09-01-2021, 11:08 AM
रचना उलटी हुई और गाँड़ उठा ली और अपने पापा को अच्छे से दर्शन कराया। फिर पीछे से हाथ लाकर वो डिल्डो अपनी बुर में डालकर मज़े लेने लगी। राज को उसकी गुलाबी बुर में वह मोटा सा नक़ली लौड़ा अंदर बाहर होते हुए दिख रहा था और वह भी बुरी तरह से मूठ्ठ मार रहा था। दस मिनट में दोनों झड़ गए।
क्योंकि दोनों थक गए थे इसलिए और ज़्यादा बात नहीं हुई और दोनों आराम करने लगे फ़ोन बंद हो चुका था।
उधर डॉली भी अपने कमरे में बैठी थी। उसके पिछले दो दिन से पिरीयड्ज़ आए हुए थे। जय भी रात को चुदाई के लिए तड़प रहा था। उसने एक बार मुँह से संतुष्ट किया था। दूसरी बार वह उसके बूब्ज़ पर लौड़ा रगड़ कर शांत हुआ था। उसने गाँड़ में डालने की कोशिश की थी पर डॉली के आँसू देखकर वह अंदर नहीं डाला। वह मुस्कुराई और सोची: कितना प्यार करते है, मुझे ज़रा सा भी कष्ट ने नहीं देख सकते। तभी जय का फ़ोन आया: जान खाना खा लिया ?
डॉली: हाँ जी। आप खा लिए?
जय: हाँ खा लिया। अब तुमको खाने की इच्छा है।
डॉली: एक दो दिन सबर करिए फिर मुझे भी खा लीजिएगा।
जय: अरे जान सबर ही तो नहीं होता । पता नहीं तुम्हारा रेड सिग्नल कब ग्रीन होगा। और तुम्हारी सड़क पर मेरी फटफटि फिर से दौड़ेगी ।
डॉली हँसने लगी: आप भी मेरी उसको सड़क बना दिए।
जय: किसको, नाम लो ना जान। वो अपने चेम्बर में अकेला था सो उसने अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाया।
डॉली फुसफुसाकर: मेरी बुर को।
जय: आऽऽऽह शशी वीडीयो कॉल करूँ क्या? एक बार अपनी चूचियाँ दिखा दो तो मैं मूठ्ठ मार लेता हूँ।
डॉली: आप भी ना। आप रात को आइए मैं मार दूँगी और चूस भी दूँगी।
जय: प्लीज़ प्लीज़ जान ,अभी बहुत मूड है।
डॉली: दुकान में कोई आ गया तो?
जय: अभी लंच ब्रेक है, कोई मेरे कैबिन में नहीं आएगा। लो मैं अंदर से बंद कर लिया प्लीज़ कॉल करूँ विडीओ में?
डॉली: हे भगवान, आप भी ना, अच्छा चलिए करिए।
जल्दी ही वो विडीओ कॉल से कनेक्ट हो गए। जय ने उसे कई बार चुम्मा दिया। फिर अपना लौड़ा दिखाकर बोला: देखो मेरी जान कैसे तड़प रहा है ये तुम्हारे लिए?
डॉली आँखें चौड़ी करके बोली: हे राम, आप तो पूरा तैयार हैं। अब उसके निपल्ज़ भी तन गए।
जय: जान, प्लीज़ चूचि दिखाओ ना।
डॉली ने ब्लाउस खोला और फिर वहाँ कैमरा लगाकर उसको ब्रा में क़ैद चूचियाँ दिखाईं। उसने कहा: आऽऽऽऽह प्लीज़ ब्रा भी खोलो।
वह ब्रा निकाल कर नंगी चूचियाँ दिखाने लगी। अब जय के हाथ अपने लौंडे पर तेज़ तेज़ चलने लगे। वह बोला: आऽऽऽऽऽह जाऽऽऽऽऽऽन अब पिछवाड़ा भी दिखा दो प्लीज़ । आऽऽऽऽहहह तुम्हारे चूतड़ देखने है आऽऽऽहहह।
डॉली ने साड़ी और पेटिकोट उठाया और कैमरा में अपने पैंटी में फँसे चूतरों को दिखाने लगी। फिर उसने पैंटी भी नीचे की और जय बोला: आऽऽऽहब्ब चूतरों को फैलाओ और गाँड़ का छेद दिखाओ। हाऽऽऽऽय्य्य्य्य उसका हाथ अब और ज़ोर से चल रहा था। डॉली ने अपने चूतरों को फैलाया और मस्त भूरि चिकनी गाँड़ उसे दिखाई । फिर ना जाने उसे क्या हुआ कि जैसे जय उसकी गाँड़ में ऊँगली करता था, आज वैसे ही करने की इच्छा उसे भी हुई। और वह अपनी एक ऊँगली में थूक लगायी और अपनी गाँड़ में डालकर हिलाने लगी। जय के लिए दृश्य इतना सेक्सी था कि वह आऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह उग्ग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्ग्ग कहकर वीर्य की धार छोड़ने लगा। डॉली भी वासना से भरी हुई उसके वीर्य को देखते रही और अपने होंठों पर जीभ फेरती रही। उसकी बुर भी पानी छोड़ रही थी। हालाँकि उसके पिरीयड्ज़ आए हुए थे। फिर उसने अपनी गाँड़ से ऊँगली निकाली और बोली: हो गया? अब सफ़ाई कर लूँ? आप भी क्लीन हो जाओ।
यह कह कर वो बाथरूम में चली गयी। जय ने भी अपने कैबिन से सटे बाथरूम में सफ़ाई की।
बाहर आकर वह फिर फ़ोन किया और डॉली से बोला: आऽऽह जान , आज तुमने अपनी गाँड़ में ऊँगली कैसे डाल ली? उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मैं तो जैसे पागल ही हो गया अपनी संस्कारी बीवी को ये करते देख कर?
डॉली हँसकर : बस इच्छा हुई और डाल ली। आप भी तो रोज़ ही डालते हैं मेरे वहाँ ऊँगली। आज मैंने ख़ुद डाल ली।
जय: जान मज़ा आया ना? आज के प्रोग्राम में।
डॉली: हाँ आया तो पर अब ये रोज़ का काम नहीं बना लीजिएगा
जय: अरे नहीं रोज़ नहीं, पर कभी कभी तो कर सकते है ना?
डॉली हंस दी और बोली: चलिए अब काम करिए और मैं आराम करती हूँ। बाई। और उसने फ़ोन काट दिया।
डॉली सोचने लगी कि आज का उसका व्यवहार काफ़ी बोल्ड था। उसे अपने आप पर हैरानी हुई कि वो ऐसा कैसे कर सकी। फिर सोची कि शायद वह अब बड़ी हो रही है। वो मन ही मन मुस्कुरायी। वो जानती थी कि आज का शो जय को ज़िंदगी भर याद रहेगा। वह सोचते हुए सो गयी।
इसी तरह दिन बीत रहे थे । राज की प्यास बहू को पाने की अब अपनी चरम सीमा पर थी। पर बहू की तरफ़ से कोई भी पहल होने का प्रश्न ही नहीं था। वह भी ऐसा कोई काम नहीं करना चाहता था जिससे उसे जय के सामने शर्मिंदा होना पड़े। वह अब यह चाहने लगा था कि दिन में डॉली उसकी प्यास बुझाए और जय के आने के बाद वह उसके साथ रहे और मज़े करे। ये उसके हिसाब से बहुत सीधा और सरल उपाय था, पर बात आगे बढ़ ही नहीं पा रही थी। उसके हिसाब से यह बहुत ही सिम्पल सा ऐडजस्टमेंट था जो डॉली को करना चाहिए और इस तरह वह भी दुगुना मज़ा पा सकती है, और जय और वो भी ख़ुश रहेंगे। ।वह बहुत सारी योजना बनाता था डॉली को पटाने का ,पर कोई भी प्रैक्टिकल नहीं थी। सच ये है कि डॉली को इस तरह के रिश्ते की कोई ज़रूरत ही नहीं थी क्योंकि वह अपने पति से पूरी तरह संतुष्ट थी। दिक़्क़त तो राज की ही थी। इसी तरह समय व्यतीत होते रहा।
फिर एक दिन राज नाश्ता करके अपने कमरे में बैठा था तभी पंडित का फ़ोन आया।
पंडित: जज़मान, मुझे सतीश जी ने आपका नम्बर दिया है। वो कह रहे थे कि आपके लिए लड़कियाँ पसंद करूँ।
राज: ओह फिर ?
