो गया है। अब दर्द नहीं बस मजा ही मजा आएगा। तुम डरो नहीं ये दर्द तो बस 2-3 मिनट का और है उसके बाद तो बस जन्नत का ही मजा है !’

‘ओह… नहीं प्लीज… बाहर निका…लो… ओह… या… आ… उन्ह… या’

मैं जानता था उसका दर्द अब कम होने लगा है और उसे भी मजा आने लगा है। मैंने हौले से एक धक्का लगाया तो उसने भी अपनी चूत को अन्दर से सिकोड़ा। मेरा लंड तो निहाल ही हो गया जैसे। अब तो हालत यह थी कि कणिका नीचे से धक्के लगा रही थी। अब तो मेरा लंड उसकी चूत में बिना किसी रुकावट अन्दर बाहर हो रहा था। उसके कामरज और सील टूटने से निकले खून से सना मेरा लंड तो लाल और गुलाबी सा हो गया था।

‘उईई… मा.. आह… मजा आ रहा है भाई तेज करो ना.. आह ओर तेज या…’

कणिका मस्त हुई बड़बड़ा रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मौसी की चुदाई,मौसी से चुदाई - by neerathemall - 14-01-2021, 01:38 PM



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