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Incest मेरी हवस का नाम कंचन दीदी
#8
[b]मैं और दीदी कार के बाहर आ गए.. मैंने कार की हेडलाइट जला दी.. दीदी के बदन पर ब्लाउज नहीं था सिर्फ साड़ी थी.. दीदी ने साड़ी से अपने तरबूजों को ढक रखा था.. मैंने दीदी को पीछे से पकड़ लिया और दीदी की बैक पर किश करने लगा.. पतली साड़ी से ढकी हुई दीदी की चूचियां बहुत ही सेक्सी लग रही थी.. मैं दीदी की चूचियों को दोनों हाथो से दबाने लगा… अह्ह्ह्हह रोहित…. बस कर कितना दबाएगा मेरे बॉल्स…[/b]



[b]उफ्फ्फ दीदी इन तरबूजों को मैं निचोड़ कर पूरा रस पि जाऊँगा..[/b]



[b]मैंने दीदी को कार के बोनट में हाथ रखकर झुकने बोला.. फिर मैंने पीछे से दीदी की साड़ी उठाई.. दीदी की गोरी चिकनी गांड अब मुझे नजर आ रही थी.. बहुत ही बड़ी गांड थी साली की.. मैंने अपना लंड दीदी की चुत पर रखा और कमर पकड़ कर जोर का शॉट मारा.. लंड घच से दीदी की चुत में घुस गया…..[/b]



[b]उईईईईई अह्हह्ह्ह्ह भाई.. मस्त करारा शॉट मारा है[/b]



[b]मैं दीदी की चौड़ी गांड पकड़ कर चोद रहा था… और दीदी जोर जोर से मॉन कर रही थी..[/b]



[b]अह्ह्ह्हह आईईईई भाई बीच में तू अपनी बहन को नंगा करके चोद रहा है.. तुझे शर्म नहीं आ रही है[/b]



[b]उफ्फ्फ्फ़ दीदी खुले आसमान में आप जैसी सेक्सी औरत को चोदने का लुत्फ़ ही अलग है..[/b]



[b]मैं दीदी की चूचियों को दबा दबा कर चोद रहा था… अह्ह्ह्हह भाई और पेल अपनी दीदी को..[/b]

मैं दीदी की गोरी पीठ को चुम रहा था, दोनों हाथो से उनकी चूचियां दबा रहा था और चोद रहा था… अह्ह्ह्हह भाई बहुत मजा दे रहा है अपनी दीदी को..

मैंने दीदी को जोर से पकड़ लिया और तेजी से पेलने लगा… अह्ह्ह्हह भाई फक मी डिअर… मैं दीदी की मोटी चूचियों को दबा दबा कर चुदाई कर रहा था…. दीदी की चूचियों को पीछे से दबा कर चोदने में अलग ही आनंद आ रहा था.. आईईईई उउउउउउउ भाई और जोर जोर से मार मेरा होने वाला है.. मैं और तेजी से दीदी को पेलने लगा.. और थोड़ी देर में हमदोनो फिनिश हो गए..

मैंने देखा रात के ११ बज चुके थे.. मैंने और दीदी ने जल्दी से अपने कपडे पहने और कार में बैठ गए.. हम फिर निकल पड़े सफर के लिए..

कंचन: वाह भाई बहुत सही चोदता है तू.. तेरा मन भरा की नहीं

मैं: हाँ दीदी बहुत मजा आया.. आई लव यू दीदी

कंचन: लव यू टू रोहित..

दीदी ने मुझे जोरदार किश दिया… १५ मिनट में हम दीदी के घर पहुंच गए.. जीजाजी हमारा वेट कर रहे थे.. राति काफी होने की वजह से जीजाजी ने मुझे वही रुकने बोला.. मैं वही पर रुक गया.. मैं रूम में जाकर कपडे चेंज किये और फ्रेश होकर बाहर आ गया.. हम तीनो थोड़ी देर बात किये फिर दीदी और जीजाजी सोने चले गए.. थोड़ी बाद कमरे से दीदी की आवाज आने लगी.. मुझे समझ में आ गया की जीजाजी चोद रहे होंगे दीदी को..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मेरी हवस का नाम कंचन दीदी - by neerathemall - 11-01-2021, 04:44 PM



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