पंडित: दो लड़कियाँ है शादी में लायक। एक की उम्र २२ साल है और दूसरी २५ की है।
दोनों सुंदर हैं और उनका परिवार इसके लिए तैयार है।
तभी राज के कमीने दिमाग़ में अचानक ही एक ख़तरनाक योजना ने जन्म लिया और वह सोचने लगा कि अगर उसकी यह योजना सफल हो गयी तो शायद डॉली उसके पहलू में होगी।
वह एक कुटिल मुस्कुराहट के साथ पंडित को अपनी योजना समझाया और बोला : जैसे मैंने कहा है वैसे करोगे तो तुमको मैं दस हज़ार रुपए दूँगा।
पंडित: ज़रूर जज़मान, जैसे आपने कहा है मैं वैसे ही बात करूँगा। आप जब भी फ़ोन करोगे। और आपके मिस्ड कॉल आने पर मैं आपको फ़ोन करूँगा। पर जज़मान, पैसे की बात याद रखना।
राज: अरे पंडित , तुम्हारा पैसा तुमको मिलेगा ही मिलेगा।
पंडित ने ख़ुशी दिखाकर फ़ोन बंद किया।
राज ने अपनी योजना पर और विचार किया और अब अपने आप पर ही मुस्कुरा पड़ा और सोचा कि सच में मेरा दिमाग़ भी मेरे जैसा ही कमीना है। क्या ज़बरदस्त आइडिया आया है।
उसने सोचा कि शुभ काम में देरी क्यों। वह लूँगी और बनियान में बाहर आया। डॉली कमला से काम करवा रही थी। वह न्यूज़ पेपर पढ़ते हुए कमला के जाने का इंतज़ार करने लगा ।
थोड़ी देर में कमला चली गई और डॉली भी अपना पसीना पोंछते हुए बाहर आयी किचन से बोली: पापा जी चाय बनाऊँ?
राज मुस्कुराकर: हाँ बहू बनाओ।
थोड़ी देर में दोनों चाय पी रहे थे , तब डॉली उससे जय की दुकान के बारे में बात करने लगी।
डॉली: पापा जी। ये बोल रहे थे कि दुकान में एक सेक्शन और खोलने से आमदनी बढ़ जाएगी। पर क़रीब ३ लाख और लगाने पड़ेंगे।
राज: बेटी, मैं तो अभी पैसा नहीं लगाउँगा। जय के पास कुछ इकट्ठा हुआ है क्या? वो लगा ले।
डॉली: पापा जी, वो तो सारा पैसा आपको ही दे देते हैं, उनके पास कुछ नहीं है।
राज: ओह, अभी तो एक और ख़र्चा आ सकता है।
डॉली: कैसा ख़र्चा ,पापा जी?
राज: बेटी, मेरे कई दोस्त बोल रहे हैं कि मैं शादी कर लूँ। मैं कई दिन से इसके बारे में सोचा और आख़िर में मुझे लगा कि इस बात में दम है।
डॉली हतप्रभ होकर: पापा जी , आपकी शादी? इस उम्र में? ओह !!!!
राज: बेटी, अजीब तो मुझे भी लग रहा है, पर किया क्या जाए? बहुत अकेला पड़ गया हूँ। पायल ने तो बीच राह में साथ छोड़ दिया।
डॉली: ओह, पापा जी पर लोग क्या कहेंगे? और आपके दोनों बच्चे क्या सोचेंगे? मेरी रिक्वेस्ट है कि इस पर फिर से विचार कर लीजिए। यह बड़ी अजीब बात होगी।
राज: ठीक है बेटी। और सोच लेता हूँ, पर मेरे दोस्त पीछे पड़े हैं। एक दोस्त ने तो गाँव के पंडित को काम पर भी लगा दिया है।वह मेरे लिए गाँव में लड़की देख रहा है।
डॉली अब शॉक में आकर बोली: लड़की देखनी भी शुरू कर दिए? आपको जय और रचना दीदी से बात तो करनी चाहिए थी। पता नहीं वो दोनों पर क्या बीतेगी?
राज: अरे कुछ नहीं होगा , कुछ दिनों में सब समान्य हो जाएगा।
मालनी: तो सच में आप शादी करने को तैयार हैं? लड़की की उम्र क्या होगी?
राज: समस्या यहीं है, जो लड़कियाँ मिल रहीं हैं , वो तुमसे भी उम्र में छोटी हैं। पता नहीं तुम अपनी से भी छोटी लड़की को कैसे मम्मी कहकर बुला पाओगी?
अब डॉली का मुँह खुला का खुला रह गया, बोली: मेरे से भी छोटी ? ये क्या कह रहें हैं आप? हे भगवान! उसके माँ बाप शादी के लिए राज़ी हो गए?
राज: बेटी, पैसे का लालच बहुत बड़ा होता है। मुझे काफ़ी पैसे ख़र्च करने पड़ेंगे। इसी लिए तो बोला कि आगे आगे ख़र्चे और बढ़ेंगे, तो जय की दुकान ने कैसे पैसा लगा पाउँगा?
डॉली: ओह , बड़ी मुश्किल हो जाएगी।
राज: बेटी, फिर शादी के बाद मेरा परिवार भी तो बढ़ेगा, जय का भाई या बहन होगी और ख़र्चा तो बढ़ेगा ही ना?
डॉली का तो जैसे दिमाग़ ही घूम गया अपने ससुर की बातें सुनकर। वह चुपचाप उठी और अपने कमरे में चली गयी। वो सोचने लगी कि इस उम्र में इनको ये क्या सूझी है शादी और बच्चा पैदा करने की । कितनी जग हँसाई होगी? और हमारे बच्चे का क्या ? उसे सबकुछ गड़बड़ लगा, वह बहुत परेशान हो गयी थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। पता नहीं जय इसे कैसे लेगा? पता भी उस पर क्या बीतेगी? वह तो अपने पापा से पैसे की आस लगाए बैठा है।
इसी तरह की सोच में वो खोई हुई थी ।
राज आज बहुत ख़ुश था, क्योंकि उसका तीर एकदम निशाने पर लगा था। वह जानता था की अब आगे आगे वो डॉली को मजबूर करेगा कि वह उसकी बात मान ले। वह अपना लंड दबाया और बोला: बस अब कुछ दिनों की ही बात है, तू जल्द ही बहू की बुर के मज़े लेगा। वह कमीनी मुस्कुराहट के साथ मोबाइल पर सेक्स विडीओ देखने लगा।
लंच के बाद सोफ़े पर बैठकर डॉली ने फिर से वही टॉपिक उठाया और बोली: पापा जी। मैं आपसे फिर से कहती हूँ कि प्लीज़ इस पर विचार कीजिए, ये सही नहीं है। आपको इस उम्र में २० साल की लड़की से शादी शोभा नहीं देती।
राज कुटीलता से बोला: बहू , इस सबके लिए कुछ हद तक तो तुम ही ज़िम्मेदार हो?
डॉली हैरानी से : में ? वो कैसे ?
राज: अच्छा भला मेरा काम चल रहा था, शशी के साथ। तुमने उसे भी निकाल दिया। अब बताओ मैं क्या करूँ? कैसे अपना काम चलाऊँ? यह कहकर वह बेशर्मी से अपने लूँगी के ऊपर से अपने लण्ड को दबाने लगा। राज घर में चड्डी भी नहीं पहनता था।
डॉली के गाल लाल हो गए। वो पापाजी की इस हरकत से स्तब्ध रह गयी।
वह लूँगी के ऊपर से उनके आधे खड़े लौड़े को देखकर हकला कर बोली: पापाजी, ये आप कैसी बातें कर रहे हैं? शशी एक ग़लत लड़की थी और आपको उससे कभी भी कोई बीमारी भी लग सकती थी। वो आपके लायक नहीं थी।
राज: मैं नहीं मानता। वो सिर्फ़ अपने पति और मुझसे ही चु- मतलब रिश्ता रखती थी। वो एक अच्छी लड़की थी। तुमने उसको नाहक ही निकाल दिया।
डॉली परेशान होकर उठ बैठी और बोली: पापा जी मैंने तो अपनी ओर से आपके स्वास्थ्य के हित के लिए किया था और आप मुझे ही दोष दे रहे हैं।
वह परेशानी की हालत में अपने कमरे में आ गयी।
राज उसकी परेशानी का मज़े से आनंद ले रहा था।
रात को जब जय आया तो डॉली से बात बात में पूछा: पापा से पैसे की बात हो पाई क्या?
डॉली: नहीं हो पाई।
जय: अच्छा आज डिनर पर मैं ही बात करता हूँ।
डॉली: नहीं नहीं, आज मत करिए, फिर किसी दिन मौक़ा देख कर करेंगे।
जय: क्यों आज क्या हुआ?
