08-01-2021, 09:18 PM
राज उसके चूतरों को दबाकर बोला: ज़रूर बताऊँगा पर आज नहीं।
तभी उसका फ़ोन बजा उसने फ़ोन उठाया ।
राज: हेलो , अरे सतीश तुम? बोलो क्या बात है?
सतीश जो उसका दोस्त है: अरे तुमको अपने बेटे की शादी नहीं करनी है क्या?
राज: अरे करनी है ना , कोई है क्या तुम्हारी नज़र में?
सतीश : हाँ एक लड़की है मेरे एक दोस्त की ही बेटी है। अच्छी सुंदर और सुशील है और पढ़ी लिखी भी है।
राज: अरे तो फिर देर किस बात की है। बात आगे बढ़ाओ।
सतीश: ठीक है मैं फिर तुमको बताऊँगा उन लोगों से बात करके । ठीक है ना?
राज : बिलकुल ठीक है। मैं इंतज़ार करूँगा। बाई।
राज को ख़ुश देख कर शशी उसके बॉल्ज़ को सहला कर बोली: आप जय भय्या की शादी तय कर रहे हैं?
राज उसकी चूचि दबाके बोला: हाँ लड़की खोज रहा हूँ। देखो कब मिलती है?
फिर दोनों एक दूसरे से लिपट गए और राज उसको दूसरे राउंड की चुदाई के लिए तैयार करने लगा।
शशी उसके बॉल्ज़ को सहलाते हुए बोली: मुझे तो लगता है कि आपने इतना रस मेरे अंदर छोड़ा है मैं शायद आज ही गर्भ से हो गयी हों गई होऊँगी।
राज हँसते हुए: शायद नहीं ,पक्का गर्भ ठहर ही गया होगा। मेरे लौड़ा तुम्हारी बच्चे दानी के ऊपर ठोकरें मार रहा था। वैसे मुझे एक बार तुमको फिर से चोदना है। सच क्या टाइट बुर है तुम्हारी।
शशी उठकर बैठी और बोली: मुझे ज़रा बाथरूम जाना है।
राज : चलो मुझे भी जाना है।
चूत से निकलती झरने जैसी आवाज
दोनों बाथरूम में जाकर मूते और राज झुककर हैंड शॉवर से उसकी बुर को धोया और फिर शशी ने भी उसके लौड़े को धोया। फिर वो दोनों बाहर आकर बिस्तर पर लेटे और एक दूसरे को चूमने लगे। जल्दी ही दोनों गरम हो गए। राज उसके ऊपर ६९ की पोजीशन में आ गया और उसकी बुर को चूमने और चाटने लगा। उधर उसका लौड़ा शशी के मुँह के सामने था। उसने कभी लौड़ा नहीं चूसा था। मगर उसने कुछ फ़ोटो देखीं थीं उसके सहेलियों की मोबाइल में जिनमे अंग्रेज़ औरतें आदमियों का लौड़ा चूस रहीं थीं। उसकी कुछ सहेलियाँ भी उसको बतायी थी कि वो अपने पति के लौड़े चूसती हैं।
उसने भी हिम्मत की और उसके लौड़ेको सहलाते हुए अपने मुँह के पास लायी और उसके सुपाडे को सूँघा। उसका पूरा शरीर मस्ती से भरने लगा। उधर उसकी बुर पर राज की जीभ तांडव कर रही थी और वह बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी। तभी उसने सुपाडे को चूम लिया और फिर वह जीभ से उसे चाटने लगी। उधर राज ने भी उसके मुँह में लौड़े का दबाव बढ़ाया और शशी के मुँह में उसका लौड़ा जैसे घुसता चला गया। अब राज उसके मुँह की चुदाई करने लगा। साथ ही बुर की रगड़ाई भी जीभ से किए जा रहा था। अब शशी मस्ती से लौड़ा चूसे जा रही थी। फिर राज उठा और उसने शशी को पेट के बल लिटाया और फिर उसको चूतड़ उठाने को बोला। अब उसकी बुर और गाँड़ उसकी आँखों के सामने थे। उसने गाँड़ की सुराख़ पर ऊँगली फेरी और फिर मस्ती से उसकी बुर मसलने लगा और फिर अपने लौड़े को उसकी बुर में लगाकर उसके अंदर अपना लौड़ा ठेल दिया और फिर उसकी नीचे को लटकी हुईं चूचियाँ दबाकर उसकी मस्त चुदाई करने लगा।
वह भी मज़े से अपनी गाँड़ पीछे करके चुदवाने लगी। कमरा एक बार फिर से फ़च फ़च की आवाज़ों से गूँजने लगा। जल्दी ही दोनों चिल्लाकर झड़ने लगे। राज ने उसकी बुर में अपना वीर्य अंदर तक छोड़ दिया।
फिर वो दोनों एक साथ लिपट कर सो गए।
उस दिन भी वो दोनों चुदाई के बाद आराम कर रहे थे शशी उसके लौड़े को हल्के से सहला रही थी। तभी उसके दोस्त सतीश का फ़ोन आया और वह बोला: यार क्या तुम और जय कल यहाँ आ सकते हो? मैं चाहता हूँ कि कल तुम मेरे दोस्त अमित की भतीजी को देख लो। बहुत प्यारी बच्ची है तुम लोगों को ज़रूर पसंद आएगी।
राज ने शशी की गाँड़ सहलाते हुए कहा: अच्छा ये तो बहुत अच्छी बात है। कौन कौन है उसके घर में?
सतीश: यार बेचारी के पिता का तो बचपन में ही देहांत हो गया था वह अपनी माँ के साथ मेरे दोस्त के यहाँ पली है जो कि उसका ताया है । यानी वह अमित की भतीजी है। बी कॉम किया है और दिखने में भी बहुत सुंदर है।
राज: ओह चलो हम कल का प्लान बनाते हैं। तुमको ख़बर कर के कल शाम को आएँगे । तुम्हारा शहर सिर्फ़ दो घण्टे की ही दूर पर तो है। हम वहाँ पाँच बजे तक तो पहुँच ही जाएँगे।
फिर इधर उधर की बात करके उसने फ़ोन रख दिया। फिर राज ने उसकी गाँड़ में एक ऊँगली डाल दी और शशी आऽऽंह कर उठी ।
राज: अरे एक ऊँगली नहीं ले पा रही है तो मेरा लौड़ा कैसे अंदर लेगी?
