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Adultery बगल बाली भाभी
#4
आपको मालूम है कि जब मैं जमरूदपुर में किराए के मकान में रहता था। दूसरे फ्लोर पर जीने के साथ ही मेरा पहला कमरा था। यह कहानी भी वहीं से शुरू होती है। दोस्तों, अब मैं चूत चोदने में उस्ताद हो गया था। पर फिलहाल अनुपमा के बाद चूत का इन्तजाम नहीं हो पा रहा था। मैं अब नई चूत की तलाश में था। नसीब से वो तलाश भी जल्दी ही पूरी हो गई।
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उसका नाम मीरा था। उम्र 25 साल, और रहने वाली नेपाल की थी, यहाँ दिल्ली में कोठी में बच्चों को सम्भालने का काम करती थी। वह अपनी बड़ी बहन के साथ ठीक मेरे सामने के कमरे में रहती थी। वह और उसकी बहन सिर्फ हफ्ते की छुट्टी या सरकारी छुट्टियों में ही यहाँ मौज मस्ती या पार्टी के लिए आती थी, बाकी पूरा महीना वह कोठी में ही रहती थीं।
मीरा ने नेपाल के ही एक ड्राईवर को यहाँ दिल्ली में पटाया था। जब वो यहाँ कमरे में आती। तभी वो भी एक घण्टे के लिए आता और उसकी प्यास बुझाकर चला जाता।
मीरा देखने में बहुत सुन्दर थी। उसका फिगर किसी हीरोइन से कम नहीं था। वो हमेशा सज-धज कर ही रहती और जीन्स-शर्ट या टाप-स्कर्ट ही पहनती थी, जिससे वह 20 साल की ही लगती थी। उसकी चूचियां कुछ बड़ी थीं। जो हमेशा कपड़ों से बाहर को झलकती रहती थीं।
मैं और मेरा मित्र जो मेरे साथ ही रहता था। तो वह जब भी यहाँ आती। हम दोनों से बातें करती थी इसलिए उससे हम दोनों की ही अच्छी पहचान हो गई थी। मैं उसे पटा कर चोदना चाहता था। पर मौका ही नहीं मिल रहा था। एक बार मेरी किश्मत भी खुल ही गई। वह अपनी छुट्टी के दिन दोपहर में अपने कमरे में आई। पर अपनी चाभी लाना भूल गई। दूसरी चाभी उसकी दीदी के पास थी। जो रात को आती थी।
उसने चाभी भूलने के बारे में अपनी दीदी को बताया। पर उसकी दीदी ने कहा कि वो तो रात तक ही आ सकती है। अब वह परेशान सी बाहर घूम रही थी।

मेरा दोस्त दिन की ड्यूटी गया था और मैं इयूटी करके आ गया था। मैंने बात शुरू की- “मीरा जी, क्या बात हो। गई? क्यों परेशान घूम रही हो। सब ठीक है ना?"
मीरा- देखो ना राज, आज मेरी छुट्टी है और मैं चाभी भूल आई हूँ। दीदी रात तक ही पहुँचेगी। अब मैं क्या करूँ और कहाँ जाऊँ?
मैं बोला- कोई बात नहीं, आप परेशान ना हों। मेरे कमरे में बैठ जाओ। वैसे भी मेरा दोस्त रात को आएगा। आपको यहाँ कोई परेशानी नहीं होगी। जब आपकी दीदी आएं तब चले जाना।
उसने राहत की सांस ली और वह मेरे कमरे में आ गई। उसने टाप और छोटी सी स्कर्ट पहन रखी थी। इन। कपड़ों में वो कयामत लग रही थी। मन कर रहा था कि अभी पटक कर चोद दें। पर ऐसे कामों में जल्दीबाजी कभी ठीक नहीं होती।
मैंने उसे पानी पिलाया और चाय के लिए पूछा। उसने मना कर दिया। उसका मूड खराब हो गया था। उसने । अपने दोस्त को भी आने को मना कर दिया। वह बड़ी परेशान नजर आ रही थी क्योंकी आज कमरा ना होने के
कारण 3

