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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
फिर मैंने दीदी की साड़ी उतर कर फेंक दी.. दीदी के गोरे और गदराये बदन पर अब सिर्फ एक चड्डी थी.. जो दीदी की भारी गांड के बीच में फंसी हुई थी. मैं दीदी का पुरा बदन चुम रहा था.. दीदी की चौड़ी गांड को खूब मसला… फिर मैंने दीदी को अपने बिस्तर पर ले गया… अब मैंने दीदी की चड्डी भी उतार दी… मेरे सामने दीदी की प्यारी चिकनी चुत थी… जो बहुत गीली हो चुकी थी..
दीदी: ओह्ह्ह्हह भाई अब मत तड़पा भाई… बुझा दे अपनी दीदी की प्यास…
मैं दीदी के ऊपर चढ़ गया और अपना ८” का लौड़ा दीदी की बूर में रगड़ने लगा… मैंने लंड अंदर नहीं डाला, बस दीदी की बूर के ऊपर घिस रहा था….
दीदी: ओह्ह्ह्हह…. अबे बहनचोद हरामी डाल क्यू नहीं है
मैं: उफ्फ्फ दीदी आप तो मेरे सपनो की रानी हो… बहुत मजे से चोदूँगा मैं आपको
फिर मैंने अपना लंड दीदी की बूर में पेल दिया.. लंड दीदी की बूर को फाड़ता हुआ पूरा अंदर चला गया…
दीदी: ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह भाई… फाड़ दिया रे तूने मेरी बूर…
मैं: उफ्फ्फ्फ़ विन्नी दीदी… आज आपकी बूर में अपना लंड डालने का सपना पूरा हो गया
दीदी: उईईईईई माँ… भाई बहुत ही मोटा लंड है तेरा… चल अब ठोकना शुरू कर मुझे…
मैं: ठीक है मेरी रांड..

मैं घाचा घच अपना लंड दीदी की बूर में पेलने लगा… ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह राजा…. आह्ह्ह्ह और तेज भाई…
मैं अपना लंड बाहर निकाल कर फिर दीदी की बूर में पूरा पेल देता था…..
दीदी: ओह्ह्ह्हह बहनचोद… कीप फकिंग माय पुसी……
मैं: उफ्फफ्फ्फ़ मेरी रंडी दीदी… बहुत मजेदार बदन है आपका
दीदी: आअह्ह्ह्ह भाई…. निकाल अपनी ठरक… और ले ले मेरी जवान बदन का मजा

मैं दीदी की बड़ी बड़ी चूचियों को चूस चूस कर चोद रहा था.. आअह्ह्ह्हह भाई… फ़क मी रोहित… मेक मी योर स्लट बेबी…..
मैं ३० मिनट तक दीदी को बहुत बुरी तरह चोद रहा था.. मेरा लंड दना दन दीदी की बूर में जा रहा था…. ओह्ह्ह्हह्ह भाई फ़क मी डार्लिंग… और तेज भाई
मैं: उफ्फफ्फ्फ़… विन्नी दीदी…. आप जैसी रंडी को चोदने में बहुत मजा आ रहा है…
दीदी: आआह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह भाई…. मैं झड़ने वाली हूँ भाई… फ़क मी हर्डर बेबी….. मेक मी कम…
मैं: अह्हह्ह्ह्ह विन्नी… खा मेरा पुरा लंड…..
दीदी: उफ्फफ्फ्फ़ भाई….. ओह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्ह मेरी चूची दबा कर जोर से मार मेरी चुत भाई…
हर शॉट के साथ दीदी की फुटबॉल जैसी चूचियां उछल रही थी. मैं दीदी की चूचियों खूब दबा और चूस रहा था…. दीदी अब बहुत तेज चिल्ला रही थी…. मैं भी पूरी ताकत से अपना लंड दीदी की बूर में पेल रहा था.
दीदी: अह्हह्ह्ह्ह भाई…. उईईईईई ओह्ह्ह्ह…… मेरा झड़ने वाला है… आअह्ह्ह्हह भाई मैं गयी..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Pahli bar bahan k sath picnic - by neerathemall - 14-02-2019, 03:18 AM
RE: Soni Didi Ke Sath Suhagraat - by neerathemall - 26-04-2019, 12:23 AM
didi in waterfall - by neerathemall - 04-06-2019, 01:34 PM
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RE: पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ - by neerathemall - 11-01-2021, 01:24 PM



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