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Adultery बहू की चूत ससुर का लौडा
#8
उधर अमित का फ़ोन राज को आया।

अमित: क्या हाल है।

राज : बढ़िया।

अमित: दोनों काम हो गए?

राज: हाँ रश्मि ने ज़ेवर पसंद कर लिए हैं। और कौन सा दूसरा काम?

अमित: अरे उसे पटाने का काम और क्या?

राज हँसते हुए: हाँ यार वह भी हो गया। और बहुत अच्छे से हो गया। मैंने उसके तीनों छेदों का मज़ा ले लिया। क्या माल है यार।

अमित: यार बड़े बदमाश हो जो इतनी जल्दी से इतना मज़ा ले लिए।

राज हँसते हुए: अपना काम तो ऐसा ही है।

अमित: अरे भाई अब उसको वापस तो भेजो या वहाँ ही रात भर रख कर ठोकने का इरादा है?

राज कमिनी हँसी हँसकर : यार मन तो यही कर रहा है पर क्या किया जाए। वापस भेजता हूँ उसे । चलो फिर बात करेंगे।

फिर राज जय और रश्मि के पास आया और बोला: चलो सब काम हो गया? अमित का फ़ोन आया था , कह रहा था कि रश्मि जी को जल्दी से भेज दो। सो ,चलो अब मैं आपको बस अड्डे तक छोड़ आता हूँ।

रश्मि ने जय को गले लगाया और उसका माथा चूमा और राज के साथ साड़ियों के पैकेट लेकर कार में बैठी और कर बस अड्डे को चल पड़ी।

रश्मि: अमित भाई सब क्या बोले?

राज: वो पूछ रहा था कि रश्मि की चुदाई कर दी ना?

रश्मि: छी क्या बोल रहे हैं? वो ऐसा कभी नहीं पूछेंगे। आपने क्या बात दिया।

राज: हाँ मैंने बता दिया किहमारे सम्बंध अब बहुत मधुर हो गए हैं। आज मैंने तुम्हारे तीनों छेदों का मज़ा ले लिया है।

रश्मि: ही भगवान । आप कितनी गंदी बातें करते हो। कोई ऐसा भी बोलता है भला? भाई सब क्या बोले?

राज: वो बोला कि प्यासे को पानी देना पुण्य का काम है। हम दोनों प्यासे हैं और अपनी अपनी प्यास बुझा लिए तो उसने बुराई क्या है।

रश्मि उसकी जाँघ पर हाथ रखकर: आप किसी और को तो नहीं बताएँगे ना?

राज उसके हाथ को सहलाया और फिर उसके हाथ को उठाकर अपने लौड़े के ऊपर रखकर बोला: जानू, बस तुम इसकी प्यास बुझाती रहो, बाक़ी जो तुम चाहोगी, सब हो जाएगा।

रश्मि ने प्यार से लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाकर कहा: मैंने कभी मना किया है। आप जब कहेंगे हाज़िर हो जाऊँगी।

राज ने भी हाथ बढ़ाकर उसकी साड़ी के ऊपर से बुर को दबाकर कहा: सच आज का मज़ा हमेशा याद रहेगा। क्या मस्त बुर और गाँड़ है तुम्हारी। चूसती भी बहुत बढ़िया हो। अमित की ट्रेनिंग पक्की है।
रश्मि: चूसना तो मैंने शादी के पहले ही सीख लिया था ।

राज: सच मे ? कौन था?

रश्मि हंस कर : अगली बार मिलूँगी तो बताऊँगी। चलिए आप हाथ हटाइए नहीं तो साड़ी भी गीली हो जाएगी।

राज: क्यों पैंटी तो पहनी हो? पेटिकोट भी है।

रश्मि: आपके छूने से बाढ़ आ जाती है वहाँ। बस अब हाथ हटायिए। यह कहकर वह अपना हाथ भी उसके पैंट से हटा लेती है।

बस अड्डे पहुँचकर राज बोला: अरे पैंट में लौड़ा अजस्ट करना पड़ेगा , ये तो एकदम खड़ा हो गया है।

रश्मि हँसते हुए बाहर आ गयी और राज भी पैंट ठीक करके बाहर आया।

फिर वह उसको बस पर चढ़ाकर वापस घर को चला गया।

शाम को शशी आइ तो वह अभी भी नींद में था। शशी चाय बनाकर लाई । राज फ़्रेश होकर सोफ़े पर बैठा था। उसने शशी को गोद में खींचकर कहा: और पिरीयड तो नहीं आया।

शशी: नहीं अभी तक नहीं आया।

राज : भगवान ने चाहा तो आएगा भी नहीं।

राज उसके पेट को सहलाते हुए उसकी चूचि दबाने लगा।
शशी: आऽऽऽह क्या कर रहे हैं। समधन को नहीं चोद पाए क्या? जो मेरे पीछे पड़े हो।

राज: अरे उसकी तो तीनों छेद का मज़ा के लिया। वो तो ४५ साल की है और तू तो अभी भी जवान है मेरी जान। ये कहते हुए उसने उसकी सलवार के ऊपर से उसकी बुर दबा दी।

शशी: आऽऽह तीन बार झड़ने के बाद अभी भी गरम हो रहे हैं। आप आदमी हो या राक्षश ?