वन्दा इसीलिए आती थी ताकि दीदी के भाने में
पहले वह दोस्त से अपनी प्यास बुझा सके।
मीरा- राज, तुम्हें मेरी वजह से परेशानी हो रही है।
मैंने कहा- अरे नहीं, यह आपका अपना कमरा है। आप आराम कर लो।
मीरा- हाँ... मुझे नींद सी आ रही है क्योंकी बस में मैं खड़े-खड़े आई हूँ और बहुत थक भी गई हैं। क्या मैं थोड़ी देर आराम कर लूं। अगर आपको बुरा ना लगे तो।
मैं- हाँ... हाँ.. क्यों नहीं? आप आराम करो मैं यहीं बाहर जीने में बैठा हूँ।
वह मेरे बिस्तर में सो गई। जल्दी ही उसे थकान के कारण नींद आ गई। मैं भी 20 मिनट बाहर बैठकर उसके बारे में सोचता रहा। मैं पानी की बोतल लेने अन्दर गया तो वह नींद में और भी सुन्दर लग रही थी। उसकी चूचियां सांस लेते वक्त धीरे-धीरे ऊपर-नीचे हो रही थीं। और स्कर्ट नींद में थोड़ा ऊपर हो गई थी।
मेरा ईमान डोल गया। मैंने बाहर आकर देखा तो कोई आस-पास नहीं था। मैंने झट से दरवाजा बंद कर दिया।
और उसके और करीब आ गया। मैंने उसकी स्कर्ट थोड़ा और ऊपर उठाई तो उसकी गुलाबी पैन्टी साफ दिखाई दे रही थी। मेरा हथियार खड़ा होने लगा। मैंने हिम्मत कर एक हाथ से उसकी जाँघों को सहलाया।
वो गहरी नींद में थी उसे पता ही नहीं चला।

मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने धीरे से एक हाथ उसकी चूचियों पर रखा और धीरे से दबा दिया। उसकी चूचियां बड़ी नरम थीं। जैसे मैंने रूई पर हाथ रख दिया हो। मेरा मन इतने से नहीं माना। मैं धीरे-धीरे उसकी चूचियां दबाने लगा।
वो थोड़ा सा मचली और सीधी लेट गई।
अब मैं रुकने के मूड में नहीं था। मैंने सोचा ये चुदने तो आई ही थी। आज मुझसे चुदवा लेगी तो क्या हो जाएगा। मैंने उसके गालों पर किस किया। वो अब भी नींद में थी। मैंने आराम से उसके कपड़े खोलने शुरू किए
और टाँगों के बीच सहलाना शुरू किया।
वो शायद इसे सपना समझ रही थी। इसलिए उसने अभी तक कोई हरकत नहीं की थी। मैंने उसकी चूचियों पर दबाव बढ़ाना शुरू किया और चूत सहलाने लगा। अब वो भी गरम हो रही थी। मैंने पैन्टी के किनारे से हाथ डालकर नंगी चूत पर हाथ फिराया। तो वह एकदम गरम थी और गीली भी।
मुझसे अब सहन नहीं हो रहा था। मैंने एक हाथ उसकी ब्रा के अन्दर डाला और चूचियां मसलने लगा और एक उंगली उसकी चूत में घुसेड़ दी। जैसे ही उंगली अन्दर गई। वो झट से उठ गई। जिसे वो सपना समझकर मजे ले रही थी। वो उसके साथ हकीकत में हो रहा था।
मीरा घबरा कर खड़ी हो गई। कहा- “राज तुम यह क्या कर रहे थे, मेरे साथ?”
मैं- “मीरा, रोको मत। जब से तुम्हें देखा है, मैं पागल सा हो गया हूँ। तुम मुझे अच्छी लगती हो। मैं तुम्हें कम से कम एक बार प्यार करना चाहता हूँ। मतलब चोदना चाहता हूँ। देखो तुम्हें देखकर क्या हाल हो गया है मेरा...” मैंने अपना लण्ड उसके सामने खोल दिया।
एक बार उसने उसे गौर से देखा। चूत गीली तो हो ही गई थी। चुदने तो आई ही थी। पर फिर भी उसने मना कर दिया- “नहीं, यह गलत है। मैं उस ड्राइवर से प्यार करती हूँ और शादी भी उसी से करना चाहती हूँ। ये सब भी उसी के साथ करूंगी और किसी के साथ नहीं..."
मैं- “मैंने कब मना किया। शौक से करो पर आज तो वह नहीं आएगा। मुझे ही आज अपना दोस्त मान लो और आज तुम मुझसे चुदवा लो, मेरा लण्ड लेकर तुम उसे भूल जाओगी... यह कहकर मैंने उसकी कमर में हाथ डाल दिया।
मीरा- नहीं यह गलत है। मैं ऐसा नहीं कर सकती, मैं उसे धोखा नहीं देना चाहती, वो भी मुझे चाहता है।
मुझे लगने लगा कि ये भी खड़े लण्ड पर धोखा दे सकती है। मन तो चुदाने का है, पर नखरे कर रही है। इसलिए मैंने ही आगे बढ़ने की सोची। वो मेरे कमरे में थी इसलिए शोर नहीं मचा सकती थी। वो ही बदनाम होती। मैंने उसे कसकर पकड़ लिया और उसके होंठों को चूमने लगा। चूचियां मसलने लगा और चूत सहलाने
लगा।


