09-01-2021, 06:37 PM
दोस्तों, मेरा नाम राज शर्मा है। यह कहानी मेरे मकान मालिक के बड़े भाई जो मेरे वाले ही मकान में रहते हैं। उनकी शादीशुदा बड़ी बेटी की चुदाई की है। उसका नाम रश्मि था। उसकी उम्र 26 साल थी। और उसकी एक लड़की भी थी। रश्मि दिखने में बिल्कुल हिरोइन जैसी ही लगती थी।
वह जब भी अपने माँ-बाप के घर आती थी तो मुझे बड़े गौर से देखती थी, वह देखने में बहुत ही शरीफ लगती थी, उसका बातचीत का तरीका भी बहुत अच्छा था, यहाँ आने पर मेरे से भी अच्छी-अच्छी बातें करती थी।
मेरा भी उसके प्रति कोई गलत विचार नहीं था। पर एक दिन मेरा विचार बदल गया।
हमारे छत पर भी एक टायलेट है। एक बार वह कुछ दिनों के लिए यहाँ आई थी। नीचे के टायलेट में शायद कोई गया हुआ था। तो मैं ऊपर छत पर चला गया। वहाँ कम ही कोई जाता था। क्योंकी उसके दरवाजे की कुंडी नहीं लगती थी।
जैसे ही मैंने टायलेट का दरवाजा खोला... तो देखा कि वो टायलेट में पजामा नीचे करके मूतने बैठी थी, उसका मुँह मेरी ही ओर था। दरवाजा खुलते ही मेरी नजर सीधी उसकी चूत पर ही पड़ी जो सीटी की आवाज के साथ पेशाब बाहर निकाल रही थी।
मुझको देखते ही वह एकदम से खड़ी हो गई और अपना पजामा ऊपर खींचने लगी। पर घबराहट में उसका पजामा नीचे गिर गया। अब तो वह पूरी नीचे से नंगी मेरे सामने थी। उसकी नजर शरम से नीचे झुक गई, उसने अब पजामा उठाने की भी कोशिश ना की।
मैंने उसकी पैन्टी और पजामा ऊपर उठाया और उसे कमर में बांध दिया। इसी बीच मैंने हाथ से थोड़ी सी उसकी चूत भी सहला दी। वो नजरें नीचे किए हुए थी। यह सब देखकर मेरा लण्ड खड़ा हो गया था। मैंने अपना खड़ा लण्ड उसी के सामने बाहर निकाला और मूतने लगा।
पेशाब गिरने की आवाज सुनकर उसने अपनी नजरें ऊपर की और मेरे खड़े लण्ड को देखा और फिर नजरें झुका
लीं।
उसको अपना खड़ा लण्ड दिखाने से मेरा काम हो गया था। इसलिए मैं बिना देरी किए टायलेट से बाहर आ गया।
और छत पर उसका इन्तजार करने लगा। वो पास आई तो मैंने उससे बोला- “घबराओ मत... मैं किसी को नहीं बताऊँगा कि मैंने तुम्हें नंगी देखा...”
वो बोली- "प्लीज किसी को मत बताना कि तुमने क्या देखा?”
मैंने कहा- वैसे तुमने भी तो मेरा देखा था। इसलिए हिसाब बराबर हो गया। सच कहूँ तुम्हारी ‘वो' बहुत सुन्दर है। एक बार और देखना चाहता हूँ, फिर कब दिखाओगी?
वो होंठ चबाते हुए बोली- “तुम्हारा भी तो सुन्दर है...” फिर वह शर्मा कर भाग गई।
अब तो पक्का हो गया था कि वह बहुत जल्दी ही चुदने वाली है। पर उसी रात चुदेगी। यह पता नहीं था। मैं । बाथरूम की तरफ खुलने वाले दरवाजे पर कुंडी नहीं लगाता था। ताकि रात में उसके खुलने की आवाज से किसी
को परेशानी ना हो। यह बात उसे भी पता थी।
रात में खा पीकर मैं अपने कमरे में सो गया। आधी रात में मुझे अपनी टाँगों पर कुछ रेंगता सा महसूस हुआ। वह किसी का हाथ था, जो धीरे-धीरे मेरे लण्ड की ओर बढ़ रहा था। मैंने सोने का नाटक करना ही ठीक समझा। उसने धीरे से मेरा पजामा खोल दिया और मेरे लण्ड को सहलाना शुरू किया। तभी अचानक उसने मेरे लण्ड को मुँह में लेकर लालीपाप की तरह चूसना चालू कर दिया।
अब मेरी हालत बुरी हो चली थी, लण्ड फुफकार मार रहा था, जब मुझसे रहा नहीं गया। तो एक झटके में उठ गया। मैं अनजान बनते हुए बोला- “तुम मेरे कमरे में क्यों आई हो? और ये सब क्या कर रही हो?”
