11-01-2021, 08:38 PM
(This post was last modified: 12-09-2021, 11:16 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मेरी छुटकी ननदिया - गुड्डी
पर घंटी घनघना उठी।
एक दो बार नहीं लगातार ,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
और उन्होंने खुद गुड्डी का ब्लाइंडफोल्ड खोल दिया
और माफ़ी के अंदाज में उससे वो बोले ,
" मैं भी न एकदम बेवकूफ हूँ , वो स्साला गांडू वर्मा होगा , मैंने उसे तीन बजे के लिए बोल रखा था ,लेकिन बस अभी गया अभी आया। "
" अरे टरका दो न उसे ये आयी है ,... "
मैंने उन्हें समझाया ,
पर गुड्डी हिम्मत बंधाते हुए बोली ,
" अरे भैय्या आप आराम से जाइये आराम से आइये , मैं कहीं भागी नहीं जा रही , अभी ५२ मिनट तो भाभी का कर्ज चुकाना है उसके बाद भी एक घंटे इसी कमरे में रहूंगी। शाम की चाय वाय पी के आराम से जाउंगी , जाइये मैं वेट करुँगी आपका। "
उनके जाते ही मैंने दरवाजा बंद किया और गुड्डी को बाँहों में बांधते हुए बोली ,
गर्ली टाइम और अपनी ननद के टॉप ब्रा उतार के फर्श पे /
एकदम भाभी वो बोली
और मेरा ब्लाउज और मेरी ब्रा ,मेरी ननद के टॉप और ब्रा के साथ फर्श पर।
वो गोरे गोरे मखमली टीन बूब्स ,
सच में कुछ तो था उनमें जो सारे शहर के लौंडे उन पे दीवाने थे।
और पहली बार वो खुल के बाहर , टेनिस बाल की साइज के खूब कड़े कड़े , '
लौंडों को क्या बोलूं , गुड्डी की कच्ची अमियों ने तो मेरी भी हालत खराब कर दी।
मेरी जीभ ने पहले उस मस्त माल के जोबन के बेस पे हलके हलके ,खूब हलके हलके लिक किया। फिर छोटे छोटे किस उसकी छोटी छोटी चूँचियों पर ,
वो भी मस्त हो रही थी , सिसक रही थी ,तड़प रही थी ,
पर मेरे हाथों ने सँड़सी की तरह उस किशोरी की नरम नरम कलाइयों को दबोच रखा था।
उफ्फ्फ , उसके निप्स,सीना उठाये खड़े ,कड़े ,हलके हलके शहद के रंग के, छोटे छोटे मिल्क टिट्स , मुश्किल से आधे इंच के ,
लेकिन क्या जानमारु
और मेरी प्यासी जुबान से नहीं रहा गया ,उसके जोबन के शिखर ,लिक लिक ,सपड़ सपड़ ,उन निप्स के बेस से ऊपर तक बार बार
और उनकी छुटकी बहिनिया की हालत खराब थी ,नहीं भाभी नहीं ओह्ह उफ़ आअह्ह्ह , वो सिसक रही रही , तड़प रही थी।
लेकिन
उस स्साली ने तो मुझे भी तड़पाया था , बिचारे मेर वो भी तो जब से उसके जोबन आये थे ,तड़प रहे थे , तो मैं क्यों ,...
कचकचा कर मैंने ,.... कुतर लिया।
"उईईई ,ओह्ह्ह्ह नाहीईइ उईईईईई ,... वो चीखी "
यही चीख सुनने के लिए तो मेरे कान तरस रहे थे ,छिनार।
और अबकी मैंने और कस के उसके निप्स कुतर लिए।
" उय्य्यी , नही आह्ह्ह्ह उईईईईईई " वो पहले से भी जोर से चीखी।
और अबकी बाज की तरह मेरे होंठों ने उसके निप्स को झपट कर कैद कर लिया , पहले हलके हलके फिर जोर जोर से चूसने लगी।
मेरे एक हाथ ने खींच कर उसके हाथ मेरे उभारों पर रख लिया , और अब वो भी , ...
