08-01-2021, 09:46 PM
साधना: क्यों तड़पा रहे हो चोदो ना अब उसको। देखो कैसी मरी जा रही है ये चुदवाने के लिए ।
मैंने मुस्कुराते हुए अपना लौड़ा उसकी गीली बुर में पेलना शुरू किया और टाइट जवान बुर मुँह खोलकर मेरा लौड़ा गपकते चली गयी। आऽऽहहह क्या ज़बरदस्त अनुभव था । उसकी बुर पूरे तरह से मेरे लौड़े को अपनी ग्रिप में जकड़ ली और मुझे बरसों के बाद बहुत मज़ा आया। अब मैंने चोदना शुरू किया। पहले धीरे धीरे से उसके होंठ और चूचि चूसते हुए और जल्दी ही ज़ोर से पिलाई करने लगा। वह पागलों की तरह चिल्ला कर आऽऽऽहहह हाय्य्यय और उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ कहकर अपनी गाँड़ उठाकर चुदवा रही थी।साधना उसके सिर के पास बैठ कर उसकी छाती सहला रही थी।
अचानक मुझे लगा की वह मुझसे बुरी तरह चिपक रही है और चिल्लाई : उओइइइइओओओओ हाऽऽऽऽऽऽय्य। मुझे लगा कि वह झड़ रही है। पर मैं रुका नहीं और चुदाई चालू रखा। अब मैं भी झड़ने वाला था पर मैं रुका और उसके होंठ चूसते हुए उसकी चूतरों को दबाने लगा। और बोला: बुलबुल मज़ा आ रहा है।
बुलबुल: आऽऽऽह बहुत मजाऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहा है। मैं तो एक बार झड़ भी गयी। अब दूसरी बार झड़ूँगी । आऽऽह आप चोदते रहिए। हाय्ययय क्या मस्त चोदते हैं आऽऽप। आऽऽऽहह।
मैं अब ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा। मैंने उसकी टाँगें उठाकर उसकी छाती पर रख दी और पूरी ताक़त से धक्के मारने लगा। पूरा पलंग हिल रहा था और फ़च फ़च के साथ ही हाय्य्य्य्यय मरीइइइइइइइइ की आवाज़ें गूँज रही थीं।
साधना: थोड़ा धीरे से चोदो ना । क्या लड़की की फाड़ ही डालोगे।
बुलबुल: आऽऽऽऽऽह माँ चोदने दो ऐसे है , हाय्य्य्य्य क्या मजाऽऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाऽऽऽऽऽ है माँआऽऽऽऽऽऽ। सच ऐसे मैं कभी भी नहीं चुदीं। हूँ। उइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ । ये कहकर वो अपनी गाँड़ उठा के मेरे धक्कों का जवाब देने लगी। अब मैंने भी उसके दोनों चूतरों को एक एक हाथ में लिया और ज़बरदस्त धक्के मारने लगा। साधना अब उसके निप्पल्स दबाने लगी
मेरी एक ऊँगली उसकी गाँड़ के छेद को सहलाती हुई कब उसके छेद में घुस गयी मुझे भी पता नहीं चला। वह अब आऽऽऽहहह कर उठी। शायद उसका यह पहला अनुभव था गाँड़ में ऊँगली करवाने का ।
चुदाई अपने पूरे शबाब पर थी और साधना की साँसे फिर से फूलने लगी थी हमारी चुदाई देखकर। वह अब अपनी बुर में दो ऊँगली डालके मज़े ले रही थी। बुलबुल की मस्ती से भरी चीख़ें जैसे रुकने का नाम ही नहीं के रही थी। फिर अचानक वह चिल्लाई: आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह मैं गइइइइइओओइओओओ । अब मैं भी झड़ने लगा। मैंने उसकी बुर के अंदर उसकी बच्चेदानी के मुँह पर ही अपना वीर्य छोड़ना शुरू किया। पता नहीं कितनी देर तक हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए अपने अपने ऑर्गैज़म का आनंद लेते रहे। साधना बोली: अब उठो भी क्या ऐसे ही चिपके पड़े रहोगे?
मैं धीरे से उसके ऊपर से उठा और उसके बग़ल में लेट गया और बोला: आऽऽहहह आज बहुत दिन बाद असली चुदाई का मज़ा आया। साधना , बुलबुल तो बनी ही है चुदवाने के लिए। तुम इसे कहाँ छुपा कर रखी थी।
बुलबुल मेरे नरम लौड़े से खेलते हुए बोली: मुझे क्यों ऐतराज़ होगा। उनका बेटा पहले है , मेरा पति तो बाद में बना है।
साधना उलझन के साथ बोली: बुलबुल क्या तुम भी यही चाहती हो?
बुलबुल: माँ आज की चुदाई के बाद तो मुझे ऐसी चुदाई की ज़रूरत पड़ेगी ही। अब वो आपका बेटा करे तो ठीक नहीं तो अंकल तो हैं ही मेरे लिए। क्यों अंकल आप मुझे ऐसे ही चोदेंगे ना हमेशा? वो मुझसे चिपकते हुए और मेरी छाती को चूमते हुए बोली। उसका हाथ अभी भी मेरे लौड़े को सहला रहा था।
साधना को सोच में देखकर मैं बोला: साधना, ज़्यादा सोचो मत । तुम दोनों उसको अच्छी तरह से सिखा दो और फिर मज़े लो घर के घर में।
साधना: हाँ लगता है आप ठीक ही कह रहे हो। अब बच्चा होने के बाद बुलबुल आपसे हमेशा तो चुदवा नहीं सकती ना।
बुलबुल: अंकल आपका फिर से खड़ा हो रहा है।
मैं: चलो चूसो इसको। साधना तुम भी आओ और दोनों मिलके चूसो। वह दोनों मिलकर मेरे लौड़े और बॉल्ज़ को चूसने लगीं और मैं आनंद से भर उठा। आऽऽह क्या दृश्य था सास और बहू दोनों मेरे को अद्भुत मज़ा दे रहीं थीं। फिर मैंने साधना को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी ज़बरदस्त चुदाई की , उसकी लटकी हुई चूचियाँ अब बुलबुल दबा रही थी। साधना उइइइइइइइइ आऽऽऽऽऽहहह उन्ह्ह्ह्ह्ह करके जल्दी ही झड़ गयी। अब मैंने बुलबुल को घोड़ी बनाया और उसकी भूरि गाँड़ के छेद को देखकर वहाँ जीभ डालके उसे चाटने लगा।वह आऽऽऽह कर उठी। फिर मैंने उसकी बुर में लौड़ा पेला और उसकी गाँड़ में दो ऊँगली डालके उसे ज़बरदस्त तरीक़े से चोदने लगा। क़रीब २० मिनट की घिसाई के बाद हम दोनों झड़ गए।
बाद में साधना अपने कपड़े पहनते हुए बोली: मुझे तो लागत है कि बुलबुल को आज ही गर्भ ठहर गया होगा। आप ऐसी चुदाई किए हो आज कि मैं भी हिल गयी।
बुलबुल मुझसे लिपट कर बोली: थैंक यू अंकल ।
इतना मज़ा दिया और अगर माँ भी बन गयी तो सोने पे सुहागा हो जाएगा।
मैं: अगर का क्या मतलब बेटा, माँ तो बनोगी ही। देखना भगवान ने चाहा तो इस महीने तुम्हारा पिरीयड आएगा ही नहीं।
साधना मेरे लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाके बोली: सब इसका कमाल है । आह क्या मस्ताना हथियार है आपका।
हम तीनों हँसने लगे। फिर अगले दिन मिलने का कहकर वो चली गयीं।
शशी ने लौंडे को चूसते हुए पूछा : फिर क्या हुआ ?
मैं: बस इसी तरह चूदाई चलती रही और उसका अगले महीने पिरीयड नहीं आया। फिर दो तीन महीने बाद वह चुदवाना बंद कर दी। बाद में साधना बताई कि वह भी अपने बेटे से ही चुदावाने लगी थी, और अब बुलबुल और वह दोनों उससे ही अपनी बुर की प्यास बुझवाते थे। समय पर उसके एक बेटा हुआ और वो मुझे उसे दिखाने मेरी दुकान पर आयीं। बहुत सुंदर और प्यारा लड़का था । बस इसके बाद कभी कभी वो दुकान पर आतीं हैं तो मुलाक़ात हो जाती है ,वरना वह अपने घर ख़ुश और मैं अपने घर ख़ुश ।
यही कहानी है बुलबुल के माँ बनने की, अब तुम्हारी बारी है , तुम भी इसी महीने गर्भ से हो जाओगी, देखना?