शशी: मुझे नहीं लेना आपका लौड़ा यहाँ। बुर को जितना चाहिए चोदिए। पर गाँड़ नहीं मरवाऊँगी।
राज: अरे जब तुम गर्भ से हो जाओगी तो गाँड़ से ही काम चलाउंगा ना। डॉक्टर बोल देगी तीन चार महीने बाद कि बुर को चोदना बंद करो।
शशी हँसते हुए बोली: तब की तब देखी जाएगी। अच्छा तो कल आप बहु देखने जा रहे हैं।
राज : हाँ हम जाएँगे। देखें क्या होता है वहाँ?
फिर वह किचन ने चली गयी और वह भी आराम करने लगा।
शशी खाना बना कर चली गयी और जय दुकान बंद कर घर आया तो राज ने उसे अगले दिन लड़की देखने की बात बताई। जय ने ठीक है कहा और दोनों खाना खाते हुए दुकान की बात करने लगे। खाना खाकर थोड़ी देर टेलीविजन देखकर वो सोने चले गए।
रात को सोते हुए राज सोचने लगा कि बहु के आने के बाद उसकी और शशी की चुदाई मुश्किल में पड़ जाएगी। उसे कोई रास्ता निकालना ही होगा ताकि वो शशी को बिना किसी अड़चन के चोद सके। वैसे भी उसकी आँखों में शशी की कुँवारी गाँड़ घूम रही थी और वह यह सोचकर गरम हो गया कि उसकी गाँड़ मारने में क्या मज़ा आएगा। फिर वह अपने खड़े लौड़े को दबाकर सो गया।
अगले दिन जय को जल्दी वापस आने के लिए बोल कर राज ख़ुद भी तैयार होकर बाज़ार गया और वहाँ से मिठाई और फल ख़रीदे। बाज़ार से वापस आकर उसने शशी की एक राउंड चुदाई भी की और फिर शाम को जय और वह पास के शहर में सतीश से मिलने पहुँचे।
सतीश उनको लेकर अपने दोस्त अमित के यहाँ पहुँचा । अमित और उसकी पत्नी ने उनका बहुत स्वागत किया और फिर उनको रश्मि से मिलवाया,जो कि अमित के स्वर्गीय भाई की पत्नी और डॉली की माँ थी। डॉली ही वह लड़की थी जिसे देखने वह दोनों आए थे।
राज ने फल और मिठाई रश्मि को दी। उसने देखा कि रश्मि बला की ख़ूबसूरत महिला थी। बहुत गोरी और अपने उम्र के हिसाब से थोड़ी भरी हुई भी थी। बड़े बड़े दूध और उभरे हुए चूतड़ बहुत ही मादक थे। बहुत दिन बाद राज के लौड़े ने एक नज़र देखकर ही एक औरत के लिए झटका मारा था। राज उसकी गाँड़ के उभार को देखकर मस्ती से भर गया। फिर उसने अपने आप को याद दिलाया कि वह उसकी समधन हो जाएगी अगर ये रिश्ता हो जाता है।
उसने अपने आप को क़ाबू में किया और बोला: भाभी जी आप जब इतनी सुंदर हो तो आपकी बेटी भी यक़ीनन बहुत प्यारी होगी।
रश्मि: अरे आपका बेटा भी तो बहुत प्यारा है। भाई सांब इन दोनों की जोड़ी बहुत जमेगी।
राज हँसते हुए बोला: भाभी जी आपकी बेटी देख तो लें फिर शायद आपको बात से हम भी सहमत हो जाएँगे।
तभी अमित आकर रश्मि को बोला: रश्मि आओ डॉली को ले आते हैं। वो दोनों अंदर चले गए। राज ने नोटिस किया कि अमित अपनी बीवी की तरफ़ ज़्यादा ध्यान नहीं दे रहा था। वैसे उसकी बीवी काफ़ी दुबली पतली थी और बीमार सी दिखती थी।
राज ने एक नौकर से कहा: मुँझे बाथरूम जाना है।
वह उसके साथ बाथरूम की ओर चल पड़ा। नौकर उसको एक कमरे में बाथरूम दिखाकर वापस चला गया। वह बाथरूम जाकर जब बाहर आया तभी उसको कुछ आवाज़ सी आयी। वह कमरे से बाहर आते हुए रुक गया और दरवाज़े के पास आकर थोड़ा सा दरवाज़ा खोलकर झाँका।
वहाँ सामने कोई नहीं था। वह बाहर आया और तभी उसको दबे स्वर में हँसने की आवाज़ आयी और वह पता नहीं क्यों उस कमरे के सामने पहुँचकर चुपचाप बातें सुनने लगा। अंदर आदमी बोल रहा था: अब यह शादी हो जाए तो हम खुलकर मस्ती कर सकेंगे । फिर चुम्बन की आवाज़ आइ । अब धीरे से वह अंदर झाँका। वहाँ का दृश्य बड़े ही हैरान करने वाला था। अमित अपने भाई की बीवी के साथ लिपटा हुआ था और उसे चूमे जा रहा था। वह भी उससे मज़े से चिपकी हुई थी। अमित के हाथ उसके बड़े बड़े चूतरों को दबा रहे थे।
रश्मि: अच्छा अब छोड़िए। डॉली तैयार हो गयी होगी।
अमित: हाँ यार जितनी जल्दी उसकी शादी हो जाए हम मज़े से चुदाई कर सकेंगे।
रश्मि: हाँ जी आपको भाभी तो मज़ा नहीं देती इसलिए मुझे ही रगड़ोगे आप तो। चलो अब जल्दी से वरना कोई देख लेगा। वो दोनों अलग हुए तो वह अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए बोली: देखिए पूरा ब्लाउस छाती के ऊपर कैसा मसल दिया है आपने ।कोई भी समझ लेगा कि क्या हुआ है मेरे साथ।
अमित: अरे तुम्हारी चूचियाँ हैं इतनी मस्त कि साला हाथ अपने आप ही उन पर चला जाता है। वह यह कहते हुए अपने लौड़े को पैंट में अजस्ट करने लगा।
फिर दोनों बाहर आने लगे। राज जल्दी से वहाँ से हट कर छुप गया। उनके जाने के बाद वह वापस बाहर आ गया। जय वहीं बैठकर अमित की बीवी से बातें कर रहा था।