वो धीरे से कान में बोली- राज लेटे रहो। तुम्हें मजा आ रहा है ना?
मैंने कहा- बात मजे की नहीं है.. किसी को पता चल गया तो?
वो बोली- अरे, मैं यहाँ किसी को बताने के लिए थोड़ी आई हूँ। बस तुम लेटे रहो और मुझे लण्ड चूसने दो।
मैंने मजे लेने के लिए कहा- पर मैं ये सब तुम्हारे साथ नहीं कर सकता।
वो बोली- “साले राज... अब नाटक मत करो और मुझे रोको मत। सुबह से जब से तुमने मुझे नंगी और मैंने । तुम्हारा लण्ड देखा है। तब से मैं पागल सी हो गई हूँ। अब तो मुझे तुमसे चुदना है बस। मैं अपने पति से बहुत दिनों से नहीं चुदी हूँ। तुमने मेरी प्यास बढ़ा दी है। अब चोद दो मुझे, देर ना करो...” वो लगातार मेरा लण्ड सहलाए जा रही थी।
जब वो खुद चुदना चाह रही थी। तो मैंने भी देरी करना ठीक नहीं समझा, मैंने उसे चित्त लिटाया और उसका कुर्ता ऊपर को उठा दिया। जिससे उसकी चूचियां नंगी हो गईं, पजामी और पैन्टी को पैरों से अलग कर दिया, अपने भी कपड़े उतारे और थोड़ी देर उसकी चूत सहलाई।
जब वह बहुत गरम हो गई तो खुद ही बोल पड़ी- “आह्ह... राज अब देर मत करो। इसस्स... चोद डालो मुझे...”
मैंने उसकी चूत और अपने लण्ड पर खूब थूक लगाया और उसके ऊपर आकर लण्ड को चूत पर दबाने लगा। जल्दी ही वह पूरा लण्ड चूत में निगल गई। धीरे-धीरे उसकी चुदाई शुरू हो गई। वो भी मस्ती में हल्की-हल्की कामुक आवाजें निकाल रही थी।
मैं भी शोर कम हो इसलिए उसकी चूत की आराम से रगड़ाई कर रहा था। टाइम ज्यादा लेने के कारण दोनों को ही खूब मजा आ रहा था। कभी मैं उसके ऊपर, तो कभी वो मेरे ऊपर आकर चुद रही थी। अब मैंने उसे अपने बगल में लिटाया और पीछे से अपना लण्ड उसकी चूत में डाला। मेरे हाथ में उसकी चूचियां थीं मैं उन्हें बेदर्दी से मसलकर तेज-तेज उसकी चूत में धक्के लगाने लगा।
इससे आवाज कम आ रही थी और स्पीड भी बढ़ गई थी। वो भी चुदने ही आई थी इसलिए खुद अपनी चूत का दबाव हर धक्के में मेरे लण्ड पर दे रही थी। जैसे ही मुझे लगा कि वो झड़ने वाली है तो मैंने भी तेजी से लण्ड पेलना शुरू किया। थोड़ी ही देर की तेज रगड़ाई में ही उसके साथ ही मैंने भी अपना सारा माल उसकी चूत में भर दिया।
वो मेरे बगल में ही लेटी रही। फिर वो बोली- राज मेरी एक बच्ची होने पर भी मैंने आज तक इतनी देर तक चुदाई नहीं की। तुमने बहुत मजा दिया। सुबह जब तुमने मेरी चूत सहलाकर मुझे अपना लण्ड दिखाया था। तब से ही मेरी चूत चू रही थी। इस निगोड़ी को तुम्हारी जोरदार चुदाई के बाद अब शांति मिली है। जल्दी से एक बार और चोद दो मुझे। कहीं बच्ची ना जाग जाए।
मैंने एक बार और उसकी चूत मारी और फिर वह अपने कमरे में चली गई। वह जितने दिन भी यहाँ रही... उतने दिन मैंने उसे जमकर चोदा। उसी की मदद से कैसे मैंने उसकी छोटी बहन को माँ बनाया। यह कहानी भी जल्दी ही आपकी नजर करूँगा।
यह कहानी मेरे मकान मालिक के बड़े भाई के परिवार की है। जो मेरे वाले ही मकान में रहते हैं। इस घटना में उनकी शादीशुदा छोटी बेटी रेखा की चुदाई की दास्तान है। जिसकी उम्र 23 साल की थी। और उसकी शादी को तीन साल हो गए थे। पर अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ था।
अगली बार जब बड़ी बहन रश्मि, जो मुझसे चुद चुकी थी, दिल्ली आई तो उसके साथ वो भी आई थी। रेखा कुछ ज्यादा ही शर्मीली थी, किसी से कुछ नहीं बोलती थी। यहाँ भी दिन भर घर के कामों में ही लगी रहती थी, अपने आप में ही गुमसुम रहती थी।
रात को जब उसकी बड़ी बहन अपनी चूत चुदाने के लिए मेरे कमरे में आई तो उसे चोदते हुए मैंने पूछातुम्हारी छोटी बहन गुमसुम सी रहती है। कुछ परेशानी है क्या उसे?"