राज: वो मेरी समधन जाते जाते भी मेरा लौड़ा गरम कर गई है , अब तुम ही उसे ठण्डा कर दो।

शशी मुस्कुरा कर बोली: मैं तो इसको शांत करने को हमेशा तैयार हूँ। ये कहते हुए उसने अपनी गाँड़ उठायी और लौड़े को दबा दिया।

राज मुस्कुरा कर उसकी सलवार खोल दिया और उसने पैंटी भी निकाल दी। राज उसको अपने सामने खड़ा करके उसकी बुर को चाटने लगा । वह जल्दी ही गरम होकर हाऽऽऽय्यय करने लगी। अब राज ने बैठे हुए अपनी पैंट और चड्डी उतार करके नीचे खिसका दी। उसने शशी को खींचकर अपने लौड़े को चूसने का इशारा किया। वह अब उसके पैरों के बीच घुटने के बल बैठ कर उसका लौड़ा चूसने लगी। अब राज ने उसको अपनी गोद में खींच कर उसकी टांगों को अपनी गोद के दोनों ओर किया और शशी ने भी अपनी गाँड़ उठाकर अपनी बुर के मुँह में लौड़े को रखा और धीरे से उसपर बैठने लगी। अब वह पूरा नीचे होकर उसका मोटा लौड़ा अपनी बुर में निगल चुकी थी।

राज ने उसके दोनों चूतरों को पकड़ा और उसकी कमर को उछालकर अपने लौड़े पर दबाकर चुदाई करने लगा। शशी भी हाऽऽऽऽय करके अपनी गाँड़ उछालकर उसके लौड़े पर ऊपर नीचे हो रही थी। राज ने अपनी एक ऊँगली में थूक लगाया और उसकी गाँड़ में डाल दिया। वह आऽऽऽऽऽऽह कर उठी और भी ज़ोर ज़ोर से चुदाई करने लगी। उसकी टाइट बुर में उसका मोटा लौड़ा जैसे फँस सा रहा था। राज ने महसूस किया कि जवान बुर आख़िर जवान ही होती है। सच में शशी की बुर रश्मि की बुर से बहुत टाइट थी। वह अब मस्ती से नीचे से धक्के मारने लगा और शशी की सिसकारियाँ निकलने लगीं। वह अब कुर्ते को उठाकर उसकी चूचियाँ भी ब्रा के अंदर हाथ डाल कर मसलने लगा था। उसके निपल्ज़ भी तन गए थे जिसे उसने मसल कर शशी को मस्ती से भर दिया।

वह उइइइइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽऽऽ करके झड़ने लगी।
राज भी अपना लौड़ा उछालकर उसकी बुर में झड़ गया। अब शशी जब उसके लौड़े के ऊपर से उठी तो उसकी जाँघों से उसका और राज का काम रस बह रहा था।

अब दोनों फ़्रेश होकर बैठे तो शशी ने रश्मि की चुदाई की पूरी कहानी सुनी और हँसकर बोली: आप भी एक दिन में बिचारि का कोई छेद नहीं छोड़े। सभी में लौड़ा पेल दिए।

राज भी कमीनी हँसी हँसने लगा। उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ।

रात को राज ने रचना से बात की फ़ोन पर जय के सामने। वह बोली: पापा मैं शादी में पक्का आऊँगी। सगाई में मुझे माफ़ कर दो।

जय: ठीक है दीदी शादी में ख़ूब मस्ती करेंगे। जीजा जी को भी ले आओ ना।

रचना: वो नहीं आ पाएँगे। लो पापा उनसे बात करो।

राजीव( रचना का पति) : नमस्ते पापा जी, सच में मुझे छुट्टी नहीं मिल रही है। पर मैं अभी भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर छुट्टी मिली तो मैं ज़रूर आऊँगा।

राज: ठीक है बेटा कोशिश करना। अच्छा अब रखता हूँ।

जय: पापा लगता है जीजा जी भी आ ही जाएँगे।

राज: उसका पक्का नहीं है।पर हमारी दुलारि बेटी तो आएगी ही।

तभी उसकी निगाह एक ग्रूप फ़ोटो पर पड़ी जिसमें पायल अपने दोनों बच्चों के साथ थी। उस फ़ोटो में जय बहुत शांत दिख रहा था और रचना बहुत चुलबुली दिख रही थी। रचना की बड़ी बड़ी छातियाँ टी शर्ट में जैसे फटी जा रही थी। राज को अपने लौड़े में थोड़ी सी अकड़न महसूस हुई पर उसने अपने सिर को झटका और अपने आप पर कंट्रोल करके सोने चला गया।
अगले कुछ दिनों में सब सगाई की तैयारी में व्यस्त रहे। जय और डॉली प्यारी प्यारी बातें करते रहते। उधर राज रश्मि से गंदी बातें करता रहता। शशी की चुदाई चालू थी और आख़िर एक दिन शशी बोली: साहब , एक महीने से ऊपर हो गया है मेरे पिरीयड को आए हुए।