इस खेल की नयी खिलाड़न थी वो लेकिन सीखती बहुत जल्दी थी , कुछ देर में उसके हाथ भी मेरे बूब्स को दबा रहे थे सहला रहे थे ,मसल रहे थे।
और मैंने तिहरा हमला बोल दिया ,
मेरा एक हाथ गुड्डी की चूँची रगड़ मसल रहा था , दूसरी चूँची मेरे होंठों के हवाले और मेरा दूसरा हाथ अब गुड्डी की स्कर्ट के अंदर घुसा ,उसकी गुलाबो का हाल चाल पूछ रहा था। दो इंच की थांग क्या बचाती उसको। कुछ देर तो मैंने लेसी थांग के ऊपर से चुनमुनिया को गदोरी से रगड़ा मसाला , फिर वो छोटा सा थांग का परदा सरका के मेरी उँगलियाँ ,
उफ़्फ़ ,
क्या रसीली फांके थीं , स्साली की। एकदम कसी लेकिन रस छलक रहा था गुड्डी के लेबिया से।
नयी नयी ,बस खिली गुलाब की रसीली पंखुड़ियों की तरह , मखमली मुलायम।
उंगलियों की टिप उन्हें सहलाती रही ,बहुत धीरे से ,हलके से ,और फिर दोनों भगोष्ठों के बीच ,
लेकिन वो बहुत कसी थी , ऊँगली की टिप भी घुसना मुश्किल
( और उसमे ,उसके भैय्या का बियर कैन साइज का मोटा बांस मैं घुसवाने वाली थी , हचाक )
मेरी उँगलियाँ वो जादुई बटन ढूंढने में लगी तो तो एकदम साध्वी को भी छिनार बना दे।
मिल गयी वो ,उसकी क्लिट,एकदम ढंकी बंद ,
लेकिन थोड़ी देर की रगड़ घिस ने उसे भी मुंह खोलने पर मजबूर कर दिया।
गुड्डी की जाँघे अपने आप फ़ैल चुकी थी ,योनि से हल्का हलका रस निकल रहा था और छोटे मटर के दाने के तरह उसकी क्लिट एकदम कड़ी
उह्ह्ह उह्ह्ह ओह्ह्ह हाननं नाहीईईईई ,..... वो सिसक रही थी ,मुझसे चिपकी और उसके हाथ भी अब खुल के मेरे बड़े बड़े उभारों का रस ले रहे थे ,
अगर मैं दो चार और मिनट ऐसे करती तो मेरी छुटकी ननदिया झड़ने के कगार पर आ जाती लेकिन मैं उसको इत्ती जल्दी झाड़ने के चक्कर में नहीं थी।
मैंने गियर चेंज किया ,
" सुन मेरी प्यारी प्यारी मीठी मीठी ननद रानी , चल एक सेल्फी लेते हैं न। ' उसके शहद से गाल चूमते मैं बोली।
पर घंटी घनघना उठी।
एक दो बार नहीं लगातार ,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
और उन्होंने खुद गुड्डी का ब्लाइंडफोल्ड खोल दिया
और माफ़ी के अंदाज में उससे वो बोले ,
" मैं भी न एकदम बेवकूफ हूँ , वो स्साला गांडू वर्मा होगा , मैंने उसे तीन बजे के लिए बोल रखा था ,लेकिन बस अभी गया अभी आया। "
" अरे टरका दो न उसे ये आयी है ,... "
मैंने उन्हें समझाया ,
पर गुड्डी हिम्मत बंधाते हुए बोली ,
" अरे भैय्या आप आराम से जाइये आराम से आइये , मैं कहीं भागी नहीं जा रही , अभी ५२ मिनट तो भाभी का कर्ज चुकाना है उसके बाद भी एक घंटे इसी कमरे में रहूंगी। शाम की चाय वाय पी के आराम से जाउंगी , जाइये मैं वेट करुँगी आपका। "
उनके जाते ही मैंने दरवाजा बंद किया और गुड्डी को बाँहों में बांधते हुए बोली ,
गर्ली टाइम और अपनी ननद के टॉप ब्रा उतार के फर्श पे /
एकदम भाभी वो बोली
और मेरा ब्लाउज और मेरी ब्रा ,मेरी ननद के टॉप और ब्रा के साथ फर्श पर।
वो गोरे गोरे मखमली टीन बूब्स ,
सच में कुछ तो था उनमें जो सारे शहर के लौंडे उन पे दीवाने थे।
और पहली बार वो खुल के बाहर , टेनिस बाल की साइज के खूब कड़े कड़े , '
लौंडों को क्या बोलूं , गुड्डी की कच्ची अमियों ने तो मेरी भी हालत खराब कर दी।
मेरी जीभ ने पहले उस मस्त माल के जोबन के बेस पे हलके हलके ,खूब हलके हलके लिक किया। फिर छोटे छोटे किस उसकी छोटी छोटी चूँचियों पर ,
वो भी मस्त हो रही थी , सिसक रही थी ,तड़प रही थी ,
पर मेरे हाथों ने सँड़सी की तरह उस किशोरी की नरम नरम कलाइयों को दबोच रखा था।
उफ्फ्फ , उसके निप्स,सीना उठाये खड़े ,कड़े ,हलके हलके शहद के रंग के, छोटे छोटे मिल्क टिट्स , मुश्किल से आधे इंच के ,
लेकिन क्या जानमारु
और मेरी प्यासी जुबान से नहीं रहा गया ,उसके जोबन के शिखर ,लिक लिक ,सपड़ सपड़ ,उन निप्स के बेस से ऊपर तक बार बार
और उनकी छुटकी बहिनिया की हालत खराब थी ,नहीं भाभी नहीं ओह्ह उफ़ आअह्ह्ह , वो सिसक रही रही , तड़प रही थी।
लेकिन
उस स्साली ने तो मुझे भी तड़पाया था , बिचारे मेर वो भी तो जब से उसके जोबन आये थे ,तड़प रहे थे , तो मैं क्यों ,...
