12-01-2021, 05:32 PM
कुछ देर ऐसे ही चलता रहा, फिर उसका बच्चा रोने लगा. उसका बच्चा छोटा था, तब मुझे लगा कि अब मज़ा आएगा.
वही हुआ … उसने अपना बच्चा उठाया और उसे अपने मोटे मोटे चुचों से लगा लिया. वो बच्चा अपने मुँह में निप्पल लेते ही बिल्कुल शांत हो गया. ये देख कर मैंने मन में सोचा कि अब इसकी चूचियों के दीदार हो जाएं तो मजा आ जाए.
मैं जानता था कि ट्रेन की हवा से इसकी साड़ी जरूर उड़ेगी.
वैसा ही हुआ.
थोड़ी देर में उसकी साड़ी का आंचल ऊपर को हुआ और मुझे उसके थोड़े से चुचों के दीदार हो गए. उसने भी अपना पल्लू जल्दी से सही कर लिया, पर उसे पता चल गया था कि मैंने उसके मम्मों को देख लिया है. मैं अपने ख्यालों में उसके चुचों को किसी बच्चे की तरह पी रहा था.
अचानक अगला स्टॉप आया और ट्रेन रुक गई. उसके साथ वाला लड़का, उससे बोल कर नीचे चला गया कि मैं दूसरी बोगी में सीट देखने जा रहा हूँ.
ये कह कर वो चला गया. मैंने अपने दोस्त को भी सीट देखने भेज दिया. मैंने उससे कह दिया था कि वहीं रहना और उस लड़के को भी बिजी रखना. दोस्त समझ गया.
यही हुआ भी. थोड़ी देर में ट्रेन चलने लगी और उसके साथ वाला लड़का वापस नहीं आया.
अब बोगी में सिर्फ मैं और वो थी. उसके साथ उसका बच्चा था, जिसका मैं शुक्रगुजार था कि उसकी वजह से उसकी माँ मुझे चोदने को मिल सकती है.
ट्रेन चल दी. मैं अपनी जगह पर बैठा रहा और उसे देखता रहा. शायद अब वो मेरी मंशा जान चुकी थी … मगर उसने कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं दी.
इतने में उसका बच्चा फिर से रोने लगा. उसने मेरी तरफ देखा, तो मैंने आंखें बंद कर ली थीं, ताकि वो खुल कर अपने बच्चे को दूध पिला सके.
उसने मेरी तरफ देखा और अपने बच्चे को दूध पिलाने लगी. वो दूध पिलाते हुए सो सी गई और तभी हवा के कारण उसकी साड़ी उसके मम्मों से उड़ गई. उसके एक नंगा स्तन मेरे सामने खुल गया था. मुझे मस्त भरा हुआ दूध देख कर ऐसा लगा कि मैं अभी जाकर उसकी चूची को चूस लूं और इसे चोद दूं. पर मैंने काबू किया और उसके जागने का इंतज़ार किया.
जब वो जागी, तो अपनी हालत देख कर शरमा गई. उसने मेरी तरफ देखा, तो मैं मुस्कुरा रहा था. वो भी मुस्कुरा दी.
मुझे लगा कि अब ये पट गई. मैं उठ कर उसके पास गया और उसकी तारीफ करने लगा. वो भी खुश सी दिखने लगी.
मैंने उससे पूछा- कहां जा रही हो.
तो पता चला कि वो भी अपने मायके झांसी जा रही थी. जो उसे लेने आया था, वो उसके चाचा का लड़का है.
मेरी उससे यहां वहां की बातें होती रहीं. बात ही बात में पता चला उसका पति कहीं बाहर नौकरी करता है और घर कम ही आ पाता है.
हवा तेज होने की वजह से मैंने उससे कहा- तुम इधर को आ जाओ, आवाजें समझ नहीं आ रही हैं.
वो मेरे करीब आ गई और मेरे पास चिपक कर बैठ गई. मुझे कोई डर नहीं था क्योंकि आखिरी स्टॉप झांसी था. मेरे पास टाइम और चुदने लायक चुत दोनों थे.
मैंने उसके कंधे पर हाथ रख लिया और हमारी बातें होती रहीं. तभी उसका बच्चा फिर से रोने लगा. वो फिर से उसे दूध पिलाने लगी.
मेरे मुँह से निकल गया दिन में ये बच्चा परेशान करता है और शाम को बच्चे के पापा.
वो हंस कर बोली- शाम को परेशान करने वाला कोई है ही कहां?
मैंने कहा- क्यों ये बच्चा किधर से आया … इसके पापा ने ही तो परेशान किया होगा.
