14-01-2021, 11:36 AM
यह कहानी आज से एक साल पहले की है.. जब में ग्यारहवीं क्लास में पढ़ता था। मुझे तब सेक्स की इतनी जानकारी भी नहीं थी। फिर भी किसी भी औरत को देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता था। कॉलेज में मेरे सभी दोस्त सेक्स की बातें किया करते थे.. तो वो सुनकर मुझे बहुत मज़ा आता था। उसमें मेरा एक राकेश नाम का दोस्त था और उसने एक आंटी को पटा रखा था.. वो हमसे उसकी बातें किया करता था.. कि उसने कैसे उसको चोदा और भी बहुत कुछ। वो कहता था.. कि जो मज़ा किसी औरत को चोदने में है.. वो किसी वर्जिन लड़की को चोदने में भी नहीं है.. वो बताता था कि चाहे वो कोई भी औरत हो। अगर उसने कभी लंड का स्वाद चखा हो.. तो वो ज़्यादा दिन बिना चुदाई किए नहीं रह सकती। तो में सोचता था कि मेरी माँ और मौसी को भी अपनी चुदाई का ख्याल जरुर आता होगा? तो एक दिन की बात है.. में कॉलेज से घर आया तो मैंने देखा कि दरवाजा अंदर से बंद है और मैंने एक बार डोरबेल बजाई.. लेकिन दरवाजा नहीं खुला.. मैंने सोचा कि अंदर सब सो रह होंगे। मेरे पास घर की दूसरी चाबी थी और फिर मैंने दरवाजा खोला तो हॉल में कोई नहीं था। फिर मैंने सुना कि बेडरूम से कुछ आवाज़ आ रही है और फिर में दरवाजे की तरफ बढ़ा दरवाजा खुला था। मैंने दरवाजा खोला और जो सीन मैंने देखा में तो बिल्कुल ठंडा पड़ गया.. अंदर मौसी नंगी लेटी थी और वो अपने दोनों पैर फैलाकर मोमबत्ती को अपनी चूत में आगे पीछे कर रही थी और फिर उन्होंने मुझे देख लिया और वो शाल से खुद को ढकने लगी। तो मैं तुरंत वहाँ से चला गया और तब से मुझे मौसी को चोदने की तमन्ना जाग उठी। उस दिन के बाद से मौसी मुझसे नज़रे नहीं मिला रही थी और एक रात को में करीब रात को 12:30 पेशाब के लिए उठा.. फिर मैंने पेशाब किया और जब लौटा तो देखा कि मौसी की साड़ी घुटने से ऊपर उठी हुई थी और उनकी गोरी जांघे साफ साफ दिख रही थी और यह देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया और फिर मैं उनकी जांघे छूने लगा। तो उन्होंने कुछ हलचल की तो मैंने हाथ हटा लिया और में चुपचाप बैठ गया। थोड़ी देर बाद में उनकी जांघो को छूकर मुठ मारने लगा और मेरा थोड़ा सा पानी उनके कपड़ो पर गिर गया और फिर मुठ मारने के बाद में सो गया। फिर जब में दूसरे दिन उठा तो मौसी मेरी तरफ गुस्से से देख रही थी और फिर माँ से कुछ कह रही थी। मेरी तो गांड ही फट गयी और वो दोनों मेरी तरफ देखती रही और में उन दोनों को अनदेखा करके फटाफट तैयार हो गया और नाश्ता करके बाहर घूमने चला गया। फिर रात को हमने साथ में खाना खाया और सो गये.. रात को मेरे दिमाग़ में कल वाला सीन आ गया और में उठ गया.. तब शायद रात के एक बज रहे होंगे और मैंने मौसी को देखा जो मेरे पास में लेटी थी। तो उनकी साड़ी जांघो से भी ऊपर जा चुकी थी और मैंने आज ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए.. में आज उनकी चूत छूकर ही रहूँगा। तो मैंने उनकी साड़ी को कमर तक ऊपर कर दिया और फिर मैंने देखा कि उन्होंने अंदर कुछ नहीं पहना हुआ था। यह सब देखकर मुझे 440 वॉल्ट का झटका लगा.. मेरा लंड खड़ा होकर सलामी देने लगा.. में पागल हो गया और मैंने धीरे से उनकी चूत को छू लिया उनकी तरफ से कोई विरोध नहीं था.. तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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