वो बोली- “हाँ, वह बहुत परेशान है, सारा काम करना जानती है, सभी की सेवा भी करती है। पर तीन साल होने पर भी अभी कोई बच्चा नहीं हुआ है। तो उसकी सास उसे ताने मारती है और अपने बेटे की दूसरी शादी कराने की बात करती है...”
मैंने बोला- "तो इसमें क्या बड़ी बात है, बच्चा पैदा कर ले। तो सास खुश हो जाएगी ना..."
वो नीचे से चूतड़ को उछालकर लण्ड खाने की कोशिश करते हुए बोली- “वो ही तो नहीं हो रहा है ना। ये लोग बहुत कोशिश कर रहे हैं, पर कामयाबी नहीं मिल रही है...”
मैंने मजाक में कहा- “एक बार मैं कोशिश कर लँ... शायद बच्चा हो जाए। उसने अपने पति के साथ तीन साल कोशिश कर ली। अब एक बार मेरे साथ कोशिश कर ले। शायद उसका काम बन जाए.”
वो बोली- यह क्या कह रहे हो राज तुम? वो वैसी लड़की नहीं है।
मैं बोला- “तो क्या मैं वैसा लड़का हूँ? मैं तो उसका घर बसाने के लिए कह रहा था। तुम ही सोचकर देखो उसका बच्चा हो जाएगा तो उसका घर बच जाएगा। फिर उसकी सास अपने बेटे की दूसरी शादी कराएगी क्या?”
वो बोली- वो कभी नहीं मानेगी और किसी को पता चल गया तो?
मैंने कहा- मनाने का काम तो तुम्हारा है। वैसे तुम इतने महीने से मुझसे चुदवा रही हो और अभी भी चुद रही हो, इसका किसी को पता नहीं चला... तो उसका क्या चलेगा। यह बात हम तीनों के बीच ही रहेगी।
वो उचकते हुए बोली- अच्छा चलो, मैं उससे बात करती हूँ। अब मुझे लण्ड तो खाने दो। जोर से चोदो। कब से तड़प रही थी तुम्हारा लण्ड लेने को। तुमसे महीने में एक दो बार चुदे बिना तो मुझे चैन ही नहीं आता। अब डाल भी दो न। फाड़ डालो मेरी चूत को।
मैंने लौड़ा पेलकर उसको चोद दिया। पर उस रात मैंने उसकी बहन को दिमाग में रखकर उसकी चुदाई की। अगले दिन एकान्त में उसने अपनी बहन से बात की, पहले तो वो मानी नहीं पर जब उसे बहुत मनाया तो वो मान गई।
उसने यह खुशखबरी मुझे बताई।
अब बहुत जल्दी ही उसकी छोटी बहन भी मुझसे चुदने वाली थी।
वो सलवार सूट पहनती थी और 23 साल की ही होने के कारण बिल्कुल कुंवारी लड़की जैसी ही लगती थी। उसे चोदने का तो अलग ही मजा आने वाला था, मैंने उसे माँ जो बनाना था। मैंने उसे बताया कि वो माहवारी आने
के बाद 15 दिन के लिए यहाँ रहने के लिए आए और अपनी सास को बताए कि इलाज के लिए जा रही है। आने से पहले एक बार अपने पति से चुदवाकर आए और यहाँ से जाने के बाद भी अपने पति से चुदवाए। ताकि उसे शक ना हो।
फिर इस बार तो मैंने उससे घुलने-मिलने के लिए उसकी बाहर से ही चूचियां और चूत सहलाई, और उसे अपने लण्ड के दर्शन कराए। ताकि अगली बार जब वह आए तो मुझसे शर्माए नहीं। इस बार तो मैंने उसकी दीदी की चूत से ही अपने लण्ड का काम चलाया।
