14-01-2021, 01:35 PM
न का महीना था। सभी लोग छत पर सोया करते थे। रात के कोई दो बजे होंगे, मेरी अचानक आँख खुली तो मैंने देखा मामा और मामी दोनों ही नहीं हैं। कणिका बगल में लेटी हुई है। मैं नीचे पेशाब करने चला गया। पेशाब करने के बाद जब मैं वापस आने लगा तो मैंने देखा मामा और मामी के कमरे की लाईट जल रही है। मैं पहले तो कुछ समझा नहीं पर ‘हाई.. ई.. ओह.. या.. उईई..’ की हल्की हल्की आवाज ने मुझे खिड़की से झांकने को मजबूर कर दिया।
खिड़की का पर्दा थोड़ा सा हटा हुआ था, अन्दर का नजारा देख कर तो मैं जड़ ही हो गया। मामा और मामी दोनों नंगे बेड पर अपनी रात रंगीन कर रहे थे। मामा नीचे लेटे थे और मामी उनके ऊपर बैठी थी।
मामा का लंड मामी की चूत में घुसा हुआ था और वो मामा के सीने पर हाथ रख कर धीरे धीरे धक्के लगा रही थी और.. आह.. उन्ह.. या.. की आवाजें निकाल रही थी।
उसके मोटे मोटे नितम्ब तो ऊपर नीचे होते ऐसे लग रहे थे जैसे कोई फ़ुटबाल को किक मार रहा हो। उनकी चूत पर उगी काली काली झांटों का झुरमुट तो किसी मधुमक्खी के छत्ते जैसा था।
वो दोनों ही चुदाई में मग्न थे। कोई 8-10 मिनट तक तो इसी तरह चुदाई चली होगी। पता नहीं कब से लगे थे।
फ़िर मामी की रफ्तार तेज होती चली गई और एक जोर की सीत्कार करते हुए वो ढीली पड़ गई और मामा पर ही पसर गई। मामा ने उसे कस कर बाहों में जकड़ लिया और जोर से मामी के होंठ चूम लिए
खिड़की का पर्दा थोड़ा सा हटा हुआ था, अन्दर का नजारा देख कर तो मैं जड़ ही हो गया। मामा और मामी दोनों नंगे बेड पर अपनी रात रंगीन कर रहे थे। मामा नीचे लेटे थे और मामी उनके ऊपर बैठी थी।
मामा का लंड मामी की चूत में घुसा हुआ था और वो मामा के सीने पर हाथ रख कर धीरे धीरे धक्के लगा रही थी और.. आह.. उन्ह.. या.. की आवाजें निकाल रही थी।
उसके मोटे मोटे नितम्ब तो ऊपर नीचे होते ऐसे लग रहे थे जैसे कोई फ़ुटबाल को किक मार रहा हो। उनकी चूत पर उगी काली काली झांटों का झुरमुट तो किसी मधुमक्खी के छत्ते जैसा था।
वो दोनों ही चुदाई में मग्न थे। कोई 8-10 मिनट तक तो इसी तरह चुदाई चली होगी। पता नहीं कब से लगे थे।
फ़िर मामी की रफ्तार तेज होती चली गई और एक जोर की सीत्कार करते हुए वो ढीली पड़ गई और मामा पर ही पसर गई। मामा ने उसे कस कर बाहों में जकड़ लिया और जोर से मामी के होंठ चूम लिए
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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