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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
(08-01-2021, 03:26 PM)neerathemall Wrote: [Image: 93249671_007_73a0.jpg]

(11-01-2021, 05:09 PM)neerathemall Wrote: चचेरी बहन का नंगा बदन : उसको जबरदस्ती चोदा

राहुल के बड़े अंकल आजमगढ़ में पुलिस ऑफिसर हैं तो उनके दो बच्चे, एक शीतल ( २३ साल ) और दूसरा विवेक ( १९ साल ) उनके साथ रहते है और उनकी पत्नी सुनीता काफी मॉडर्न ख्यालात की औरत है तो साल भर पहले मैं अपनी बड़ी चाची को चोदकर आनंद उठाया था, ये बात साल भर पहले की है जब शीतल दीदी किसी एग्जाम के लिए कानपुर आईं थीं और शीतल दीदी का गोरा सुंदर मुखड़ा, ५’५ इंच का कद और उनके सेक्सी फिगर मुझे अब भी याद है तो उनके गोल गुंबदाकार चूतड़ को याद कर मैं मुठ भी कई दफा मार चुका था और आज शाम शीतल दीदी को रिसीव करने मुझे कानपुर जंक्शन जाना था, वैसे भी ये मुंह फ्ट्ट और घमंडी किस्म की लड़की है लेकिन मॉम के कहने पर उसे पिक करने जाना था। शाम के ०६:१५ बजे मैं अपनी बाईक से कानपुर जंक्शन के लिए निकल पड़ा तो मई महीने की गर्मी और उमस भरी शाम काफी परेशान कर रही थी, ट्रेन का स्थिति जाना तो आधे घंटे देर से पहुंचने की संभावना थी तो मैं विजय नगर चौराहा पर पहुंचकर वाईन शॉप से एक ठंडी बियर खरीदा फिर वहीं पर पीने लगा, थोड़ी देर बाद जंक्शन के लिए निकल पड़ा तो ट्रैफिक काफी अधिक थी साथ ही मेरा मन बियर के नशे में मस्त था और आखिरकार कानपुर जंक्शन पहुंचा फिर एक प्लेटफॉर्म टिकट खरीदकर प्लेटफॉर्म नंबर ४ पर गया, अब ट्रेन आने का वक्त हो चला था तो मैं प्लेटफॉर्म पर ही घूमने लगा और जैसे ही ट्रेन की सूचना हुई मैं ए सी टू टायर के बौगी के जगह की ओर बढ़ा फिर ०७:३५ शाम को ट्रेन प्लेटफॉर्म में घुसी और मैं पल भर बाद ही शीतल दीदी को ट्रेन से उतरते देखा, उनके पास गया तो उनके हाथ में एक बड़ा सा ट्रॉली बैग था और दीदी मुझे देखकर मुझसे गले मिल ली तो मैं भी उनके पीठ थपथपाकर स्वागत किया फिर मैं उनके बैग लिए उनके साथ प्लेटफॉर्म से निकल पड़ा तो दीदी बोली ” तुम बाईक से आए हो
( मैं ) हां दीदी, क्यों
( वो ) इस बैग को रखकर बाईक पर बैठना मुस्किल है
( मैं ) आप आराम से बैठिए बाकी बैग पीछे चैन से बांध दूंगा ” तो बाईक के सीट के पीछे बैग को बांधा और अब मैं बाईक स्टार्ट किया तो शीतल दीदी ब्लू रंग की लेगिंग्स और स्लीवलेस कुर्ती पहन रखी थी, वो दोनों पैर दो दिशा में किए बैठी तो उसके तन का अगला हिस्सा मेरे तन के पिछले हिस्से से सटना तय था और वहीं हुआ, अब बाईक मेन रोड पर लिया तो शीतल के दोनों बूब्स का दबाव मेरे पीठ पर पड़ रहा था और दीदी बेझिझक होकर मेरे कमर से हाथ लपेट दी तो मैं तेज रफ्तार से बाईक चलाने लगा और शीतल दीदी के हाथ मेरे कमर पर इस क़दर थे मानो वो मेरी प्रेमिका हो तो पूछी ” तुम ड्रिंक्स भी करते हो
( मैं ) नहीं दीदी, आपको कौन बताया