राज: ओह बढ़िया, चलो मैं अभी मेडिकल स्टोर से प्रेग्नन्सी टेस्टिंग की किट लेकर आता हूँ। यह कहकर वो किट लेने गया और लेकर वापस आया। वो शशी को समझाने की कोशिश किया कि उसको कैसे उपयोग करना है, पर शशी परेशान होकर बोली: मुझे समझ नहीं आ रहा है।

राज: अच्छा चलो बाथरूम में चलते हैं। वहाँ पहुँचकर वह उसको सलवार और पैंटी खोलने को बोला। वह दोनों खोल दी और कमर के नीचे नंगी हो गयी। अब वह उसको नीचे बैठ कर मूतने को बोला और किट की स्ट्रिप हाथ में ले लिया और उसके सामने ख़ुद भी बैठ गया ।वह सी सी की आवाज़ के साथ मूतने लगी और राज ने स्ट्रिप को उसके पिशाब की धार के सामने रखा। अब राज ने देखा कि स्ट्रिप गीली हो गयी है और उसका हाथ भी पेशाब से गीला हो चुका था। उसने खड़ा होकर स्ट्रिप को ध्यान से देखा। थोड़ी ही देर में स्ट्रिप ने रंग बदला और राज मुस्कुरा उठा। अब वह अपना हाथ धोया और कमर से नीचे नंगी खड़ी शशी को गोद में उठाकर चूमने लगा।

फिर वह उसे बिस्तर पर लिटाया और बोला: शशी तू प्रेगनेनेट हो गयी मेरी जान। यह कहकर वह उसे बेतहाशा चूमने लगा।

शशी भी ख़ुशी के मारे उससे लिपट गयी और उसको चूमते हुए बोली: साहब, आपने अपना वादा निभा दिया और मुझे एक महीने ही में गर्भ से कर दिया। मैं ये आपका अहसान कभी नहीं भूल पाऊँगी। अब शशी उठी और उसका पजामा खोल दिया और चड्डी नीचे करके उसके नरम सोए हुए लौड़े पर चुंबनों की बरसात कर दी। फिर नीचे जाकर उसके बड़े बॉल्ज़ को भी चूमे जा रही थी। फिर वह बोली: सच में मेरा तो जीवन ही आपने बचा लिया। अब वह मेरी कुतिया सास मुझे ताना नहीं दे सकेगी। मेरा पति भी बहुत ख़ुश होगा। यह कहकर वह फिर लौड़े और बॉल्ज़ को चूमने लगी।

राज उसे खींच कर अपने गले से लगा लिया और बिस्तर से उठके अपना पजामा पहना और फिर किचन से मिठाई लाया और शशी को अपनी गोद में बिठाकर खिलाया और ख़ुद भी खाया। थोड़ी देर तक उसने शशी को चूमा और प्यार किया । फिर वह उठकर तिजोरी खोला और उसमें से सोने की एक चेन निकाल कर शशी को अपनी गोद में बिठाकर उसके गले में पहना दिया और बोला: शशी, मेरी तरफ़ से गर्भवति होने की बधाई और उपहार।

शशी की आँख में आँसू आ गए , वह बोली: माँ भी बनाया और उपहार भी दे दिया। आप कितने अच्छें हैं।

राज उसकी चूचि दबाकर बोला: देखो वैसे मैं हूँ तो कमीना पर इन बातों में मेरा विश्वास है कि बच्चा तो भगवान की मर्ज़ी से ही होता है। और सच में आज मैं बहुत ख़ुश हूँ।

उस दिन शशी बड़े देर तक चुदवाइ और उसके जाने के बाद राज सोचने लगा कि अभी भी इस उम्र में मर्दानगी है मुझमें। और वो मुस्कुरा उठा और अपने लौड़े पर हाथ फेर कर अपनी ख़ुशी को महसूस करने लगा।

सगाई के एक दिन पहले रश्मि का फ़ोन आया : कैसे है आप?

राज: बस तुम्हारे ख़यालों में गुम हूँ।

रश्मि: यहाँ मेरी जान निकले जा रही है और आप हैं कि बस मस्ती कर रहे हैं।

राज: अरे मुझे बताओ ना क्या समस्या है।

रश्मि: बस सहमी हुई हूँ कि सब कुछ ठीक से हो जाए।

राज: अरे घर की ही बात है, अगर कुछ गड़बड़ हो भी गयी तो तुम सब तो अपने ही हो। चिंता छोड़ो।

रश्मि: यह कह कर आपने मेरा बोझ कम कर दिया ।

राज: तो कल तुम सब कितने बजे आ जाओगे?

