11-01-2021, 03:00 PM
दोनों एक दूसरे का हाथ थामे हुए सागर किनारे की रेत पर चलते हुए अपने होटल की ओर वापस जा रहे थे अभी अभी हमने खुले आसमान के नीचे समंदर के किनारे चुदाई का आनंद लिया था और दोनों संतुष्ट थे अपने इस नए जीवन से कुछ दूर चलने के बाद लोग नजर आने लगे और रोशनी भी दिखने लगी रोशनी में मैंने दीदी के प्यारे से खूबसूरत चेहरे पर नजर डाली उनके गोर मुखड़े पर मेरे वीर्य के निशान मौजूद थे मैं दीदी को देख कर मुस्कुराने लगा तो दीदी भी मुस्कुरा दी और बोली क्या हुआ मैंने कहा दीदी तेरे फेस पर मेरे लौड़े का पानी लगा हुआ है दीदी ने हंसते हुए कहा तो क्या हो गया
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
