14-01-2021, 01:36 PM
मैंने धीरे धीरे कणिका के वक्ष मसलने शुरू कर दिए। वो तो अपने मम्मी पापा की इस अनोखी रासलीला देख कर मस्त ही हो गई थी। मैंने एक हाथ उसकी पेंटी में भी डाल दिया।
उफ़… छोटी छोटी झांटों से ढकी उसकी बुर तो कमाल की थी, नीम गीली।
मैंने धीरे से एक अंगुली से उसके नर्म नाज़ुक छेद को टटोला। वो तो चुदाई देखने में इतनी मस्त थी कि उसे तो तब ध्यान आया जब मैंने गच्च से अपनी अंगुली उसकी बुर के छेद में पूरी घुसा दी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
‘उईई माँ…!!’ उसके मुँह से हौले से निकला- ओह… भाई यह क्या कर रहे हो?’
उसने मेरी ओर देखा। उसकी आँखें बोझिल सी थी और उनमें लाल डोरे तैर रहे थे।
मैंने उसे बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूम लिया।
हम दोनों ने देखा कि एक पुच्क्क की आवाज के साथ मामा का लंड फ़िसल कर बाहर आ गया और मामी बेड पर लुढ़क गई।
अब वहाँ रुकने का कोई मतलब नहीं रह गया था। हम एक दूसरे की बाहों में सिमटे वापस छत पर आ गए।
‘कणिका?’
‘हाँ भाई?’
कणिका के होंठ और जबान कांप रही थी। उसकी आँखों में एक नई चमक थी। आज से पहले मैंने कभी उसकी आँखों में ऐसी चमक नहीं देखी थी। मैंने फ़िर उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगा। उसने भी बेतहाशा मुझे चूमना शुरू कर दिया।
मैंने धीरे धीरे उसके स्तन भी मसलने चालू कर दिए। जब मैंने उसकी पेंटी पर हाथ फ़िराया तो उसने मेरा हाथ पकड़ते कहा- नहीं भाई, इससे आगे नहीं !’
उफ़… छोटी छोटी झांटों से ढकी उसकी बुर तो कमाल की थी, नीम गीली।
मैंने धीरे से एक अंगुली से उसके नर्म नाज़ुक छेद को टटोला। वो तो चुदाई देखने में इतनी मस्त थी कि उसे तो तब ध्यान आया जब मैंने गच्च से अपनी अंगुली उसकी बुर के छेद में पूरी घुसा दी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
‘उईई माँ…!!’ उसके मुँह से हौले से निकला- ओह… भाई यह क्या कर रहे हो?’
उसने मेरी ओर देखा। उसकी आँखें बोझिल सी थी और उनमें लाल डोरे तैर रहे थे।
मैंने उसे बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूम लिया।
हम दोनों ने देखा कि एक पुच्क्क की आवाज के साथ मामा का लंड फ़िसल कर बाहर आ गया और मामी बेड पर लुढ़क गई।
अब वहाँ रुकने का कोई मतलब नहीं रह गया था। हम एक दूसरे की बाहों में सिमटे वापस छत पर आ गए।
‘कणिका?’
‘हाँ भाई?’
कणिका के होंठ और जबान कांप रही थी। उसकी आँखों में एक नई चमक थी। आज से पहले मैंने कभी उसकी आँखों में ऐसी चमक नहीं देखी थी। मैंने फ़िर उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगा। उसने भी बेतहाशा मुझे चूमना शुरू कर दिया।
मैंने धीरे धीरे उसके स्तन भी मसलने चालू कर दिए। जब मैंने उसकी पेंटी पर हाथ फ़िराया तो उसने मेरा हाथ पकड़ते कहा- नहीं भाई, इससे आगे नहीं !’
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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