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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
ये घर में सेक्स की कहानी अभी लॉकडाउन की ही है. जो भी मेरे साथ घटा था, आज मैं उसे इस साइट के माध्यम से आप सबको बताना चाहता हूं.

मैं अभी 26 साल का हूँ. मेरी फैमिली में मैं, मेरे पापा-मम्मी और भाई-भाभी रहते हैं. एक बहन है, जिसकी शादी हो चुकी है.

भाई भाभी मुझसे 2 साल बड़े हैं. मेरी भाभी का नाम नीलम है. भाभी दिखने में बहुत सुंदर हैं. उनका रंग एकदम दूध सा गोरा है और भरा हुआ शरीर है. भाई की मार्केटिंग की जॉब है … तो वो बाहर जाते रहते हैं.

मैं बहुत सीधा और साधारण सा दिखने वाला लड़का हूँ, ज्यादा डींगें हांकना मुझे आता नहीं है. मैं खुद के लिए वो सब नहीं लिखूंगा कि मेरा लंड इतना बड़ा है … या मैं दिखने कोई सलमान खान जैसा हूँ. मैं एक औसत कद काठी का 5 फ़ीट 7 इंच वाला नवयुवक हूँ.

हुआ यूं कि इसी साल 20 मार्च को भाई अपने मार्केटिंग के काम मुम्बई गए थे. उनको उधर एक हफ्ते का काम था.

उसके बाद लॉकडाउन लगा, तो भाई वहीं फंस गए. यहां सबको टेंशन हो रही थी. सबसे ज्यादा भाभी को चिंता हो रही थी.
वैसे सब कुछ सामान्य था. भाई उधर ठीक से रह रहे थे. उन्हें उधर रहते हुए अब एक महीना होने जा रहा था.

भाभी को भैया से दूर होने से शारीरिक भूख सताने लगी थी.

मेरा और मेरी भाभी के बीच अब तक कोई ऐसा वैसा सम्बन्ध नहीं था. मैं कभी भी अपनी भाभी के बारे में गलत नहीं सोचा था … और न ही उनके लिए मेरे मन में कभी कोई गलत ख्याल ही आया था.

भाई को गए हुए एक महीना हो गया था, तो भाभी भी उदास रहती थीं. मैंने उनके साथ खेलने के लिए लूडो और कैरमबोर्ड निकाल लिया था, जो काफी दिनों से धूल खा रहा था.

सारे दिन मैं भाभी के कमरे में उनके साथ लूडो ओर कैरम खेलता रहता, जिससे घर वालों को भी कोई ऐतराज नहीं था.

शुरू में तो मम्मी भी कई बार कमरे में आ जाती थीं कि हम दोनों क्या कर रहे हैं.

भाभी का और मेरा कमरा पहली मंजिल पर है. मम्मी के घुटनों में दर्द रहता है, तो वो ज्यादा ऊपर नहीं आती थीं … और पापा तो अपने आप में ही मस्त रहते थे.
उनको किसी की टेंशन नहीं थी.

ऐसे ही एक दिन दोपहर का टाइम था, हम दोनों लूडो खेल रहे थे. लूडो खेलते खेलते हम दोनों ही काफी बोर हो गए थे … तो मैं भाभी के साथ बेड पर ही लेट गया.[Image: 10817550_028_10b8.jpg]

भाभी मुझसे बात करने लगीं- अब तेरी गर्लफ्रेंड का फोन नहीं आता … क्या बात है … उससे कट्टी हो गई है क्या?
मैंने बताया- हां यार भाभी … उससे मेरा ब्रेकअप हो गया है.
भाभी ने पूछा- क्यों?

अब इसका रीज़न तो मुझे खुद भी नहीं पता था कि मेरी गर्ल फ्रेंड ने मुझसे बोलना क्यों छोड़ दिया.
मैं ठहरा सीधा साधा, तो ज्यादा तेल लगाना मुझे आता नहीं था. उसने मुझसे बोलना बंद कर दिया था, तो मैंने भी उसे भाव नहीं दिया.

मैं भाभी से बोला कि पता नहीं क्यों … उसने बस मुझसे बात करना छोड़ दिया है.
भाभी बोलीं- ऐसे कोई बिना बात के थोड़े ही बात करना छोड़ देता है, तुमने उसका दिल दुखाया होगा.
मैंने कहा- नहीं भाभी, आप तो मेरा स्वभाव जानती हो, उसने बिना किसी बात के मुझसे बोला छोड़ दिया है.

मुझे अपनी गर्लफ्रेंड की याद आ गई और मेरी आंखों में आंसू आ गए.

ये देख कर पहले तो भाभी मुझे चुप करा रही थीं मगर वो जितना मुझे चुप होने के लिए बोल रही थीं, मुझे उतना ज्यादा रोना आ रहा था, जो एकदम नेचुरल था.

फिर अचानक से भाभी ने मुझे जोर से गले लगा लिया. मैंने भी अपना सर भाभी के सीने में छिपा लिया. हम दोनों वैसे ही कम से कम 2 से 3 मिनट वैसे ही चिपके रहे.
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जब मैं नार्मल हुआ तो भाभी ने मुझे छोड़ दिया. उन्होंने मुझे पानी पिलाया और मैं अपने कमरे में चला गया.

शाम हुई तो भाभी मुझे बड़ी प्यार से देख रही थीं. भाभी ने खाना बनाया, सबने खाया. भाभी खाना खाते हुए बोलीं कि चलो कैरम खेलते हैं.
मैं बोला- ठीक है.


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थोड़ी देर में मैं भाभी के कमरे में आ गया, तो भाभी वहीं खड़ी थीं. उन्होंने मुझे फिर से गले लगा लिया और टाइट हग कर लिया.

इस समय मेरा लंड खड़ा होने लगा और मन में चलने लगा कि न जाने आज भाभी को क्या हो गया है, इतनी जोर से मुझे क्यों भींच लिया है.

मेरा लंड उन्हें चुभने लगा, तो मैंने अपने मन से ही उन्हें सफाई देते हुए कहा- भाभी सच में मुझे अपनी गर्लफ्रेंड की बड़ी याद आ रही है.

भाभी भी समझ गई थीं कि लंड खड़ा होने की वजह से मैं ऐसा कह रहा हूँ. भाभी बोलीं कि होता है इस उम्र में … लड़कियां होती ही हैं ऐसी कि कोई भी मिला पैसे वाला, तो उसके साथ हो गईं. तू टेंशन न ले.

अब भाभी को लेकर मेरे ख्यालात बदल चुके थे. मैं भाभी को दूसरी ही नज़र से देख रहा था. मुझे भाभी अब एक अप्सरा से कम नहीं लग रही थीं. मेरी हवस मुझ पर हावी हो रही थी.

इतने में भाभी ने अपनी जकड़न ढीली की और बोलीं- चल खेलते हैं.
हम दोनों खेलने लगे.[Image: 10817550_042_4922.jpg]

[Image: 10817550_007_c16d.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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