थोड़ी देर बाद वो दोनों आए और साथ में डॉली भी आयी। उसने साड़ी पहनी हुई थी। वह माँ जैसी ही गोरी चिट्टि और थोड़े भरे बदन की नाटे क़द की लड़की थी। जय तो उसे एकटक देखता ही रह गया। डॉली ने भी भरपूर नज़र से जय को देखा और वह भी उसको बहुत पसंद आ गया।
राज ने भी डॉली को देखा और वह सच में अपनी माँ का ही प्रतिरूप थी। भरे बदन के कारण वह बहुत सेक्सी भी दिख रही थी। साड़ी से उसकी चूचियों के उभार बहुत ही ग़ज़ब ढा रहे थे। और जब वह उसको नमस्ते करके उसकी बग़ल से आकर साइड के सोफ़े में बैठी तो उसके चूतरों का उभार उसको मस्त कर गया। तभी उसे याद आया कि वह उसकी होने वाली बहु है। उसे अपने आप पर बहुत शर्म आयी और उसने अपना सिर झटका जैसे वह गंदे ख़याल अपने दिमाग़ से बाहर निकाल रहा हो।
अमित: ये है हमारी बिटिया शशी रश्मि। और रश्मि ये है जय और ये हैं इनके पिता।
रश्मि ने फिर से सबको नमस्ते किया। वह अपना सिर झुका कर बैठी थी। राज ने देखा कि जय उसे देखे ही जा रहा था। वह मन ही मन मुस्कुराया और बोला: जय मैं चाहता हूँ कि तुम और डॉली अकेले में थोड़ी देर बातें कर लो और एक दूसरे को समझ लो। अमित जी आपको कोई ऐतराज़ तो नहीं?
अमित: अरे नहीं हमें क्यों ऐतराज़ होगा अच्छा ही है वो दोनों एक दूसरे को समझ लें।
रश्मि उठी और डॉली और जय को लेज़ाकर एक कमरे में बिठा आयी।
जब वो वापस आइ तो राज उसको भरपूर नज़रों से देखा, उसको उसकी और अमित की मस्ती याद आ गयी।
रश्मि: भाई सांब लगता है दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे हैं।
राज: हाँ बड़ी ही प्यारी बच्ची है , मुझे भी लगता है कि दोनों एक दूसरे को पसंद आ गए हैं।
उधर डॉली और जय एक दूसरे से बातें किए जा रहे थे। जय उसको अपने बिज़नेस वग़ैरह के बारे ने बताया और डॉली अपनी पढ़ाई और अपने खाना बनाने के शौक़ के बारे में बतायी। जल्दी ही उन दोनों को समझ में आ गया कि वह एक दूसरे को पसंद करने लगे हैं।
थोड़ी देर बाद जय बोला: आप मुझे पसंद हो, अब आप बताओ कि मैं आपको पसंद हूँ या नहीं?
डॉली ने सिर झुका कर कहा: आप भी मुझे पसंद हो।
फिर दोनों उठकर बाहर आए और राज ने पूछा: हाँ अब बताओ कि क्या इरादा है?
जय: पापा मेरी तो हाँ है।
अमित: और बेटी तुम्हारी?
डॉली ने शर्माकर अपना सिर हाँ में हिला दिया।
अब राज ख़ुशी से खड़ा हुआ और अमित भी खड़े होकर उसके गले मिला। और उन्होंने एक दूसरे को बधाइयाँ दी। रश्मि ने भी राज को बधाई दी। फिर जय और डॉली ने सबके पैर छुएँ। अमित ने सबको मिठाई खिलाई।
अब राज भी कार से मिठाई और एक अँगूठी निकाल लाया। रश्मि भी एक अँगूठी लायी। अब जय और डॉली ने एक दूसरे को अँगूठी पहनायी। सबने उनको बधाइयाँ दी।बहुत से फ़ोटो खिंचे गए। फिर सबने नाश्ता किया और बाद में जय और राज वापस अपने घर आ गए।
रास्ते में राज बोला: बेटा पहली बार में ही लड़की पसंद आ गई ?
जय: जी पापा वो बहुत ही समझदार लड़की है और अपनी ज़िम्मेदारी भी समझती है।
राज हँसते हुए बोला :और सुंदर भी है । है ना?
जय: जी पापा सुंदर तो है ही ।
राज: तुम दोनों की जोड़ी ख़ूब जँचेगी। मुझे ख़ुशी है कि पहली बार में ही इतना बढ़िया रिश्ता मिल गया।
रात को सोते हुए राज रश्मि के बारे में सोच कर गरम होने लगा। क्या दूध हैं उसके। फिर अचानक उसको डॉली के भी साड़ी से उभरे हुए दूध याद आ गए और उसका लौड़ा खड़ा हो गया। फिर उसे शर्म आइ और वह अपने आप को कोसा और सोने की कोशिश करने लगा।
सुबह उसने शशी के लिए दरवाज़ा खोला और आकर सोफ़े पर बैठ गया। शशी भी आकर उसकी गोद में बैठ गयी और बोली: तो क्या हुआ कल ? बहू पसंद आयी या नहीं?
राज: बहुत पसंद आयी और हमने तो रोका भी कर दिया। अब सगाई की तारीख़ निकालेंगे।
शशी: कैसी है दिखने में?
राज: बहुत प्यारी और सुंदर। तुमको फ़ोटो दिखाता हूँ। यह कहकर उसने शशी को मोबाइल पर कल की फ़ोटो दिखाई।
शशी: हाँ बहुत सुंदर है। भैया बहुत लकी है। वैसे भरी हुई है जैसी आपको अच्छी लगती हैं वैसे ही है।
राज: बिलकुल खाते पीते घर की है, तुम्हारे जैसी सूखी और सुक़ड़ी सी नहीं है। यह कहते हुए वह हँसा और उसको चूम लिया। फिर उसकी छाती पर हाथ फेरने लगा।
शशी हँसते हुए बोली: आपकी बहू की छाती तो इतनी बड़ी है कि मेरी दोनों छातियाँ उसकी एक के बराबर होंगी।
राज: अरे नहीं इतनी भी बड़ी नहीं हैं पर हाँ तुम्हारी छाती से काफ़ी बड़ी हैं।
शशी हँसते हुए: काफ़ी ध्यान से देखा है बहू की छातियों को? इरादा नेक है ना?