फिर मैंने उसका सिर अपने लौंडे से हटाया और उसको लिटाकर उसकी ज़बरदस्त चूदाई की। अपना वीर्य मैंने उसकी बच्चेदानी के मुँह पर ही छोड़ा ताकि वो भी जल्दी से माँ बन जाए।
शशी को चोदने के बाद राज जैसे बाथरूम से बाहर आया उसका फ़ोन बजा। रश्मि थी वो बोली: नमस्ते भाई साब , कैसे हैं?
राज: नमस्ते भाभी जी बढ़िया हूँ। आपको मिस कर रहा हूँ। आप और डॉली बिटिया की बड़ी याद आ रही थी।
रश्मि: मैंने कूरीयर से डॉली की कुंडली भेज दी है। आप पंडित जी से मिलवा लीजिएगा।
राज: अरे अब उन दोनों के दिल मिल गए हैं कुंडली भी मिल ही जाएगी। और शादी के बाद वैसे भी बाक़ी सब का भी मिलन हो ही जाएगा। यह कहते हुए वह कमिनी हँसी हँसा।
रश्मि: भाई सांब आप भी क्या क्या बोलते हैं । सगाई की कोई तारीख़ का सोचा आपने?
राज: अरे आप कल आ जाइए ना फिर हम दोनों पंडित से कुंडली भी मिलवा लेंगे और सगाई की तारीख़ भी तय कर लेंगे। और फिर हम अपनी भी दोस्ती और पक्की कर लेंगे। वह फिर से फूहड़ सी हँसी हँसा। रश्मि को उसके इरादों में गड़बड़ी दिखाई दी पर वह क्या कर सकती थी।
राज भी बाई करके फ़ोन काटा और अपने लौड़े को सहलाते हुए सोचा कि साली क्या माल है, मज़े तो लूँगा ही।
शशी जो उसे ध्यान से देख रही थी बोली: आप समधन को ठोकने का प्लान बना रहे हैं। है ना?
राज: साली मस्त माल है और अपने जेठ से ठुकवा रही है। मैं भी लाइन लगा लिया हूँ। यह कहते हुए वह हँसने लगा।
रात को जय से बात हुई तो वह बोला: आज मेरी डॉली से बात हुई । वह बहुत संस्कारी लड़की है।
राज : हाँ बहुत प्यारी लड़की है। उसकी माँ एक दो दिन में आएगी और हम पंडित से मिलेंगे तुम्हारी सगाई की तारीख़ के लिए।
जय: ठीक है पापा अब मैं सोता हूँ।
राज हँसते हुए: क्या डॉली से रात भर बात करनी है?
जय: नहीं पापा वो ऐसे ही, हाँ उसको गुड नाइट तो करूँगा ही। फिर वह हँसते हुए अपने कमरे में चला गया। उसके जाने के बाद वह भी सो गया । अगले दिन रश्मि का फ़ोन आया : नमस्ते भाई सांब ।
राज: नमस्ते जी। क्या प्लान बनाया है आपने?
रश्मि: जी कल आऊँगी और पंडित जी से सगाई की बात भी कर लेंगे।
राज: कौन कौन आएँगे?
रश्मि: मैं और जेठ जी आएँगे।
राज : चलिए बढ़िया है आइए और कल ही प्लान फ़ाइनल करते हैं। बस एक रिक्वेस्ट है?
रश्मि: कहिए ना , आप आदेश दीजिए। रिक्वेस्ट क्यों कर रहे हैं?
राज: आप गुलाबी साड़ी पहन कर आइएगा। आप पर बहुत जँचेगी।
रश्मि: ओह,आप भी ना, ये कैसी फ़रमाइश है भला? देखती हूँ , मेरे पास है कि नहीं। बाई।
राज भी अपना लौड़ा दबाते हुए सोचा कि क्या मस्त लगेगी वह गुलाबी साड़ी में।
राज सोचने लगा कि ये तो जेठ के साथ आ रही है । उसकी बात कैसे बनेगी? वह बहुत सावधानी से धीरेधीरे आगे बढ़ना चाहता था। उसने सोचा चलो देखा जाएगा।
राज ने जय को बताया कि कल उसकी होने वाली सास आ रही है। जय मुस्कुरा कर दुकान चला गया और शशी राज की खिंचाई करने लगी, रश्मि को लेकर। राज ने उस दिन शशी की ज़बरदस्त चुदाई की उसको रश्मि का सोचकर।
शशी की ज़बरदस्त चुदाई
अगले दिन जय के जाने के बाद अमित और रश्मि आए। राज ने रश्मि को देखा और देखता ही रह गया । वह गुलाबी साड़ी में मस्त क़ातिल माल लग रही थी। अमित भी जींस और शर्ट में काफ़ी स्मार्ट लग रहा था। उसकी और राज की उम्र में कोई ज़्यादा अंतर नहीं था। हाँ रश्मि उनसे छोटी थी करीब ४५ की तो वो भी थी।
साड़ी उसने नाभि दर्शना ही पहनी थी और ब्लाउस भी छोटा सा था और पीछे से पीठ भी करीब पूरी नंगी ही थी। ब्लाउस में से उसके कसे स्तन देखकर राज के लौड़े ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया था। उससे तेज़ सेण्ट की ख़ुशबू भी आ रही थी।
राज: आप लोग कैसे आए?
अमित: बस से आए। अब सब बैठ गए।
राज ने शशी को आवाज़ दी और वह पानी लाई
राज ने देखा कि अमित शशी के ब्लाउस के अंदर झाँकने की कोशिश कर रहा था। वह समझ गया कि ये भी उसके जैसे ही कमीना है। वह मन ही मन मुस्कुराया।
रश्मि: भाई सांब , पंडित जी से बात हुई क्या?
राज: हाँ हुई है ना। अभी चाय पीकर वहाँ जाएँगे।
फिर सब चाय पीने लगे। इधर उधर की बातें भी होने लगी।
अमित: बस से आए। अब सब बैठ गए।
राज ने शशी को आवाज़ दी और वह पानी लाई।
राज ने देखा कि अमित शशी के ब्लाउस के अंदर झाँकने की कोशिश कर रहा था। वह समझ गया कि ये भी उसके जैसे ही कमीना है। वह मन ही मन मुस्कुराया।
रश्मि: भाई सांब , पंडित जी से बात हुई क्या?
राज: हाँ हुई है ना। अभी चाय पीकर वहाँ जाएँगे।
फिर सब चाय पीने लगे। इधर उधर की बातें भी होने लगी।
पंडित को राज ने एक दिन पहले ही सेट किया था। देखना था कि पंडित कितना मेनेज कर पाता है रश्मि को।
कार पंडित के घर के पास रुकी और रश्मि अपना पल्लू ठीक करते हुए कार से उतरी और उसके बड़े दूध राज को मस्त कर गए। पंडित की उम्र क़रीब ६५ साल की थी। उसके घर में बैठने के बाद राज ने कुंडलियाँ देखीं और थोड़ी देर में ही गुँण मिलने की घोषणा कर दिया। अब अमित और राज एक दूसरे को बधाई देने लगे। रश्मि ने भी बधाई दी।
अब राज रश्मि को बोला: भाभी जी , ये बहुत पहुँचे हुए ज्ञानी पंडित जी हैं। आप अपना हाथ इसे दिलाइए। बहुत सटीक भविष्य वाणी करते हैं।
रश्मि बहुत उत्सुकता से अपना हाथ उनको दिखाई।
पंडित ने उसका हाथ देखा और बोला: मैं आपको अकेले में बताऊँगा । आप दोनों थोड़ा बाहर जाइए।
राज और अमित बाहर आ गए।
पंडित उसके मुलायम हाथ को सहला कर बोला: देखो बेटी, मैंने तुम्हारे हाथ को रेखाओं में कुछ अजीब चीज़ देखी है, इसीलिए तुमको बता रहा हूँ।
रश्मि: क्या हुआ पंडितजी ? कुछ गड़बड़ है क्या?
