14-01-2021, 01:37 PM
अब मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर फ़िराना चालू कर दिया। उसने भी मेरे कहने से मेरे लंड को कस कर हाथ में पकड़ लिया और सहलाने लगी। लंड महाराज तो ठुमके ही लगाने लगे। मैंने जब उसके उरोज दबाये तो उसके मुँह से सीत्कार निकालने लगी।
‘ओह भाई कुछ करो ना? पता नहीं मुझे कुछ हो रहा है !’
उत्तेजना के मारे उसका शरीर कांपने लगा था, साँसें तेज होने लगी थी। इस नए अहसास और रोमांच से उसके शरीर के रोएँ खड़े हो गए थे। उसने कस कर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया।
अब देर करना ठीक नहीं था। मैंने उसकी स्कर्ट और टॉप उतार दिए। उसने ब्रा तो पहनी ही नहीं थी। छोटे छोटे दो अमरुद मेरी आँखों के सामने थे। गोरे रंग के दो रसकूप जिनका एरोला कोई अठन्नी जितना और निप्पल्स तो कोई मूंग के दाने जितने बिल्कुल गुलाबी रंग के ! मैंने तड़ से एक चुम्बन उसके उरोज पर ले लिया। अब मेरा ध्यान उसकी पतली कमर और गहरी नाभि पर गया।
जैसे ही मैंने अपना हाथ उसकी पेंटी की ओर बढ़ाया तो उसने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा- भाई, तुम भी तो अपने कपड़े उतारो ना?’
‘ओह हाँ !’
मैंने एक ही झटके में अपना नाईट सूट उतार फेंका। मैंने चड्डी और बनियान तो पहनी ही नहीं थी। मेरा 7 इंच का लंड 120 डिग्री पर खड़ा था। लोहे की रॉड की तरह बिल्कुल सख्त। उस पर प्री-कम की बूँद चाँद की रोशनी में ऐसे चमक रही थी जैसे शबनम की बूँद हो या कोई मोती।
‘कणिका इसे प्यार करो ना !’
‘कैसे?’
‘अरे बाबा इतना भी नहीं जानती? इसे मुँह में लेकर चूसो ना?’
‘ओह भाई कुछ करो ना? पता नहीं मुझे कुछ हो रहा है !’
उत्तेजना के मारे उसका शरीर कांपने लगा था, साँसें तेज होने लगी थी। इस नए अहसास और रोमांच से उसके शरीर के रोएँ खड़े हो गए थे। उसने कस कर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया।
अब देर करना ठीक नहीं था। मैंने उसकी स्कर्ट और टॉप उतार दिए। उसने ब्रा तो पहनी ही नहीं थी। छोटे छोटे दो अमरुद मेरी आँखों के सामने थे। गोरे रंग के दो रसकूप जिनका एरोला कोई अठन्नी जितना और निप्पल्स तो कोई मूंग के दाने जितने बिल्कुल गुलाबी रंग के ! मैंने तड़ से एक चुम्बन उसके उरोज पर ले लिया। अब मेरा ध्यान उसकी पतली कमर और गहरी नाभि पर गया।
जैसे ही मैंने अपना हाथ उसकी पेंटी की ओर बढ़ाया तो उसने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा- भाई, तुम भी तो अपने कपड़े उतारो ना?’
‘ओह हाँ !’
मैंने एक ही झटके में अपना नाईट सूट उतार फेंका। मैंने चड्डी और बनियान तो पहनी ही नहीं थी। मेरा 7 इंच का लंड 120 डिग्री पर खड़ा था। लोहे की रॉड की तरह बिल्कुल सख्त। उस पर प्री-कम की बूँद चाँद की रोशनी में ऐसे चमक रही थी जैसे शबनम की बूँद हो या कोई मोती।
‘कणिका इसे प्यार करो ना !’
‘कैसे?’
‘अरे बाबा इतना भी नहीं जानती? इसे मुँह में लेकर चूसो ना?’
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


![[+]](https://xossipy.com/themes/sharepoint/collapse_collapsed.png)