अगले दिन वो वापस चली गई और ठीक 10 दिन बाद फिर आ गई। वह अपनी सास को दवा लेने का बताकर 15 दिन के लिए आई थी। अब बस मुझे अपना काम करना था। मैं उसे पहली बार जरा दबाकर चोदना चाहता
था। जो मेरे कमरे में नहीं हो सकता था इसलिए मैंने अपने दोस्त के घर की चाभी ले ली।
मेरा दोस्त वहां मार्केटिंग का काम करता था। इसलिए ज्यादातर घर के बाहर ही रहता था। अगर घर आ भी जाए तो सुबह जल्दी निकल जाता था, वह अकेला ही रहता था और उसका घर जरा कोने में था। इसलिए वहाँ कौन आ-जा रहा है। इसका किसी को पता नहीं चलता था। वह खुद उस कमरे में कितनी ही लड़कियों को बुलाकर चोद चुका था। उसके घर से अच्छी इस चुदाई के लिए जगह हो नहीं हो सकती थी इसलिए मैंने उससे बात कर ली और उसने मुझे चाभी दे दी।
मैंने घर आकर रेखा को बता दिया कि तुम घर पर बता देना कि रोज कल से तुम मंदिर में जाकर ध्यान करोगी और तुम एक घण्टा रोज मंदिर में जाना भी ताकि कोई मंदिर में आकर पूछे भी तो, वो भी ‘हाँ बोले। मैं जब । भी तुम्हें फोन करूँ तब तुम मंदिर के बाहर आ जाना। इस तरह तुम पर किसी को शक भी नहीं होगा। घर पर कुछ करूंगा। तो हम फैंस भी सकते हैं।
उसने वैसा ही किया।
मैंने भी 15 दिन की नाइट इयूटी लगा ली और यहाँ रेखा के बाप यानि मकान मालिक के भाई को भी बता दिया कि मैं सुबह दोस्त के घर पर ही नाश्ता करके आऊँगा। मैं रात को डयूटी चला गया और अगले दिन दोस्त
के घर जाकर उसका इन्तजार करने लगा।
एक घंटे बाद मैंने रेखा को फोन किया और 5 मिनट में मंदिर के बाहर मिलने को बोला।
वो बाहर ही मिल गई। उसे मैं दोस्त के कमरे में ले गया और बता दिया कि कल से उसे रोज इसी टाइम पर यहाँ आ जाना है। उसके बाद मैंने उसे बैठाया और उसकी टाँगें सहलाने लगा, फिर धीरे-धीरे चूचियां मसलने । लगा। जब वह गरम होने लगी तो उसकी चूत सहलाने लगा।
मैंने उसे गले लगा लिया और बोला- “देखो मुझसे बिल्कुल भी मत शर्माना। इन 15 दिनों के लिए समझना कि मैं ही तुम्हारा पति हूँ। तुम यहाँ चुदने आई हो इसलिए 15 दिन चुदाई ही और बस चुदाई ही तुम्हारे दिमाग में रहनी चाहिए। जब तुम खुलकर चुदोगी, तभी तुम्हें चुदाई का असली मजा भी मिलेगा और साथ में एक प्यारा सा बच्चा भी मिल जाएगा।
वो बोली- मेरा बच्चा तो हो जाएगा ना? मैं यह सब बच्चे के लिए ही कर रही हैं।
मैंने कहा- जरूर होगा, तुम्हारे से पहले भी एक को माँ बना चुका हूँ। जैसा मैं कहता हूँ, बस 15 दिन तुम वैसा ही करती जाना। वैसे एक बात बताओ- कभी तुम्हारे पति ने 15 दिन लगातार चोदा है तुम्हें?