रश्मि: हम सब दो कार से करीब ६ बजे शाम को होटेल रॉयल में पहुँचेंगे। आप वहाँ कितने बजे पहूँचोगे?

राज: हम लोग एक घंटे पहले पहुँच कर पूरा इंतज़ाम चेक कर लेंगे। हमारे तरफ़ से हमने क़रीब १० परिवारों को बुलाया है। और तुम लोग भी क़रीब १० लोग होगे तो एक अच्छा सा पारिवारिक महोल में सगाई की रस्म हो जाएगी।

रश्मि: ठीक है बस सब कुछ बढ़िया से हो जाए।

राज: सब बढ़िया ही होगा। मैंने दो कमरे भी होटेल में बुक किए हैं। एक में दारू पार्टी होगी, सगाई के बाद और दूसरा कमरे में मैं और तुम मस्ती करेंगे।

रश्मि: आप भी ना, मस्ती फिर कभी कर लीजिएगा। बस सगाई अच्छी तरह से हो जाए। और हाँ आपने वो सेट जो पोलिश करके भिजवाया था डॉली को बहुत पसंद आया है।

राज: अरे अब सब कुछ तो बच्चों का ही है। चलो कल मिलते है। बहुत दिन हो गए तुमको देखे हुए।

राज ने फ़ोन काटकर अमित को लगाया। वो बोला: हाय अमित क्या हाल है? उसने उसे भाई सांब बोलना बन्द कर दिया था।

अमित: बढ़िया है , बस सगाई की तैयारी में लगे हैं।

राज: यार मैंने कल दारू और रश्मि की चुदाई का भी इंतज़ाम किया है। ठीक है ना?

रश्मि: दारू तो सही है, पर सबकी मौजूदगी में चुदाई कैसे करोगे?

राज: मैंने प्लान बनाया है। मिलने पर बताऊँगा।
अगले दिन सगाई थी। राज ने सारा समान सूट्केस में पैक किया और जय और शशी को लेकर होटेल पहुँचा। वहाँ होटेल वालों ने सभी तैयारियाँ पूरी कर रखीं थीं। वह शशी को सामान का ध्यान रखने को बोलकर बाक़ी का इंतज़ाम चेक करने लगा और पंडित को भी फ़ोन कर दिया।

ठीक समय पर अमित , रश्मि, डॉली , उसका भाई और अमित की बीवी और दो बच्चे जो की नौकरी करते थे वहाँ पहुँच गए। सब एक दूसरे से मिले। फिर जय के दोस्त और उनके पारिवारिक मित्र भी आ गए। राज रश्मि से मिला और उसे बधाई दिया। आज वह गुलाबी रंग की एक बहुत सुंदर साड़ी में थी जो कि उसकी दुकान से ही ली थी। उसने कान में वो ear rings भी पहने थे ज़ो राज ने उसे उपहार में दिए थे। डॉली भी बहुत सुंदर लग रही थी और उसने भी राज के दिए हुए ज़ेवर ही पहने थे और साड़ी भी जय की भेंट की हुई पहनी थी।

राज ने ध्यान दिया कि सच में आज दोनों माँ बेटी बहुत सुंदर लग रहीं थीं।

वो अमित से बोला: यार आज रश्मि तो मस्त दिख रही है।

अमित: सगाई पर ध्यान दो भाई मेरे।

राज: जब इतनी सुंदर चीज़ हो तो साला ध्यान तो भटकेगा ही ना? देखो क्या मस्त पिछवाड़ा है साला मेरा तो खड़ा होने लगा है।

अमित: चलो अभी सगाई पूरी करते हैं। ये सब बाद में देखेंगे।

राज: ठीक है यार यही सही।

सगाई की रीति चालू हुई। पंडित ने मंत्र पढ़े और छोटा सा हवन हुआ। फिर जय और डॉली ने एक दूसरे को अँगूठी पहनाई। सबने तालियाँ बजाईं और अब वो दोनों सबसे आशीर्वाद लेने लगे। राज के जब वो दोनों पैर छुए तो उसने उन दोनों की पीठ पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया। तभी राज का हाथ डॉली की ब्रा के स्ट्रैप पर पड़ा और वह सोचा कि ३४ की ब्रा है। फिर जब डॉली उठने लगी तो वह झाँककर अन्दाज़ लगाने की कोशिश किया कि दूध सच में ३४ साइज़ के हैं क्या। और उसको साड़ी के साइड से उसके ब्लाउस में कसे दूध दिखे और वो रश्मि की बात से सहमत हो गया कि साइज़ तो वही है। पर क्या बिना चुदवाए उसके इतने बड़े हो गए हैं? फिर उसने अपने सिर को झटका दिया और सबको बधाइयाँ देने लगा। चाय नाश्ता के बाद सब मेहमान चले गए ख़ाली जय का एक दोस्त और उसकी बहन वहाँ रह गए। राज ने शशी को भी मिठाई और कुछ पैसा दिया और ऑटो से घर जाने को कह दिया।