थोड़ी ही देर में उसकी 'ना' जो थी वो 'हाँ' में बदल गई और वह भी मेरा साथ देने लगी।
मैंने भी देरी करना सही नहीं समझा और उसके और अपने सारे कपड़े उतार दिए। मैंने उसे चारपाई पर लिटा दिया उसकी चूत तो पहले से ही गीली थी। मैंने उसकी टाँगें कंधे पर रखीं और हाथ उसकी चूचियों पर लगाए। फिर लण्ड का दबाव चूत पर देने लगा। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। शायद उसने आज ही साफ किए थे। उसकी चूत बहुत छोटी सी थी।
धीरे-धीरे उसने पूरा लण्ड चूत के अन्दर ले लिया। उसे चुदने की आदत थी इसलिए उसे ज्यादा दर्द नहीं हो रहा था। कुछ ही पलों बाद वो चुदाई के पूरे मजे उछल-उछलकर ले रही थी और मैं भी उसे पेले जा रहा था। धकापेल। जमकर चुदाई करने के बाद मैंने सारा रस उसकी चूत में भरा और शान्त होकर उसके बगल में लेट गया।

मैंने पूछा- बोलो मीरा कैसा लगा? मैंने तुम्हारे दोस्त की कमी पूरी की कि नहीं?
मीरा- राज, चुदवाने में मजा दोस्त के साथ करने से भी ज्यादा आया। पर राज हमारे बीच जो कुछ भी हुआ। अन्जाने में हुआ। प्लीज अब कभी मेरे साथ ऐसा मत करना। मैं उससे शादी करना चाहती हूँ। कहीं किसी
को पता चल गया तो मैं कहीं की नहीं रहूँगी।
मैं- “मीरा, तुम चिन्ता मत करो। मैं किसी को नहीं बताऊँगा और कभी तुमसे दुबारा जिद भी नहीं करूंगा। जो मजा रजामंदी से मिलता है, वो कहीं नहीं मिलता। मैं माफी चाहता हूँ कि मैंने तुमसे जिद की। क्योंकी तुम्हें चोदे बिना मुझे चैन नहीं मिलने वाला था। मुझसे चुदवाने के लिए शुक्रिया। तुम इसके लिए निश्चिन्त रहो..”
उसके बाद उसने अपने कपड़े पहनने शुरू किए। मैं उसे अब भी देखे ही जा रहा था... क्या जिश्म था उसका। पर इस बात की तसल्ली थी कि वो मेरे लण्ड के नीचे आ ही गई थी।
मैंने भी अपने कपड़े पहने और हम दोनों बाहर आकर जीने में बैठ गए।
चुदाई में तो समय का खयाल ही नहीं रहा। थोड़ी देर में उसकी दीदी आ गई और वह अपने कमरे में चली गई। फिर कुछ दिन बाद उसने अपने दोस्त से शादी कर ली और उसके बाद हम कभी नहीं मिले। पर उसका नंगा जिश्म और उसकी वह यादगार चुदाई हमेशा याद रहेगी।