वो बोली- नहीं, वो तो हफ्ते में एक ही बार करते हैं। वो भी कभी-कभी।
मैं बोला- तो अब देखो। इन 15 दिनों में मैं तुम्हारी चूत में इतना माल भरूँगा कि तुम्हारी चूत को मजबूरन बच्चा देना ही पड़ेगा। बस तुम मेरा साथ दो।
वो बोली- इसीलिए तो राज यहाँ आई हूँ, मुझे निराश मत करना। मेरी इज्जत तुम्हारे ही हाथ में है।
मैं बोला- चलो फिर काम शुरू करते हैं।
अब हम दोनों ने फटाफट अपने कपड़े उतारे और जल्द ही हम दोनों नंगे हो गए।
वो अभी भी शर्मा रही थी।
* * *
वह जब भी अपने माँ-बाप के घर आती थी तो मुझे बड़े गौर से देखती थी, वह देखने में बहुत ही शरीफ लगती थी, उसका बातचीत का तरीका भी बहुत अच्छा था, यहाँ आने पर मेरे से भी अच्छी-अच्छी बातें करती थी।
मेरा भी उसके प्रति कोई गलत विचार नहीं था। पर एक दिन मेरा विचार बदल गया।
हमारे छत पर भी एक टायलेट है। एक बार वह कुछ दिनों के लिए यहाँ आई थी। नीचे के टायलेट में शायद कोई गया हुआ था। तो मैं ऊपर छत पर चला गया। वहाँ कम ही कोई जाता था। क्योंकी उसके दरवाजे की कुंडी नहीं लगती थी।
जैसे ही मैंने टायलेट का दरवाजा खोला... तो देखा कि वो टायलेट में पजामा नीचे करके मूतने बैठी थी, उसका मुँह मेरी ही ओर था। दरवाजा खुलते ही मेरी नजर सीधी उसकी चूत पर ही पड़ी जो सीटी की आवाज के साथ पेशाब बाहर निकाल रही थी।
मुझको देखते ही वह एकदम से खड़ी हो गई और अपना पजामा ऊपर खींचने लगी। पर घबराहट में उसका पजामा नीचे गिर गया। अब तो वह पूरी नीचे से नंगी मेरे सामने थी। उसकी नजर शरम से नीचे झुक गई, उसने अब पजामा उठाने की भी कोशिश ना की।
मैंने उसकी पैन्टी और पजामा ऊपर उठाया और उसे कमर में बांध दिया। इसी बीच मैंने हाथ से थोड़ी सी उसकी चूत भी सहला दी। वो नजरें नीचे किए हुए थी। यह सब देखकर मेरा लण्ड खड़ा हो गया था। मैंने अपना खड़ा लण्ड उसी के सामने बाहर निकाला और मूतने लगा।
पेशाब गिरने की आवाज सुनकर उसने अपनी नजरें ऊपर की और मेरे खड़े लण्ड को देखा और फिर नजरें झुका
लीं।
उसको अपना खड़ा लण्ड दिखाने से मेरा काम हो गया था। इसलिए मैं बिना देरी किए टायलेट से बाहर आ गया।
और छत पर उसका इन्तजार करने लगा। वो पास आई तो मैंने उससे बोला- “घबराओ मत... मैं किसी को नहीं बताऊँगा कि मैंने तुम्हें नंगी देखा...”
वो बोली- "प्लीज किसी को मत बताना कि तुमने क्या देखा?”
मैंने कहा- वैसे तुमने भी तो मेरा देखा था। इसलिए हिसाब बराबर हो गया। सच कहूँ तुम्हारी ‘वो' बहुत सुन्दर है। एक बार और देखना चाहता हूँ, फिर कब दिखाओगी?
वो होंठ चबाते हुए बोली- “तुम्हारा भी तो सुन्दर है...” फिर वह शर्मा कर भाग गई।
अब तो पक्का हो गया था कि वह बहुत जल्दी ही चुदने वाली है। पर उसी रात चुदेगी। यह पता नहीं था। मैं । बाथरूम की तरफ खुलने वाले दरवाजे पर कुंडी नहीं लगाता था। ताकि रात में उसके खुलने की आवाज से किसी
को परेशानी ना हो। यह बात उसे भी पता थी।
रात में खा पीकर मैं अपने कमरे में सो गया। आधी रात में मुझे अपनी टाँगों पर कुछ रेंगता सा महसूस हुआ। वह किसी का हाथ था, जो धीरे-धीरे मेरे लण्ड की ओर बढ़ रहा था। मैंने सोने का नाटक करना ही ठीक समझा। उसने धीरे से मेरा पजामा खोल दिया और मेरे लण्ड को सहलाना शुरू किया। तभी अचानक उसने मेरे लण्ड को मुँह में लेकर लालीपाप की तरह चूसना चालू कर दिया।
अब मेरी हालत बुरी हो चली थी, लण्ड फुफकार मार रहा था, जब मुझसे रहा नहीं गया। तो एक झटके में उठ गया। मैं अनजान बनते हुए बोला- “तुम मेरे कमरे में क्यों आई हो? और ये सब क्या कर रही हो?”