डॉली: आज उनका मूड ठीक नहीं है।
जय: जान, कल तुम बात ज़रूर करना , तुमको पता है कि मेरे लिए ये पैसे कितने ज़रूरी हैं । प्लीज़ जल्दी बात करना। तुम्हारी बात वो नहीं टालेंगे। अपनी बहू को बहुत प्यार करते हैं वो।
डॉली: अच्छा करूँगी जल्दी ही बात।
वह मन ही मन में सोचने लगी कि अगर मैं जय को बता दूँ कि पापा जी के मन में क्या चल रहा है तो वह सकते में आ जाएँगे। और अभी तो पापा जी का पैसा देने का कोई मूड ही नहीं है।
रात को जय सोने के पहले उसकी ज़बरदस्त चुदाई किया और वो भी मज़े से चुदवाई। पर बार बार उसके कानों में पापा जी की बात गूँजती थी कि तुम ही हो इस सबकी ज़िम्मेदार , शशी को क्यों भगाया? वो सोची की पापा को तो बिलकुल ही अपने किए पर पश्चत्ताप नहीं है। उलटा मुझे दोष दे रहे हैं। तो क्या शशी को वापस बुला लूँ? नहीं नहीं ये नहीं कर सकती तो क्या करूँ। उफफफफ वो जय से भी कुछ शेयर नहीं कर पा रही थी। वो ये सोचती हुई सो गयी।
अगले दिन डॉली जय के जाने के बाद कमला से काम करवाई और उसके भी जाने के बाद अपनी योजना के हिसाब से राज बाहर आया। डॉली उसको देखके पूछी: पापा चाय बनाऊँ क्या?
राज: नहीं रहने दो। पानी पिला दो।
जैसे ही वह पानी लेने गयी , उसने पंडित को मिस्ड कॉल दी। डॉली के आते ही राज के फ़ोन की घंटी बजी। डॉली के हाथ से पानी लेकर वह बोला: हेलो, अरे पंडित जी आप?
डॉली पंडित के नाम से चौंकी और ध्यान से सुनने लगी।
राज ने पानी पीते हुए फ़ोन को स्पीकर मोड में डाला।
पंडित: जज़मान, आपके लिए दो लड़कियाँ देख लीं हैं , एक २० साल की है और दूसरी २२ की। दोनों बहुत ही मासूम और सुंदर लड़कियाँ हैं।
डॉली हैरान रह गयी, कि ये सब क्या हो रहा है। ये पापा जी तो बड़ी तेज़ी से शादी का चक्कर चला रहे हैं।
राज: अरे यार थोड़ी बड़ी उम्र की लड़की नहीं मिली क्या? ये तो मेरी बहु से भी छोटी हो जाएँगी ।
पंडित: अरे जज़मान, मज़े करो, ऐसी लड़कियाँ दिला रहा हूँ कि आप फिर से जवान हो जाओगे। तो बोलो क्या कहते हो?
राज: ख़र्चा कितना आएगा?
पंडित: ३/४ लाख तो लगेंगे ही। आख़िर शादी का सवाल है ।
डॉली सोची ३/४ लाख, इतना ही तो जय को चाहिए। और पापा इसे शादी में बर्बाद कर रहे हैं।
राज: पंडित जी , थोड़ा सा मोल भाव करों भाई। देखो और कम हो सकता है क्या?
पंडित: चलिए मैं कोशिश करता हूँ, पर आप लड़कियाँ देखने कल आएँगे ना।
डॉली का तो जैसे कलेजा मुँह में आ गया, कल ही? हे प्रभु, क्या करूँ? कैसे रोकूँ इनको?
राज: अरे पंडित जी, कल का मत रखो , मुझे पैसे का भी इंतज़ाम करना होगा। आप ३ दिन बाद का कर लो। ठीक है?
पंडित: ठीक है तो तीन दिन बाद ही सही। और कुछ?
राज: देखो, पंडित , कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं होनी चाहिए लड़कियों पर । वह अपनी मर्ज़ी से शादी करेंगी। ठीक है?
पंडित: बिलकुल ठीक है। ठीक है फिर रखता हूँ।
राज ने फ़ोन रखा और डॉली को देखा जो बहुत परेशान दिख रही थी। राज मन ही मन ख़ुश हो रहा था कि तीर निशाने पर लगा है।
डॉली: पापा जी, कोई तरीक़ा नहीं है इस शादी को टालने का?
आप चाहो तो मैं शशी को वापस बुला लेती हूँ। उसने अपने हथियार डालते हुए कहा।
राज: क्या फ़ायदा अब? उसके गर्भ को काफ़ी समय हो गया है। अब वो चु- मतलब करवाने के लायक होगी भी नहीं। अक्सर डॉक्टर ऐसे समय में चु- मतलब सेक्स करने को मना करते हैं।
डॉली: ओह, फिर क्या करें? यह शशी वाला आप्शन भी गया।
राज: देखो, मेरी हालत तो तुमने बिगाड़ ही दी है। शशी को निकाल दिया और ऊपर से तुम्हारा ये क़ातिलाना सौंदर्य मैं तो पगला ही गया हूँ।
डॉली बुरी तरह से चौकी: मेरा सौंदर्य? मतलब? मैंने क्या किया? आप ऐसे क्यों बोल रहे हैं?
राज: और क्या बोलूँ? कभी अपना रूप देखा है आइने में। इतनी सुंदर और सेक्सी हो तुम। दिन भर तुम्हारे इस रूप और इस सेक्सी बदन को देखकर मेरा क्या हाल होता है , जैसे तुमको मालूम ही नहीं? यह कहकर वह फिर से अपना लौड़ा लूँगी के ऊपर से दबाया।
डॉली को तो जैसे काटों ख़ून नहीं!!! हे ईश्वर, ये मैं क्या सुन रही हूँ। पापा जी खूल्लम ख़ूल्ला बोल रहे हैं कि वह उसे वासना की नज़र से देखते है। अब तो वह कांप उठी। पता नहीं भविष्य में उसके लिए क्या लिखा है?
वह बोली: पापा जी। ये कैसी बातें कर रहे हैं। मैं आपकी बहू हूँ ,बेटी के जैसे हूँ। रचना दीदी के जैसे हूँ। आप मेरे बारे में ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं?
राज: देखो, पिछले दिनो में मेरी भावनाएँ तुम्हारे लिए बहुत बदल गयी है। अब मैं तुमको एक जवान लड़की की तरह देख रहा हूँ और तुम्हारा भरा हुआ बदन मुझे पागल कर रहा है। पर मैंने कभी कोई ग़लत हरकत नहीं की है तुम्हारे साथ। मैं हमेशा लड़की को उसकी रज़ामंदी से पाना चाहता हूँ। आज मैंने तुमको बता दिया कि ये शादी अब सिर्फ़ तुम ही रोक सकती हो। वो भी मेरी बन कर।
डॉली: पापा जी, पर मैं तो आपके बेटे की बीवी हूँ। आपकी कैसे बन सकती हूँ?
राज: देखो बहू , तुम दिन में मेरी बन कर रहो और जय के आने के बाद उसकी बन कर रहो। इस तरह हम दोनों तुमसे ख़ुश रहेंगे। इसमे क्या समस्या है?
डॉली: पापा जी, आप क्या उलटा पुल्टा बोल रहे है? मैं जय से बहुत प्यार करती हूँ, उनको धोका नहीं दे सकती हूँ। आप अपनी सोच बदल लीजिए। आप नहीं जानते मुझे आपकी बात ने कितना दुखी किया है। और वह रोने लगी।
राज: देखो बहू, रोना इस समस्या का हल नहीं है। तुमको या तो मेरी बात माननी होगी या मेरी शादी होते देख लो। अब जो भी करना है, तुमको ही करना है।
डॉली वहाँ से रोते हुए भाग कर अपने कमरे में आ गयी।
डॉली के आँसू जब थमें वह बाथरूम में जाकर मुँह धोयी और बाहर कर बिस्तर पर बैठ गयी और पूरे घटनाक्रम के बारे में फिर से सोचने लगी। यह तो समझ आ गया था कि पापा की आँखों पर हवस का पर्दा पड़ा है और वो उसे पाने के लिए पागल हो रहे हैं। अगर वह उनको नहीं मिली तो वह शादी करके एक दूसरी लड़की की ज़िन्दगी बरबाद करेंगे। हे भगवान, मैं क्या करूँ।? पापा की शादी से और क्या क्या नुक़सान हो सकते है ? वो इसपर भी विचार करने लगी। एक बात तो पक्का है कि पैसे का तो काफ़ी नुक़सान होगा ही। और क्या पता कैसी लड़की आए घर में। हो सकता है वह इस घर की शांति ही भंग कर देगी। उफ़ वो क्या करे ? किसकी मदद ले? जय, रचना या मम्मी की। उसने सोचा कि उसके पास ३ दिन है । देखें क्या रास्ता निकलता है इस उलझन का?
पापा के साथ लंच करने की इच्छा ही नहीं हुई। उसने उनको खाना खिलाया।
राज: तुम नहीं खा रही हो?
