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Incest मेरी प्यारी दीदी मुझसे चुद गई
#53
बस के हिचकोले से वो बार बार मुझ पर गिर सी जाती थी। एक बार तो उनका हाथ मेरे लण्ड पर भी पड़ गया। मुझे लगा कि दीदी जान कर के मुझे उकसा रही है। मैं भी जवान था, मेरे दिल में भी हलचल मच गई। शाम होते होते हम जयपुर पहुंच चुके थे। टूसीटर ले कर हम सामने ही होटल में रुक गये और वहीं से दूसरे दिन का उदयपुर स्लीपर का रिजर्वशन करवा लिया। दीदी काऊंटर पर गई और कमरा बुक करवा लिया। मैंने सारा सामान एक साईड में रख दिया।

हमने खाना जल्दी ही खा लिया और होटल के बाहर टहलने लगे। दीदी मुझे कभी आईसक्रीम तो कभी कोल्ड ड्रिंक पिला कर मुझे खुश कर रही थी। मुझे लगा मुझे भी दीदी के बदन को हाथ लगा कर खुश कर देना चाहिये। सो मैंने टहलते हुए मजाक में दीदी के चूतड़ पर हाथ मार दिया। उस हाथ मारने में मुझे उनके गाण्ड का नक्शा भी महसूस हो गया। दीदी की गाण्ड पर मेरा हाथ लगते ही वो चिहुंक गई….मुझे फिर से उसने मुस्करा कर देखा, मुझे इस से ओर बढ़ावा मिला। मुझे भी बहुत आनन्द आ रहा था इस सेक्सी खेल में।

“शैतान….मारने को यही जगह मिली थी क्या….?” मतलब भरी निगाहों से मुझे देखते हुए उसने कहा।

“दीदी….मजा आया ना….! नरम गद्देदार है….!” मैंने उसे छेड़ा।

“चल हट…. ” कह कर दीदी ने भी मेरी चूतड़ पर एक चपत लगा दी।

“दीदी एक और चपत लगाओ ना….” मैंने शरारत से कहा।

“क्यो तुझे भी मजा आया क्या ?” दीदी मुस्कराने लगी।

“हां….लगता है खूब मारो और बल्कि दबा ही दो !” मैं भी थोड़ा खुल गया।

“जानता है मुन्ना….मेरी भी हनीमून मनाने की इच्छा होती है !”

ये सुनते एकाएक मुझे विश्वास नहीं हुआ। मैंने अन्जान बनते हुए कहा,”ये कहां मनाते हैं? कैसे करते हैं?”

“होटल में और कहां….!” दीदी ने मेरी ओर देखते हुए कहा।

“होटल में….चलो ज्यादा से ज्यादा कुछ खर्चा हो जायेगा….पर तुम्हारी इच्छा तो पूरी हो जायेगी ना….”

“बुद्धू …. नहीं मालूम है क्या….?”

“दीदी….कोई बताये तो मालूम हो ना…. हाँ एक फ़िल्म आई थी….मैंने नहीं देखी थी !”

“पागल है तू तो …. तुझे सब सिखाना पड़ेगा…. बोल सीखेगा?” मुझे मालूम हो गया कि दीदी मुझसे चुदना चाहती है।

“हनीमून सीखने वाली बात है क्या?”

दीदी मेरी पीठ पर घूंसे मारने लगी।

रात के 9 बजने को थे। हम फिर से होटल के कमरे में आ गये और सोने की तैयारी करने लगे। अचानक मेरी नजर बिस्तर पर गई। एक ही सिंगल बिस्तर था। मुझे लगा दीदी ने जान बूझ कर के सिंगल बेड लिया है, मैंने अपना पजामा पहन लिया और अंडरवियर मैंने नहीं पहनी। मैं दीदी को अपना फ़ड़फ़ड़ाता लण्ड दिखाना चाहता था। मैंने झुक कर देखा तो पजामे में से मेरा झूलता हुआ लण्ड बाहर से ही नजर आ रहा था।