वो धीरे से कान में बोली- राज लेटे रहो। तुम्हें मजा आ रहा है ना?
मैंने कहा- बात मजे की नहीं है.. किसी को पता चल गया तो?
वो बोली- अरे, मैं यहाँ किसी को बताने के लिए थोड़ी आई हूँ। बस तुम लेटे रहो और मुझे लण्ड चूसने दो।
मैंने मजे लेने के लिए कहा- पर मैं ये सब तुम्हारे साथ नहीं कर सकता।
वो बोली- “साले राज... अब नाटक मत करो और मुझे रोको मत। सुबह से जब से तुमने मुझे नंगी और मैंने । तुम्हारा लण्ड देखा है। तब से मैं पागल सी हो गई हूँ। अब तो मुझे तुमसे चुदना है बस। मैं अपने पति से बहुत दिनों से नहीं चुदी हूँ। तुमने मेरी प्यास बढ़ा दी है। अब चोद दो मुझे, देर ना करो...” वो लगातार मेरा लण्ड सहलाए जा रही थी।
जब वो खुद चुदना चाह रही थी। तो मैंने भी देरी करना ठीक नहीं समझा, मैंने उसे चित्त लिटाया और उसका कुर्ता ऊपर को उठा दिया। जिससे उसकी चूचियां नंगी हो गईं, पजामी और पैन्टी को पैरों से अलग कर दिया, अपने भी कपड़े उतारे और थोड़ी देर उसकी चूत सहलाई।
जब वह बहुत गरम हो गई तो खुद ही बोल पड़ी- “आह्ह... राज अब देर मत करो। इसस्स... चोद डालो मुझे...”
मैंने उसकी चूत और अपने लण्ड पर खूब थूक लगाया और उसके ऊपर आकर लण्ड को चूत पर दबाने लगा। जल्दी ही वह पूरा लण्ड चूत में निगल गई। धीरे-धीरे उसकी चुदाई शुरू हो गई। वो भी मस्ती में हल्की-हल्की कामुक आवाजें निकाल रही थी।
मैं भी शोर कम हो इसलिए उसकी चूत की आराम से रगड़ाई कर रहा था। टाइम ज्यादा लेने के कारण दोनों को ही खूब मजा आ रहा था। कभी मैं उसके ऊपर, तो कभी वो मेरे ऊपर आकर चुद रही थी। अब मैंने उसे अपने बगल में लिटाया और पीछे से अपना लण्ड उसकी चूत में डाला। मेरे हाथ में उसकी चूचियां थीं मैं उन्हें बेदर्दी से मसलकर तेज-तेज उसकी चूत में धक्के लगाने लगा।
इससे आवाज कम आ रही थी और स्पीड भी बढ़ गई थी। वो भी चुदने ही आई थी इसलिए खुद अपनी चूत का दबाव हर धक्के में मेरे लण्ड पर दे रही थी। जैसे ही मुझे लगा कि वो झड़ने वाली है तो मैंने भी तेजी से लण्ड पेलना शुरू किया। थोड़ी ही देर की तेज रगड़ाई में ही उसके साथ ही मैंने भी अपना सारा माल उसकी चूत में भर दिया।
वो मेरे बगल में ही लेटी रही। फिर वो बोली- राज मेरी एक बच्ची होने पर भी मैंने आज तक इतनी देर तक चुदाई नहीं की। तुमने बहुत मजा दिया। सुबह जब तुमने मेरी चूत सहलाकर मुझे अपना लण्ड दिखाया था। तब से ही मेरी चूत चू रही थी। इस निगोड़ी को तुम्हारी जोरदार चुदाई के बाद अब शांति मिली है। जल्दी से एक बार और चोद दो मुझे। कहीं बच्ची ना जाग जाए।
मैंने एक बार और उसकी चूत मारी और फिर वह अपने कमरे में चली गई। वह जितने दिन भी यहाँ रही... उतने दिन मैंने उसे जमकर चोदा। उसी की मदद से कैसे मैंने उसकी छोटी बहन को माँ बनाया। यह कहानी भी जल्दी ही आपकी नजर करूँगा।
यह कहानी मेरे मकान मालिक के बड़े भाई के परिवार की है। जो मेरे वाले ही मकान में रहते हैं। इस घटना में उनकी शादीशुदा छोटी बेटी रेखा की चुदाई की दास्तान है। जिसकी उम्र 23 साल की थी। और उसकी शादी को तीन साल हो गए थे। पर अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ था।
अगली बार जब बड़ी बहन रश्मि, जो मुझसे चुद चुकी थी, दिल्ली आई तो उसके साथ वो भी आई थी। रेखा कुछ ज्यादा ही शर्मीली थी, किसी से कुछ नहीं बोलती थी। यहाँ भी दिन भर घर के कामों में ही लगी रहती थी, अपने आप में ही गुमसुम रहती थी।
रात को जब उसकी बड़ी बहन अपनी चूत चुदाने के लिए मेरे कमरे में आई तो उसे चोदते हुए मैंने पूछातुम्हारी छोटी बहन गुमसुम सी रहती है। कुछ परेशानी है क्या उसे?"