डॉली: आपने मेरी भूक़ प्यास सब मार दी है। आपने तो मुझे पागल ही कर दिया है।
राज: बहू, मैंने नहीं , तुम्हारी जवानी ने मुझे पागल कर दिया है। बस तुम एक बार मेरी बात मान जाओ , सब ठीक हो जाएगा। दिन में तुम मेरी जान और रात में जय की जान। आख़िर इसमें इतना ग़लत क्या है? घर की बात घर में ही रहेगी। और समय आने पर जय को भी बता देंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि वह इसे सामान्य रूप से ही लेगा।
डॉली: आप ऐसा कैसे कह सकते हैं। छि, ये सब कितना ग़लत है। जय को धोका देना मेरे लिए असम्भव सा है। प्लीज़ मुझे बक्श दीजिए। प्लीज़ शादी मत करिए।
राज खाना खाकर वापस सोफ़े में बैठ चुका था। वो बोला: देखो बहु, अगर मैं तुम्हारी बात मान लूँ तो मेरे इसका क्या होगा? इस बार वो अपनी लूँगी के ऊपर से लौड़ा दबाकर बोला। उसकी इस कमीनी हरकत से एक बार डॉली फिर से सकते में आ गयी।
राज अपने लौड़े को मसलते हुए बोला: देखो बहु, मैं कैसे मरे जा रहा हूँ तुम्हें पाने के लिए। अब उसका लौड़ा पूरा खड़ा था लूँगी में और वह चड्डी भी नहीं पहनता था। डॉली ने अपना मुँह घुमा लिया,और सोची कि इनका पागलपन तो बढ़ता ही जा रहा है। उफ़्फ़ इस सब का क्या हल निकल सकता है?
वह फिर से उठकर अपने कमरे में चली गयी। रात को ८ बजे जय आया और डॉली सोचती रही कि इनको बताऊँ क्या कि पापा मुझसे क्या चाहते हैं। फिर वह सोची कि घर में कितना बड़ा घमासान हो सकता है बाप बेटे के बीच में। वह अभी चुप ही रहना चाहती थी।
उसने सोचा कि कल रचना या माँ से बात करूँगी, शायद वो कुछ मदद कर सकें।
अगले दिन जय और कमला के जाने के बाद डॉली सोफ़े पर बैठी सोच रही थी कि मम्मी से सलाह ले लेती हूँ। तभी राज अपने कमरे से बाहर आया और आकर डॉली के सामने वाले सोफ़े पर बैठ गया।
डॉली: पापा जी चाय लेंगे?
राज: ले आओ। ले लेंगे। वैसे लेना तो कुछ और भी है तुम्हारा,पर तुम तो सिर्फ़ चाय पिलाती हो। वह अब बेशर्मी पर उतर आया था। अब उसे अश्लील भाषा का भी लिहाज़ नहीं रहा था।
डॉली उसकी इस तरह के लहजे से हैरान हो गयी और बोली: पापा जी आप किस तरह की बातें कर रहे हैं। मैं आपकी बहू हूँ आख़िर। छी कोई अपनी बहू से भी ऐसी बातें करता है भला।
राज: देखो बहु, मैंने तो कल ही साफ़ साफ़ कह चुका हूँ कि मैं तुम्हारा दीवाना हो चुका हूँ। अब इसी बात को दुहरा ही तो रहा हूँ, कि मुझे तुम और तुम्हारी चाहिए।
डॉली: पापा जी आपके कोई संस्कार हैं या नहीं? अच्छे परिवार के लोग ऐसी बातें थोड़े ही करते हैं।
राज: संस्कार? हा हा हममें से किसी में भी संस्कार नहीं है। ना हमारे परिवार में और ना तुम्हारे परिवार में। बड़ी आयी संस्कार की बातें करने वाली।
डॉली: पापा जी आपके परिवार का तो पता नहीं पर मेरे परिवार में संस्कार का बहुत महत्व है।
राज कुटिल मुस्कुराहट के साथ बोला: अच्छा , और अगर मैं ये साबित कर दूँ कि तुम्हारा परिवार संस्कारी नहीं है तो तुम मुझे वो दे दोगी जो मुझे चाहिए?
डॉली: छी फिर वही गंदी बातें कर रहे हैं। और जहाँ तक मेरे परिवार का प्रश्न है वह पूरी तरह से संस्कारी है।
राज हँसते हुए: तुम बोलो तो अभी तुम्हारे संस्कारी परिवार का भांडा फोड़ दूँ।
डॉली: क्या मतलब है आपका?
राज: वही जो कहा? तुम्हें अपने संस्कारी परिवार पर बहुत घमंड है ना? उसकी सच्चाई दिखाऊँ?
डॉली: मुझे समझ नहीं आ रहा है आप क्या बोले जा रहे हो? किस सच्चाई की बात कर रहे हैं आप?
राज :चलो अब तुम्हें दिखा ही देते हैं कि कितना संस्कारी है तुम्हारा परिवार?
राज ने डॉली की माँ रश्मि को फ़ोन लगाया। स्पीकर मोड में फ़ोन रखकर वह डॉली को चुप रहने का इशारा किया।
राज: हेलो , कैसी हो?
रश्मि: ठीक हूँ आप कैसे हैं? आज मेरी याद कैसे आ गयी।
राज: अरे मेरी जान तुमको तो मैं हमेशा याद करता हूँ। बस आजकल फ़ुर्सत ही नहीं मिलती।
डॉली का मुँह खुल गया वह सोची कि पापा जी माँ को जान क्यों बोल रहे हैं।
रश्मि: जाइए झूठ मत बोलिए। आपको तो शशी के रहते किसी और की क्या ज़रूरत है।
राज: अरे शशी को तो तुम्हारी बेटी ने कब का निकाल दिया।
रश्मि: ओह क्यों निकाल दिया? वो तो आपका बहुत ख़याल रखती थी और पूरा मज़ा भी देती थी।
राज: अरे तुम्हारी बेटी ने मुझे उसे चोदते हुए देख लिया। बस उसके पीछे पड़ गयी और निकाल कर ही दम लिया। अब मैं अपना लौड़ा लेकर कहाँ जाऊँ? फिर तुम्हारी याद आयी और सोचा कि तुमसे बात कर लूँ तो अच्छा लगेगा।
डॉली राज के मुँह से ऐसी गंदी बातें सुनकर वह हैरान थी।
रश्मि हँसकर: मैं आ जाती हूँ और आपके हथियार को शांत कर देती हूँ।
अब डॉली को समझ में आ गया कि पापा और उसकी माँ का चक्कर पुराना है। वह सकते में आ गयी।
राज उसके चेहरे के बदलते भावों को बड़े ध्यान से देख रहा था और अपनी योजना की सफलता पर ख़ुश हो रहा था ।
वह बोला: अरे तुमने यहाँ एक मेरे ऊपर थानेदारनी बहु जो बिठा रखी है, वह संस्कार की दुहाई दे कर तुमको भी चुदवाने नहीं देगी।
डॉली बिलकुल इस तरह की भाषा के लिए तैयार नहीं थी।
रश्मि: अरे उसे कहाँ पता चलेगा। मैं आ जाती हूँ, दिन भर डॉली के साथ रहूँगी और रात को आपके पास आ जाऊँगी।
अब तो डॉली के चेहरे का रंग पूरी तरह उड़ गया।
राज: अमित को भी लाओगी ना साथ में? हम दोनों तुम्हारी वैसे ही चुदाई करेंगे जैसे उस दिन होटेल में की थी। बहुत मज़ा आया था, है ना
रश्मि: हाँ जी, उस दिन का मज़ा सच में नहीं भूल पाऊँगी। मैंने अमित से कहा है कि बुर चूसने में आपका कोई जवाब ही नहीं है। मैं आजकल अमित को सिखा रही हूँ बुर चूसना। सच उस दिन आपको पता है मैं चार बार झड़ी थी।
राज: उस दिन की बात सुनकर देखो मेरा खड़ा हो गया। और ये कहकर डॉली को दिखाकर लूँगी के ऊपर से उसने अपना लौड़ा मसल दिया।
अब डॉली की आँखों में शर्म और दुःख के आँसू आ गए थे। उसे अपनी माँ से ऐसी उम्मीद नहीं थी। वह जानती थी कि अमित के साथ उनका रिश्ता है। पर वह उसे स्वीकार कर चुकी थी। पर ये बातें जो उसने अभी सुनी , उफफफ ये तो बहुत ही घटिया हरकत है पापा , अमित ताऊ और माँ की। छी कोई ऐसा भी करता है क्या? वह रोते हुए अपने कमरे में आकर बिस्तर पर गिर गयी और तकिए में मुँह छिपाकर रोने लगी।
अब राज ने रश्मि से कुछ और बातें की , फिर फ़ोन काट दिया। अब वह उठकर डॉली के कमरे में आया और वहाँ डॉली को पेट के बल लेटके रोते देखा। उसकी बड़ी सी गाँड़ रोने से हिल रही थी, उसकी इच्छा हुई कि उन मोटे उभारों को मसल दे । पर उसने अपने आप पर क़ाबू किया और जाकर उसके पास बिस्तर पर बैठ गया। उसने डॉली की पीठ पर हाथ फेरा और बोला:बहु रो क्यों रही हो? जब तुम्हारी माँ को मुझसे चुदवाने में मज़ा आ रहा है और वो ख़ुश है तो तुम क्यों दुखी हो रही हो?