पंडित: अरे नहीं बेटी, अब तुम बिना पति के अपनी बिटिया की शादी करने जा रही हो ना? तो तुम बहुत ख़ुश क़िस्मत हो कि तुमने बहुत अच्छा परिवार मिला है रिश्ते के लिए।
रश्मि ख़ुश होकर: जी पंडित जी , आप सही कह रहे हैं।
पंडित: एक बात और ये रेखा बता रही है कि तुम्हें अब एक नया प्रेमी मिलने वाला है जो तुमको बहुत प्यार करेगा।
रश्मि चौंक कर बोली: छि पंडित जी , ये क्या कह रहे हैं? भला इस उम्र में मुझे ये सब करना शोभा देता है क्या? ये नहीं हो सकता।
पंडित: बेटी, मैं तो वही बताऊँगा जो कि रेखाएँ दर्शा रही है। तुम्हारे जीवन में अब कोई पुरुष आने वाला है जो कि तुम्हें बहुत प्यार करेगा ।
रश्मि: आपने तो मुझे उलझन में डाल दिया। अच्छा सगाई की तारीख़ कब की निकली?
पंडित: अगले महीने की दस को।
रश्मि ने पंडित के पैर छुए और उसे दक्षिणा दी। पंडित मन ही मन मुस्कुराया और सोचा किउसने राज का काम शायद सही तरीक़े से कर दिया है।
रश्मि बाहर आइ और बोली: चलिए सगाई की तारीख़ अगले महीने की १० को निकली है।
अमित: पंडित ने तुमको अकेले में क्या बताया?
राज ने ध्यान से देखा कि उसके गाल शर्म से लाल हो गए थे। वह बोली: बस ऐसे ही कुछ डॉली और जय के बारे में बता रहे थे। कुछ ख़ास बात नहीं है। चलिए अब ।
राज ने देखा किपंडित ने अपना काम ठीक से कर दिया है। अब उसका काम है दाना डालने का। वो कमिनी मुस्कान लाकर सोचा कि अब इसे पटाना है।
मुझे नाम से ही बुलाइए
राज : चलो कहीं कॉफ़ी हाउस में कॉफ़ी पीते हैं।
फिर वो सब एक कॉफ़ी हाउस पहुँचे।
बहुत सही जा रहे हो डिअर…
अपडेट बड़े नहीं ले रहा तो कोई बात नहीं… आप छोटे छोटे अपडेट डालते रहो…’मज़ा आ रहा हँ…
इस वक़्त जब कोई भी लेखक बहे अपडेट नहीं डाल प् रहा होगा तो आपके छोटे छोटे अपडेट सभी पाठकगण
बड़े चाव से पड़ेंगे… यानि मामला टी आर पि का हँ बॉस….
जितने ज्यादा अपडेट उतनी थी ज्यादा व्यूज मिलेगी…
बेस्ट ऑफ़ लक…
कॉफ़ी हाउस में अमित और राज रश्मि के आजु बाजु बैठे। इन्होंने एक कैबिन लिया था ।
राज: भाभी जी क्या लेंगीं?
रश्मि: आप मुझे भाभीजी मत कहिए , मैं तो आपसे छोटी हूँ। आप मुझे नाम से ही बुलाइए।
राज: अच्छा रश्मि क्या लोगी कॉफ़ी के साथ?
रश्मि: मुझे तो सिर्फ़ कॉफ़ी पीनी है।
तभी अमित का फ़ोन बजा और वह बाहर चला गया कहकर कि एक मिनट में आया।
राज : आप कुछ खाती नहीं क्योंकि आपको अपना फिगर बनाए रखना है ना ?
रश्मि: काहे का फ़िगर ? कितनी मोटी तो हूँ मैं?
राज: तुम और मोटी? तुम्हारा फ़िगर तो किसी को भी पागल कर दे रश्मि। सच कहता हूँ कि तुममें जो बात है ना वह मुश्किल से किसी में मिलती है। मैं बताऊँ मुझे तो तुम्हारी जैसी भरी हुई औरतें ही अच्छी लगती हैं । मेरी वाइफ़ का भी फ़िगर बिलकुल तुम्हारे जैसे ही था । मस्त भरा हुआ बदन।
ये सब उसने उसकी चूचि को घूरते हुए कहा।
रश्मि की हालत काफ़ी ख़राब हो रही थी, इस तरह की तारीफ़ सुनकर। आख़िर तो वह भी एक औरत ही थी, जिसे अपने रूप का बखान अच्छा लगता है।
रश्मि: क्या भाई सांब आप तो मेरे पीछे ही पड़ गए।
राज ने हिम्मत की और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोला: रश्मि सच में तुम्हें देखकर मुझे अपनी स्वर्गीय बीवी की याद आती है । वह भी बिलकुल तुम्हारी जैसी प्यारी थी।
ये कहते हुए उसने अपने आँसू पोछने की ऐक्टिंग की ।
रश्मि भावुक हो गयी और बोली: आप बहुत अच्छे हैं, भाई सांब । कई लोग तो बीवी के जाते ही नयी शादी कर लेते हैं । आपने ऐसा नहीं किया।
राज: अगर तुम जैसी कोई मिल जाती तो मैं वो भी कर लेता।
रश्मि: क्या भाई सांब आप भी कुछ भी बोल देते हैं?
राज : मैं तो दिल की बात कर रहा हूँ। वैसे एक विचार आया है, क्यों ना हम दोनों भी उसी मंडप में शादी कर लें जिसने जय और डॉली की शादी होगी? क्या कहती हो?
उसने रश्मि का हाथ सहलाते हुए कहा।
रश्मि हंस दी: आप भी ना , कोई ऐसा मज़ाक़ भी करता है?
राज: रश्मि, जब तुम हँसती हो तो और भी सेक्सी लगती हो।
रश्मि: छी ये क्या बोल रहे हैं। राज ने देखा कि वह अपना हाथ उसके हाथ से छुड़ाने का कोई प्रयास नहीं कर रही थी ।
रश्मि सोचने लगी किक्या पंडित जी ने राज के बारे में ही कहा था कि उसके ज़िंदगी में प्यार आएगा।
तभी अमित अंदर आया और अपनी कुर्सी ओर बैठ गया। रश्मि ने अपना हाथ राज के हाथ से छुड़ा लिया था। अमित के बैठने के बाद राज ने रश्मि का हाथ टेबल के नीचे से फिर पकड़ लिया था। रश्मि ने भी मना नहीं किया। अब वह उसकी नरम और गुदाज कलाई को सहलाए जा रहा था। तभी राज की नज़र अमित के पीछे रखे आइने पर पड़ी और वह चौक गया। अमित ने भी उसकी एक कलाई को अपने हाथ में लेकर सहलाना शुरू कर दिया था।
बेचारी रश्मि दो दो मर्दों के हाथों में अपना हाथ दे रखी थी। तभी कोफ़्फ़ी आयी और रश्मि ने बेज़ारगी से राज को देखा और उसने उसका हाथ छोड़ दिया।
राज ने देखा की अमित अब भी उसकी कलाई सहला रहा था ।फिर वो उसकी जाँघ भी सहलाने लगा ।
राज ने भी हिम्मत की और अपना एक हाथ उसके घुटने पर रख दिया। रश्मि चौक कर उसकी ओर देखी। पर कुछ नहीं बोली।
फिर जब अमित का हाथ उसकी जाँघ पर ज़्यादा ही ऊपर की ओर आ गया तब वह अमित से बोली: भाई सांब , आपकी कुर्सी पीछे करिए ना मुझसे टकरा रही है। अमित समझ गया कि वह कुर्सी के बहाने उसे जाँघ से हाथ हटाने को कह रही है। उसने हाथ भी हटा लिया और कुर्सी भी खिसका ली।
राज ने आइने में सब देखा और फिर अपना हाथ धीरे से उसकी जाँघ पर फेरने लगा , रश्मि ने उसकी तरफ़ देखा पर वह चुपचाप उसकी जाँघ सहलाता रहा। अब रश्मि के चुप रहने से उसकी हिम्मत भी बढ़ी और वह जाँघ को हल्के से दबाने भी लगा। रश्मि की बुर में हलचल होने लगी।
अमित तो उसको चोदते ही रहता था पर राज का स्पर्श नया था और पंडित भी बोला था कि नया प्रेमी मिलेगा। तभी राज ने अपना चम्मच नीचे गिरा दिया और उसको उठाने के बहाने रश्मि की साड़ी को भी थोड़ा सा उठा दिया और उसकी पिंडलियां सहलाने लगा। नरम नरम भरी हुई पिंडली और घुटना मस्त लगा उसको।
रश्मि भी उसकी हिम्मत की दाद देने लगी। उसने अपना हाथ राज के हाथ पर रखा और उसे हटाने को इशारा किया। पर राज की तो हिम्मत जैसे और बढ़ गयी। वो उसकी साड़ी को और उठाके उसकी नरम गुदाज जाँघ सहलाने लगा। रश्मि की आह निकल गयी। अमित ने पूछा क्या हुआ?