( शीतल ) मेरे नाक को सुंगध मिल रही है राहुल ” तो वो मेरे कंधे पर सर रखकर ऐसे बैठी थी मानो रास्ते में ही उसके साथ सेक्स हो जाए, बहुत ही गरम तेवर और गुस्सैल लड़की शीतल को लेकर घर पहुंचा तो मेरा लंड जींस के अंदर ही टाईट हो चुका था, फिर अपने रूम जाकर कपड़ा बदलने लगा और हाथ मुंह धोकर शॉर्ट्स पहने डायनिंग हॉल आया तो मॉम और डैड वहां बैठे हुए थे तो मैं भी वहीं बैठा फिर शीतल रूम से बाहर आई तो उसको शॉर्ट्स और टॉप्स में देख मॉम भी थोड़ा गुस्सा हुई लेकिन कुछ नहीं बोली ” बैठो चाय पियोगी।
( वो मेरे बगल में बैठकर ) नहीं आंटी, कॉफी पीने का मन है फिर स्नान करूंगी बहुत गर्मी हो रही है ” तो मॉम उठकर किचन चली गई तो डैड अपने रूम और अब मैं उसके नग्न टांग सहित चिकने जांघों को देख रहा था तो शीतल अपने सर को सोफ़ा के बैक पर रखकर अपनी दोनों बूब्स उभार रही थी, जी कर रहा था कि पटक कर चोद डालूं, वैसे भी मुझसे उम्र में दो साल बड़ी थी तो वो पूछी ” तो बैंकिंग क्षेत्र में नौकरी के लिए तैयारी चल रही है
( मैं ) हां दीदी ” फिर मॉम कॉफी लेकर आई फिर दोनों कॉफी पीने लगे तो मॉम किचन चली गई, वो कॉफी पीते हुए मेरे लंड के उभार को कंख्किया कर देख रही थी तो मैं उसके बूब्स सहित जांघ को फिर वो कप रखकर बोली ” चलूं स्नान करने, दीपा के रूम में ए सी नहीं है ना
( मैं ) नहीं वैसे आप मेरे रूम में सो सकती हैं ” तो वो मुंह चमकाकर उठी और चली गई और मैं उसके चूतड़ को देख आहें भरने लगा तो शीतल की बूब्स का एहसास पाकर मैं कामुक हो उठा था लेकिन इस गुस्सैल और घमंडी लड़की के बदन पर हाथ लगाना मानो किसी आग की भट्टी में कूदना हो, वो चली गई तो मैं अपने रूम जाकर लेट गया और मेरे और दीदी के रूम का कॉमन वाशरूम है जिसका दरवाजा दोनों रूम में खुलता है तो शीतल वाशरूम में होगी, ये मैं जान रहा था साथ ही उसने मेरे दरवाजे की कुण्डी अंदर से बन्द की होगी ये भी मुझे मालूम था। रात के ०८:४० हो रहे थे तो बियर पीने के बाद मैं नशे में मस्त था तो अब मुझे तेजी से पीसाब लगी सोचा की पल भर रुककर ही वाशरूम का दरवाजा इधर से खोलता हूं तब तक शायद उसका स्नान हो जाए, फिर मैं उठा और दरवाजे को धक्का दिया तो दरवाजा खुलते ही मेरी नजर सीधे शीतल दीदी के नग्न जिस्म पर गई और वो स्नान करके अपने तन को टॉवेल से पोंछ रही थी, मैं घबराकर तुरंत ही दरवाजा बन्द किया फिर अपने बेड पर आकर बैठ गया तो उसकी नग्न जिस्म की तस्वीर मेरी आंखों में थी, उसके दोनों बूब्स साथ ही नग्न पेट से जांघों तक को देख चुका था लेकिन कहिए तो बुर दर्शन पल भर के लिए ही हुआ था और मेरा लंड पूरी तरह से टाईट हो गया फिर कुछ देर बाद शीतल मेरे रूम में घुसी और बोली ” सॉरी अंदर से कुण्डी लगाना भूल गई ” मैं उठकर वाशरूम घुसा फिर मूतने लगा,[Image: 6.jpg]


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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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