क्योंकि दोनों थक गए थे इसलिए और ज़्यादा बात नहीं हुई और दोनों आराम करने लगे फ़ोन बंद हो चुका था।
उधर डॉली भी अपने कमरे में बैठी थी। उसके पिछले दो दिन से पिरीयड्ज़ आए हुए थे। जय भी रात को चुदाई के लिए तड़प रहा था। उसने एक बार मुँह से संतुष्ट किया था। दूसरी बार वह उसके बूब्ज़ पर लौड़ा रगड़ कर शांत हुआ था। उसने गाँड़ में डालने की कोशिश की थी पर डॉली के आँसू देखकर वह अंदर नहीं डाला। वह मुस्कुराई और सोची: कितना प्यार करते है, मुझे ज़रा सा भी कष्ट ने नहीं देख सकते। तभी जय का फ़ोन आया: जान खाना खा लिया ?
डॉली: हाँ जी। आप खा लिए?
जय: हाँ खा लिया। अब तुमको खाने की इच्छा है।
डॉली: एक दो दिन सबर करिए फिर मुझे भी खा लीजिएगा।
जय: अरे जान सबर ही तो नहीं होता । पता नहीं तुम्हारा रेड सिग्नल कब ग्रीन होगा। और तुम्हारी सड़क पर मेरी फटफटि फिर से दौड़ेगी ।
डॉली हँसने लगी: आप भी मेरी उसको सड़क बना दिए।
जय: किसको, नाम लो ना जान। वो अपने चेम्बर में अकेला था सो उसने अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाया।
डॉली फुसफुसाकर: मेरी बुर को।
जय: आऽऽऽह शशी वीडीयो कॉल करूँ क्या? एक बार अपनी चूचियाँ दिखा दो तो मैं मूठ्ठ मार लेता हूँ।
डॉली: आप भी ना। आप रात को आइए मैं मार दूँगी और चूस भी दूँगी।
जय: प्लीज़ प्लीज़ जान ,अभी बहुत मूड है।
डॉली: दुकान में कोई आ गया तो?
जय: अभी लंच ब्रेक है, कोई मेरे कैबिन में नहीं आएगा। लो मैं अंदर से बंद कर लिया प्लीज़ कॉल करूँ विडीओ में?
डॉली: हे भगवान, आप भी ना, अच्छा चलिए करिए।
जल्दी ही वो विडीओ कॉल से कनेक्ट हो गए। जय ने उसे कई बार चुम्मा दिया। फिर अपना लौड़ा दिखाकर बोला: देखो मेरी जान कैसे तड़प रहा है ये तुम्हारे लिए?
डॉली आँखें चौड़ी करके बोली: हे राम, आप तो पूरा तैयार हैं। अब उसके निपल्ज़ भी तन गए।
जय: जान, प्लीज़ चूचि दिखाओ ना।
डॉली ने ब्लाउस खोला और फिर वहाँ कैमरा लगाकर उसको ब्रा में क़ैद चूचियाँ दिखाईं। उसने कहा: आऽऽऽऽह प्लीज़ ब्रा भी खोलो।
वह ब्रा निकाल कर नंगी चूचियाँ दिखाने लगी। अब जय के हाथ अपने लौंडे पर तेज़ तेज़ चलने लगे। वह बोला: आऽऽऽऽऽह जाऽऽऽऽऽऽन अब पिछवाड़ा भी दिखा दो प्लीज़ । आऽऽऽऽहहह तुम्हारे चूतड़ देखने है आऽऽऽहहह।
डॉली ने साड़ी और पेटिकोट उठाया और कैमरा में अपने पैंटी में फँसे चूतरों को दिखाने लगी। फिर उसने पैंटी भी नीचे की और जय बोला: आऽऽऽहब्ब चूतरों को फैलाओ और गाँड़ का छेद दिखाओ। हाऽऽऽऽय्य्य्य्य उसका हाथ अब और ज़ोर से चल रहा था। डॉली ने अपने चूतरों को फैलाया और मस्त भूरि चिकनी गाँड़ उसे दिखाई । फिर ना जाने उसे क्या हुआ कि जैसे जय उसकी गाँड़ में ऊँगली करता था, आज वैसे ही करने की इच्छा उसे भी हुई। और वह अपनी एक ऊँगली में थूक लगायी और अपनी गाँड़ में डालकर हिलाने लगी। जय के लिए दृश्य इतना सेक्सी था कि वह आऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह उग्ग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्ग्ग कहकर वीर्य की धार छोड़ने लगा। डॉली भी वासना से भरी हुई उसके वीर्य को देखते रही और अपने होंठों पर जीभ फेरती रही। उसकी बुर भी पानी छोड़ रही थी। हालाँकि उसके पिरीयड्ज़ आए हुए थे। फिर उसने अपनी गाँड़ से ऊँगली निकाली और बोली: हो गया? अब सफ़ाई कर लूँ? आप भी क्लीन हो जाओ।
यह कह कर वो बाथरूम में चली गयी। जय ने भी अपने कैबिन से सटे बाथरूम में सफ़ाई की।
बाहर आकर वह फिर फ़ोन किया और डॉली से बोला: आऽऽह जान , आज तुमने अपनी गाँड़ में ऊँगली कैसे डाल ली? उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मैं तो जैसे पागल ही हो गया अपनी संस्कारी बीवी को ये करते देख कर?
डॉली हँसकर : बस इच्छा हुई और डाल ली। आप भी तो रोज़ ही डालते हैं मेरे वहाँ ऊँगली। आज मैंने ख़ुद डाल ली।
जय: जान मज़ा आया ना? आज के प्रोग्राम में।
डॉली: हाँ आया तो पर अब ये रोज़ का काम नहीं बना लीजिएगा
जय: अरे नहीं रोज़ नहीं, पर कभी कभी तो कर सकते है ना?
डॉली हंस दी और बोली: चलिए अब काम करिए और मैं आराम करती हूँ। बाई। और उसने फ़ोन काट दिया।
डॉली सोचने लगी कि आज का उसका व्यवहार काफ़ी बोल्ड था। उसे अपने आप पर हैरानी हुई कि वो ऐसा कैसे कर सकी। फिर सोची कि शायद वह अब बड़ी हो रही है। वो मन ही मन मुस्कुरायी। वो जानती थी कि आज का शो जय को ज़िंदगी भर याद रहेगा। वह सोचते हुए सो गयी।
इसी तरह दिन बीत रहे थे । राज की प्यास बहू को पाने की अब अपनी चरम सीमा पर थी। पर बहू की तरफ़ से कोई भी पहल होने का प्रश्न ही नहीं था। वह भी ऐसा कोई काम नहीं करना चाहता था जिससे उसे जय के सामने शर्मिंदा होना पड़े। वह अब यह चाहने लगा था कि दिन में डॉली उसकी प्यास बुझाए और जय के आने के बाद वह उसके साथ रहे और मज़े करे। ये उसके हिसाब से बहुत सीधा और सरल उपाय था, पर बात आगे बढ़ ही नहीं पा रही थी। उसके हिसाब से यह बहुत ही सिम्पल सा ऐडजस्टमेंट था जो डॉली को करना चाहिए और इस तरह वह भी दुगुना मज़ा पा सकती है, और जय और वो भी ख़ुश रहेंगे। ।वह बहुत सारी योजना बनाता था डॉली को पटाने का ,पर कोई भी प्रैक्टिकल नहीं थी। सच ये है कि डॉली को इस तरह के रिश्ते की कोई ज़रूरत ही नहीं थी क्योंकि वह अपने पति से पूरी तरह संतुष्ट थी। दिक़्क़त तो राज की ही थी। इसी तरह समय व्यतीत होते रहा।
फिर एक दिन राज नाश्ता करके अपने कमरे में बैठा था तभी पंडित का फ़ोन आया।
पंडित: जज़मान, मुझे सतीश जी ने आपका नम्बर दिया है। वो कह रहे थे कि आपके लिए लड़कियाँ पसंद करूँ।
राज: ओह फिर ?