रश्मि: कुछ नहीं मुँह जल गया थोड़ी ज़्यादा गरम है कोफ़्फ़ी ।
तभी राज का हाथ उसकी जाँघ में और आगे बढ़ता हुआ उसकी पैंटी से थोड़ा ही दूर था । तभी वेटर बिल ले आया और उसने अपना हाथ बाहर निकाल लिया और अपनी उँगलियाँ चाट लिया। रश्मि उसके इशारों को समझ गयी और उसका चेहरा लाल हो चुका था । उसकी बुर पैंटी को गीला करने लगी थी । फिर वो कोफ़्फ़ी हाउस से बाहर आए।
राज बाहर आते हुए बोला: चलिए आपको दुकान दिखाया जाए और जय से भी मिल लेना।
मस्त नरम कमर है तुम्हारी
रश्मि: हाँ हाँ मुझे दामाद से तो मिलना ही है चलिए। कोफ़्फ़ी हाउस बाहर आते आते राज ने उसकी नंगी कमर को हल्के से छुआ और वो सिहर उठी। राज धीरे से उसके पीछे चलते हुए बोला: मस्त नरम कमर है तुम्हारी।
रश्मि: आप अब बच्चों जैसी हरकत बन्द करिए आपको शोभा नहीं देती ।
अमित आगे चल रहा था अब राज ने उसके चूतड़पर भी हल्के से हाथ फेरा। वह मुड़कर उससे बोली: क्या कर रहे हैं। कोई देख लेगा।
राज: सॉरी । और फिर वो कार में बैठकर दुकान की ओर चल पड़े।
दुकान में जय ने उनका स्वागत किया और उसने अमित और रश्मि के पैर छुए। रश्मि ने उसे आशीर्वाद दिया और प्यार से उसका माथा चूमा। ऐसा करते हुए उसकी बड़ी चूचियाँ जय की ठुड्डी को छू गयीं और राज को जय से जलन होने लगी।
जय उन दोनों को बड़े उत्साह से दुकान दिखा रहा था। और राज की नज़र अपनी समधन के बदन से हट ही नहीं रही थी। फिर अमित जय के साथ men सेक्शन में कपड़े देखने लगा और राज रश्मि को बोला: चलो मैं तुम्हें कुछ ख़ास साड़ियाँ दिखाता हूँ। वह उसे लेकर साड़ी के काउंटर में पहुँचा और उसको कई शानदार साड़ियाँ दिखाकर बोला: ये सब तुमको बहुत अच्छी लगेंगी। अपने ऊपर लपेट कर देखो।
रश्मि उदास होकर बोली: भाई सांब, अभी तो मुझे डॉली के लिए कपड़े लेने है और शादी में बहुत ख़र्च होगा इसलिए मैं अपने लिए तो अभी कुछ नहीं खरिदूँगी।
राज: अरे तुमसे पैसे भला कौन माँग रहा है। तुम बस साड़ी पसंद करो मेरी ओर से गिफ़्ट समझना।
रश्मि: नहीं नहीं मैं आपसे कैसे गिफ़्ट ले सकती हूँ? हम तो लड़की वाले हैं।
राज: अगर डॉली के पापा होते तो तुम्हारी बात सही होती पर अभी इसका कोई मतलब नहीं है। ठीक है? मैं चाहता हूँ कि ये गिफ़्ट तुम मेरी प्रेमिका बन कर लो।
रश्मि हैरानी से बोली: ये आप क्या बोल रहे हैं? मैं कैसे आपकी प्रेमिका हो सकती हूँ भला?
राज: क्यों मर्द और औरत ही तो प्रेम करते हैं । तो हम क्यों नहीं कर सकते?
रश्मि उठकर जाने लगी तब राज बोला: तुम्हें मेरी क़सम है अगर तुम बिना साड़ी लिए गई तो ।
रश्मि फिर से बैठ गयी और बोली; सब पूछेंगे तो मैं क्या बोलूँगी कि गिफ़्ट क्यों ली?
राज ने जेब से ५४००/ निकाले और उसको देकर बोला: कहना कि तुमने साड़ी अपने बचाए हुए पैसों से ख़रीदी है।
वो चुपचाप पैसे रख ली और फिर २ साड़ियाँ ली एक अपने लिए और एक डॉली के लिए।
अपनी साड़ी उसने राज की पसंद की ही ली थी। राज ने उसे साड़ी के ऊपर ही साड़ी पहनने में मदद भी की और इस बहाने उसके गुदाज बदन का भी मज़ा लिया। उसके हाथ एक बार उसकी चूचि पर भी पड़े और दोनों सिहर उठे।
काउंटर पर पैसे देने के समय राज बोला: क्यों जय अपनी सास और बीवी की साड़ियों के पैसे लेगा
जय ने पैसे नहीं लिए और साड़ियाँ पैक करके रश्मि को दे दीं।
रश्मि धीरे से बोली: और वो पैसे जो आपने मुझे दिए उनका क्या?
राज: मेरी तरफ़ से कुछ अच्छी सी झूमके ले लेना। तुम पर बहुत सजेंगे।
रश्मि मुस्कुराती हुए बोली: शादी मेरी नहीं मेरी बेटी की हो रही है।
राज अब ख़ुश था उसको पता चल गया था कि उसे पैसों की ज़रूरत है और वह रश्मि को पटाने में क़रीब क़रीब सफल होने जा रहा था।
समधन को कहाँ छोड़ आए
अमित बोला: अब चलते हैं, आप हमें बस स्टॉप पर छोड़ दो।
राज : खाना खा कर जाना अभी इतनी जल्दी क्या है।
रश्मि: नहीं अभी जाना होगा। अब सगाई की तैयारी भी तो करनी है।
राज उनको बस स्टॉप तक ले गया। जब अमित टिकट लेने गया तब राज ने रश्मि का हाथ पकड़ लिया और बोला: रश्मि मुझे तुमसे प्यार हो गया है। तुम चाहो तो मैं तुमसे शादी करने को तैयार हूँ।
रश्मि: काश आप मुझे पहले मिले होते तो मैं आपसे शादी कर लेती पर अब तो बहुत देर हो चुकी है।
राज: तो क्या हमारा प्यार ऐसे ही दम तोड़ देगा। कमसे कम कुछ समय तो हमें एकांत में आपस में बातें करते हुए बिताना चाहिए।
रश्मि: मैं भी आपसे मिलना चाहती हूँ, पर देखिए भाग्य को क्या मंज़ूर है।
राज: हम चाहें तो हम ज़रूर मिल सकते हैं। मैं तुम्हें फ़ोन करूँगा ठीक है?
रश्मि: फ़ोन नहीं SMS करिएगा।
फिर अमित को आते देख राज ने रश्मि के हाथ को एक बार और दबाया और फिर उसका हाथ छोड़ दिया।
अब अमित बस में चढ़ गया पर साड़ी के कारण रश्मि को चढ़ने में थोड़ी दिक़्क़त हो रही थी। राज ने उसकी कमर और चूतरों को दबाकर उसको ऊपर चढ़ा दिया। वो मुस्कुरा कर पलटी और प्यार से थैंक्स बोलकर गाड़ी में बैठ गयी और बस चली गयी।
राज रश्मि के बारे में सोचते हुए अपने घर को वापस आया। घर पर शशी खाना लगा रही थी।
वो आँख मारकर बोली: समधन को कहाँ छोड़ आए?