अब राज ने सबको एक सुईट में आने को बोला। वहाँ होटेल के कमरे में कुर्सियाँ और सोफ़े लगे थे। वहाँ बग़ल के कमरे से खाने और पीने का इंतज़ाम किया हुआ था। सब लोग बैठ गए । अमित और रश्मि का परिवार और राज और जय का दोस्त और उसकी बहन ही थे।

वेटर ने सबको ड्रिंक्स दिया। किसी ने कोल्ड ड्रिंक लिया और किसी ने वाइन और किसी ने विस्की। अमित और राज विस्की लिए । अमित के बेटे और बेटी ने वाइन ली और उन दोनों ने रश्मि को भी वाइन का ग्लास पकड़ा दिया। डॉली और जय ने कोल्ड ड्रिंक लिया। जय के दोस्त और उसकी बहन ने भी कोल्ड ड्रिंक लिया। स्नैक्स सर्व हो रहे थे और हँसी मज़ाक़ चल रहा था। राज की नज़र बार बार जय के दोस्त की बहन पर थी। वह क़रीब १८ साल की थी और उसने मिनी स्कर्ट और टॉप पहना था और बहुत सेक्सी थी।
राज उठकर दूसरे कमरे में गया और वेटर को बोला: वो जो लड़का और लड़की एक साथ बैठे हैं उनकी कोल्ड ड्रिंक में विस्की मिला दो और कम से कम दो गिलास पिला दो।

इधर रश्मि और अमित के बेटा और बेटी वाइन पीकर बहकने लगे थे। और जल्दी ही जय का दोस्त प्रकाश और उसकी बहन पंडित भी नशे में झूमने लगे। अब राज ने जय और डॉली से कहा: बेटा तुम दोनों मेरी कार ले कर जाओ और एक दूसरे को और अच्छी तरह से जानो। वो दोनों ख़ुश होकर चले गए।

अब राज उठकर पंडित के बग़ल में बैठा और उससे सामान्य बातें करने लगा। वह ११ वीं में पढ़ती थी। जल्दी ही वह उसके जाँघ पर हाथ रखा और वह भी नशे के कारण मज़े में थी। राज ने म्यूज़िक बजवाया और सब झूमने लगे। जल्दी ही प्रकाश सोफ़े पर लुढ़क गया। अब राज ने देखा कि रश्मि और अमित भी नाच रहे थे। उधर अमित के बच्चे भी नशे में लुढ़क रहे थे। राज ने अमित और रश्मि को कहा: चलो दूसरे कमरे में चलते हैं। और पंडित को भी क़रीब घसीटते हुए अपना सहारा देकर पास के कमरे में ले गया। अब चारों एक कमरे में थे और राज ने पंडित को बिस्तर पर लिटाया और उसके ऊपर आकर उसे चूमने लगा। बेचारी मासूम लड़की नशे में थी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी उसने उसका टॉप ऊपर किया और ब्रा के अंदर हाथ डालके उसकी छोटी सी चूचियाँ बाहर की और आधे बने छोटे से निपल्ज़ को चूसने और मसलने लगा।

अमित और रश्मि आँखें फाड़े उसकी हरकत देख रहे थे। फिर वह नीचे आकर उसका स्कर्ट ऊपर किया और उसकी गोरी जाँघों को चूमते हुए उसकी पैंटी नीचे कर दिया। अब उसके सामने काले और भूरे रोयों वाली मासूम से बुर थी। वह पागल होकर उसे चूसने लगा। अब पंडित भी हाऽऽयय्यय करने लगी और वह चूसता ही चला गया और पंडित हाय्ह्य्य्य्य्यू कहकर झड़ने लगी। फिर उसने एक उँगली उसकी टाइट बुर में डाली और बोला: आऽऽऽह ये तो कुँवारी है। वह अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया और उसको मसलने लगा।

अब रश्मि बोली: आप अभी इसको वापस कमरे में छोड़ कर आओ। बहुत छोटी है यह, आपके ऊपर रेप का केस बनेगा। वह आपका मोटा वाला नहीं ले पाएगी। फट जाएगी उसकी। ये कहते हुए उसने क़रीब ज़बरदस्ती उसका हाथ उसकी बुर से हटाया। फिर वह लड़की को सहारा देकर उठायी और उसके कपड़े ठीक कर के दूसरे कमरे में छोड़ कर वापस आइ।

अब भी राज कमर के नीचे नंगा था और अमित को बोल रहा था: क्या यार इस रश्मि ने सारा मज़ा ख़राब कर दिया। क्या मस्त माल थी चोदने में मज़ा आ जाता।

अमित रश्मि को देखकर: अरे यार रश्मि ने ठीक किया तुमको बचा लिया। वो बहुत ही मासूम सी बच्ची थी, फट जाती उसकी।

राज अपना लौड़ा हिलाकर रश्मि को बोला: चलो अब तुम ही इसका इलाज करो।

रश्मि हड़बड़ाकर अमित को देखी और अमित मुस्कुराया और बोला: अरे इसमें क्या शर्माना चलो शांत कर दो इसके लौड़े को। मैं बाहर जाता हूँ।
राज: अरे तुम क्यों बाहर जाओगे? कभी थ्रीसम नहीं किया क्या?