राज: अरे तुम भी क्या फ़ालतू बात कर रही हो। ऐसी कोई बात नहीं है। वैसे इसकी माँ की चूचियाँ तुम्हारी से दुगुनी होंगी, ये देखो । ये कहकर उसने रश्मि की फ़ोटो में उसकी छाती को ज़ूम करके दिखाया।
शशी: हाँ सच में इनकी बहुत बड़ी हैं। ये आपकी होने वाली समधन हैं क्या?
राज: हाँ ये रश्मि है मस्त माल है। और चालू भी है। ये कहते हुए उसका लौड़ा अकड़ने लगा और शशी को गाँड़ में चुभने लगा।
शशी गाँड़ को उचका कर बोली: आह इसे क्यों खड़ा कर लिए? समधन का जादू है क्या? आपने उसे चालू क्यों बोला?
राज ने उसे अमित और रश्मि की मस्ती के बारे में बताया कि कैसे वो एक दूसरे से लिपट कर मज़ा कर रहे थे और डॉली की शादी का इंतज़ार कर रहे थे ताकि खुल कर मज़े ले सकें।
राज: मुझे लगता है कि डॉली के कारण वो ज़्यादा मज़ा नहीं ले पाते होंगे। वैसे भी अमित की बीवी तो बहुत बीमार दिख रही थी। वो क्या इनके मज़े में ख़लल डाल पाएगी?
शशी: तब तो डॉली को भी इसका अंदाज़ा तो होगा ही कि उसकी माँ उसके ताया जी के साथ फँसी हुई है। और वो चुदाई के बारे में सब जानती होगी। वैसे भी उसका भरा हुआ बदन देखकर लगता है कि वो शायद चुदवा चुकी होगी।
राज: क्या फ़ालतू बात कर रही हो? वो एक बच्ची की तरह मासूम है। बहुत नादान है वो बिलकुल एक नगीना यानी कि हीरा है।
शशी हँसते हुए बोली: उस बिचारि नगीना को क्या पता कि उसका ससुर कितना कमीना है?
राज झूठा ग़ुस्सा दिखाकर बोला: मैंने क्या कमीनी हरकत की है?
शशी हँसते हुए बोली: अपनी बहू के दूध देखना और उसको मेरे दूध से तुलना करना क्या कमीनापन नहीं है? अच्छा ये बताइए उसकी गाँड़ कैसी है? आपको तो बड़े चूतड़ अच्छे लगते हैं ना? बहू के कैसे हैं? वैसे इस फ़ोटो में तो बड़े मस्त गोल गोल दिख रहे हैं। !
राज का लौड़ा अब पूरा खड़ा हो कर उसकी गाँड़ में ठोकर मार रहा था। वह बोला: साली कमिनी , ख़ुद मेरी बहू के बारे में गंदी बात कर रही है और मुझे कमीना बोल रही है। चल अभी तेरी गाँड़ मारता हूँ मादरचोद।
ये कहकर वह उसको अपनी गोद में उठाकर बेडरूम में ले जाकर बिस्तर पर पटका और उसकी साड़ी ऊपर करके उसकी बुर में दो ऊँगली डाल दिया। इस अचानक हमले से शशी हाय्य्यय कर उठी पर वह उसकी बुर में उँगलियाँ अंदर बाहर करने लगा । जल्दी ही बुर गीली हो गई और उसने अपना लोअर और चड्डी उतारा और फनफना रहे लौड़े को उसकी बुर में एक झटके में पेल दिया। फिर उसके ऊपर आकर उसके ब्लाउस और ब्रा को ऊपर किया और चूचियाँ मसलते हुए उसकी बेरहमी से चुदाई करने लगा।
शशी भी आऽऽऽहहह हाय्य्य्य्य कहकर मस्ती से कमर उछालने लगी और बोली: सच में बोलो ना बहू भी अपनी माँ की तरह माल है ना?
राज: आऽऽहहह मादरचोओओओओओओओद फिर वही। कहा ना माँ साली रँडीइइइइइइइ है। बहू तो अभी बच्चीइइइइइइइइ है।
शशी: फिर भी उसके चूतड़ और चूची तो मस्त है ना? वैसी है जैसे आपको अच्छी लगती है । है नाआऽऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽह बोओओओओओओलो ना।
राज ज़ोर ज़ोर से धक्का मारते हुए बोला: आऽऽऽहहह ह्म्म्म्म्म्म हाँआऽऽऽऽ सालीइइइइइइ बहू भी मस्त माआऽऽऽऽऽऽऽल है। डॉली की भी मस्त गोओओओओओओओल गाँड़ है आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह मैं गयाआऽऽऽऽऽऽ । साली क़ुतियाआऽऽऽऽऽऽ लेeeee मेराआऽऽऽऽ माआऽऽऽऽलल्ल अपनी बुर में। ह्म्म्म्म्म्न कहते हुए वह झड़ गया।
फिर जब वो सफ़ाई करके लेटे हुए थे, तब राज बोला: सच में डॉली बहुत मासूम सी बच्ची है। मुझे उसके बारे में ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए।
शशी: पर मुझे तो लगता है कि आप उसकी भी ले लोगे।
राज ग़ुस्से से : क्या बकवास कर रही हो? वो मेरे बेटे की बीवी होगी। उसके बारे में ऐसा कैसे कर सकता हूँ। हाँ उसकी माँ की बुर ज़रूर रगड़ूँगा। साली सिर्फ़ अमित को क्यों मज़ा दे ? हम साले मर गए हैं क्या?
शशी उठती हुई बोली: एक बात बताइए कि हमारा मिलन कैसे होगा बहु के आने के बाद?
राज: ये चिंता तो मुझे भी है देखो कोई रास्ता निकालेंगे। ये कहकर वह फिर से उसको अपनी बाँहों में खींच लिया और बोला: तुम्हारा महवारी याने पिरीयड कब आता है?
शशी: अभी दस दिन हैं। क्यों पूछ रहे हैं आप?