राज उसको खींचकर अपनी गोद में बिठाया और बोला: समधन को मारो गोली। यहाँ तू तो है ना मेरे लिए । ये बोलते हुए उसकी छातियाँ दबाते हुए उसके होंठ चूसने लग। शशी ने कोई विरोध नहीं किया। वो भी सुबह से चुदासि थी। उसको अपनी गोद से हटाकर राज खड़ा हुआ और अपनी पैंट और चड्डी निकाल दिया। उसका खड़ा लौड़ा बुरी तरह से अकड़ा हुआ था ।
मैंने मुस्कुराते हुए अपना लौड़ा उसकी गीली बुर में पेलना शुरू किया और टाइट जवान बुर मुँह खोलकर मेरा लौड़ा गपकते चली गयी। आऽऽहहह क्या ज़बरदस्त अनुभव था । उसकी बुर पूरे तरह से मेरे लौड़े को अपनी ग्रिप में जकड़ ली और मुझे बरसों के बाद बहुत मज़ा आया। अब मैंने चोदना शुरू किया। पहले धीरे धीरे से उसके होंठ और चूचि चूसते हुए और जल्दी ही ज़ोर से पिलाई करने लगा। वह पागलों की तरह चिल्ला कर आऽऽऽहहह हाय्य्यय और उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ कहकर अपनी गाँड़ उठाकर चुदवा रही थी।साधना उसके सिर के पास बैठ कर उसकी छाती सहला रही थी।
अचानक मुझे लगा की वह मुझसे बुरी तरह चिपक रही है और चिल्लाई : उओइइइइओओओओ हाऽऽऽऽऽऽय्य। मुझे लगा कि वह झड़ रही है। पर मैं रुका नहीं और चुदाई चालू रखा। अब मैं भी झड़ने वाला था पर मैं रुका और उसके होंठ चूसते हुए उसकी चूतरों को दबाने लगा। और बोला: बुलबुल मज़ा आ रहा है।
बुलबुल: आऽऽऽह बहुत मजाऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहा है। मैं तो एक बार झड़ भी गयी। अब दूसरी बार झड़ूँगी । आऽऽह आप चोदते रहिए। हाय्ययय क्या मस्त चोदते हैं आऽऽप। आऽऽऽहह।
मैं अब ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा। मैंने उसकी टाँगें उठाकर उसकी छाती पर रख दी और पूरी ताक़त से धक्के मारने लगा। पूरा पलंग हिल रहा था और फ़च फ़च के साथ ही हाय्य्य्य्यय मरीइइइइइइइइ की आवाज़ें गूँज रही थीं।
साधना: थोड़ा धीरे से चोदो ना । क्या लड़की की फाड़ ही डालोगे।
बुलबुल: आऽऽऽऽऽह माँ चोदने दो ऐसे है , हाय्य्य्य्य क्या मजाऽऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाऽऽऽऽऽ है माँआऽऽऽऽऽऽ। सच ऐसे मैं कभी भी नहीं चुदीं। हूँ। उइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ । ये कहकर वो अपनी गाँड़ उठा के मेरे धक्कों का जवाब देने लगी। अब मैंने भी उसके दोनों चूतरों को एक एक हाथ में लिया और ज़बरदस्त धक्के मारने लगा। साधना अब उसके निप्पल्स दबाने लगी
मेरी एक ऊँगली उसकी गाँड़ के छेद को सहलाती हुई कब उसके छेद में घुस गयी मुझे भी पता नहीं चला। वह अब आऽऽऽहहह कर उठी। शायद उसका यह पहला अनुभव था गाँड़ में ऊँगली करवाने का ।
चुदाई अपने पूरे शबाब पर थी और साधना की साँसे फिर से फूलने लगी थी हमारी चुदाई देखकर। वह अब अपनी बुर में दो ऊँगली डालके मज़े ले रही थी। बुलबुल की मस्ती से भरी चीख़ें जैसे रुकने का नाम ही नहीं के रही थी। फिर अचानक वह चिल्लाई: आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह मैं गइइइइइओओइओओओ । अब मैं भी झड़ने लगा। मैंने उसकी बुर के अंदर उसकी बच्चेदानी के मुँह पर ही अपना वीर्य छोड़ना शुरू किया। पता नहीं कितनी देर तक हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए अपने अपने ऑर्गैज़म का आनंद लेते रहे। साधना बोली: अब उठो भी क्या ऐसे ही चिपके पड़े रहोगे?
मैं धीरे से उसके ऊपर से उठा और उसके बग़ल में लेट गया और बोला: आऽऽहहह आज बहुत दिन बाद असली चुदाई का मज़ा आया। साधना , बुलबुल तो बनी ही है चुदवाने के लिए। तुम इसे कहाँ छुपा कर रखी थी।
बुलबुल मेरे नरम लौड़े से खेलते हुए बोली: मुझे क्यों ऐतराज़ होगा। उनका बेटा पहले है , मेरा पति तो बाद में बना है।
साधना उलझन के साथ बोली: बुलबुल क्या तुम भी यही चाहती हो?
बुलबुल: माँ आज की चुदाई के बाद तो मुझे ऐसी चुदाई की ज़रूरत पड़ेगी ही। अब वो आपका बेटा करे तो ठीक नहीं तो अंकल तो हैं ही मेरे लिए। क्यों अंकल आप मुझे ऐसे ही चोदेंगे ना हमेशा? वो मुझसे चिपकते हुए और मेरी छाती को चूमते हुए बोली। उसका हाथ अभी भी मेरे लौड़े को सहला रहा था।
साधना को सोच में देखकर मैं बोला: साधना, ज़्यादा सोचो मत । तुम दोनों उसको अच्छी तरह से सिखा दो और फिर मज़े लो घर के घर में।
साधना: हाँ लगता है आप ठीक ही कह रहे हो। अब बच्चा होने के बाद बुलबुल आपसे हमेशा तो चुदवा नहीं सकती ना।
बुलबुल: अंकल आपका फिर से खड़ा हो रहा है।
मैं: चलो चूसो इसको। साधना तुम भी आओ और दोनों मिलके चूसो। वह दोनों मिलकर मेरे लौड़े और बॉल्ज़ को चूसने लगीं और मैं आनंद से भर उठा। आऽऽह क्या दृश्य था सास और बहू दोनों मेरे को अद्भुत मज़ा दे रहीं थीं। फिर मैंने साधना को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी ज़बरदस्त चुदाई की , उसकी लटकी हुई चूचियाँ अब बुलबुल दबा रही थी। साधना उइइइइइइइइ आऽऽऽऽऽहहह उन्ह्ह्ह्ह्ह करके जल्दी ही झड़ गयी। अब मैंने बुलबुल को घोड़ी बनाया और उसकी भूरि गाँड़ के छेद को देखकर वहाँ जीभ डालके उसे चाटने लगा।वह आऽऽऽह कर उठी। फिर मैंने उसकी बुर में लौड़ा पेला और उसकी गाँड़ में दो ऊँगली डालके उसे ज़बरदस्त तरीक़े से चोदने लगा। क़रीब २० मिनट की घिसाई के बाद हम दोनों झड़ गए।
बाद में साधना अपने कपड़े पहनते हुए बोली: मुझे तो लागत है कि बुलबुल को आज ही गर्भ ठहर गया होगा। आप ऐसी चुदाई किए हो आज कि मैं भी हिल गयी।
बुलबुल मुझसे लिपट कर बोली: थैंक यू अंकल ।
इतना मज़ा दिया और अगर माँ भी बन गयी तो सोने पे सुहागा हो जाएगा।
मैं: अगर का क्या मतलब बेटा, माँ तो बनोगी ही। देखना भगवान ने चाहा तो इस महीने तुम्हारा पिरीयड आएगा ही नहीं।
साधना मेरे लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाके बोली: सब इसका कमाल है । आह क्या मस्ताना हथियार है आपका।
हम तीनों हँसने लगे। फिर अगले दिन मिलने का कहकर वो चली गयीं।
शशी ने लौंडे को चूसते हुए पूछा : फिर क्या हुआ ?
मैं: बस इसी तरह चूदाई चलती रही और उसका अगले महीने पिरीयड नहीं आया। फिर दो तीन महीने बाद वह चुदवाना बंद कर दी। बाद में साधना बताई कि वह भी अपने बेटे से ही चुदावाने लगी थी, और अब बुलबुल और वह दोनों उससे ही अपनी बुर की प्यास बुझवाते थे। समय पर उसके एक बेटा हुआ और वो मुझे उसे दिखाने मेरी दुकान पर आयीं। बहुत सुंदर और प्यारा लड़का था । बस इसके बाद कभी कभी वो दुकान पर आतीं हैं तो मुलाक़ात हो जाती है ,वरना वह अपने घर ख़ुश और मैं अपने घर ख़ुश ।
यही कहानी है बुलबुल के माँ बनने की, अब तुम्हारी बारी है , तुम भी इसी महीने गर्भ से हो जाओगी, देखना?