अमित: नहीं यार नहीं किया।

राज : तो आज कर लो, बहुत मज़ा आएगा। रश्मि , तुमको कोई ऐतराज़ है क्या हम दोनों से एक साथ चुदवाने में?

रश्मि: हे भगवान। ऐसे भी कोई किसी औरत से पूछता है भला?

राज: इसका मतलब नहीं है। अब वह दोनों बिस्तर के पास रखे सोफ़े पर बैठी रश्मि के पास आते हैं। अमित उसकी एक तरफ़ और राज दूसरी तरफ़ बैठ जाते हैं। राज उसके गाल चूमने लगता है। अमित भी उसका दूसरा गाल चूमता है। फिर दोनों उसकी गरदन और बारी बारी से होंठ चूसते हैं।

अब राज उसकी साड़ी का पल्लू गिरा देता है। ब्लाउस में तने उसके विशाल दूध देखकर दोनों उसको दबाने लगते हैं। रश्मि भी अपना हाथ बढ़ाकर राज का नंगा लौड़ा सहलाती है और दूसरे हाथ से अमित के लौड़े को भी पैंट के ऊपर से दबाती है । अमित उसके ब्लाउस के हुक खोलता है और ब्लाउस निकाल देता है। दोनों उसकी एक एक नंगी बग़ल चाटने लगते हैं। फिर उसकी ब्रा भी निकाल कर दोनों एक एक दूध मुँह में लेकर चूसने लगते हैं। रश्मि आऽऽऽऽऽऽहहहह करने लगती है। राज और अमित उसकी साड़ी और पेटिकोट को टांगों से ऊपर उठाकर उसकी जाँघ सहलाते है और पूरे टाइम दूध पीते रहते हैं। राज का पंजा उसकी पैंटी में क़ैद बुर पर पड़ता है और वह उसे दबाकर रश्मि की हाऽऽऽऽऽऽयययय निकाल देता है।

अमित उसकी साड़ी खोलता है और पेटीकोट का नाड़ा खोलता है और रश्मि अपनी गाँड़ उठाकर पेटिकोट और पैंटी भी निकल जाने देती है। अब अमित उसकी चूचि दबाकर चूसता है और राज पूरा नंगा होकर उसके सामने कारपेट पर बैठ कर उसकी टाँगें अपने कंधे पर रखता है और उसकी बुर चूसने लगता है। रश्मि हाय्य्य्य्य्य्य्यू मरीइइइइइइइइइइइइइ चिल्लाकर मज़े से अपनी गाँड़ उछालकर अपनी बुर उसके मुँह में दबाती है। अमित भी खड़ा होकर पूरा नंगा हो जाता है। उसका लौंडा सामान्य ६ इंच का और थोड़ा मोटा था। रश्मि उसका लौड़ा चूसने लगती है। फिर राज अपने मुँह को और नीचे करके उसकी गाँड़ के छेद पर ले जाता है और उसकी गाँड़ को जीभ से चाटने और चोदने लगता है। रश्मि बेहाल होकर गूँ गूँ करती है और तभी राज खड़े होकर रश्मि को बिस्तर पर आने को कहकर ख़ुद बिस्तर पर लेट जाता है। रश्मि राज के ऊपर आकर उसके होंठ चूमने लगती है और राज उसके चूतरों को दबाकर उसको फैलाता है और गाँड़ में एक ऊँगली डालता है। रश्मि उइओइइइइइओ करती है।

राज: मैं बुर में डालता हूँ तुम गाँड़ में थूक लगा कर डालो।

रश्मि: आऽऽऽह नहीं, मेरे पर्स में क्रीम है प्लीज़ उसको लगाइए, सूखे में दर्द होता है।