वो बोली- “हाँ, वह बहुत परेशान है, सारा काम करना जानती है, सभी की सेवा भी करती है। पर तीन साल होने पर भी अभी कोई बच्चा नहीं हुआ है। तो उसकी सास उसे ताने मारती है और अपने बेटे की दूसरी शादी कराने की बात करती है...”
मैंने बोला- "तो इसमें क्या बड़ी बात है, बच्चा पैदा कर ले। तो सास खुश हो जाएगी ना..."
वो नीचे से चूतड़ को उछालकर लण्ड खाने की कोशिश करते हुए बोली- “वो ही तो नहीं हो रहा है ना। ये लोग बहुत कोशिश कर रहे हैं, पर कामयाबी नहीं मिल रही है...”
मैंने मजाक में कहा- “एक बार मैं कोशिश कर लँ... शायद बच्चा हो जाए। उसने अपने पति के साथ तीन साल कोशिश कर ली। अब एक बार मेरे साथ कोशिश कर ले। शायद उसका काम बन जाए.”
वो बोली- यह क्या कह रहे हो राज तुम? वो वैसी लड़की नहीं है।
मैं बोला- “तो क्या मैं वैसा लड़का हूँ? मैं तो उसका घर बसाने के लिए कह रहा था। तुम ही सोचकर देखो उसका बच्चा हो जाएगा तो उसका घर बच जाएगा। फिर उसकी सास अपने बेटे की दूसरी शादी कराएगी क्या?”
वो बोली- वो कभी नहीं मानेगी और किसी को पता चल गया तो?
मैंने कहा- मनाने का काम तो तुम्हारा है। वैसे तुम इतने महीने से मुझसे चुदवा रही हो और अभी भी चुद रही हो, इसका किसी को पता नहीं चला... तो उसका क्या चलेगा। यह बात हम तीनों के बीच ही रहेगी।
वो उचकते हुए बोली- अच्छा चलो, मैं उससे बात करती हूँ। अब मुझे लण्ड तो खाने दो। जोर से चोदो। कब से तड़प रही थी तुम्हारा लण्ड लेने को। तुमसे महीने में एक दो बार चुदे बिना तो मुझे चैन ही नहीं आता। अब डाल भी दो न। फाड़ डालो मेरी चूत को।
मैंने लौड़ा पेलकर उसको चोद दिया। पर उस रात मैंने उसकी बहन को दिमाग में रखकर उसकी चुदाई की। अगले दिन एकान्त में उसने अपनी बहन से बात की, पहले तो वो मानी नहीं पर जब उसे बहुत मनाया तो वो मान गई।
उसने यह खुशखबरी मुझे बताई।
अब बहुत जल्दी ही उसकी छोटी बहन भी मुझसे चुदने वाली थी।
वो सलवार सूट पहनती थी और 23 साल की ही होने के कारण बिल्कुल कुंवारी लड़की जैसी ही लगती थी। उसे चोदने का तो अलग ही मजा आने वाला था, मैंने उसे माँ जो बनाना था। मैंने उसे बताया कि वो माहवारी आने
के बाद 15 दिन के लिए यहाँ रहने के लिए आए और अपनी सास को बताए कि इलाज के लिए जा रही है। आने से पहले एक बार अपने पति से चुदवाकर आए और यहाँ से जाने के बाद भी अपने पति से चुदवाए। ताकि उसे शक ना हो।
फिर इस बार तो मैंने उससे घुलने-मिलने के लिए उसकी बाहर से ही चूचियां और चूत सहलाई, और उसे अपने लण्ड के दर्शन कराए। ताकि अगली बार जब वह आए तो मुझसे शर्माए नहीं। इस बार तो मैंने उसकी दीदी की चूत से ही अपने लण्ड का काम चलाया।
अगले दिन वो वापस चली गई और ठीक 10 दिन बाद फिर आ गई। वह अपनी सास को दवा लेने का बताकर 15 दिन के लिए आई थी। अब बस मुझे अपना काम करना था। मैं उसे पहली बार जरा दबाकर चोदना चाहता