फिर मैंने उसका सिर अपने लौंडे से हटाया और उसको लिटाकर उसकी ज़बरदस्त चूदाई की। अपना वीर्य मैंने उसकी बच्चेदानी के मुँह पर ही छोड़ा ताकि वो भी जल्दी से माँ बन जाए।
शशी को चोदने के बाद राज जैसे बाथरूम से बाहर आया उसका फ़ोन बजा। रश्मि थी वो बोली: नमस्ते भाई साब , कैसे हैं?
राज: नमस्ते भाभी जी बढ़िया हूँ। आपको मिस कर रहा हूँ। आप और डॉली बिटिया की बड़ी याद आ रही थी।
रश्मि: मैंने कूरीयर से डॉली की कुंडली भेज दी है। आप पंडित जी से मिलवा लीजिएगा।
राज: अरे अब उन दोनों के दिल मिल गए हैं कुंडली भी मिल ही जाएगी। और शादी के बाद वैसे भी बाक़ी सब का भी मिलन हो ही जाएगा। यह कहते हुए वह कमिनी हँसी हँसा।
रश्मि: भाई सांब आप भी क्या क्या बोलते हैं । सगाई की कोई तारीख़ का सोचा आपने?
राज: अरे आप कल आ जाइए ना फिर हम दोनों पंडित से कुंडली भी मिलवा लेंगे और सगाई की तारीख़ भी तय कर लेंगे। और फिर हम अपनी भी दोस्ती और पक्की कर लेंगे। वह फिर से फूहड़ सी हँसी हँसा। रश्मि को उसके इरादों में गड़बड़ी दिखाई दी पर वह क्या कर सकती थी।
राज भी बाई करके फ़ोन काटा और अपने लौड़े को सहलाते हुए सोचा कि साली क्या माल है, मज़े तो लूँगा ही।
शशी जो उसे ध्यान से देख रही थी बोली: आप समधन को ठोकने का प्लान बना रहे हैं। है ना?
राज: साली मस्त माल है और अपने जेठ से ठुकवा रही है। मैं भी लाइन लगा लिया हूँ। यह कहते हुए वह हँसने लगा।
रात को जय से बात हुई तो वह बोला: आज मेरी डॉली से बात हुई । वह बहुत संस्कारी लड़की है।
राज : हाँ बहुत प्यारी लड़की है। उसकी माँ एक दो दिन में आएगी और हम पंडित से मिलेंगे तुम्हारी सगाई की तारीख़ के लिए।
जय: ठीक है पापा अब मैं सोता हूँ।
राज हँसते हुए: क्या डॉली से रात भर बात करनी है?
जय: नहीं पापा वो ऐसे ही, हाँ उसको गुड नाइट तो करूँगा ही। फिर वह हँसते हुए अपने कमरे में चला गया। उसके जाने के बाद वह भी सो गया । अगले दिन रश्मि का फ़ोन आया : नमस्ते भाई सांब ।
राज: नमस्ते जी। क्या प्लान बनाया है आपने?
रश्मि: जी कल आऊँगी और पंडित जी से सगाई की बात भी कर लेंगे।
राज: कौन कौन आएँगे?
रश्मि: मैं और जेठ जी आएँगे।
राज : चलिए बढ़िया है आइए और कल ही प्लान फ़ाइनल करते हैं। बस एक रिक्वेस्ट है?
रश्मि: कहिए ना , आप आदेश दीजिए। रिक्वेस्ट क्यों कर रहे हैं?
राज: आप गुलाबी साड़ी पहन कर आइएगा। आप पर बहुत जँचेगी।
रश्मि: ओह,आप भी ना, ये कैसी फ़रमाइश है भला? देखती हूँ , मेरे पास है कि नहीं। बाई।
राज भी अपना लौड़ा दबाते हुए सोचा कि क्या मस्त लगेगी वह गुलाबी साड़ी में।
राज सोचने लगा कि ये तो जेठ के साथ आ रही है । उसकी बात कैसे बनेगी? वह बहुत सावधानी से धीरेधीरे आगे बढ़ना चाहता था। उसने सोचा चलो देखा जाएगा।
राज ने जय को बताया कि कल उसकी होने वाली सास आ रही है। जय मुस्कुरा कर दुकान चला गया और शशी राज की खिंचाई करने लगी, रश्मि को लेकर। राज ने उस दिन शशी की ज़बरदस्त चुदाई की उसको रश्मि का सोचकर।
शशी की ज़बरदस्त चुदाई
अगले दिन जय के जाने के बाद अमित और रश्मि आए। राज ने रश्मि को देखा और देखता ही रह गया । वह गुलाबी साड़ी में मस्त क़ातिल माल लग रही थी। अमित भी जींस और शर्ट में काफ़ी स्मार्ट लग रहा था। उसकी और राज की उम्र में कोई ज़्यादा अंतर नहीं था। हाँ रश्मि उनसे छोटी थी करीब ४५ की तो वो भी थी।
साड़ी उसने नाभि दर्शना ही पहनी थी और ब्लाउस भी छोटा सा था और पीछे से पीठ भी करीब पूरी नंगी ही थी। ब्लाउस में से उसके कसे स्तन देखकर राज के लौड़े ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया था। उससे तेज़ सेण्ट की ख़ुशबू भी आ रही थी।
राज: आप लोग कैसे आए?
अमित: बस से आए। अब सब बैठ गए।
राज ने शशी को आवाज़ दी और वह पानी लाई
राज ने देखा कि अमित शशी के ब्लाउस के अंदर झाँकने की कोशिश कर रहा था। वह समझ गया कि ये भी उसके जैसे ही कमीना है। वह मन ही मन मुस्कुराया।
रश्मि: भाई सांब , पंडित जी से बात हुई क्या?
राज: हाँ हुई है ना। अभी चाय पीकर वहाँ जाएँगे।
फिर सब चाय पीने लगे। इधर उधर की बातें भी होने लगी।
अमित: बस से आए। अब सब बैठ गए।
राज ने शशी को आवाज़ दी और वह पानी लाई।
राज ने देखा कि अमित शशी के ब्लाउस के अंदर झाँकने की कोशिश कर रहा था। वह समझ गया कि ये भी उसके जैसे ही कमीना है। वह मन ही मन मुस्कुराया।
रश्मि: भाई सांब , पंडित जी से बात हुई क्या?
राज: हाँ हुई है ना। अभी चाय पीकर वहाँ जाएँगे।
फिर सब चाय पीने लगे। इधर उधर की बातें भी होने लगी।
पंडित को राज ने एक दिन पहले ही सेट किया था। देखना था कि पंडित कितना मेनेज कर पाता है रश्मि को।
कार पंडित के घर के पास रुकी और रश्मि अपना पल्लू ठीक करते हुए कार से उतरी और उसके बड़े दूध राज को मस्त कर गए। पंडित की उम्र क़रीब ६५ साल की थी। उसके घर में बैठने के बाद राज ने कुंडलियाँ देखीं और थोड़ी देर में ही गुँण मिलने की घोषणा कर दिया। अब अमित और राज एक दूसरे को बधाई देने लगे। रश्मि ने भी बधाई दी।
अब राज रश्मि को बोला: भाभी जी , ये बहुत पहुँचे हुए ज्ञानी पंडित जी हैं। आप अपना हाथ इसे दिलाइए। बहुत सटीक भविष्य वाणी करते हैं।
रश्मि बहुत उत्सुकता से अपना हाथ उनको दिखाई।
पंडित ने उसका हाथ देखा और बोला: मैं आपको अकेले में बताऊँगा । आप दोनों थोड़ा बाहर जाइए।
राज और अमित बाहर आ गए।
पंडित उसके मुलायम हाथ को सहला कर बोला: देखो बेटी, मैंने तुम्हारे हाथ को रेखाओं में कुछ अजीब चीज़ देखी है, इसीलिए तुमको बता रहा हूँ।
रश्मि: क्या हुआ पंडितजी ? कुछ गड़बड़ है क्या?