पंडित: दो लड़कियाँ है शादी में लायक। एक की उम्र २२ साल है और दूसरी २५ की है।
दोनों सुंदर हैं और उनका परिवार इसके लिए तैयार है।
तभी राज के कमीने दिमाग़ में अचानक ही एक ख़तरनाक योजना ने जन्म लिया और वह सोचने लगा कि अगर उसकी यह योजना सफल हो गयी तो शायद डॉली उसके पहलू में होगी।
वह एक कुटिल मुस्कुराहट के साथ पंडित को अपनी योजना समझाया और बोला : जैसे मैंने कहा है वैसे करोगे तो तुमको मैं दस हज़ार रुपए दूँगा।
पंडित: ज़रूर जज़मान, जैसे आपने कहा है मैं वैसे ही बात करूँगा। आप जब भी फ़ोन करोगे। और आपके मिस्ड कॉल आने पर मैं आपको फ़ोन करूँगा। पर जज़मान, पैसे की बात याद रखना।
राज: अरे पंडित , तुम्हारा पैसा तुमको मिलेगा ही मिलेगा।
पंडित ने ख़ुशी दिखाकर फ़ोन बंद किया।
राज ने अपनी योजना पर और विचार किया और अब अपने आप पर ही मुस्कुरा पड़ा और सोचा कि सच में मेरा दिमाग़ भी मेरे जैसा ही कमीना है। क्या ज़बरदस्त आइडिया आया है।
उसने सोचा कि शुभ काम में देरी क्यों। वह लूँगी और बनियान में बाहर आया। डॉली कमला से काम करवा रही थी। वह न्यूज़ पेपर पढ़ते हुए कमला के जाने का इंतज़ार करने लगा ।
थोड़ी देर में कमला चली गई और डॉली भी अपना पसीना पोंछते हुए बाहर आयी किचन से बोली: पापा जी चाय बनाऊँ?
राज मुस्कुराकर: हाँ बहू बनाओ।
थोड़ी देर में दोनों चाय पी रहे थे , तब डॉली उससे जय की दुकान के बारे में बात करने लगी।
डॉली: पापा जी। ये बोल रहे थे कि दुकान में एक सेक्शन और खोलने से आमदनी बढ़ जाएगी। पर क़रीब ३ लाख और लगाने पड़ेंगे।
राज: बेटी, मैं तो अभी पैसा नहीं लगाउँगा। जय के पास कुछ इकट्ठा हुआ है क्या? वो लगा ले।
डॉली: पापा जी, वो तो सारा पैसा आपको ही दे देते हैं, उनके पास कुछ नहीं है।
राज: ओह, अभी तो एक और ख़र्चा आ सकता है।
डॉली: कैसा ख़र्चा ,पापा जी?
राज: बेटी, मेरे कई दोस्त बोल रहे हैं कि मैं शादी कर लूँ। मैं कई दिन से इसके बारे में सोचा और आख़िर में मुझे लगा कि इस बात में दम है।
डॉली हतप्रभ होकर: पापा जी , आपकी शादी? इस उम्र में? ओह !!!!
राज: बेटी, अजीब तो मुझे भी लग रहा है, पर किया क्या जाए? बहुत अकेला पड़ गया हूँ। पायल ने तो बीच राह में साथ छोड़ दिया।
डॉली: ओह, पापा जी पर लोग क्या कहेंगे? और आपके दोनों बच्चे क्या सोचेंगे? मेरी रिक्वेस्ट है कि इस पर फिर से विचार कर लीजिए। यह बड़ी अजीब बात होगी।
राज: ठीक है बेटी। और सोच लेता हूँ, पर मेरे दोस्त पीछे पड़े हैं। एक दोस्त ने तो गाँव के पंडित को काम पर भी लगा दिया है।वह मेरे लिए गाँव में लड़की देख रहा है।
डॉली अब शॉक में आकर बोली: लड़की देखनी भी शुरू कर दिए? आपको जय और रचना दीदी से बात तो करनी चाहिए थी। पता नहीं वो दोनों पर क्या बीतेगी?
राज: अरे कुछ नहीं होगा , कुछ दिनों में सब समान्य हो जाएगा।
मालनी: तो सच में आप शादी करने को तैयार हैं? लड़की की उम्र क्या होगी?
राज: समस्या यहीं है, जो लड़कियाँ मिल रहीं हैं , वो तुमसे भी उम्र में छोटी हैं। पता नहीं तुम अपनी से भी छोटी लड़की को कैसे मम्मी कहकर बुला पाओगी?
अब डॉली का मुँह खुला का खुला रह गया, बोली: मेरे से भी छोटी ? ये क्या कह रहें हैं आप? हे भगवान! उसके माँ बाप शादी के लिए राज़ी हो गए?
राज: बेटी, पैसे का लालच बहुत बड़ा होता है। मुझे काफ़ी पैसे ख़र्च करने पड़ेंगे। इसी लिए तो बोला कि आगे आगे ख़र्चे और बढ़ेंगे, तो जय की दुकान ने कैसे पैसा लगा पाउँगा?
डॉली: ओह , बड़ी मुश्किल हो जाएगी।
राज: बेटी, फिर शादी के बाद मेरा परिवार भी तो बढ़ेगा, जय का भाई या बहन होगी और ख़र्चा तो बढ़ेगा ही ना?
डॉली का तो जैसे दिमाग़ ही घूम गया अपने ससुर की बातें सुनकर। वह चुपचाप उठी और अपने कमरे में चली गयी। वो सोचने लगी कि इस उम्र में इनको ये क्या सूझी है शादी और बच्चा पैदा करने की । कितनी जग हँसाई होगी? और हमारे बच्चे का क्या ? उसे सबकुछ गड़बड़ लगा, वह बहुत परेशान हो गयी थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। पता नहीं जय इसे कैसे लेगा? पता भी उस पर क्या बीतेगी? वह तो अपने पापा से पैसे की आस लगाए बैठा है।
इसी तरह की सोच में वो खोई हुई थी ।
राज आज बहुत ख़ुश था, क्योंकि उसका तीर एकदम निशाने पर लगा था। वह जानता था की अब आगे आगे वो डॉली को मजबूर करेगा कि वह उसकी बात मान ले। वह अपना लंड दबाया और बोला: बस अब कुछ दिनों की ही बात है, तू जल्द ही बहू की बुर के मज़े लेगा। वह कमीनी मुस्कुराहट के साथ मोबाइल पर सेक्स विडीओ देखने लगा।
लंच के बाद सोफ़े पर बैठकर डॉली ने फिर से वही टॉपिक उठाया और बोली: पापा जी। मैं आपसे फिर से कहती हूँ कि प्लीज़ इस पर विचार कीजिए, ये सही नहीं है। आपको इस उम्र में २० साल की लड़की से शादी शोभा नहीं देती।
राज कुटीलता से बोला: बहू , इस सबके लिए कुछ हद तक तो तुम ही ज़िम्मेदार हो?
डॉली हैरानी से : में ? वो कैसे ?
राज: अच्छा भला मेरा काम चल रहा था, शशी के साथ। तुमने उसे भी निकाल दिया। अब बताओ मैं क्या करूँ? कैसे अपना काम चलाऊँ? यह कहकर वह बेशर्मी से अपने लूँगी के ऊपर से अपने लण्ड को दबाने लगा। राज घर में चड्डी भी नहीं पहनता था।
डॉली के गाल लाल हो गए। वो पापाजी की इस हरकत से स्तब्ध रह गयी।
वह लूँगी के ऊपर से उनके आधे खड़े लौड़े को देखकर हकला कर बोली: पापाजी, ये आप कैसी बातें कर रहे हैं? शशी एक ग़लत लड़की थी और आपको उससे कभी भी कोई बीमारी भी लग सकती थी। वो आपके लायक नहीं थी।
राज: मैं नहीं मानता। वो सिर्फ़ अपने पति और मुझसे ही चु- मतलब रिश्ता रखती थी। वो एक अच्छी लड़की थी। तुमने उसको नाहक ही निकाल दिया।
डॉली परेशान होकर उठ बैठी और बोली: पापा जी मैंने तो अपनी ओर से आपके स्वास्थ्य के हित के लिए किया था और आप मुझे ही दोष दे रहे हैं।
वह परेशानी की हालत में अपने कमरे में आ गयी।
राज उसकी परेशानी का मज़े से आनंद ले रहा था।
रात को जब जय आया तो डॉली से बात बात में पूछा: पापा से पैसे की बात हो पाई क्या?
डॉली: नहीं हो पाई।
जय: अच्छा आज डिनर पर मैं ही बात करता हूँ।
डॉली: नहीं नहीं, आज मत करिए, फिर किसी दिन मौक़ा देख कर करेंगे।
जय: क्यों आज क्या हुआ?
