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Incest मेरी हवस का नाम कंचन दीदी
#6
जब घर पर कोई नहीं था.

उसके बाद मुझे मौका नहीं मिल पाया. घरवालों के होते हुए कंचन दीदी को फिर से चोदना बहुत ही मुश्किल था. कुछ दिनों में कंचन दीदी के घर जाने का वक़्त आ गया. मैंने अपने पेरेंट्स को बोला की मैं दीदी को उनके घर छोड़ आता हूँ. मैं और कंचन दीदी कार से उनके घर के लिए निकल गए. दीदी का घर हमारे घर से ५ घंटे की दुरी पर था..
फ्रेंड्स कंचन दीदी ३२ साल की कामुक महिला है. उनका बदन हर जगह से भरा हुआ है. दीदी दिखने में गोरी और सुन्दर है. और उनका 40-30-40 का फिगर तो बहुत ही जालिम है… दीदी ने आज ब्लैक कलर की साड़ी पहना हुआ था.. टाइट ब्लाउज में कैद दीदी की स्तन बड़े बड़े फूटबालो के जैसे लग रहे थे. डीप कट ब्लाउज से दीदी की चूचियां का मस्त क्लीवेज दिख रहा था.. गोरी गोरी नंगी चूचियां ब्लाउज से उछल उछल कर बाहर आने के लिए मचल रही थी.. दीदी की गोरी कमर ब्लैक साड़ी में बहुत ही सेक्सी लग रही थी.. मैं कार ड्राइव कर रहा था और दीदी मेरे सामने वाले सीट पर बैठी हुई थी… मैं कार चलाते हुई हुए दीदी के सेक्सी बदन को ताड़ रहा था और ये सोच रहा था की अब कब चोद पाऊँगा मैं दीदी को..
कंचन: क्या भाई इतना उदाश क्यू है.. मैं जा रही हूँ इसलिए
मैं: और नहीं तो क्या दीदी.. मैं आपको बहुत मिस करूंगा
कंचन: मैं भी अपने प्यारे भाई को मिस करूंगी.. पर तूने तो अपनी बहन को अच्छे से प्यार भी कर लिया था.. अब क्यों दुखी है
मैं: कहा दीदी.. एक बार में क्या होता है.. फिर तो आपने दिया ही नहीं..
कंचन: क्या करू भाई.. घर में उसके बाद मौका ही नही मिला..
मैं: हाँ दीदी.. पर मैंने अपने लंड का करू जो उस दिन से तड़प ही रहा है… देखो अभी भी कैसे खड़ा है..
कंचन: सच में भाई ये तो पूरी तरह अकड़ा हुआ है.. चल मैं इसका कुछ करती हूँ..
कंचन दीदी ने अपना हाथ मेरे पैंट के ऊपर रख दिया और धीरे धीरे मेरे लंड को सहला रही थी.. अह्ह्ह्हह दीदी.. दीदी ने मेरी पैंट की ज़िप खोल दी और मेरे लंड को बाहर निकाल लिया.. दीदी लंड को जोर जोर से हिलाने लगी.. दीदी की सॉफ्ट हाथो के स्पर्श से लंड पूरा अकड़ गया था..
कंचन: हाय राम ये तो पूरा हार्ड है
मैं: बस दीदी इसका प्यार है आपके लिए.. दीदी अपना साड़ी तो हटा दो ताकि आपके दूध के दर्शन हो जाये मुझे..
दीदी ने ब्लाउज के ऊपर से अपनी साड़ी हटा दी और मेरा लंड सोटने लगी.. ब्लाउज में कैद दीदी की अधनंगी चूचियां को देखकर मेरे लंड का बुरा हाल था, जिसे दीदी बहुत मस्ती से हिला रही थी…. अह्हह्ह्ह्ह दीदी… काश इस हाथ की जगह आपकी चुत होती तो लंड को और मजा आ जाता.. आह्हहहहह दीदी अपने ब्लाउज का बटन्स थोड़ा खोल दो..
दीदी ने ब्लाउज की ३ बटन्स खोल दी.. अब मैं दीदी के तरबूजों को पूरा नंगा देख सकता था…. मेरा कार चलाना बहुत ही मुश्किल हो रहा था.. मैं किसी तरह धीरे धीरे ड्राइव कर रहा था… कार के साथ दीदी की चूचियां भी बहुत जोर जोर हिल रही थी.. उफ्फफ्फ्फ़ दीदी कितने बड़े बड़े दूध है आपके…
मैंने अपना एक हाथ दीदी की ब्लाउज के अंदर डाल दिया और दूसरे हाथ से स्टीयरिंग कर रहा था.. शाम का समय था इसलिए अँधेरे में बाहर से किसी को कुछ नहीं दिख रहा था… मैं एक हाथ से कभी लेफ्ट और कभी राइट चूची को दबा रहा था… दीदी भी आहे भर रही थी…. अह्ह्ह्हह्हह भाई तूने तो मेरी चुत भी गीली कर दी है… ओह्ह्ह्हह दीदी… और जोर से हिलाओ दीदी.. मेरा गिरने वाला है… फिर मैं बहुत जोर का झडा… दीदी ने मेरा मुरझाया हुआ लौड़ा मेरे पैंट में वापस डाला और अपनी साड़ी ब्लाउज ठीक किया..
कंचन: बस मन भर गया ना.. बहुत आग लगी थी तेरे अंदर..
मैं: हाँ दीदी बहुत मजा आया.. थैंक्स
कंचन: चल अब जल्दी गाडी चला… घर पहुंचते काफी रात हो जाएगी
मैं अब तेजी से गाडी चलाने लगा.. दीदी और मैं इधर उधर की बातें करने लगे.. रात के 8:30 बज गए थे.. मैंने एक रेस्टोरेंट में गाडी रोकी.. और हमदोनो खाना खाने लगे.. मैं पुरे टाइम दीदी के खूबसूरती और सेक्सी बदन को ताड़ रहा था.. दीदी की क्लीवेज लाइन बहुत ही डीप जिससे वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी.. खाना ख़तम करने के बाद दीदी वाशरूम की तरफ जा रही थी. दीदी का सेक्सी बदन पीछे से देखकर मेरे अंदर का शैतान फिर से जागने लगा.. दीदी का बैक पूरा ओपन था.. ब्लैक ब्लाउज में दीदी की गोरी चिकनी पीठ बहुत ही मस्त लग रही थी और उसपर पतली सेक्सी कमर उफ्फ्फ बहुत ही खतरनाक सीन था.. सबसे खतरनाक दीदी की फूली और चौड़ी गांड है.. दीदी हिल पहन कर चल रही थी जिससे उनकी चुत्तड़ बहुत बाहर निकल आयी थी और ऊपर निचे हो रही थी..
कंचन दीदी की विशाल गांड साड़ी में बहुत ही टाइट बंधी थी. जिससे दीदी की भारी चुत्तड़ो का शेप पूरा दिख रहा था.. मेरे लंड में फिर से हलचल शुरू हो गयी.. जब दीदी वापस आयी तो मैंने साड़ी के ऊपर से दीदी की गांड को दबा दिया
मैं: चले दीदी..
कंचन: अह्ह्ह रोहित तू बहुत बदमाश हो गया है
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मेरी हवस का नाम कंचन दीदी - by neerathemall - 11-01-2021, 04:43 PM



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