राज: अरे इसीलिए कि इस बार नहीं आएगा। तुमको गर्भ से जो कर चुका हूँ।
शशी: आप इतने यक़ीन से कैसे कह सकते हैं?
राज: मैंने तुमको बताया था ना कि मैं पहले भी तीन लड़कियों को गर्भवती कर चुका हूँ और तीनों एक महीने की ही चुदाई में माँ बनने के रास्ते पर चल पड़ीं थीं।
शशी: मैं तो आपको कितनी ही बार पूछ चुकी हूँ पर आप अभी तक एक के बारे में भी नहीं बतायें हैं।
राज: चलो अभी चाय पिलाओ और बाद में जय के दुकान जाने के बाद मैं तुमको बताऊँगा कि कैसे मैंने बुलबुल को गर्भवती किया। वही पहली लड़की थी जिसे मैंने करीब पाँच साल पहले चोद के माँ बनाया था।
शशी: ठीक है बताइएगा आज बुलबुल के बारे में। ये कहकर वह किचन मे चली गयी।
बाद में जय उठकर आया और चाय पीते हुए बाप बेटा बातें करने लगे।
राज: फिर बरखुरदार, रात को नींद आयी या नहीं? कहीं रात भर शादी के सपने तो नहीं देखते रहे?
जय: क्या पापा आप भी ना ? छेड़ रहे हैं मुझे?
राज हँसते हुए बोला: अरे बहु का सेल नम्बर लिया था कि नहीं?
जय शर्माकर: कहाँ ले पाया? सब कुछ इतनी जल्दी में हो गया।
राज : अच्छा चल मैं ही जुगाड़ करता हूँ तेरे लिए। ये कहकर उसने अमित को फ़ोन लगाया।
उधर से रश्मि ने फ़ोन उठाया और बोली: हेलो कौन बोल रहे हैं?
राज: मैं राज बोल रहा हूँ भाभीजी । आप कैसी हैं?
रश्मि: नमस्ते भाई सांब । मैं ठीक हूँ। आप लोग कल अच्छे से पहुँच गए थे ना?
राज: हाँ जी सब बढ़िया है। मैंने इसलिए फ़ोन किया कि मुझे डॉली का नम्बर चाहिए ,जय माँग रहा है। वो दोनों बातें करेंगे तो एक दूसरे को समझेंगे ना।
रश्मि: जी बिलकुल ठीक कहा आपने। मैं अभी आपको sms करती हूँ। जय है क्या बात करवाइए ना?
जय ने फ़ोन लेकर कहा: नमस्ते मम्मी जी।
रश्मि: नमस्ते बेटा , कैसे हो? डॉली को हम लोग बहुत छेड़ रहे हैं तुम्हारा नाम लेकर।
जय: मम्मी आप लोग भी ना बेचारी को क्यों तंग कर रहे हो?
रश्मि: लो अभी से उसकी तरफ़ से बोलने लगे? वाह जी वाह।
जय: मम्मी मेरी आप खिंचाई तो मत करो।
फिर कुछ देर इधर उधर की बातें करके वह फ़ोन राज को दे दिया।
राज: तो भाभीजी आप हमारे घर कब आ रही हैं? आपने तो हमारा घर भी नहीं देखा है।
रश्मि: भाई सांब जल्दी ही आएँगे। आपने सगाई का कुछ सोचा?
राज: आज पंडित जी से बात करूँगा मुहूर्त के लिए। डॉली की कुंडली भी भेज दीजिएगा। जय की कुंडली से मिलवा लेंगे।
रश्मि: भाई सांब सगाई कहाँ करेंगे?
राज : आप जहाँ बोलेंगी वहाँ करेंगे। अजी हम तो आपके हुक्म के ग़ुलाम हैं।
रश्मि: कैसी बात कर रहे हैं, हम लड़की वाले हैं हम झुक कर रहेंगे।
(तभी जय का फ़ोन बजा और वह अपने बेडरूम में चला गया। )
राज: अरे भाभीजी आप जैसी सुंदर महिला की ग़ुलामी करने का मज़ा ही कुछ और है।
रश्मि: भाई सांब आप भी अब मुझे खींच रहे हैं ।
राज: अरे भाभी जी मेरी क्या औक़ात है आपकी खींचने की? मैं तो ख़ुद ही खिंचा जा रहा हीं आपकी तरफ़।
रश्मि: भाई सांब आपको बातों ने जीतना बहुत मुश्किल है।
राज: भाभीजी बातों में जीत सकती है पर हमें एक बार सेवा का मौक़ा दीजिए। सच कहता हूँ आप भी क्या याद करेंगी।
इस बार राज ने द्वीयर्थी डायलॉग बोल ही दिया।वह अपने लौड़े को हल्के से दबाया जो अपना सिर उठा रहा था।
रश्मि एक मिनट के लिए तो चुप सी हो गयी फिर बोली: चलिए सगाई आपके यहाँ ही रखते हैं , देखते हैं कितनी सेवा करते हैं आप?
राज ख़ुश होकर बोला: ये हुई ना बात ।भाभीजी ऐसी सेवा करूँगा आप भी याद रखोगी। बस एक मौक़ा तो दीजिए। और हाँ अपना नम्बर भी दे दीजिए। अमित के नम्बर पर आपको बार बार फ़ोन नहीं कर सकता।
रश्मि: भाई सांब रखती हूँ । भैया आ रहे हैं। मैं आपको sms करती हूँ अपना और डॉली का नम्बर।
फिर फ़ोन कट गया। राज अभी भी लौड़ा दबाये जा रहा था। तभी शशी आयी और मुस्कुरा कर बोली: क्या हो रहा है? मैं दबा दूँ? समधन को पटा रहे थे? मैं सब सुन रही थी।
राज: जय को दुकान जाने दो फिर जो करना है कर लेना। समधन तो साली रँडी है उसे तो शादी के पहले ही चोद दूँगा।
तभी जय के आने की आवाज़ आइ और शशी वहाँ से बाहर चली गई। तभी रश्मि का sms भी आ गया। उसने डॉली का नम्बर जय को फ़ॉर्वर्ड कर दिया और अपने फ़ोन में भी बहू के नाम से सेव कर लिया। और रश्मि का नम्बर भी सेव कर लिया।
अब जय भी अपने समय पर दुकान को चला गया।
उसके जाने के बाद शशी आकर राज के पास आकर बैठी और राज ने उसे अपनी गोद में खींच लिया और उसको चूमने लगा। वो रश्मि से बात करके उत्तेजित हो चुका था ।
तभी शशी बोली: आज आप मुझे बुलबुल के माँ बनने की कहानी सुनाएँगे।याद है ना?
