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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
मैं राहुल मल्होत्रा अपने वाशरूम से निकल रूम में आया तो चचेरी बहन शीतल बेड पर आराम से लेटी हुई थी हालांकि उसका ड्रेस ठीकठाक था, स्कर्ट और टॉप्स पहने लेटी हुई थी और मुझे देख वो अंगड़ाई लेते हुए बोली ” कितना बदन दुख रहा है राहुल
( मैं उसके बूब्स के उभार को टॉप्स पर से ही देखता हुआ ) सो क्या दीदी, रात में ट्रेन में सोई नहीं थी
( वो ) ऊहुं, कोई खर्राटे भर रहा था तो कोई बातें कर रहा था बस करवट लिए बर्थ पर लेटी हुई थी
( मैं उसके पैर के पास बैठा ) ओह तो खाना खाकर आराम से सो जाइए
( शीतल ) गर्मी भी बहुत है साथ ही उस कमरे में ए सी तक नहीं है
( मैं ) तो क्या हुआ, आप मेरे बेड पर सोइए और मैं उस रूम में सो जाऊंगा ” इतने में दीदी अपनी पैर को मेरे गोद में रखकर इशारे से उसको दबाने को बोली तो मैं भी सोचा इसी बहाने शीतल के बदन पर हाथ तो फेर सकूंगा और मैं दीदी के पैर को दबाने लगा तो मेरा हाथ अब उसके स्कर्ट के अन्दर घुसकर मालिश कर रहा था और वो दोनों पैर सीधा किए मेरे गोद में रखी हुई थी, इतने में मॉम रूम में आई और देखते हुए बोली ” बहन की सेवा में भाई लगा हुआ है ” तो झटपट उठकर शीतल बैठ गई ” हां आंटी दरअसल रात को ट्रेन में नींद ही नहीं आईं







Kate Sin
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( मॉम ) ठीक है, खाना खाकर सो जाओ और मालिश राहुल से करवा लेना
( शीतल ) ठीक है आंटी, आपकी इजाजत हो तो मैं इसी रूम में सो जाऊं
( मॉम मुस्कुराने लगी ) तुम्हारा ही तो घर है, जहां सोना है सो जाओ ” फिर दोनों रूम से बाहर निकले और सबलोग एक साथ ही खाना खाने लगे, डैड बोले ” राहुल तू दीदी को अपने रूम में ही रहने देना और तुम उस रूम में सो जाना ” मैं सर हिलाकर हामी भरा फिर सब खाना खाकर अपने अपने रूम में चले गए, मैं अपने रूम आकर एक किताब लिया फिर मोबाइल उठाकर बगल के रूम चला गया तो शीतल बेड पर लेटी हुई थी ” हां दीदी अब आप जाकर मेरे रूम में आराम से सोइए
( वो हंसने लगी ) क्यों तुम्हें गर्मी नहीं लगती चल तू भी दोनों बातें करेंगे फिर वहीं सो जाना ” मुझे लग रहा था कि दीदी मुझे सेक्स के लिए प्रपोज कर रही है लेकिन उनके मन में क्या चल रहा है, पता नहीं तो दोनों मेरे रूम में आ गए और शीतल दरवाजा सटाकर वाशरूम चली गई तो राहुल ए सी ऑन करके बेड को ठीक किया, वैसे भी दो लोगों के लिए बेड था तो मैं चुपचाप बेड के किनारे पर बैठा हुआ शीतल का इंतजार कर रहा था और वो आकर बोली ” क्या हुआ आराम से लेट, बुद्धू की तरह चुपचाप बैठा क्यों है ” और शीतल बेड पर आकर लेट गई तो मैं भी उठकर पहले तो लाईट ऑफ किया फिर नाईट बल्ब ऑन करके बेड पर लेट गया। दोनों के बीच दूरी थी तो दोनों का पैर सीधा और तभी शीतल करवट लेकर मुझे देखने लगी तो मैं भी करवट होकर लेट गया ” क्या और कुल कर दूं
( शीतल ) नहीं बस थोड़ा और पैर दबा दे ” तो मैं उठकर उनके कमर के पास बैठा फिर उनके एक पैर अपने गोद में रखकर दबाने लगा, कोमल पैर साथ ही चिकने भी उसकी मालिश करता हुआ उपर की ओर बढ़ने लगा तो मेरी नजर उनके चेहरे पर पड़ी, उनका गोरा चेहरा लाल हो चुका था तो आंखें बन्द थी और मेरे हाथ के स्पर्श ने उन्हें कामुक कर दिया था। राहुल दीदी कि जांघ को पकड़ दबाने लगा तो मेरा लंड भी खड़ा होने लगा और उसकी जांघ के उपरी ओर बढ़ते हुए मैं उसकी कामग्नि को भड़का रहा था, अब मेरा हाथ उनके जांघ के पिछले भाग यानी चूतड़ पर पहुंच चुका था तो उपरी और निचले दोनों हिस्से की मालिश करता हुआ उसको गर्म कर चुका था और मेरा लंड शॉर्ट्स के अंदर ही टाईट हो चुका था। शीतल का लम्बा कद साथ ही सेक्सी फिगर और उसके पैर से जांघों तक की मालिश ने मुझे कामुक कर दिया था और जैसे ही मेरा हाथ उनके पेंटी पर से चूत का स्पर्श किया, वो हड़बड़ा कर मेरा हाथ स्कर्ट के अंदर ही पकड़ ली और उठकर बैठ गई तो मेरा हाथ उनके हाथ ने स्कर्ट के ऊपर से पकड़ रखा था तो मेरा हाथ उसके स्कर्ट के अन्दर था फिर भी उसके पैंटी पर उंगली फेरने लगा तो दीदी का गोरा चेहरा तमतमा कर लाल हो चुका था और वो अपना हाथ मेरे शॉर्ट्स के उपर रखकर लंड को पकड़ दबाने लगी तो अब दोनों काम की ज्वाला में जल रहे थे, मैं उसके चेहरे पर उंगली फेरने लगा ” प्लीज़ आप लेटिए, ऐसा मालिश करूंगा कि हमेशा याद रखेगी ” लेकिन वो मेरे करीब खिसककर मेरे गर्दन में हाथ डाले मेरे गोद में ही बैठ गई तो उसका गोल गुंबदाकार चूतड़ मेरे लंड पर दबाव बना रहा था लेकिन मैं तो जोश में आकर शीतल के चेहरा को ही चूमने लगा तो वो मेरे बदन से चिपककर मेरे पीठ सहलाने लगी, दोनों एक दूसरे को चूमने लगे तो वातानुकूलित कमरे में भी दोनों को गर्मी होने लगी तभी शीला मेरे मुंह से ओंठ निकालकर गोद पर से उतरकर बेड पर बैठ गई फिर बोली ” राहुल, प्लीज़ तुम उस रूम में जाओ, मैं खुद को काबू में नहीं रख पाई
( मैं उठा ) ओके, सॉरी गलती मेरी ही थी। ” और मैं उठकर जाने लगा लेकिन इच्छा तो नहीं थी फिर भी बगल वाले रूम में गया, दरवाजा बंद करके बेड पर लेट
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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