11-01-2021, 05:50 PM
म दोनों ने अपने कपड़े पहने और अपनी अपनी सीटों पर बैठ गए.
अब हमारी मंजिल दीदी की ससुराल थी.
अब हमारी मंजिल दीदी की ससुराल थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.