11-01-2021, 03:05 PM
. मैंने कहा रुचि बुरचोदी चल फिर मेरे लंड को आज ऐसा चूस जैसे कोई सड़कछाप रण्डी लौड़ा चूसती है ….. दीदी ने मेरी आँखों मे देखते हुए मेरा सख्त गरम लंड मुट्ठी में कस लिया और उसे मसलते हुए बोली जो हुक्म मेरे मालिक आप बस सोफे पर टांगे फैला कर बैठ जाओ फिर देखो इस कुतिया का कमाल मैं बेड से उठ कर सोफे पर आ कर बैठ गया दीदी बेड से उतरी और अपने घुटनों और हाथों पर कुतिया जैसी खड़ी हो गयी और फिर चार पैरों पर चलती हुई मेरे पास आई और झुक कर मेरे पैर के पंजे पर होठ रख दिये और फिर जीभ निकाल कर पूरे पैर के पंजे को चाटने लगी वो ये सब करते हुए एकटक मेरी ओर देख रही थी और eye contact के साथ ऐसे चाटते हुए वो बहोत सेक्सी लग रही थी मैं तो बस मस्ती में उड़ रहा था और फिर न जाने क्यों मैंने एक पैर उठा कर दीदी के मुह के आगे किया और कहा मुह खोल रुचि कुतिया दीदी ने झट से मुस्कुरा कर मुह खोला और मैंने पैर का पंजा उस रण्डी के मुह में घुसा दिया और वो छिनाल मज़े से मेरे पैर की उंगलियां चूसने लगी कुछ देर तक चुसवाने के बाद मैंने उसके मुह से पैर निकाला तो उसने अपनी जीभ मेरी बालों से भरी टांग पर रखी औरमेरी टांगो को चाटते हुए ऊपर जांघो तक आ गयी ….. वो जैसे जैसे ऊपर आ रही थी मेरे टांगे खुद ब खुद खुलती जा रही थी अब वो मेरी टांगो के बीच मे बैठी थी और मैंने अपने दोनों पैर उठा कर अपनी रुचि रण्डी के कंधों पर रख दिये ऐसा करने से मेरी गांड़ खुल गयी थी और दीदी मेरी गांड़ के छेद को गौर से देख रही थी मैंने कहा क्या हुआ साली रण्डी तो दीदी ने कहा बस सोच रही थी तुम्हारी गांड़ का स्वाद ले लूं मैंने कहा तो सोच क्यों रही है मादरचोद ले ले ना इतना सुनते ही दीदी ने झुक कर अपने होठ मेरी गांड़ के छेद पर रख दिये और जीभ से कुरेदते हुए मेरी गांड़ को चाटने लगी ….. दीदी ने अपने हाथों से गांड़ को अच्छे से फैला दिया और जीभ की नोक से रगड़ रगड़ कर गांड़ चाटे जा रही थी मैंने मस्ती में आंखे बंद कर ली और अपनी सगी रण्डी बहन से गांड़ चटवाने का सुख लेने लगा मेरा हाथ खुद ही लंड पर चला गया और मैं अपना लंड मुठियाने लगा ये देखते ही दीदी ने मेरा हाथ मेरे लंड से हटाया और गांड़ से मुह हटा कर लंड को मुह में भर कर दो तीन बार चूस कर गीला किया और फिर अपने एक हाथ पर थूक कर लंड पर अच्छे से थूक चुपड कर उसे सहलाते हुए वापस गांड़ चाटने लगी …… अब वो लंड को सख्ती से मुट्ठी में भर कर धीरे घिससे मारते हुए जीभ को गांड़ की दरार में ऊपर से नीचे तक फिराते हुए चाट रही थी 7-8 बार ऐसा करने के बाद वो मेरे फूले हुए टट्टे चाटने लगी और फिर बड़ा सा मुह खोल कर मेरे दोनों आंड मुह में भर कर चूसते हुए तेजी से मुठ मारने लगी ….. मेरे मुह से आह और सिसकियां फूटने लगी मैंने झड़ जाऊंगा बुरचोदी तो दीदी ने हाथ का मोशन स्लो कर लिया बोली इतनी जल्दी मत झड़ो राजा मज़ा लो अपनी रण्डी के बदन का जी भर के मज़ा लो … अभी तो सिर्फ गांड़ चाटी है …… और दीदी ने अपने होठों में सुपाड़े को जकड़ लिया और कुतिया जैसे जीभ निकाल कर लंड चाटने लगी सच मे दीदी आज मुझे और मेरे लंड को पागल कर रही थी …… और फिर मैंने अपना हाथ दीदी के सर पर रख कर उसके रेशमी बालों को मुट्ठी में भर लिया ….. और दीदी का सर अपने लंड पर दबाते हुए जड़ तक लंड उसके हलक में उतार दिया ….. और बोला …. ले साली भोसड़ी वाली रांड खा लंड बुरचोदी कुतिया aaaahhhhh चूस लंड बहन की लौड़ी मादरचोद रुचि और दीदी सर को तेज झटके देते हुए पागलों जैसे लौड़ा चूसने लगी ….. तभी कमरे का इण्टरकॉम बजा और दीदी रुक गयी मैं उठा और दीदी के बाल पकड़े हुए उन्हें बालो से खींच कर टेबल तक ले आया और इंटरकॉम उठा कर बात करने लगा रूम सर्विस की कॉल थी वो डिनर का आर्डर पूछ रहा था मैंने उसे व्हिस्की और खाने का आर्डर दिया ….. और दीदी के मुह में फिर से लंड पेल कर धक्के मारते हुए दीदी का मुह चोदने लगा ….. मैं फिर से झड़ने को हुआ तो दीदी के मुह से लंड निकाल लिया दीदी घुटनों पर बैठी मेरी ओर देख रही थी उनका चेहरा एकदम मासूम और सेक्सी लग रहा था तभी मैंने उनके गोर गाल पर हाथ फिराना शुरू किया और हाथ फिराते हुए एकदम से एक तेज थप्पड़ उनके गाल पर जमा दिया …. और पूछा कैसा लगा मेरी कुतिया ….. दीदी ने मुस्कुरा कर कहा बहोत अच्छा लगा राजा एक बार और मारो ना अपनी रण्डी को मैंने दूसरे गाल पर झुक कर थूक दिया और दीदी के गाल पर अपने हाथ से थूक मलते हुए एक और तेज झन्नाटेदार थप्पड़ लगा दिया दीदी का गाल एकदम से लाल हो गया और दीदी के मुह से सिसकारी निकल गयी जिसे सुन कर मेरा लंड और भी सख्त हो गया …… फिर दीदी अपने चार पैरों पर चलती हुई बेड तक गयी और बेड पर चढ़ कर कुतिया बनी हुई अपने हाथों से अपने चूतड़ फैला कर बोली आओ संजू अपनी रांड की गांड़ में पेल दो अपना सख्त गरम लौड़ा और मेरे चूतड़ों को थप्पड़ मारते हुए फाड़ दो अपनी कुतिया की गांड़ …..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