डॉली: आज उनका मूड ठीक नहीं है।
जय: जान, कल तुम बात ज़रूर करना , तुमको पता है कि मेरे लिए ये पैसे कितने ज़रूरी हैं । प्लीज़ जल्दी बात करना। तुम्हारी बात वो नहीं टालेंगे। अपनी बहू को बहुत प्यार करते हैं वो।
डॉली: अच्छा करूँगी जल्दी ही बात।
वह मन ही मन में सोचने लगी कि अगर मैं जय को बता दूँ कि पापा जी के मन में क्या चल रहा है तो वह सकते में आ जाएँगे। और अभी तो पापा जी का पैसा देने का कोई मूड ही नहीं है।
रात को जय सोने के पहले उसकी ज़बरदस्त चुदाई किया और वो भी मज़े से चुदवाई। पर बार बार उसके कानों में पापा जी की बात गूँजती थी कि तुम ही हो इस सबकी ज़िम्मेदार , शशी को क्यों भगाया? वो सोची की पापा को तो बिलकुल ही अपने किए पर पश्चत्ताप नहीं है। उलटा मुझे दोष दे रहे हैं। तो क्या शशी को वापस बुला लूँ? नहीं नहीं ये नहीं कर सकती तो क्या करूँ। उफफफफ वो जय से भी कुछ शेयर नहीं कर पा रही थी। वो ये सोचती हुई सो गयी।
अगले दिन डॉली जय के जाने के बाद कमला से काम करवाई और उसके भी जाने के बाद अपनी योजना के हिसाब से राज बाहर आया। डॉली उसको देखके पूछी: पापा चाय बनाऊँ क्या?
राज: नहीं रहने दो। पानी पिला दो।
जैसे ही वह पानी लेने गयी , उसने पंडित को मिस्ड कॉल दी। डॉली के आते ही राज के फ़ोन की घंटी बजी। डॉली के हाथ से पानी लेकर वह बोला: हेलो, अरे पंडित जी आप?
डॉली पंडित के नाम से चौंकी और ध्यान से सुनने लगी।
राज ने पानी पीते हुए फ़ोन को स्पीकर मोड में डाला।
पंडित: जज़मान, आपके लिए दो लड़कियाँ देख लीं हैं , एक २० साल की है और दूसरी २२ की। दोनों बहुत ही मासूम और सुंदर लड़कियाँ हैं।
डॉली हैरान रह गयी, कि ये सब क्या हो रहा है। ये पापा जी तो बड़ी तेज़ी से शादी का चक्कर चला रहे हैं।
राज: अरे यार थोड़ी बड़ी उम्र की लड़की नहीं मिली क्या? ये तो मेरी बहु से भी छोटी हो जाएँगी ।
पंडित: अरे जज़मान, मज़े करो, ऐसी लड़कियाँ दिला रहा हूँ कि आप फिर से जवान हो जाओगे। तो बोलो क्या कहते हो?
राज: ख़र्चा कितना आएगा?
पंडित: ३/४ लाख तो लगेंगे ही। आख़िर शादी का सवाल है ।
डॉली सोची ३/४ लाख, इतना ही तो जय को चाहिए। और पापा इसे शादी में बर्बाद कर रहे हैं।
राज: पंडित जी , थोड़ा सा मोल भाव करों भाई। देखो और कम हो सकता है क्या?
पंडित: चलिए मैं कोशिश करता हूँ, पर आप लड़कियाँ देखने कल आएँगे ना।
डॉली का तो जैसे कलेजा मुँह में आ गया, कल ही? हे प्रभु, क्या करूँ? कैसे रोकूँ इनको?
राज: अरे पंडित जी, कल का मत रखो , मुझे पैसे का भी इंतज़ाम करना होगा। आप ३ दिन बाद का कर लो। ठीक है?
पंडित: ठीक है तो तीन दिन बाद ही सही। और कुछ?
राज: देखो, पंडित , कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं होनी चाहिए लड़कियों पर । वह अपनी मर्ज़ी से शादी करेंगी। ठीक है?
पंडित: बिलकुल ठीक है। ठीक है फिर रखता हूँ।
राज ने फ़ोन रखा और डॉली को देखा जो बहुत परेशान दिख रही थी। राज मन ही मन ख़ुश हो रहा था कि तीर निशाने पर लगा है।
डॉली: पापा जी, कोई तरीक़ा नहीं है इस शादी को टालने का?
आप चाहो तो मैं शशी को वापस बुला लेती हूँ। उसने अपने हथियार डालते हुए कहा।
राज: क्या फ़ायदा अब? उसके गर्भ को काफ़ी समय हो गया है। अब वो चु- मतलब करवाने के लायक होगी भी नहीं। अक्सर डॉक्टर ऐसे समय में चु- मतलब सेक्स करने को मना करते हैं।
डॉली: ओह, फिर क्या करें? यह शशी वाला आप्शन भी गया।
राज: देखो, मेरी हालत तो तुमने बिगाड़ ही दी है। शशी को निकाल दिया और ऊपर से तुम्हारा ये क़ातिलाना सौंदर्य मैं तो पगला ही गया हूँ।
डॉली बुरी तरह से चौकी: मेरा सौंदर्य? मतलब? मैंने क्या किया? आप ऐसे क्यों बोल रहे हैं?
राज: और क्या बोलूँ? कभी अपना रूप देखा है आइने में। इतनी सुंदर और सेक्सी हो तुम। दिन भर तुम्हारे इस रूप और इस सेक्सी बदन को देखकर मेरा क्या हाल होता है , जैसे तुमको मालूम ही नहीं? यह कहकर वह फिर से अपना लौड़ा लूँगी के ऊपर से दबाया।
डॉली को तो जैसे काटों ख़ून नहीं!!! हे ईश्वर, ये मैं क्या सुन रही हूँ। पापा जी खूल्लम ख़ूल्ला बोल रहे हैं कि वह उसे वासना की नज़र से देखते है। अब तो वह कांप उठी। पता नहीं भविष्य में उसके लिए क्या लिखा है?
वह बोली: पापा जी। ये कैसी बातें कर रहे हैं। मैं आपकी बहू हूँ ,बेटी के जैसे हूँ। रचना दीदी के जैसे हूँ। आप मेरे बारे में ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं?
राज: देखो, पिछले दिनो में मेरी भावनाएँ तुम्हारे लिए बहुत बदल गयी है। अब मैं तुमको एक जवान लड़की की तरह देख रहा हूँ और तुम्हारा भरा हुआ बदन मुझे पागल कर रहा है। पर मैंने कभी कोई ग़लत हरकत नहीं की है तुम्हारे साथ। मैं हमेशा लड़की को उसकी रज़ामंदी से पाना चाहता हूँ। आज मैंने तुमको बता दिया कि ये शादी अब सिर्फ़ तुम ही रोक सकती हो। वो भी मेरी बन कर।
डॉली: पापा जी, पर मैं तो आपके बेटे की बीवी हूँ। आपकी कैसे बन सकती हूँ?
राज: देखो बहू , तुम दिन में मेरी बन कर रहो और जय के आने के बाद उसकी बन कर रहो। इस तरह हम दोनों तुमसे ख़ुश रहेंगे। इसमे क्या समस्या है?
डॉली: पापा जी, आप क्या उलटा पुल्टा बोल रहे है? मैं जय से बहुत प्यार करती हूँ, उनको धोका नहीं दे सकती हूँ। आप अपनी सोच बदल लीजिए। आप नहीं जानते मुझे आपकी बात ने कितना दुखी किया है। और वह रोने लगी।
राज: देखो बहू, रोना इस समस्या का हल नहीं है। तुमको या तो मेरी बात माननी होगी या मेरी शादी होते देख लो। अब जो भी करना है, तुमको ही करना है।
डॉली वहाँ से रोते हुए भाग कर अपने कमरे में आ गयी।
डॉली के आँसू जब थमें वह बाथरूम में जाकर मुँह धोयी और बाहर कर बिस्तर पर बैठ गयी और पूरे घटनाक्रम के बारे में फिर से सोचने लगी। यह तो समझ आ गया था कि पापा की आँखों पर हवस का पर्दा पड़ा है और वो उसे पाने के लिए पागल हो रहे हैं। अगर वह उनको नहीं मिली तो वह शादी करके एक दूसरी लड़की की ज़िन्दगी बरबाद करेंगे। हे भगवान, मैं क्या करूँ।? पापा की शादी से और क्या क्या नुक़सान हो सकते है ? वो इसपर भी विचार करने लगी। एक बात तो पक्का है कि पैसे का तो काफ़ी नुक़सान होगा ही। और क्या पता कैसी लड़की आए घर में। हो सकता है वह इस घर की शांति ही भंग कर देगी। उफ़ वो क्या करे ? किसकी मदद ले? जय, रचना या मम्मी की। उसने सोचा कि उसके पास ३ दिन है । देखें क्या रास्ता निकलता है इस उलझन का?
पापा के साथ लंच करने की इच्छा ही नहीं हुई। उसने उनको खाना खिलाया।
राज: तुम नहीं खा रही हो?