अब रश्मि राज के लौंडे को चूसकर गीला करती है और उस पर बैठकर अपनी बुर खोलकर लौड़े को अंदर करती हुई उस पर बैठती चली जाती है। तब तक अमित भी क्रीम लेकर अपने लौड़े पर मलता है और फिर दो ऊँगली में क्रीम लेकर उसकी गाँड़ के अंदर भी डाल देता है। फिर वह ऊपर आकर उसकी गाँड़ में अपना लौड़ा डालता है और दबाते हुए पूरा अंदर कर देता है। तभी उसको राज के लौंडे का भी अंदर ही अंदर अहसास होता है। अब रश्मि उछल कर अपनी बुर और गाँड़ चुदवाने लगती है। उसकी वासना अब अपनी चरम सीमा पर थी और वह उइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽ और जोओओओओओओओर से चोओओओओओओओओदो आऽऽऽऽहहहह फ़ाआऽऽऽऽऽऽड़ दो। हाऽऽऽऽयय्यय कितना मज़ाआऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽऽ है चिल्ला रही थी। पलंग तोड़ चुदाई चालू थी और दोनों मर्द पूरे ज़ोर से उसकी चुदाई में लगे हुए थे। सबकी कमर बुरी तरह से हिल रही थी। कमरे में पलंग भी आवाज़ कर रहा था और वह तीनों भी सिसकारियाँ भर रहे थे। रश्मि की चूचियाँ उछलने से ऊपर नीचे हो रहीं थीं। उनको कभी अमित और कभी राज दबाकर या चूसकर उसकी हालत और ख़राब कर दिए थे। अचानक रश्मि चिल्लाई: उइइइइइइइइ मैं तो गईइइइइइइइइइइ। अब अमित और राज भी अपनी गति बढ़ा दिए और ह्म्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगे। फिर तीनों लेटकर सुस्ताने लगे।

राज रश्मि की चूची दबाते हुए: जान मज़ा आया?

रश्मि: आऽऽऽऽह हाँ बहुत मज़ा आया। सच मुझे पता नहीं था कि थ्रीसम में इतना आनंद आता है।

अमित: सच यार हम दोनों का लौड़ा एक पतली सी दीवार से अलग था और मुझे लग रहा था कि वो आपस में रगड़ भी रहे थे। क्या फ़ीलिंग थी।

रश्मि उठी और उसकी जाँघों में सफ़ेद रस लगा हुआ था। वह फ़्रेश होकर आयी और कपड़े पहनने लगी। अब अमित भी बाथरूम में गया और राज उठकर ब्लाउस और पेटिकोट पहन रही रश्मि के पीछे आया और उसकी चूचियाँ दबाते हुए अपना लौड़ा उसके चूतरों पर रगड़ते हुए बोला: अभी रुको ना एक राउंड और करते हैं।
तभी अमित बाहर आया और बोला: यार देर हो जाएगी वापस भी जाना है। फिर आ जाएँगे हम दोनों।

रश्मि: हाँ इस बार आपके घर आएँगे और फिर हम तीनों दिन भर मस्ती करेंगे। ठीक है?

राज उसके होंठ चूमा और बोला: ठीक है जान जैसे तुम कहो। फिर सबने कपड़े पहने और दूसरे कमरे में पहुँचे और तभी जय और डॉली भी आ गए। फिर सबको उठाया गया और सब झूमते हुए कार में आकर बैठे और रश्मि अपने परिवार के साथ वापस चली गयी और राज पंडित को सहारा देकर कार के पीछे बैठा और राकेश और जय सामने बैठे। जय कार चलाते हुए बातें कर रहा था और राज फिर से अधलेटि पंडित की जाँघ सहलाने लगा और उसकी बुर में पैंटी को साइड करके ऊँगली फेरने लगा। वह फिर से गीली हो गयी और आऽऽझ की आवाज़ निकालने ही वाली थी कि उसके मुँह में हाथ रखकर उसकी आवाज़ को रोकने में सफल हो गया। वह उसकी चूचि दबाकर उसकी बुर में ऊँगली करके उसको दस मिनट में फिर से झाड़ दिया। वह नींद में लग रही थी। अब राज ने अपने जेब से अपना विज़िटिंग कार्ड निकाला और उसके पर्स में डाल दिया।

जब उनका घर आया तो दोनों भाई बहन उतरे तब पंडित मुस्कुरा कर बोली: अंकल थैंक्स । फिर वह गाँड़ मटकाते हुए चली गयी। राज को समझ नहीं आया कि क्या वो होश में थी और मज़े से उसे सब कुछ करने दे रही थी। राज सोचने लगा कि मेरा नम्बर तो मैंने उसे दे ही दिया गई अगर चुदवाना होगा तो साली फ़ोन करेगी। अब वह अपना लौड़ा मसल कर उसकी छोटी मगर टाइट चूचियों का सोचने लगा। तभी घर आ गया।

राज घर में जय से बोला: सगाई ठीक से हो गई ना?

जय: जी पापा, सब बड़े ख़ुश थे। आपने दारू का चक्कर क्यों चलाया?

राज: अरे मेरे इकलौते बेटे की सगाई थी कोई कमी थोड़ी करनी थी। ये बताओ डॉली और तुम्हारे में क्या रहा?

