14-01-2021, 01:20 PM
अब मैंने देखा कि अज्जू की आखों में थोड़ी सी शरम थी, लेकिन वो मेरी बिना बालों की चूत और नंगी जांघो को अपनी आखों से चोरी चोरी देख रहा था, लेकिन वो वापस जाकर सो गया. अब में भी अपने रूम में आ गई और फिर मैंने मन ही मन में सोचा कि अज्जू को आवाज़ देकर में अपने पास ही बुला लेती हुई, लेकिन मुझे थोड़ा सा डर भी लग रहा था कि कहीं मुझसे यह सब करते हुए कुछ ग़लत तो नहीं हो रहा है, लेकिन मेरी सांसे बड़ी तेज़ तेज़ चल रही थी और नीचे मेरी वो चुदाई के लिए पागल चूत चिल्लाकर कह रही थी कि उसको अब वो लंड चाहिए, उसको बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा था और इस वजह से मेरी भी हालत पागलों जैसी हो गयी थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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