डॉली: आपने मेरी भूक़ प्यास सब मार दी है। आपने तो मुझे पागल ही कर दिया है।
राज: बहू, मैंने नहीं , तुम्हारी जवानी ने मुझे पागल कर दिया है। बस तुम एक बार मेरी बात मान जाओ , सब ठीक हो जाएगा। दिन में तुम मेरी जान और रात में जय की जान। आख़िर इसमें इतना ग़लत क्या है? घर की बात घर में ही रहेगी। और समय आने पर जय को भी बता देंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि वह इसे सामान्य रूप से ही लेगा।
डॉली: आप ऐसा कैसे कह सकते हैं। छि, ये सब कितना ग़लत है। जय को धोका देना मेरे लिए असम्भव सा है। प्लीज़ मुझे बक्श दीजिए। प्लीज़ शादी मत करिए।
राज खाना खाकर वापस सोफ़े में बैठ चुका था। वो बोला: देखो बहु, अगर मैं तुम्हारी बात मान लूँ तो मेरे इसका क्या होगा? इस बार वो अपनी लूँगी के ऊपर से लौड़ा दबाकर बोला। उसकी इस कमीनी हरकत से एक बार डॉली फिर से सकते में आ गयी।
राज अपने लौड़े को मसलते हुए बोला: देखो बहु, मैं कैसे मरे जा रहा हूँ तुम्हें पाने के लिए। अब उसका लौड़ा पूरा खड़ा था लूँगी में और वह चड्डी भी नहीं पहनता था। डॉली ने अपना मुँह घुमा लिया,और सोची कि इनका पागलपन तो बढ़ता ही जा रहा है। उफ़्फ़ इस सब का क्या हल निकल सकता है?
वह फिर से उठकर अपने कमरे में चली गयी। रात को ८ बजे जय आया और डॉली सोचती रही कि इनको बताऊँ क्या कि पापा मुझसे क्या चाहते हैं। फिर वह सोची कि घर में कितना बड़ा घमासान हो सकता है बाप बेटे के बीच में। वह अभी चुप ही रहना चाहती थी।
उसने सोचा कि कल रचना या माँ से बात करूँगी, शायद वो कुछ मदद कर सकें।
अगले दिन जय और कमला के जाने के बाद डॉली सोफ़े पर बैठी सोच रही थी कि मम्मी से सलाह ले लेती हूँ। तभी राज अपने कमरे से बाहर आया और आकर डॉली के सामने वाले सोफ़े पर बैठ गया।
डॉली: पापा जी चाय लेंगे?
राज: ले आओ। ले लेंगे। वैसे लेना तो कुछ और भी है तुम्हारा,पर तुम तो सिर्फ़ चाय पिलाती हो। वह अब बेशर्मी पर उतर आया था। अब उसे अश्लील भाषा का भी लिहाज़ नहीं रहा था।
डॉली उसकी इस तरह के लहजे से हैरान हो गयी और बोली: पापा जी आप किस तरह की बातें कर रहे हैं। मैं आपकी बहू हूँ आख़िर। छी कोई अपनी बहू से भी ऐसी बातें करता है भला।
राज: देखो बहु, मैंने तो कल ही साफ़ साफ़ कह चुका हूँ कि मैं तुम्हारा दीवाना हो चुका हूँ। अब इसी बात को दुहरा ही तो रहा हूँ, कि मुझे तुम और तुम्हारी चाहिए।
डॉली: पापा जी आपके कोई संस्कार हैं या नहीं? अच्छे परिवार के लोग ऐसी बातें थोड़े ही करते हैं।
राज: संस्कार? हा हा हममें से किसी में भी संस्कार नहीं है। ना हमारे परिवार में और ना तुम्हारे परिवार में। बड़ी आयी संस्कार की बातें करने वाली।
डॉली: पापा जी आपके परिवार का तो पता नहीं पर मेरे परिवार में संस्कार का बहुत महत्व है।
राज कुटिल मुस्कुराहट के साथ बोला: अच्छा , और अगर मैं ये साबित कर दूँ कि तुम्हारा परिवार संस्कारी नहीं है तो तुम मुझे वो दे दोगी जो मुझे चाहिए?
डॉली: छी फिर वही गंदी बातें कर रहे हैं। और जहाँ तक मेरे परिवार का प्रश्न है वह पूरी तरह से संस्कारी है।
राज हँसते हुए: तुम बोलो तो अभी तुम्हारे संस्कारी परिवार का भांडा फोड़ दूँ।
डॉली: क्या मतलब है आपका?
राज: वही जो कहा? तुम्हें अपने संस्कारी परिवार पर बहुत घमंड है ना? उसकी सच्चाई दिखाऊँ?
डॉली: मुझे समझ नहीं आ रहा है आप क्या बोले जा रहे हो? किस सच्चाई की बात कर रहे हैं आप?
राज :चलो अब तुम्हें दिखा ही देते हैं कि कितना संस्कारी है तुम्हारा परिवार?
राज ने डॉली की माँ रश्मि को फ़ोन लगाया। स्पीकर मोड में फ़ोन रखकर वह डॉली को चुप रहने का इशारा किया।
राज: हेलो , कैसी हो?
रश्मि: ठीक हूँ आप कैसे हैं? आज मेरी याद कैसे आ गयी।
राज: अरे मेरी जान तुमको तो मैं हमेशा याद करता हूँ। बस आजकल फ़ुर्सत ही नहीं मिलती।
डॉली का मुँह खुल गया वह सोची कि पापा जी माँ को जान क्यों बोल रहे हैं।
रश्मि: जाइए झूठ मत बोलिए। आपको तो शशी के रहते किसी और की क्या ज़रूरत है।
राज: अरे शशी को तो तुम्हारी बेटी ने कब का निकाल दिया।
रश्मि: ओह क्यों निकाल दिया? वो तो आपका बहुत ख़याल रखती थी और पूरा मज़ा भी देती थी।
राज: अरे तुम्हारी बेटी ने मुझे उसे चोदते हुए देख लिया। बस उसके पीछे पड़ गयी और निकाल कर ही दम लिया। अब मैं अपना लौड़ा लेकर कहाँ जाऊँ? फिर तुम्हारी याद आयी और सोचा कि तुमसे बात कर लूँ तो अच्छा लगेगा।
डॉली राज के मुँह से ऐसी गंदी बातें सुनकर वह हैरान थी।
रश्मि हँसकर: मैं आ जाती हूँ और आपके हथियार को शांत कर देती हूँ।
अब डॉली को समझ में आ गया कि पापा और उसकी माँ का चक्कर पुराना है। वह सकते में आ गयी।
राज उसके चेहरे के बदलते भावों को बड़े ध्यान से देख रहा था और अपनी योजना की सफलता पर ख़ुश हो रहा था ।
वह बोला: अरे तुमने यहाँ एक मेरे ऊपर थानेदारनी बहु जो बिठा रखी है, वह संस्कार की दुहाई दे कर तुमको भी चुदवाने नहीं देगी।
डॉली बिलकुल इस तरह की भाषा के लिए तैयार नहीं थी।
रश्मि: अरे उसे कहाँ पता चलेगा। मैं आ जाती हूँ, दिन भर डॉली के साथ रहूँगी और रात को आपके पास आ जाऊँगी।
अब तो डॉली के चेहरे का रंग पूरी तरह उड़ गया।
राज: अमित को भी लाओगी ना साथ में? हम दोनों तुम्हारी वैसे ही चुदाई करेंगे जैसे उस दिन होटेल में की थी। बहुत मज़ा आया था, है ना
रश्मि: हाँ जी, उस दिन का मज़ा सच में नहीं भूल पाऊँगी। मैंने अमित से कहा है कि बुर चूसने में आपका कोई जवाब ही नहीं है। मैं आजकल अमित को सिखा रही हूँ बुर चूसना। सच उस दिन आपको पता है मैं चार बार झड़ी थी।
राज: उस दिन की बात सुनकर देखो मेरा खड़ा हो गया। और ये कहकर डॉली को दिखाकर लूँगी के ऊपर से उसने अपना लौड़ा मसल दिया।
अब डॉली की आँखों में शर्म और दुःख के आँसू आ गए थे। उसे अपनी माँ से ऐसी उम्मीद नहीं थी। वह जानती थी कि अमित के साथ उनका रिश्ता है। पर वह उसे स्वीकार कर चुकी थी। पर ये बातें जो उसने अभी सुनी , उफफफ ये तो बहुत ही घटिया हरकत है पापा , अमित ताऊ और माँ की। छी कोई ऐसा भी करता है क्या? वह रोते हुए अपने कमरे में आकर बिस्तर पर गिर गयी और तकिए में मुँह छिपाकर रोने लगी।
अब राज ने रश्मि से कुछ और बातें की , फिर फ़ोन काट दिया। अब वह उठकर डॉली के कमरे में आया और वहाँ डॉली को पेट के बल लेटके रोते देखा। उसकी बड़ी सी गाँड़ रोने से हिल रही थी, उसकी इच्छा हुई कि उन मोटे उभारों को मसल दे । पर उसने अपने आप पर क़ाबू किया और जाकर उसके पास बिस्तर पर बैठ गया। उसने डॉली की पीठ पर हाथ फेरा और बोला:बहु रो क्यों रही हो? जब तुम्हारी माँ को मुझसे चुदवाने में मज़ा आ रहा है और वो ख़ुश है तो तुम क्यों दुखी हो रही हो?