13-01-2021, 09:23 AM
(This post was last modified: 13-09-2021, 04:40 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मन की बात, तन की बात
अगले दस मिनट तक ,... सिर्फ मन की बात। तन की बात ,किशोर उँगलियाँ ,किशोर देह।
और उसके बाद खुश हो के मैंने अपनी बाँहों में भर लिया ,एकदम परफेक्ट , मेरी असली ननद।
भाभी मेरी पैंटी , वो सारंगनयनी घबड़ायी हिरणी की तरह इधर उधर ढूंढ रही थी , तो मैंने उसे दरवाजे की ओर दिखाया , सिटकनी में टंगी ,फंसी लहराती।
हम दोनों खिलखिलाने लगे।
जाके ले ले न ,मैंने उसको बुला पर मुझे लगा की बस अब २-४ मिनट में उसके भैय्या आने ही वाले होंगे।
और वैसे भी सिर्फ २८ मिनट बचे थे।
वो दरवाजे के पास खड़ी पैंटी पहन पहन रही थी की
मैंने उसे धर दबोचा।
बाज के चंगुल में गौरेय्या ,
अब मेरी बारी थी।
गुड्डी
वो कुछ समझ पाती , कुछ बोल पाती उसके पहले एक टाइट स्लैप ,
सीधे उसके गाल पे , और मैं चालू,
" स्साली ,छिनार , तुझे अपने मायके के सारे मरदों से चुदवाउ, अपने भैय्या को चूँची झलका झलका के ललचाने में कोई लाज नहीं , अपने भैय्या से स्साली चूँची मिजवाने में कोई शरम नहीं ,... और चूँची बोलने में तेरी गाँड़ फट रही थी। "
जबतक वो समझे एकऔर , चटाक , .... पहले वाले से भी तेज,
"स्साली बोला था न तुझे ज़रा भी हिचकोगी तो पांच तेरे गाल पे और पांच तेरे चूतड़ पे , और ज़रा भी बात मानने में हिचकिचाई न तो भेजती हूँ तेरी सारी फोटुएं ,तेरी सहेलियों के पास। "
वो डरी ,सहमी ,सिकुडी।
" खोलमुंह भाइचॉदी ,रंडी जल्दी खोल "
और मेरे एक हाथ की उँगलियों ने उसके गाल दबाकर उसका मुंह खुलवा लिया। दूसरे हाथ से मैंने कस के उसके सर को पकड़ रखा था ,हिल डुल भी नहीं सकती थी वो ,
अगले दस मिनट तक ,... सिर्फ मन की बात। तन की बात ,किशोर उँगलियाँ ,किशोर देह।
और उसके बाद खुश हो के मैंने अपनी बाँहों में भर लिया ,एकदम परफेक्ट , मेरी असली ननद।
भाभी मेरी पैंटी , वो सारंगनयनी घबड़ायी हिरणी की तरह इधर उधर ढूंढ रही थी , तो मैंने उसे दरवाजे की ओर दिखाया , सिटकनी में टंगी ,फंसी लहराती।
हम दोनों खिलखिलाने लगे।
जाके ले ले न ,मैंने उसको बुला पर मुझे लगा की बस अब २-४ मिनट में उसके भैय्या आने ही वाले होंगे।
और वैसे भी सिर्फ २८ मिनट बचे थे।
वो दरवाजे के पास खड़ी पैंटी पहन पहन रही थी की
मैंने उसे धर दबोचा।
बाज के चंगुल में गौरेय्या ,
अब मेरी बारी थी।
गुड्डी
वो कुछ समझ पाती , कुछ बोल पाती उसके पहले एक टाइट स्लैप ,
सीधे उसके गाल पे , और मैं चालू,
" स्साली ,छिनार , तुझे अपने मायके के सारे मरदों से चुदवाउ, अपने भैय्या को चूँची झलका झलका के ललचाने में कोई लाज नहीं , अपने भैय्या से स्साली चूँची मिजवाने में कोई शरम नहीं ,... और चूँची बोलने में तेरी गाँड़ फट रही थी। "
जबतक वो समझे एकऔर , चटाक , .... पहले वाले से भी तेज,
"स्साली बोला था न तुझे ज़रा भी हिचकोगी तो पांच तेरे गाल पे और पांच तेरे चूतड़ पे , और ज़रा भी बात मानने में हिचकिचाई न तो भेजती हूँ तेरी सारी फोटुएं ,तेरी सहेलियों के पास। "
वो डरी ,सहमी ,सिकुडी।
" खोलमुंह भाइचॉदी ,रंडी जल्दी खोल "
और मेरे एक हाथ की उँगलियों ने उसके गाल दबाकर उसका मुंह खुलवा लिया। दूसरे हाथ से मैंने कस के उसके सर को पकड़ रखा था ,हिल डुल भी नहीं सकती थी वो ,