कचकचा कर मैंने ,.... कुतर लिया।
"उईईई ,ओह्ह्ह्ह नाहीईइ उईईईईई ,... वो चीखी "
यही चीख सुनने के लिए तो मेरे कान तरस रहे थे ,छिनार।
और अबकी मैंने और कस के उसके निप्स कुतर लिए।
" उय्य्यी , नही आह्ह्ह्ह उईईईईईई " वो पहले से भी जोर से चीखी।
और अबकी बाज की तरह मेरे होंठों ने उसके निप्स को झपट कर कैद कर लिया , पहले हलके हलके फिर जोर जोर से चूसने लगी।
मेरे एक हाथ ने खींच कर उसके हाथ मेरे उभारों पर रख लिया , और अब वो भी , ...
इस खेल की नयी खिलाड़न थी वो लेकिन सीखती बहुत जल्दी थी , कुछ देर में उसके हाथ भी मेरे बूब्स को दबा रहे थे सहला रहे थे ,मसल रहे थे।
और मैंने तिहरा हमला बोल दिया ,
मेरा एक हाथ गुड्डी की चूँची रगड़ मसल रहा था , दूसरी चूँची मेरे होंठों के हवाले और मेरा दूसरा हाथ अब गुड्डी की स्कर्ट के अंदर घुसा ,उसकी गुलाबो का हाल चाल पूछ रहा था। दो इंच की थांग क्या बचाती उसको। कुछ देर तो मैंने लेसी थांग के ऊपर से चुनमुनिया को गदोरी से रगड़ा मसाला , फिर वो छोटा सा थांग का परदा सरका के मेरी उँगलियाँ ,
उफ़्फ़ ,
क्या रसीली फांके थीं , स्साली की। एकदम कसी लेकिन रस छलक रहा था गुड्डी के लेबिया से।
नयी नयी ,बस खिली गुलाब की रसीली पंखुड़ियों की तरह , मखमली मुलायम।
उंगलियों की टिप उन्हें सहलाती रही ,बहुत धीरे से ,हलके से ,और फिर दोनों भगोष्ठों के बीच ,
लेकिन वो बहुत कसी थी , ऊँगली की टिप भी घुसना मुश्किल
( और उसमे ,उसके भैय्या का बियर कैन साइज का मोटा बांस मैं घुसवाने वाली थी , हचाक )
मेरी उँगलियाँ वो जादुई बटन ढूंढने में लगी तो तो एकदम साध्वी को भी छिनार बना दे।
मिल गयी वो ,उसकी क्लिट,एकदम ढंकी बंद ,
लेकिन थोड़ी देर की रगड़ घिस ने उसे भी मुंह खोलने पर मजबूर कर दिया।
गुड्डी की जाँघे अपने आप फ़ैल चुकी थी ,योनि से हल्का हलका रस निकल रहा था और छोटे मटर के दाने के तरह उसकी क्लिट एकदम कड़ी
उह्ह्ह उह्ह्ह ओह्ह्ह हाननं नाहीईईईई ,..... वो सिसक रही थी ,मुझसे चिपकी और उसके हाथ भी अब खुल के मेरे बड़े बड़े उभारों का रस ले रहे थे ,
अगर मैं दो चार और मिनट ऐसे करती तो मेरी छुटकी ननदिया झड़ने के कगार पर आ जाती लेकिन मैं उसको इत्ती जल्दी झाड़ने के चक्कर में नहीं थी।
मैंने गियर चेंज किया ,
" सुन मेरी प्यारी प्यारी मीठी मीठी ननद रानी , चल एक सेल्फी लेते हैं न। ' उसके शहद से गाल चूमते मैं बोली।