14-01-2021, 11:22 AM
जैसे ही मौसम बदला, सर्दी के दिन आए और घना कोहरा पड़ना शुरु हुआ, उसकी आड़ में हम मिलने लगे। हम चुदाई के लिए तड़प रहे थे, क्योंकि जब से उसके साथ मेरे चक्कर के बार में मेरे दूसरे बोर दोस्तों को पता चला तो वह मेरा साथ छोड़ धीरे-धीरे पीछे हट गए थे। एक दिन घना कोहरा पड़ा हुआ था। मैं कॉलेज के लिए निकली थी, रोज़ की तरह थोड़ा आगे जाकर वह जहाँ मुझे रोज़ मिलता था, आज वह वहाँ नहीं मिला। थोड़ा आगे बढ़ी तो किसी ने मेरी बाँह पकड़ कर मुझे अपनी ओर खींच लिया। मैं उसकी बाँहों में चली गई। प्लॉट खाली था, कोहरा इतना था कि आदमी को पास खड़ा आदमी भी नहीं दिख पाता था। मैं उससे लिपट गई, उसने बेइन्तहा चूमना शुरु कर दिया। दोनों हाथों से मेरी चूचियाँ दबाने लगा।
मैंने उसका लंड पकड़ लिया। उसने मेरी स्कर्ट में हाथ डाल दिया। अन्दर स्लाक्स पहनी हुई थी, जो शरीर से बिल्कुल चिपकी हुई थी। उसने मेरी चूत मसल डाली। मेरे अन्दर आग आज कुछ अधिक ही धधक रही थी, आज मैं बहुत प्यासी थी। मैंने उसके लंड को पैन्ट के ऊपर से पकड़ लिया।
मैंने उसका लंड पकड़ लिया। उसने मेरी स्कर्ट में हाथ डाल दिया। अन्दर स्लाक्स पहनी हुई थी, जो शरीर से बिल्कुल चिपकी हुई थी। उसने मेरी चूत मसल डाली। मेरे अन्दर आग आज कुछ अधिक ही धधक रही थी, आज मैं बहुत प्यासी थी। मैंने उसके लंड को पैन्ट के ऊपर से पकड़ लिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.