था। जो मेरे कमरे में नहीं हो सकता था इसलिए मैंने अपने दोस्त के घर की चाभी ले ली।
मेरा दोस्त वहां मार्केटिंग का काम करता था। इसलिए ज्यादातर घर के बाहर ही रहता था। अगर घर आ भी जाए तो सुबह जल्दी निकल जाता था, वह अकेला ही रहता था और उसका घर जरा कोने में था। इसलिए वहाँ कौन आ-जा रहा है। इसका किसी को पता नहीं चलता था। वह खुद उस कमरे में कितनी ही लड़कियों को बुलाकर चोद चुका था। उसके घर से अच्छी इस चुदाई के लिए जगह हो नहीं हो सकती थी इसलिए मैंने उससे बात कर ली और उसने मुझे चाभी दे दी।
मैंने घर आकर रेखा को बता दिया कि तुम घर पर बता देना कि रोज कल से तुम मंदिर में जाकर ध्यान करोगी और तुम एक घण्टा रोज मंदिर में जाना भी ताकि कोई मंदिर में आकर पूछे भी तो, वो भी ‘हाँ बोले। मैं जब । भी तुम्हें फोन करूँ तब तुम मंदिर के बाहर आ जाना। इस तरह तुम पर किसी को शक भी नहीं होगा। घर पर कुछ करूंगा। तो हम फैंस भी सकते हैं।
उसने वैसा ही किया।
मैंने भी 15 दिन की नाइट इयूटी लगा ली और यहाँ रेखा के बाप यानि मकान मालिक के भाई को भी बता दिया कि मैं सुबह दोस्त के घर पर ही नाश्ता करके आऊँगा। मैं रात को डयूटी चला गया और अगले दिन दोस्त
के घर जाकर उसका इन्तजार करने लगा।
एक घंटे बाद मैंने रेखा को फोन किया और 5 मिनट में मंदिर के बाहर मिलने को बोला।
वो बाहर ही मिल गई। उसे मैं दोस्त के कमरे में ले गया और बता दिया कि कल से उसे रोज इसी टाइम पर यहाँ आ जाना है। उसके बाद मैंने उसे बैठाया और उसकी टाँगें सहलाने लगा, फिर धीरे-धीरे चूचियां मसलने । लगा। जब वह गरम होने लगी तो उसकी चूत सहलाने लगा।
मैंने उसे गले लगा लिया और बोला- “देखो मुझसे बिल्कुल भी मत शर्माना। इन 15 दिनों के लिए समझना कि मैं ही तुम्हारा पति हूँ। तुम यहाँ चुदने आई हो इसलिए 15 दिन चुदाई ही और बस चुदाई ही तुम्हारे दिमाग में रहनी चाहिए। जब तुम खुलकर चुदोगी, तभी तुम्हें चुदाई का असली मजा भी मिलेगा और साथ में एक प्यारा सा बच्चा भी मिल जाएगा।
वो बोली- मेरा बच्चा तो हो जाएगा ना? मैं यह सब बच्चे के लिए ही कर रही हैं।
मैंने कहा- जरूर होगा, तुम्हारे से पहले भी एक को माँ बना चुका हूँ। जैसा मैं कहता हूँ, बस 15 दिन तुम वैसा ही करती जाना। वैसे एक बात बताओ- कभी तुम्हारे पति ने 15 दिन लगातार चोदा है तुम्हें?
वो बोली- नहीं, वो तो हफ्ते में एक ही बार करते हैं। वो भी कभी-कभी।
मैं बोला- तो अब देखो। इन 15 दिनों में मैं तुम्हारी चूत में इतना माल भरूँगा कि तुम्हारी चूत को मजबूरन बच्चा देना ही पड़ेगा। बस तुम मेरा साथ दो।
वो बोली- इसीलिए तो राज यहाँ आई हूँ, मुझे निराश मत करना। मेरी इज्जत तुम्हारे ही हाथ में है।
मैं बोला- चलो फिर काम शुरू करते हैं।
अब हम दोनों ने फटाफट अपने कपड़े उतारे और जल्द ही हम दोनों नंगे हो गए।
वो अभी भी शर्मा रही थी।
* * *