पंडित: अरे नहीं बेटी, अब तुम बिना पति के अपनी बिटिया की शादी करने जा रही हो ना? तो तुम बहुत ख़ुश क़िस्मत हो कि तुमने बहुत अच्छा परिवार मिला है रिश्ते के लिए।
रश्मि ख़ुश होकर: जी पंडित जी , आप सही कह रहे हैं।
पंडित: एक बात और ये रेखा बता रही है कि तुम्हें अब एक नया प्रेमी मिलने वाला है जो तुमको बहुत प्यार करेगा।
रश्मि चौंक कर बोली: छि पंडित जी , ये क्या कह रहे हैं? भला इस उम्र में मुझे ये सब करना शोभा देता है क्या? ये नहीं हो सकता।
पंडित: बेटी, मैं तो वही बताऊँगा जो कि रेखाएँ दर्शा रही है। तुम्हारे जीवन में अब कोई पुरुष आने वाला है जो कि तुम्हें बहुत प्यार करेगा ।
रश्मि: आपने तो मुझे उलझन में डाल दिया। अच्छा सगाई की तारीख़ कब की निकली?
पंडित: अगले महीने की दस को।
रश्मि ने पंडित के पैर छुए और उसे दक्षिणा दी। पंडित मन ही मन मुस्कुराया और सोचा किउसने राज का काम शायद सही तरीक़े से कर दिया है।
रश्मि बाहर आइ और बोली: चलिए सगाई की तारीख़ अगले महीने की १० को निकली है।
अमित: पंडित ने तुमको अकेले में क्या बताया?
राज ने ध्यान से देखा कि उसके गाल शर्म से लाल हो गए थे। वह बोली: बस ऐसे ही कुछ डॉली और जय के बारे में बता रहे थे। कुछ ख़ास बात नहीं है। चलिए अब ।
राज ने देखा किपंडित ने अपना काम ठीक से कर दिया है। अब उसका काम है दाना डालने का। वो कमिनी मुस्कान लाकर सोचा कि अब इसे पटाना है।
मुझे नाम से ही बुलाइए
राज : चलो कहीं कॉफ़ी हाउस में कॉफ़ी पीते हैं।
फिर वो सब एक कॉफ़ी हाउस पहुँचे।
बहुत सही जा रहे हो डिअर…
अपडेट बड़े नहीं ले रहा तो कोई बात नहीं… आप छोटे छोटे अपडेट डालते रहो…’मज़ा आ रहा हँ…
इस वक़्त जब कोई भी लेखक बहे अपडेट नहीं डाल प् रहा होगा तो आपके छोटे छोटे अपडेट सभी पाठकगण
बड़े चाव से पड़ेंगे… यानि मामला टी आर पि का हँ बॉस….
जितने ज्यादा अपडेट उतनी थी ज्यादा व्यूज मिलेगी…
बेस्ट ऑफ़ लक…
कॉफ़ी हाउस में अमित और राज रश्मि के आजु बाजु बैठे। इन्होंने एक कैबिन लिया था ।
राज: भाभी जी क्या लेंगीं?
रश्मि: आप मुझे भाभीजी मत कहिए , मैं तो आपसे छोटी हूँ। आप मुझे नाम से ही बुलाइए।
राज: अच्छा रश्मि क्या लोगी कॉफ़ी के साथ?
रश्मि: मुझे तो सिर्फ़ कॉफ़ी पीनी है।
तभी अमित का फ़ोन बजा और वह बाहर चला गया कहकर कि एक मिनट में आया।
राज : आप कुछ खाती नहीं क्योंकि आपको अपना फिगर बनाए रखना है ना ?
रश्मि: काहे का फ़िगर ? कितनी मोटी तो हूँ मैं?
राज: तुम और मोटी? तुम्हारा फ़िगर तो किसी को भी पागल कर दे रश्मि। सच कहता हूँ कि तुममें जो बात है ना वह मुश्किल से किसी में मिलती है। मैं बताऊँ मुझे तो तुम्हारी जैसी भरी हुई औरतें ही अच्छी लगती हैं । मेरी वाइफ़ का भी फ़िगर बिलकुल तुम्हारे जैसे ही था । मस्त भरा हुआ बदन।
ये सब उसने उसकी चूचि को घूरते हुए कहा।
रश्मि की हालत काफ़ी ख़राब हो रही थी, इस तरह की तारीफ़ सुनकर। आख़िर तो वह भी एक औरत ही थी, जिसे अपने रूप का बखान अच्छा लगता है।
रश्मि: क्या भाई सांब आप तो मेरे पीछे ही पड़ गए।
राज ने हिम्मत की और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोला: रश्मि सच में तुम्हें देखकर मुझे अपनी स्वर्गीय बीवी की याद आती है । वह भी बिलकुल तुम्हारी जैसी प्यारी थी।
ये कहते हुए उसने अपने आँसू पोछने की ऐक्टिंग की ।
रश्मि भावुक हो गयी और बोली: आप बहुत अच्छे हैं, भाई सांब । कई लोग तो बीवी के जाते ही नयी शादी कर लेते हैं । आपने ऐसा नहीं किया।
राज: अगर तुम जैसी कोई मिल जाती तो मैं वो भी कर लेता।
रश्मि: क्या भाई सांब आप भी कुछ भी बोल देते हैं?
राज : मैं तो दिल की बात कर रहा हूँ। वैसे एक विचार आया है, क्यों ना हम दोनों भी उसी मंडप में शादी कर लें जिसने जय और डॉली की शादी होगी? क्या कहती हो?
उसने रश्मि का हाथ सहलाते हुए कहा।
रश्मि हंस दी: आप भी ना , कोई ऐसा मज़ाक़ भी करता है?
राज: रश्मि, जब तुम हँसती हो तो और भी सेक्सी लगती हो।
रश्मि: छी ये क्या बोल रहे हैं। राज ने देखा कि वह अपना हाथ उसके हाथ से छुड़ाने का कोई प्रयास नहीं कर रही थी ।
रश्मि सोचने लगी किक्या पंडित जी ने राज के बारे में ही कहा था कि उसके ज़िंदगी में प्यार आएगा।
तभी अमित अंदर आया और अपनी कुर्सी ओर बैठ गया। रश्मि ने अपना हाथ राज के हाथ से छुड़ा लिया था। अमित के बैठने के बाद राज ने रश्मि का हाथ टेबल के नीचे से फिर पकड़ लिया था। रश्मि ने भी मना नहीं किया। अब वह उसकी नरम और गुदाज कलाई को सहलाए जा रहा था। तभी राज की नज़र अमित के पीछे रखे आइने पर पड़ी और वह चौक गया। अमित ने भी उसकी एक कलाई को अपने हाथ में लेकर सहलाना शुरू कर दिया था।
बेचारी रश्मि दो दो मर्दों के हाथों में अपना हाथ दे रखी थी। तभी कोफ़्फ़ी आयी और रश्मि ने बेज़ारगी से राज को देखा और उसने उसका हाथ छोड़ दिया।
राज ने देखा की अमित अब भी उसकी कलाई सहला रहा था ।फिर वो उसकी जाँघ भी सहलाने लगा ।
राज ने भी हिम्मत की और अपना एक हाथ उसके घुटने पर रख दिया। रश्मि चौक कर उसकी ओर देखी। पर कुछ नहीं बोली।
फिर जब अमित का हाथ उसकी जाँघ पर ज़्यादा ही ऊपर की ओर आ गया तब वह अमित से बोली: भाई सांब , आपकी कुर्सी पीछे करिए ना मुझसे टकरा रही है। अमित समझ गया कि वह कुर्सी के बहाने उसे जाँघ से हाथ हटाने को कह रही है। उसने हाथ भी हटा लिया और कुर्सी भी खिसका ली।
राज ने आइने में सब देखा और फिर अपना हाथ धीरे से उसकी जाँघ पर फेरने लगा , रश्मि ने उसकी तरफ़ देखा पर वह चुपचाप उसकी जाँघ सहलाता रहा। अब रश्मि के चुप रहने से उसकी हिम्मत भी बढ़ी और वह जाँघ को हल्के से दबाने भी लगा। रश्मि की बुर में हलचल होने लगी।
अमित तो उसको चोदते ही रहता था पर राज का स्पर्श नया था और पंडित भी बोला था कि नया प्रेमी मिलेगा। तभी राज ने अपना चम्मच नीचे गिरा दिया और उसको उठाने के बहाने रश्मि की साड़ी को भी थोड़ा सा उठा दिया और उसकी पिंडलियां सहलाने लगा। नरम नरम भरी हुई पिंडली और घुटना मस्त लगा उसको।
रश्मि भी उसकी हिम्मत की दाद देने लगी। उसने अपना हाथ राज के हाथ पर रखा और उसे हटाने को इशारा किया। पर राज की तो हिम्मत जैसे और बढ़ गयी। वो उसकी साड़ी को और उठाके उसकी नरम गुदाज जाँघ सहलाने लगा। रश्मि की आह निकल गयी। अमित ने पूछा क्या हुआ?