एक ही घर की सब औरतों की चुदाई

अब मैं अपनी नई कहानियां लेकर हाजिर हूँ। ये सभी कहानियां एक ही परिवार से हैं। इसलिए परिवार के बारे में जानना जरूरी है।
मैंने अपना पहला कमरा छोड़ने के बाद दूसरी जगह कमरा ले लिया। मेरे मकान मालिक की बीवी की सरकारी बैंक में नौकरी होने के कारण वे लोग दिल्ली से बाहर रहते थे। इस घर में उनके बड़े भाई अपनी फेमिली के साथ रहते थे।


उसी में एक कमरा, किचन और बाथरूम मुझे किराए पर मिला था।
उन्हीं के छोटे भाई अपनी फैमिली के साथ पास में ही अलग मकान में रहते थे।
मेरे मकान-मालिक की उम्र 45 साल और उनकी बीबी की उम्र 40 साल थी। उनके दो बच्चे थे। एक लड़की और एक लड़का।
उनके बड़े भाई की तीन लड़कियां और एक लड़का था। दो लड़कियों की शादी हो गई थी। बड़ी लड़की 26 साल
की थी, जिसकी एक लड़की भी थी। और छोटी 23 साल की थी। जिसकी शादी को तीन साल हो गए थे, पर अब तक कोई बच्चा नहीं हुआ था। उसके बाद 19 साल का भाई था। और सबसे छोटी लड़की की उम्र 18 साल थी।
कहानी तीसरे भाई की बीवी से शुरू होती है। उसका नाम गीता था। उसकी उम्र 30 साल, रंग गोरा था और वो कुछ छोटे कद की थी। उसकी अपने पति से कम ही बनती थी। क्योंकी उसका पति उम्र में उससे 10 साल बड़ा था। उनका एक बीमार बेटा भी था।
गीता ने अपने जिश्म को बहुत संवार कर रखा था, वो देखने में 25 साल की ही लगती थी, उसके बदन में। जबरदस्त कसाव था। जब पहली बार मैंने उसे देखा। तभी सोच लिया था कि इसे जरूर चोदूंगा। वैसे भी पति से ना बनने के कारण उसे भी एक तगड़े लण्ड की सख्त जरूरत थी।
मैंने किसी ना किसी बहाने उसके घर जाना शुरू कर दिया। जल्दी ही हमारी अच्छी बनने लगी। उसे देखते ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था। एक बार तो उसने मेरे लण्ड को पैन्ट में तंबू बनाए हुए देख भी लिया था। जिसे मैंने जल्दी ही छुपा लिया था। वो हल्के से मुश्कुरा दी थी और अपने होंठ काटने लगी थी।
उसकी इस अदा से मैं समझ गया कि ये माल पकने में अधिक समय नहीं लेगा। धीरे-धीरे मैंने उससे मजाक करना शुरू किया, जिसका वह बुरा नहीं मानती थी। मैं कभी मजाक में उसके नाजुक अंगों को छू लेता, तो वो मुश्कुरा देती।
मैं उससे उसकी पर्सनल बातें पूछता तो वो उदास होकर उसे टाल जाती। मैं उसे चोदना चाहता हूँ। यह बात शायद वो समझ चुकी थी। पर खुल नहीं रही थी। एक बार मुझे उसके बिस्तर के तकिए के नीचे उसकी काले रंग की ब्रा-पैन्टी रखी मिली। जिसे मैंने उससे नजर बचाकर अपने जेब में रख ली और घर जाकर रात को उसे
याद करके पैन्टी से ही मुठ मारी और सारा माल उसी में गिराया।
अगले दिन जब मैं उनके घर गया तो वो कुछ परेशान दिखी।
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी? कुछ परेशान दिख रही हो, कुछ गुम हो गया है क्या?
भाभी- हाँ मेरे तकिए के नीचे से कुछ सामान गायब है। जो मुझे अभी बहुत जरूरी चाहिए था।
मैंने कहा- सामान का नाम बताओ। मैं अभी ढूँढ़कर दे सकता हूँ।