जय: पापा आप भी ना, बस सब नोर्मल था और हम एक दूसरे को समझने की कोशिश कर रहे थे।

राज: शाबाश बेटा जितना एक दूसरे को समझोगे उतनी ही शादी सफल होगी।

जय: जी पापा अब सोया जाए। गुड नाइट कहकर वो चला गया।

राज भी अपना लौड़ा दबाकर पंडित की कुँवारी जवानी का सोचकर सो गया।

पर जय की आँखों में नींद कहाँ थी। आज का दिन उसके लिए बहुत ख़ास था। वह याद करने लगा कि आज क्या क्या हुआ। नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी।
जय को नींद नहीं आ रही थी, उसकी आँखों के सामने डॉली का चेहरा और उसका कसा हुआ बदन आ रहा था । दरअसल में जय एक शरीफ़ लड़का था और उसने कभी भी किसी लड़की के साथ प्यार या सेक्स नहीं किया था। आज जब उसके पापा सगाई के बाद उसे डॉली को घुमाने को बोले, तो वह थोड़ा नर्वस सा हो गया था। पर डॉली के सरल स्वभाव ने उसे जल्दी ही सामान्य कर दिया। वह डॉली को कार से एक पार्क में ले गया , जहाँ उनके जैसे ही और जोड़े भी थे।

पार्क में वो दोनों एक अलग सी बेंच पर बैठे और बातें करने लगे। डॉली उसे अपने भाई अपनी माँ और अपने स्वर्गीय पापा के बारे में बताने लगी। फिर वह अपनी पढ़ाई और अपने दोस्तों के बारे में बताई ।

तभी जय ने उसको टोका: क्या तुम्हारा कोई बॉय फ़्रेंड भी था?

डॉली: नहीं कभी नहीं, इस बारे में शुरू से ही पक्के इरादे की थी कि मैं उसी से प्यार करूँगी जिससे मेरी शादी होगी। आपकी कोई गर्ल फ़्रेंड है?
जय: मैं भी तुम्हारी तरह सोचता हूँ। अब तुम ही मेरी गर्ल फ़्रेंड होगी। इस पर दोनों हँसने लगे। वह बोला: डॉली जब तुम हँसती हो तो बड़ी प्यारी लगती हो।

डॉली: इसका मतलब वैसे प्यारी नहीं लगती?

जय: अरे नहीं, मेरा ये मतलब नहीं था। वो दोनों फिर से हँसने लगे। तभी अचानक थोड़ी हवा चलने लगी और मौसम ख़राब होने लगा। शाम का समय था और पार्क में काफ़ी रौशनी थी। हवा चलने से डॉली का पल्लू उड़ा और नीचे को गिर गया। जय की आँखें उसके कसे हुए ब्लाउस पर गयीं और वह थोड़ा सा उत्तेजित महसूस करने लगा। अब डॉली ने अपना पल्लू ठीक किया। तभी हल्की सी बारिश होने लगी। वो दोनों भाग कर थ्रीडी दूर पर एक पेड़ के नीचे आ गए। अब पार्क ख़ाली सा हो गया था। जय ने डॉली का हाथ पकड़ा और कहा: देखो मौसम भी आशिक़ाना हो रहा है।

डॉली: सर्दी लग गयी तो छींकते रहना। तभी जय ने उसको अपने पास खिंचा और बोला: लगने दो सर्दी, तुम इलाज कर देना। डॉली भी उसकी छाती पर सिर रख कर बोली: अब तो सर्दी लग ही नहीं रही।

जय उसकी पीठ सहलाकर बोला: अब तुम्हारे बदन की गरमी जो महसूस हो रही है।

डॉली हँसकर: धत्त ऐसा क्यों बोले?

इसी तरह वो दोनों छोटी छोटी मीठी सी बातें कर रहे थे तभी उनको कुछ आवाज़ सुनाई पड़ी जो कुछ दूरी पर एक पेड़ के पास से आ रही थी। वो समझ गए की उस पेड़ के पीछे भी उनकी तरह एक जोड़ा है। जिस पेड़ के नीचे ये दोनों खड़े थे उसने एक बड़ी शाखा V के आकर की थी और और उसके पीछे से वो दूसरे पेड़ को देख पा रहे थे। ये कुछ अंधेरे में थे , इसलिए दूसरा जोड़ा इनको अब तक नहीं देख पा रहा था।

अब जय ने उस V के गैप से झाँका और सन्न रह गया। वहाँ एक क़रीब उसकी उम्र का ही एक नौजवान एक जवान लड़की का कुर्ता उठाकर उसकी ब्रा में से उसके गोल गोल संतरों को दबाकर चूस रहा था।
लड़की भी उसके सिर को अपनी छाती पर दबाए जा रही थी।

डॉली : क्या देख रहे हो?

जय ने उसे चुप रहने का इशारा किया और देखने को बोला: अब डॉली भी देखी और बुरी तरह से चौक गयी। उसने जय को देखा जिसकी आँखें वहीं चिपकी हुई थीं। वो भी देखने लगी। अब वह लड़का नीचे बैठा और उसने उसकी सलवार खोल दी। अब वह पैंटी को नीचे किया और उसकी बुर में अपना मुँह घुसेड़ दिया। अब लड़की की हल्की सी सिसकारियाँ सुनाई पड़ने लगी।
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RE: बहू की चूत ससुर का लौडा - by Pagol premi - 08-01-2021, 10:10 PM



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