14-01-2021, 01:36 PM
क्यों क्या हुआ?’
‘मैं रिश्ते में तुम्हारी बहन लगती हूँ, भले ही ममेरी ही हूँ पर हूँ तो बहन ही ना? और भाई और बहन में ऐसा नहीं होना चाहिए !’
‘अरे तुम किस ज़माने की बात कर रही हो? लंड और चूत का रिश्ता तो कुदरत ने बनाया है। लंड और चूत का सिर्फ़ एक ही रिश्ता होता है और वो है चुदाई का। यह तो केवल तथाकथित सभ्य कहे जाने वाले समाज और धर्म के ठेकेदारों का बनाया हुआ ढकोसला है। असल में देखा जाए तो ये सारी कायनात ही इस कामरस में डूबी है जिसे लोग चुदाई कहते हैं।’ मैं एक ही सांस में कह गया।
‘पर फ़िर भी इंसान और जानवरों में फर्क तो होता है ना?’
‘जब चूत की किस्मत में चुदना ही लिखा है तो फ़िर लंड किसका है इससे क्या फर्क पड़ता है? तुम नहीं जानती कणिका, तुम्हारा यह जो बाप है ना यह अपनी बहन, भाभी, साली और सलहज सभी को चोद चुका है और यह तुम्हारी मम्मी भी कम नहीं है। अपने देवर, जेठ, ससुर, भाई और जीजा से ना जाने कितनी बार चुद चुकी है और गांड भी मरवा चुकी है !’
कणिका मेरी ओर मुँह बाए देखे जा रही थी। उसे यह सब सुनकर बड़ी हैरानी हो रही थी- नहीं भाई तुम झूठ बोल रहे हो?’
‘देखो मेरी बहना, तुम चाहे कुछ भी समझो, यह जो तुम्हारा बाप है ना ! वो तो तुम्हें भी भोगने चोदने के चक्कर में है ! मैंने अपने कानों से सुना है !’
‘क… क्या…?’ उसे तो जैसे मेरी बातों पर यकीन ही नहीं हुआ। मैंने उसे सारी बातें बता दी जो आज मामा मामी से कह रहे थे।
उसके मुँह से तो बस इतना ही निकला- ओह नोऽऽ?’
‘मैं रिश्ते में तुम्हारी बहन लगती हूँ, भले ही ममेरी ही हूँ पर हूँ तो बहन ही ना? और भाई और बहन में ऐसा नहीं होना चाहिए !’
‘अरे तुम किस ज़माने की बात कर रही हो? लंड और चूत का रिश्ता तो कुदरत ने बनाया है। लंड और चूत का सिर्फ़ एक ही रिश्ता होता है और वो है चुदाई का। यह तो केवल तथाकथित सभ्य कहे जाने वाले समाज और धर्म के ठेकेदारों का बनाया हुआ ढकोसला है। असल में देखा जाए तो ये सारी कायनात ही इस कामरस में डूबी है जिसे लोग चुदाई कहते हैं।’ मैं एक ही सांस में कह गया।
‘पर फ़िर भी इंसान और जानवरों में फर्क तो होता है ना?’
‘जब चूत की किस्मत में चुदना ही लिखा है तो फ़िर लंड किसका है इससे क्या फर्क पड़ता है? तुम नहीं जानती कणिका, तुम्हारा यह जो बाप है ना यह अपनी बहन, भाभी, साली और सलहज सभी को चोद चुका है और यह तुम्हारी मम्मी भी कम नहीं है। अपने देवर, जेठ, ससुर, भाई और जीजा से ना जाने कितनी बार चुद चुकी है और गांड भी मरवा चुकी है !’
कणिका मेरी ओर मुँह बाए देखे जा रही थी। उसे यह सब सुनकर बड़ी हैरानी हो रही थी- नहीं भाई तुम झूठ बोल रहे हो?’
‘देखो मेरी बहना, तुम चाहे कुछ भी समझो, यह जो तुम्हारा बाप है ना ! वो तो तुम्हें भी भोगने चोदने के चक्कर में है ! मैंने अपने कानों से सुना है !’
‘क… क्या…?’ उसे तो जैसे मेरी बातों पर यकीन ही नहीं हुआ। मैंने उसे सारी बातें बता दी जो आज मामा मामी से कह रहे थे।
उसके मुँह से तो बस इतना ही निकला- ओह नोऽऽ?’
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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