भाभी ने मेरी तरफ मुश्कुराते हुए कहा- मेरी ब्रा-पैन्टी नहीं मिल रही है। मेरे पास दो ही जोड़े थे। अब मुझे नहाने जाना है। क्या करूँ? समझ में ही नहीं आ रहा है।
मैंने शरारत से कहा- तो क्या हुआ? बिना पहने ही बाकी के कपड़े पहन लेना। वैसे आपकी वो चीज मेरे पास है।
भाभी गुस्सा होकर बोलीं- तुम्हारे पास? तुम क्या करोगे उनका? तुम्हारे काम की चीज नहीं है वो।
मैंने कहा- भाभी, आप बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ... जब से आपको देखा है मैं अपने पर कन्ट्रोल नहीं कर पा रहा हूँ। उसपर कल रात मैंने आपके नाम की मुठ मारी थी। आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
भाभी ने हँसते हुए कहा- अरे ऐसा क्यों करते हो? तुम्हारी गर्ल-फ्रेन्ड नहीं है क्या? उससे अपना काम चलाओ। मेरी पैन्टी क्यों खराब करते हो?
मैंने कहा- नहीं है भाभी, मैं आपको ही अपनी गर्ल-फ्रेन्ड बनाना चाहता हूँ। बनोगी क्या?
भाभी- ठीक है, पहले मेरी ब्रा और पैन्टी वापस करो।
मैंने उन्हें दो जोड़ी नई ब्रा और पैन्टी खरीद कर दे दी। जिसे देखकर वो बहुत खुश हुई। मैं हमेशा उसी समय जाता था। जब उसका पति घर पर नहीं होता था। एक दिन मैं आफिस से घर आया तो देखा कि उनका बेटा हमारे मकान में आया था, इसका मतलब आज भाभी घर पर अकेली थीं, मेरा काम बन सकता था, मैं चुपचाप उनके घर चला गया।
भाभी- अरे तुम इस वक्त यहाँ कैसे?
मैंने कहा- भाभी तुम्हारी याद आ रही थी। इसलिए आफिस से तुम्हें मिलने आ गया।
भाभी- ठीक है तुम बैठो। मैं नहाकर आती हूँ।
वो नहाने चली गई। मैंने फटाफट घर के सारे खिड़कियां और दरवाजे बंद किए और बाथरूम के दरवाजे की दरार से उन्हें नहाते हुए देखने लगा। वो पूरी नंगी होकर नहा रही थी और साबुन को बार-बार अपनी चूत पर और चूचियों पर रगड़ रही थी। इसके साथ ही कभी वो अपनी उंगली चूत में डाल रही थी। वह नहाते वक्त लगभग गरम हो चुकी थी।
मैंने बाहर से ही कहा- भाभी आपकी पीठ पर साबुन लगा दें क्या? आप कहो तो पूरा नहला ही देता हूँ।
भाभी- “ठीक है, एक मिनट रूको..." उन्होंने फटाफट ब्रा और पैन्टी पहनी और दरवाजा खोलकर मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गईं।


मैं फटाफट अपने सारे कपड़े खोलकर बाथरूम में घुस गया। जिसका उन्हें पता नहीं था कि मैं उनके पीछे नंगा खड़ा हूँ। मैं साबुन लेकर उनकी गर्दन और पीठ पर लगाने के बहाने सहलाने लगा, उन्हें मजा आ रहा था। मैंने जैसे ही हाथ नीचे लगाना चाहा तो वो मना करने लगी।
मैंने झटके से उन्हें अपनी तरफ घुमाया और उन्हें किस करने लगा। पहले तो वो मुझे नंगा देखकर घबरा गई। फिर मेरा खड़ा लण्ड देखा तो देखती ही रह गई।
बस मेरा काम हो गया था।