राज उसकी बुर को साड़ी के ऊपर से दबाकर बोला: ज़रूर मेरी जान, बिलकुल सुनाएँगे।
शशी की बुर साड़ी के ऊपर से दबाकर वह बोला: चलो चुदाई करते हैं।
शशी: अभी नहीं पहले बुलबुल के बारे में बताइए की उसको कैसे गर्भ वती किया आपने?
राज: अच्छा पीछे पड़ गयी हो , ठीक है सुनो। फिर उसने अपनी बात बोलनी शुरू की——————
तभी काँच का दरवाज़ा खुला और उसमें से एक बहुत ही गोरी सुंदर थोड़ी भारी बदन की क़रीब मेरे ही उम्र की महिला अंदर आइ और साथ ही तेज़ सेंट की ख़ुशबू दुकान में फैल गयी। मेरी नींद उड़ गयी और मैं उठकर उसके पास आया और बोला: आइए मैडम जी, बैठिए।
वो मुस्कुरा कर बोली: मुझे कुछ नई साड़ियाँ दिखाइए।
मैं उसे नई डिजाइन की साड़ियाँ दिखाने लगा। वह हर साड़ी को अपने ऊपर रखती और शीशे में देखती थी। ये करते हुए उसका पल्लू खिसक जाता था और मुझे उसकी बड़ी बड़ी चुचीयो की और उनके बीच की घाटी के दर्शन हो जाते थे। ऐसा करते हुए आख़िर उसने दो साड़ियाँ पसंद कीं। मेरा लौड़ा गरमाने लगा था। वह जब शीशे के सामने खड़ी होती तो उसके मस्त चूतरों के उभार तो जैसे मुझे दीवाना कर रहे थे।
फिर वह बोली: आपके यहाँ कोई सेल्ज़ गर्ल नहीं है क्या?
मैं: है ना मगर सब अभी सामने होटेल में खाना खाने गए हैं क्योंकि उंनमें से एक का आज जन्म दिन है। आपको कुछ चाहिए तो आप मुझे बताइए ना?
उसने हिचकिचाते हुए कहा: मुझे अंडर गारमेंट्स चाहिए।
मैं: आइए इस काउंटर पर आइए मैं निकालता हूँ।
यह कहकर मैं एक काउंटर जे पीछे पहुँचा और वहाँ रखे ब्रा और पैंटी को दिखाकर बोला: बताइए किस पैटर्न में दिखाऊँ?
वह बोली: आप मुझे सभी दिखायीये मैं पसंद कर लूँगी।
मैंने उसको जानबूझकर पैडेड ब्रा के डिब्बे से ब्रा निकाल कर दिखाया।
वह बोली: मुझे बिना पैडेड वाली ब्रा चाहिए।
मैं मुस्कुराकर उसकी छाती को देखकर बोला: आप सही कह रही हैं , आपको भला पैड की क्या ज़रूरत है?
वो मेरी बात का मतलब समझ कर लाल हो गई पर कुछ नहीं बोली।
फिर मैंने जानबुझकर उसको ३६ साइज़ की लेस वाली ब्रा दिखाई। वह उसको देखकर बोली: हाँ ये पैटर्न तो सही है पर मुझे बड़ी चाहिए।
मैंने पूछा: क्या साइज़ है मैडम?
वो थोड़ा सा हिचकिचाके बोली: ४० की चाहिए।
मैंने ख़ुश होकर कहा: आपकी और मेरी बीवी की साइज़ एक ही है। अच्छा ज़रा रुकिए , मैंने अपनी बीवी के लिए कुछ नई नाट्टि ब्रा लाया था। उसमें से कुछ शायद आपको भी पसंद आ जाएँ। यह कहकर मैंने उसे बहुत सेक्सी ब्रा दिखायीं। उंनमें निपल के छेद बने थे और निप्पल की जगह किसी में नेट लगा था।
वह ये देखकर बोली: आप अपनी बीवी के लिए ऐसे ब्रा ख़रीदे है ? छी मुझे तो बहुत शर्म आ रही है।
मैं: मुझे तो वो इसमें बहुत सेक्सी लगती है। आप भी बहुत सेक्सी लगेंगी।
वो बोली: नहीं नहीं मुझे आप ये सादी वाली ही दे दीजिए। और अब पैंटी दिखा दीजिए।
मैं उसके कमर को देख कर बोला: आपको तो xxl ही आती होगी। मेरी बीवी का भी यही साइज़ है। फिर मैंने उसे सेक्सी जाली वाली पैंटी ही दिखाई। वह उसे देखकर बोली: छी ये पहनने या ना पहनने में क्या फ़र्क़ है भला।
मैं: अरे मैडम ये भी बहुत सेक्सी है आप पर बहुत फबेगी।
वो: नहीं नहीं मैं ऐसे कपड़े नहीं पहन सकती। फिर मैंने उसे सादी पैंटी दिखाई तो वह उसने ले ली। मैं समझ गया था कि वह एक शरीफ़ महिला है। पर क्या करता मेरा आवारा लौड़ा कड़ा होकर मुझे बार बार उसकी ओर खींच रहा था।
मैं: मैडम मैं आपको भाभी जी बोल सकता हूँ?
वो: हाँ हाँ क्यों नहीं? भाई सांब आपके कितने बच्चे हैं?
मैं: दो और आपके? आपके पति का बिज़नेस है क्या?
वो: जी हाँ उनका इक्स्पॉर्ट का काम है । मेरे एक ही बेटा है, उसकी शादी हो चुकी है।
मैं: तो आप दादी भी बन गयी क्या?
