14-01-2021, 01:36 PM
मेरे होंठों का स्पर्श पाते ही कणिका जग गई और अपनी आँखों को मलते हुए उठ बैठी।
‘क्या कर रहे हो भाई?’ उसने उनीन्दी आँखों से मुझे घूरा।
‘वो.. वो.. मैं तो प्यार कर रहा था !’
‘पर ऐसे कोई रात को प्यार करता है क्या?’
‘प्यार तो रात को ही किया जाता है !’ मैंने हिम्मत करके कह ही दिया।
उसके समझ में पता नहीं आया या नहीं ! फ़िर मैंने कहा- कणिका एक मजेदार खेल देखोगी?’
‘क्या?’ उसने हैरानी से मेरी ओर देखा।
‘आओ मेरे साथ !’ मैंने उसका बाजू पकड़ा और सीढ़ियों से नीचे ले आया और हम बिना कोई आवाज किये उसी खिड़की के पास आ गए। अन्दर का दृश्य देख कर तो कणिका की आँखें फटी की फटी ही रह गई। अगर मैंने जल्दी से उसका मुँह अपनी हथेली से नहीं ढक दिया होता तो उसकी चीख ही निकल जाती।
मैंने उसे इशारे से चुप रहने को कहा।
वो हैरान हुई अन्दर देखने लगी।
मामी घोड़ी बनी फ़र्श पर खड़ी थी और अपने हाथ बेड पर रखे थी, उनका सिर बेड पर था और नितम्ब हवा में थे। मामा उसके पीछे उसकी कमर पकड़ कर धक्के लगा रहे थे। उनका 8 इंच का लंड मामी की गांड में ऐसे जा रहा था जैसे कोई पिस्टन अन्दर बाहर आ जा रहा हो। मामा उनके नितम्बों पर थपकी लगा रहे थे। जैसे ही वो थपकी लगाते तो नितम्ब हिलने लगते और उसके साथ ही मामी की सीत्कार निकलती- हाईई… और जोर से मेरे राजा ! और जोर से ! आज सारी कसर निकाल लो ! और जोर से मारो ! मेरी गांड बहुत प्यासी है ये हाईई…’
‘ले मेरी रानी और जोर से ले… या… सऽ विऽ ता… आ.. आ…’ मामा के धक्के तेज होने लगे और वो भी जोर जोर से चिल्लाने लगे।
पता नहीं मामा कितनी देर से मामी की गांड मार रहे थे। फ़िर मामा मामी से जोर से चिपक गए। मामी थोड़ी सी ऊपर उठी। उनके पपीते जैसे स्तन नीचे लटके झूल रहे थे। उनकी आँखें बंद थी और वह सीत्कार किये जा रही थी- जियो मेरे राजा मज़ा आ गया !’
‘क्या कर रहे हो भाई?’ उसने उनीन्दी आँखों से मुझे घूरा।
‘वो.. वो.. मैं तो प्यार कर रहा था !’
‘पर ऐसे कोई रात को प्यार करता है क्या?’
‘प्यार तो रात को ही किया जाता है !’ मैंने हिम्मत करके कह ही दिया।
उसके समझ में पता नहीं आया या नहीं ! फ़िर मैंने कहा- कणिका एक मजेदार खेल देखोगी?’
‘क्या?’ उसने हैरानी से मेरी ओर देखा।
‘आओ मेरे साथ !’ मैंने उसका बाजू पकड़ा और सीढ़ियों से नीचे ले आया और हम बिना कोई आवाज किये उसी खिड़की के पास आ गए। अन्दर का दृश्य देख कर तो कणिका की आँखें फटी की फटी ही रह गई। अगर मैंने जल्दी से उसका मुँह अपनी हथेली से नहीं ढक दिया होता तो उसकी चीख ही निकल जाती।
मैंने उसे इशारे से चुप रहने को कहा।
वो हैरान हुई अन्दर देखने लगी।
मामी घोड़ी बनी फ़र्श पर खड़ी थी और अपने हाथ बेड पर रखे थी, उनका सिर बेड पर था और नितम्ब हवा में थे। मामा उसके पीछे उसकी कमर पकड़ कर धक्के लगा रहे थे। उनका 8 इंच का लंड मामी की गांड में ऐसे जा रहा था जैसे कोई पिस्टन अन्दर बाहर आ जा रहा हो। मामा उनके नितम्बों पर थपकी लगा रहे थे। जैसे ही वो थपकी लगाते तो नितम्ब हिलने लगते और उसके साथ ही मामी की सीत्कार निकलती- हाईई… और जोर से मेरे राजा ! और जोर से ! आज सारी कसर निकाल लो ! और जोर से मारो ! मेरी गांड बहुत प्यासी है ये हाईई…’
‘ले मेरी रानी और जोर से ले… या… सऽ विऽ ता… आ.. आ…’ मामा के धक्के तेज होने लगे और वो भी जोर जोर से चिल्लाने लगे।
पता नहीं मामा कितनी देर से मामी की गांड मार रहे थे। फ़िर मामा मामी से जोर से चिपक गए। मामी थोड़ी सी ऊपर उठी। उनके पपीते जैसे स्तन नीचे लटके झूल रहे थे। उनकी आँखें बंद थी और वह सीत्कार किये जा रही थी- जियो मेरे राजा मज़ा आ गया !’
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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