अब मैं कहाँ मानने वाला था, चुम्बन के साथ-साथ उनके दोनों मम्मों को लगातार दबाने लगा, वो गर्म होने लगी। पर बार-बार कह रही थी- “ना ना मत करो..."
मैंने अपना एक हाथ उनकी चूत के ऊपर फिराना शुरू कर दिया। तो वह और गरम हो गई और अजीब सी
आवाजें निकालने लगी। फिर वह मेरा साथ देने लगी और मुझे भी चूमने लगी, मैं पैन्टी के अन्दर हाथ डालकर उनकी चूत सहलाने लगा। उनकी चूत पानी छोड़ने लगी थी, मैंने चूत में उंगली करनी शुरू कर दी, उन्हें मजा
आने लगा।
वो जोर-जोर से आवाजें निकालने लगी। वो बोली- “प्लीज राज, अब मत करो। मैं पागल हो जाऊँगी.”
मैंने उन्हें भी नंगा किया और उनके पूरे शरीर को साबुन के झाग से भर दिया। उन्होंने भी मेरा लण्ड पकड़ लिया और लण्ड चूसने लगी। मेरा बुरा हाल हो गया था। इसलिए मैंने उन्हें वहीं फर्श पर लिटाया और उनके ऊपर आ गया। मैंने लण्ड को चूत के दरवाजे पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा।
वो चिल्ला उठी- “राज... आराम से... आज बड़े दिनों बाद चुद रही हूँ..”
मैंने उनकी एक ना सुनी और लगातार धक्के लगाने लगा। उनके पूरे शरीर पर साबुन लगे होने के कारण पूरा कमरा ‘फच्च-फच्च' की आवाज से गूंजने लगा।
वो लगातार चिल्लाए जा रही थी और पूरा मजा भी ले रही थी। थोड़ी ही देर में उसका दर्द कम होने लगा और वो नीचे से चूत उछालने लगी, उसे चुदने में बड़ा मजा आ रहा था, वो चुदते समय बहुत आवाज निकाल रही थी। इसलिए मजा दुगुना आ रहा था। कुछ देर के तूफान के बाद दोनों एक साथ ही अपने चरम पर पहुँच गए और मैंने अपने माल से उसकी चूत भर दी।
मैंने कहा- कैसा लगा भाभी? आपको मजा आया या नहीं?
भाभी- “बहुत मजा आया। मुझे पता था कि तुम मुझे चोदना चाहते हो। इसीलिए बार-बार मेरे घर के चक्कर लगा रहे हो। मुझे भी एक घर का ही लण्ड चाहिए था। बाहर चुदने में मेरी बदनामी हो सकती थी। अब तुम मुझे रोज चोदना। मैं कब से प्यासी थी। मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ। मुझे अपने जैसा बच्चा दे दो। मेरे पति की कल से रात की डयूटी है। कल से तुम रात में यहीं सोना...”


मैंने फटाफट उसकी एक बार और चुदाई की और कमरे में वापस आ गया। अगले दिन मैंने मकान-मालिक के बड़े भाई, जो मेरे वाले मकान में ही रहता था, को बता दिया कि मेरे एक दोस्त की तबियत खराब है। इसलिए मुझे कुछ दिन रात को उसी के घर में ही रहना पड़ेगा।
अब तो रात होते ही मैं उनके घर चले जाता और पूरी रात उन्हें जमकर चोदता। एक महीने के अन्दर ही वो प्रेग्नेंन्ट हो गई। इस बीच उन्होंने एक-दो बार अपने पति से भी चुदवाया। ताकि उसे शक ना हो। आज उनके घर में मेरे वीर्य से उत्पन्न एक सुन्दर बेटी है। जो पूर्णतः स्वस्थ है। बेटी आने के बाद उनकी अपने पति से भी अच्छी बनने लगी है इसलिए मैंने उनके पास जाना बंद कर दिया।
मेरी वजह से किसी का घर बस गया। मुझे तो बस इस बात की खुशी है।
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RE: बगल बाली भाभी - by Pagol premi - 09-01-2021, 06:32 PM



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