वो हंस दी और कुछ नहीं बोली.
वही हुआ … उसने अपना बच्चा उठाया और उसे अपने मोटे मोटे चुचों से लगा लिया. वो बच्चा अपने मुँह में निप्पल लेते ही बिल्कुल शांत हो गया. ये देख कर मैंने मन में सोचा कि अब इसकी चूचियों के दीदार हो जाएं तो मजा आ जाए.
मैं जानता था कि ट्रेन की हवा से इसकी साड़ी जरूर उड़ेगी.
वैसा ही हुआ.
थोड़ी देर में उसकी साड़ी का आंचल ऊपर को हुआ और मुझे उसके थोड़े से चुचों के दीदार हो गए. उसने भी अपना पल्लू जल्दी से सही कर लिया, पर उसे पता चल गया था कि मैंने उसके मम्मों को देख लिया है. मैं अपने ख्यालों में उसके चुचों को किसी बच्चे की तरह पी रहा था.
अचानक अगला स्टॉप आया और ट्रेन रुक गई. उसके साथ वाला लड़का, उससे बोल कर नीचे चला गया कि मैं दूसरी बोगी में सीट देखने जा रहा हूँ.
ये कह कर वो चला गया. मैंने अपने दोस्त को भी सीट देखने भेज दिया. मैंने उससे कह दिया था कि वहीं रहना और उस लड़के को भी बिजी रखना. दोस्त समझ गया.
यही हुआ भी. थोड़ी देर में ट्रेन चलने लगी और उसके साथ वाला लड़का वापस नहीं आया.
अब बोगी में सिर्फ मैं और वो थी. उसके साथ उसका बच्चा था, जिसका मैं शुक्रगुजार था कि उसकी वजह से उसकी माँ मुझे चोदने को मिल सकती है.
ट्रेन चल दी. मैं अपनी जगह पर बैठा रहा और उसे देखता रहा. शायद अब वो मेरी मंशा जान चुकी थी … मगर उसने कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं दी.
इतने में उसका बच्चा फिर से रोने लगा. उसने मेरी तरफ देखा, तो मैंने आंखें बंद कर ली थीं, ताकि वो खुल कर अपने बच्चे को दूध पिला सके.
उसने मेरी तरफ देखा और अपने बच्चे को दूध पिलाने लगी. वो दूध पिलाते हुए सो सी गई और तभी हवा के कारण उसकी साड़ी उसके मम्मों से उड़ गई. उसके एक नंगा स्तन मेरे सामने खुल गया था. मुझे मस्त भरा हुआ दूध देख कर ऐसा लगा कि मैं अभी जाकर उसकी चूची को चूस लूं और इसे चोद दूं. पर मैंने काबू किया और उसके जागने का इंतज़ार किया.
जब वो जागी, तो अपनी हालत देख कर शरमा गई. उसने मेरी तरफ देखा, तो मैं मुस्कुरा रहा था. वो भी मुस्कुरा दी.
मुझे लगा कि अब ये पट गई. मैं उठ कर उसके पास गया और उसकी तारीफ करने लगा. वो भी खुश सी दिखने लगी.
मैंने उससे पूछा- कहां जा रही हो.
तो पता चला कि वो भी अपने मायके झांसी जा रही थी. जो उसे लेने आया था, वो उसके चाचा का लड़का है.
मेरी उससे यहां वहां की बातें होती रहीं. बात ही बात में पता चला उसका पति कहीं बाहर नौकरी करता है और घर कम ही आ पाता है.
हवा तेज होने की वजह से मैंने उससे कहा- तुम इधर को आ जाओ, आवाजें समझ नहीं आ रही हैं.
वो मेरे करीब आ गई और मेरे पास चिपक कर बैठ गई. मुझे कोई डर नहीं था क्योंकि आखिरी स्टॉप झांसी था. मेरे पास टाइम और चुदने लायक चुत दोनों थे.
मैंने उसके कंधे पर हाथ रख लिया और हमारी बातें होती रहीं. तभी उसका बच्चा फिर से रोने लगा. वो फिर से उसे दूध पिलाने लगी.
मेरे मुँह से निकल गया दिन में ये बच्चा परेशान करता है और शाम को बच्चे के पापा.
वो हंस कर बोली- शाम को परेशान करने वाला कोई है ही कहां?
मैंने कहा- क्यों ये बच्चा किधर से आया … इसके पापा ने ही तो परेशान किया होगा.
वो हंस दी और कुछ नहीं बोली.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.