वो दुखी होकर बोली: नहीं अभी तक तो नहीं बनी हूँ।
फिर मैं बिल बना रहा था तो मैंने उसका नाम पूछा। उसने अपना नाम साधना बताया। मैंने उसका मोबाइल नम्बर और पता भी ले लिया। फिर बिल का पैसा देकर वो जाने लगी तो मैं बोला: भाभी जी आते रहिएगा।
साधना: ठीक है फिर आऊँगी।
अचानक मुझे पता नहीं क्या हुआ कि मैं बोला: भाभी जी , कल शाम को एक कॉफ़ी साथ में पियें क्या?
साधना हैरानी से बोली: जी? क्या मतलब?
मैं: बस एक कप कॉफ़ी का तो बोला है और क्या? यहाँ पास में एक कॉफ़ी शाप है चौक पर । कल आपका वहाँ शाम को पाँच बजे इंतज़ार करूँग़ा ।
साधना: पाँच बजे नहीं चार बजे। छह बजे मेरे पति और बेटा घर आ जाते हैं।
मैं: ठीक है चार बजे। वह मुस्कुराकर चली गयी।
और मैं अपना लौड़ा मसलते हुए उसके मस्त गदराये बदन का सोचने लगा।
उस रात मैंने सरिता याने अपनी बीवी को जबदरस्त तरीक़े से चोदा। और ये सोचकर चोदा कि साधना को चोद रहा हूँ।
तभी उसका फ़ोन बजा उसने फ़ोन उठाया ।
राज: हेलो , अरे सतीश तुम? बोलो क्या बात है?
सतीश जो उसका दोस्त है: अरे तुमको अपने बेटे की शादी नहीं करनी है क्या?
राज: अरे करनी है ना , कोई है क्या तुम्हारी नज़र में?
सतीश : हाँ एक लड़की है मेरे एक दोस्त की ही बेटी है। अच्छी सुंदर और सुशील है और पढ़ी लिखी भी है।
राज: अरे तो फिर देर किस बात की है। बात आगे बढ़ाओ।
सतीश: ठीक है मैं फिर तुमको बताऊँगा उन लोगों से बात करके । ठीक है ना?
राज : बिलकुल ठीक है। मैं इंतज़ार करूँगा। बाई।
राज को ख़ुश देख कर शशी उसके बॉल्ज़ को सहला कर बोली: आप जय भय्या की शादी तय कर रहे हैं?
राज उसकी चूचि दबाके बोला: हाँ लड़की खोज रहा हूँ। देखो कब मिलती है?
फिर दोनों एक दूसरे से लिपट गए और राज उसको दूसरे राउंड की चुदाई के लिए तैयार करने लगा।
शशी उसके बॉल्ज़ को सहलाते हुए बोली: मुझे तो लगता है कि आपने इतना रस मेरे अंदर छोड़ा है मैं शायद आज ही गर्भ से हो गयी हों गई होऊँगी।
राज हँसते हुए: शायद नहीं ,पक्का गर्भ ठहर ही गया होगा। मेरे लौड़ा तुम्हारी बच्चे दानी के ऊपर ठोकरें मार रहा था। वैसे मुझे एक बार तुमको फिर से चोदना है। सच क्या टाइट बुर है तुम्हारी।
शशी उठकर बैठी और बोली: मुझे ज़रा बाथरूम जाना है।
राज : चलो मुझे भी जाना है।
चूत से निकलती झरने जैसी आवाज
दोनों बाथरूम में जाकर मूते और राज झुककर हैंड शॉवर से उसकी बुर को धोया और फिर शशी ने भी उसके लौड़े को धोया। फिर वो दोनों बाहर आकर बिस्तर पर लेटे और एक दूसरे को चूमने लगे। जल्दी ही दोनों गरम हो गए। राज उसके ऊपर ६९ की पोजीशन में आ गया और उसकी बुर को चूमने और चाटने लगा। उधर उसका लौड़ा शशी के मुँह के सामने था। उसने कभी लौड़ा नहीं चूसा था। मगर उसने कुछ फ़ोटो देखीं थीं उसके सहेलियों की मोबाइल में जिनमे अंग्रेज़ औरतें आदमियों का लौड़ा चूस रहीं थीं। उसकी कुछ सहेलियाँ भी उसको बतायी थी कि वो अपने पति के लौड़े चूसती हैं।
उसने भी हिम्मत की और उसके लौड़ेको सहलाते हुए अपने मुँह के पास लायी और उसके सुपाडे को सूँघा। उसका पूरा शरीर मस्ती से भरने लगा। उधर उसकी बुर पर राज की जीभ तांडव कर रही थी और वह बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी। तभी उसने सुपाडे को चूम लिया और फिर वह जीभ से उसे चाटने लगी। उधर राज ने भी उसके मुँह में लौड़े का दबाव बढ़ाया और शशी के मुँह में उसका लौड़ा जैसे घुसता चला गया। अब राज उसके मुँह की चुदाई करने लगा। साथ ही बुर की रगड़ाई भी जीभ से किए जा रहा था। अब शशी मस्ती से लौड़ा चूसे जा रही थी। फिर राज उठा और उसने शशी को पेट के बल लिटाया और फिर उसको चूतड़ उठाने को बोला। अब उसकी बुर और गाँड़ उसकी आँखों के सामने थे। उसने गाँड़ की सुराख़ पर ऊँगली फेरी और फिर मस्ती से उसकी बुर मसलने लगा और फिर अपने लौड़े को उसकी बुर में लगाकर उसके अंदर अपना लौड़ा ठेल दिया और फिर उसकी नीचे को लटकी हुईं चूचियाँ दबाकर उसकी मस्त चुदाई करने लगा।
वह भी मज़े से अपनी गाँड़ पीछे करके चुदवाने लगी। कमरा एक बार फिर से फ़च फ़च की आवाज़ों से गूँजने लगा। जल्दी ही दोनों चिल्लाकर झड़ने लगे। राज ने उसकी बुर में अपना वीर्य अंदर तक छोड़ दिया।
फिर वो दोनों एक साथ लिपट कर सो गए।
उस दिन भी वो दोनों चुदाई के बाद आराम कर रहे थे शशी उसके लौड़े को हल्के से सहला रही थी। तभी उसके दोस्त सतीश का फ़ोन आया और वह बोला: यार क्या तुम और जय कल यहाँ आ सकते हो? मैं चाहता हूँ कि कल तुम मेरे दोस्त अमित की भतीजी को देख लो। बहुत प्यारी बच्ची है तुम लोगों को ज़रूर पसंद आएगी।
राज ने शशी की गाँड़ सहलाते हुए कहा: अच्छा ये तो बहुत अच्छी बात है। कौन कौन है उसके घर में?