दीदी मेरी सब बातों को नोट कर रही थी और मुस्करा रही थी। मेरे झूलते हुए लण्ड को तिरछी नजरों से देख भी रही थी। मुझे भी अब शरीर में सनसनी होने लगी थी। लण्ड भी अब खड़ा होने लगा था। दीदी ने भी अपना नाईट गाऊन पहन लिया पर मेरी तेज निगाहों ने भांप लिया था कि अन्दर वो कुछ नहीं पहने थी। मुझे लगा कि दीदी आज सेक्सी मूड में हैं, और शायद हीट में भी हैं….दीदी ने अपने हाथों को उठा कर और अपनी चूंचियों को उभार कर एक भरपूर अंगड़ाई ली ….मुझे लगा कि मेरे दिल के सारे टांके टूट जायेंगे। मुझे महसूस हुआ कि मैं इसका फ़ायदा ले सकता हूँ। शायद मेरी किस्मत खुल जाये। दीदी बिस्तर पर लेट गई और बोली…”अरे मुन्ना….यहीं आजा तू भी….”

सुनते ही मेरा लण्ड कड़क गया। मैं भी लाईट बन्द करके दीदी की बगल में लेट गया। बिस्तर बहुत ही संकरा था। हम दोनों का बदन छू रहा था। मेरा हाथ उनके बदन पर यहाँ वहाँ लग जाता था पर वो कुछ नहीं कह रही थी। कुछ ही देर में वो सो गई। पर मेरे दिल में हलचल थी। लण्ड भी कड़ा हो रहा था।

अचानक दीदी ने नींद में अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख दिया….मेरे जिस्म में झुरझुरी आ गई पर उसने किया कुछ नहीं। मैंने लण्ड को थोड़ा सा और कड़ा कर दिया और हिला दिया। पर दीदी ने कुछ नहीं किया। वो नींद में मेरे से और चिपक गई। उनका हाथ मेरे पेट पर से होता हुआ लण्ड पर था। मुझे दीदी के जवान जिस्म की अब महक आने लगी थी। मैंने भी अपनी हथेली उनकी चूचियों के ऊपर जमा दी और उनके सांस लेते समय उनकी उठती और गिरती छातियों को हल्के से दबा कर मजे ले रहा था।

शायद दीदी की नींद खुल गई थी या वो नाटक कर रही थी। उन्होने चुपके से मेरी तरफ़ देखा, और मेरी नजरें उनसे मिल ही गई। हम दोनों आपस में एक दूसरे को निहारने लगे। उसकी आंखों में निमंत्रण था, भरपूर वासना थी। मेरे हाथ उसने नहीं हटाये और ना ही मेरे लण्ड पर से उसका हाथ हटा। हम दोनों ने एक दूसरे की मौन स्वीकृति पा कर मैंने उसकी चूंची पर दबाव बढ़ा दिया और नीचे मेरे लण्ड पर उसके हाथ का कसाव बढ़ गया। दोनों के मुख से एक साथ सिसकारियाँ फ़ूट पड़ी।

मेरा लण्ड मसलते हुए बोल पड़ी,”मुन्ना क्या कर रहा है….छोड़ दे ना….”

“दीदी…. हाय….आप कितनी अच्छी है…!.” मैंने गाऊन के अन्दर हाथ डाल दिया और चूंचियों का जायका लेने लगा, और मसलने लगा।

“मुन्ना….हाय कितना शैतान है रे तू….मेरे तो बोबे ही मसल डाले रे….!” दीदी ने मेरा पजामा का नाड़ा खींच दिया और अन्दर हाथ डाल कर मेरा लण्ड पकड़ लिया।

“दीदी….जरा जोर से मसलो ना…. दबाओ और दबाओ….बहुत मजा आ रहा है….!”

“तू भी मेरे बोबे खींच खींच कर दबा डाल….हाय रे….तू अब तक कहां था रे….!” मैंने दीदी की चूंची निकाल कर मुख में भर ली और मैं दूध पीने लगा। मेरा दूसरा हाथ उनकी चूत पर पहुंच गया। मैंने उनकी चूत दबा दी।

वो तड़प उठी….”अरे छोड़ दे जालिम मेरी चूत….”

“दीदी….तू भी मेरा लण्ड छोड़ दे….हाय रे….!”

“मुन्ना….चल अपन दोनों हनीमून मना लें….!”

“कैसे….?”