रश्मि: कुछ नहीं मुँह जल गया थोड़ी ज़्यादा गरम है कोफ़्फ़ी ।
तभी राज का हाथ उसकी जाँघ में और आगे बढ़ता हुआ उसकी पैंटी से थोड़ा ही दूर था । तभी वेटर बिल ले आया और उसने अपना हाथ बाहर निकाल लिया और अपनी उँगलियाँ चाट लिया। रश्मि उसके इशारों को समझ गयी और उसका चेहरा लाल हो चुका था । उसकी बुर पैंटी को गीला करने लगी थी । फिर वो कोफ़्फ़ी हाउस से बाहर आए।
राज बाहर आते हुए बोला: चलिए आपको दुकान दिखाया जाए और जय से भी मिल लेना।
मस्त नरम कमर है तुम्हारी
रश्मि: हाँ हाँ मुझे दामाद से तो मिलना ही है चलिए। कोफ़्फ़ी हाउस बाहर आते आते राज ने उसकी नंगी कमर को हल्के से छुआ और वो सिहर उठी। राज धीरे से उसके पीछे चलते हुए बोला: मस्त नरम कमर है तुम्हारी।
रश्मि: आप अब बच्चों जैसी हरकत बन्द करिए आपको शोभा नहीं देती ।
अमित आगे चल रहा था अब राज ने उसके चूतड़पर भी हल्के से हाथ फेरा। वह मुड़कर उससे बोली: क्या कर रहे हैं। कोई देख लेगा।
राज: सॉरी । और फिर वो कार में बैठकर दुकान की ओर चल पड़े।
दुकान में जय ने उनका स्वागत किया और उसने अमित और रश्मि के पैर छुए। रश्मि ने उसे आशीर्वाद दिया और प्यार से उसका माथा चूमा। ऐसा करते हुए उसकी बड़ी चूचियाँ जय की ठुड्डी को छू गयीं और राज को जय से जलन होने लगी।
जय उन दोनों को बड़े उत्साह से दुकान दिखा रहा था। और राज की नज़र अपनी समधन के बदन से हट ही नहीं रही थी। फिर अमित जय के साथ men सेक्शन में कपड़े देखने लगा और राज रश्मि को बोला: चलो मैं तुम्हें कुछ ख़ास साड़ियाँ दिखाता हूँ। वह उसे लेकर साड़ी के काउंटर में पहुँचा और उसको कई शानदार साड़ियाँ दिखाकर बोला: ये सब तुमको बहुत अच्छी लगेंगी। अपने ऊपर लपेट कर देखो।
रश्मि उदास होकर बोली: भाई सांब, अभी तो मुझे डॉली के लिए कपड़े लेने है और शादी में बहुत ख़र्च होगा इसलिए मैं अपने लिए तो अभी कुछ नहीं खरिदूँगी।
राज: अरे तुमसे पैसे भला कौन माँग रहा है। तुम बस साड़ी पसंद करो मेरी ओर से गिफ़्ट समझना।
रश्मि: नहीं नहीं मैं आपसे कैसे गिफ़्ट ले सकती हूँ? हम तो लड़की वाले हैं।
राज: अगर डॉली के पापा होते तो तुम्हारी बात सही होती पर अभी इसका कोई मतलब नहीं है। ठीक है? मैं चाहता हूँ कि ये गिफ़्ट तुम मेरी प्रेमिका बन कर लो।
रश्मि हैरानी से बोली: ये आप क्या बोल रहे हैं? मैं कैसे आपकी प्रेमिका हो सकती हूँ भला?
राज: क्यों मर्द और औरत ही तो प्रेम करते हैं । तो हम क्यों नहीं कर सकते?
रश्मि उठकर जाने लगी तब राज बोला: तुम्हें मेरी क़सम है अगर तुम बिना साड़ी लिए गई तो ।
रश्मि फिर से बैठ गयी और बोली; सब पूछेंगे तो मैं क्या बोलूँगी कि गिफ़्ट क्यों ली?
राज ने जेब से ५४००/ निकाले और उसको देकर बोला: कहना कि तुमने साड़ी अपने बचाए हुए पैसों से ख़रीदी है।
वो चुपचाप पैसे रख ली और फिर २ साड़ियाँ ली एक अपने लिए और एक डॉली के लिए।
अपनी साड़ी उसने राज की पसंद की ही ली थी। राज ने उसे साड़ी के ऊपर ही साड़ी पहनने में मदद भी की और इस बहाने उसके गुदाज बदन का भी मज़ा लिया। उसके हाथ एक बार उसकी चूचि पर भी पड़े और दोनों सिहर उठे।
काउंटर पर पैसे देने के समय राज बोला: क्यों जय अपनी सास और बीवी की साड़ियों के पैसे लेगा
जय ने पैसे नहीं लिए और साड़ियाँ पैक करके रश्मि को दे दीं।
रश्मि धीरे से बोली: और वो पैसे जो आपने मुझे दिए उनका क्या?
राज: मेरी तरफ़ से कुछ अच्छी सी झूमके ले लेना। तुम पर बहुत सजेंगे।
रश्मि मुस्कुराती हुए बोली: शादी मेरी नहीं मेरी बेटी की हो रही है।
राज अब ख़ुश था उसको पता चल गया था कि उसे पैसों की ज़रूरत है और वह रश्मि को पटाने में क़रीब क़रीब सफल होने जा रहा था।
समधन को कहाँ छोड़ आए
अमित बोला: अब चलते हैं, आप हमें बस स्टॉप पर छोड़ दो।
राज : खाना खा कर जाना अभी इतनी जल्दी क्या है।
रश्मि: नहीं अभी जाना होगा। अब सगाई की तैयारी भी तो करनी है।
राज उनको बस स्टॉप तक ले गया। जब अमित टिकट लेने गया तब राज ने रश्मि का हाथ पकड़ लिया और बोला: रश्मि मुझे तुमसे प्यार हो गया है। तुम चाहो तो मैं तुमसे शादी करने को तैयार हूँ।
रश्मि: काश आप मुझे पहले मिले होते तो मैं आपसे शादी कर लेती पर अब तो बहुत देर हो चुकी है।
राज: तो क्या हमारा प्यार ऐसे ही दम तोड़ देगा। कमसे कम कुछ समय तो हमें एकांत में आपस में बातें करते हुए बिताना चाहिए।
रश्मि: मैं भी आपसे मिलना चाहती हूँ, पर देखिए भाग्य को क्या मंज़ूर है।
राज: हम चाहें तो हम ज़रूर मिल सकते हैं। मैं तुम्हें फ़ोन करूँगा ठीक है?
रश्मि: फ़ोन नहीं SMS करिएगा।
फिर अमित को आते देख राज ने रश्मि के हाथ को एक बार और दबाया और फिर उसका हाथ छोड़ दिया।
अब अमित बस में चढ़ गया पर साड़ी के कारण रश्मि को चढ़ने में थोड़ी दिक़्क़त हो रही थी। राज ने उसकी कमर और चूतरों को दबाकर उसको ऊपर चढ़ा दिया। वो मुस्कुरा कर पलटी और प्यार से थैंक्स बोलकर गाड़ी में बैठ गयी और बस चली गयी।
राज रश्मि के बारे में सोचते हुए अपने घर को वापस आया। घर पर शशी खाना लगा रही थी।
वो आँख मारकर बोली: समधन को कहाँ छोड़ आए?
राज उसको खींचकर अपनी गोद में बिठाया और बोला: समधन को मारो गोली। यहाँ तू तो है ना मेरे लिए । ये बोलते हुए उसकी छातियाँ दबाते हुए उसके होंठ चूसने लग। शशी ने कोई विरोध नहीं किया। वो भी सुबह से चुदासि थी। उसको अपनी गोद से हटाकर राज खड़ा हुआ और अपनी पैंट और चड्डी निकाल दिया। उसका खड़ा लौड़ा बुरी तरह से अकड़ा हुआ था ।