14-01-2021, 11:42 AM
मासी की कभी गांड मारता तो कभी उनकी चूत में लंड घुसा के गीली करके मासी के गांड में पेल देता था। मैं लेट गया। मासी के गांड की छेद को लंड से लगाकर बैठा लिया। मासी अब खुद ही गांड मरवा रही थी। मैं मासी की दोनो चूंचियों को निचोड़ रहा था। मासी जल्दी जल्दी ऊपर नीचे हो रही थी। मैंने मासी की गांड में अपना लंड उठा उठा के पेलने लगा। मासी की गांड में पूरा लंड घुसेड़ देता था। मासी की चीखे निकल जाती। फिर भी मासी “..उंह उंह उंह हू… हूँ…हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह…अई… अई…अई…..” करती रहती और गांड उठा उठा के मरवाती रहती। मैं कब झड़ने वाला हो रहा था। मासी को मैंने बैठा दिया। मैंने मासों की चेहरे पर अपना लंड घुमा घुमा के मुठ मार रहा था। मैंने मासी की चेहरे को अपने लंड के माल से धो दिया। मासी ने जीभ से मेरे लंड के माल का स्वाद चखा। मासी ने अपना चेहरा साफ किया। पूरी रात मासी और हम नंगे ही एक दूसरे से चिपक कर लेटे रहे। रात में मैंने कई बार चुदाई की। दो तीन दिन बाद मैं अपने घर चला आया। मासी की चूत जब भी मुझे चोदनी होती है। मैं इलाहाबाद चला जाता हूँ। मासी भी जब मेरे घर आती है। मै उनकी खूब चुदाई करता हूँ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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