मेरा गाऊन ऊपर करके मेरे से चिपक जा….हनीमून अपने आप हो जायेगा। “

“सच दीदी….” मुझे तो अब चोदने की लग रही थी। लण्ड बेकाबू होता जा रहा था। मैंने गाऊन ऊंचा करके लण्ड उसकी चूत पर गड़ा दिया। दीदी ने अपनी चूत का मुँह खोल कर मेरे लण्ड का चिकना सुपाड़ा अपनी गीली चूत में फ़ंसा लिया और जोर लगा कर लण्ड अपनी चूत में अन्दर सरकाने लगी।

“ये लो मुन्ना….बन गया हनीमून…. अ….अ….आह्….स्सीऽऽऽऽऽऽऽ ….अह्ह्ह्ह्ह्….” लण्ड गहराई में धंसता चला गया। मेरे लण्ड के सुपाड़े में मिठास आने लगी। मैंने भी अपने चूतड़ का जोर लगा कर पूरा अन्दर तक घुसा डाला। दीदी तो चुद्दकड़ निकली….इतनी गहराई तक लण्ड लेने के बाद तो उसे और मस्ती चढ़ गई…. वो मेरे से चिपकती गई। मैंने उसे अपने नीचे दबा लिया और उसके ऊपर चढ़ गया। और उसकी नरम नरम चूत को चोदने लगा…. वो नीचे दबी सिसकती रही…. मैं आनन्द के सागर में डूब चला था। दीदी के कड़कती चूचियों को मसलता जा रहा था।

दीदी जैसे चुदाते समय भी तड़प रही थी, जैसे उसकी सारी इच्छायें पूरी हो रही हों…. कुछ ही देर में उसकी शरीर में जैसे ताकत भर गई हो….मुझे उसने बुरी तरह से भींच लिया….और सिसकी लेती हुई झड़ने लगी। मुझे भी लगा कि जैसे सारा संसार मेरे में सिमट रहा हो…. मेरे जिस्म ने ऐठन के साथ ही लण्ड से सारा वीर्य निकाल दिया। सारा वीर्य उसकी चूत में भरने लगा….मेरा लण्ड बार बार रुक रुक कर वीर्य छोड़ रहा था….जैसे सारा जिस्म निचोड़ लिया हो। मैं निढाल हो कर एक तरफ़ चित लेट गया। हम दोनों ही जाने कब सो गये।

सवेरे उठते ही नहा धो कर हमने नाश्ता किया। और घूमने निकल पड़े…. दिन भर में सारा काम निपटाया और रात की बस में बैठ गये। बस लगभग खाली थी। ठीक साढ़े नौ बजे बस रवाना हो गई। बस के चलने के बाद बस की लाईटें बन्द हो गई। अभी हम नीचे सीट पर ही बैठे थे जिसे हमें अजमेर में खाली करके स्लीपर में जाना था। सीट के साथ लगे पर्दे मैंने खींच दिये।

अंधेरे का फ़ायदा मैंने उठाते हुए दीदी के बोबे मसलने चालू कर दिये, दीदी ने भी मेरा लण्ड बाहर निकाल कर झुक कर चूसना शुरू कर दिया। वो मेरे सुपाड़े के रिंग को खास तरह से चूस रही थी। मेरा लण्ड बेहद कड़ा हो गया था। साथ में मैं सावधानी से इधर उधर भी देख लेता था कि कोई हमें देख तो नहीं रहा है….पर सब अलसाये हुए से आंखे बन्द किये पड़े थे। मैंने अब दीदी का सर अपने लण्ड पर जोर से दबा दिया और लण्ड से उसका मुँह चोदने लगा। मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हू, तो मैंने लण्ड दीदी के मुँह से लण्ड निकालने की कोशिश की पर दीदी लण्ड छोड़ने को तैयार नहीं थी…. मेरा वीर्य उसके मुँह में ही छूट पड़ा…. मै उसके सर को पकड़ कर उस पर दोहरा हो गया। मेरा सारा रस वो पी चुकी थी। मेरा एक दम साफ़ सुथरा लण्ड उसके मुह से बाहर निकला। मैंने जल्दी से अपनी पेन्ट की ज़िप चढ़ा दी। दीदी भी ठीक से बैठ गई। उसकी आंखे अभी भी शराबी लग रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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RE: मेरी प्यारी दीदी मुझसे चुद गई - by neerathemall - 12-01-2021, 05:38 PM



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