सतीश: यार बेचारी के पिता का तो बचपन में ही देहांत हो गया था वह अपनी माँ के साथ मेरे दोस्त के यहाँ पली है जो कि उसका ताया है । यानी वह अमित की भतीजी है। बी कॉम किया है और दिखने में भी बहुत सुंदर है।
राज: ओह चलो हम कल का प्लान बनाते हैं। तुमको ख़बर कर के कल शाम को आएँगे । तुम्हारा शहर सिर्फ़ दो घण्टे की ही दूर पर तो है। हम वहाँ पाँच बजे तक तो पहुँच ही जाएँगे।
फिर इधर उधर की बात करके उसने फ़ोन रख दिया। फिर राज ने उसकी गाँड़ में एक ऊँगली डाल दी और शशी आऽऽंह कर उठी ।
राज: अरे एक ऊँगली नहीं ले पा रही है तो मेरा लौड़ा कैसे अंदर लेगी?
शशी: मुझे नहीं लेना आपका लौड़ा यहाँ। बुर को जितना चाहिए चोदिए। पर गाँड़ नहीं मरवाऊँगी।
राज: अरे जब तुम गर्भ से हो जाओगी तो गाँड़ से ही काम चलाउंगा ना। डॉक्टर बोल देगी तीन चार महीने बाद कि बुर को चोदना बंद करो।
शशी हँसते हुए बोली: तब की तब देखी जाएगी। अच्छा तो कल आप बहु देखने जा रहे हैं।
राज : हाँ हम जाएँगे। देखें क्या होता है वहाँ?
फिर वह किचन ने चली गयी और वह भी आराम करने लगा।
शशी खाना बना कर चली गयी और जय दुकान बंद कर घर आया तो राज ने उसे अगले दिन लड़की देखने की बात बताई। जय ने ठीक है कहा और दोनों खाना खाते हुए दुकान की बात करने लगे। खाना खाकर थोड़ी देर टेलीविजन देखकर वो सोने चले गए।
रात को सोते हुए राज सोचने लगा कि बहु के आने के बाद उसकी और शशी की चुदाई मुश्किल में पड़ जाएगी। उसे कोई रास्ता निकालना ही होगा ताकि वो शशी को बिना किसी अड़चन के चोद सके। वैसे भी उसकी आँखों में शशी की कुँवारी गाँड़ घूम रही थी और वह यह सोचकर गरम हो गया कि उसकी गाँड़ मारने में क्या मज़ा आएगा। फिर वह अपने खड़े लौड़े को दबाकर सो गया।
अगले दिन जय को जल्दी वापस आने के लिए बोल कर राज ख़ुद भी तैयार होकर बाज़ार गया और वहाँ से मिठाई और फल ख़रीदे। बाज़ार से वापस आकर उसने शशी की एक राउंड चुदाई भी की और फिर शाम को जय और वह पास के शहर में सतीश से मिलने पहुँचे।
सतीश उनको लेकर अपने दोस्त अमित के यहाँ पहुँचा । अमित और उसकी पत्नी ने उनका बहुत स्वागत किया और फिर उनको रश्मि से मिलवाया,जो कि अमित के स्वर्गीय भाई की पत्नी और डॉली की माँ थी। डॉली ही वह लड़की थी जिसे देखने वह दोनों आए थे।
राज ने फल और मिठाई रश्मि को दी। उसने देखा कि रश्मि बला की ख़ूबसूरत महिला थी। बहुत गोरी और अपने उम्र के हिसाब से थोड़ी भरी हुई भी थी। बड़े बड़े दूध और उभरे हुए चूतड़ बहुत ही मादक थे। बहुत दिन बाद राज के लौड़े ने एक नज़र देखकर ही एक औरत के लिए झटका मारा था। राज उसकी गाँड़ के उभार को देखकर मस्ती से भर गया। फिर उसने अपने आप को याद दिलाया कि वह उसकी समधन हो जाएगी अगर ये रिश्ता हो जाता है।
उसने अपने आप को क़ाबू में किया और बोला: भाभी जी आप जब इतनी सुंदर हो तो आपकी बेटी भी यक़ीनन बहुत प्यारी होगी।
रश्मि: अरे आपका बेटा भी तो बहुत प्यारा है। भाई सांब इन दोनों की जोड़ी बहुत जमेगी।
राज हँसते हुए बोला: भाभी जी आपकी बेटी देख तो लें फिर शायद आपको बात से हम भी सहमत हो जाएँगे।
तभी अमित आकर रश्मि को बोला: रश्मि आओ डॉली को ले आते हैं। वो दोनों अंदर चले गए। राज ने नोटिस किया कि अमित अपनी बीवी की तरफ़ ज़्यादा ध्यान नहीं दे रहा था। वैसे उसकी बीवी काफ़ी दुबली पतली थी और बीमार सी दिखती थी।
राज ने एक नौकर से कहा: मुँझे बाथरूम जाना है।
वह उसके साथ बाथरूम की ओर चल पड़ा। नौकर उसको एक कमरे में बाथरूम दिखाकर वापस चला गया। वह बाथरूम जाकर जब बाहर आया तभी उसको कुछ आवाज़ सी आयी। वह कमरे से बाहर आते हुए रुक गया और दरवाज़े के पास आकर थोड़ा सा दरवाज़ा खोलकर झाँका।
वहाँ सामने कोई नहीं था। वह बाहर आया और तभी उसको दबे स्वर में हँसने की आवाज़ आयी और वह पता नहीं क्यों उस कमरे के सामने पहुँचकर चुपचाप बातें सुनने लगा। अंदर आदमी बोल रहा था: अब यह शादी हो जाए तो हम खुलकर मस्ती कर सकेंगे । फिर चुम्बन की आवाज़ आइ । अब धीरे से वह अंदर झाँका। वहाँ का दृश्य बड़े ही हैरान करने वाला था। अमित अपने भाई की बीवी के साथ लिपटा हुआ था और उसे चूमे जा रहा था। वह भी उससे मज़े से चिपकी हुई थी। अमित के हाथ उसके बड़े बड़े चूतरों को दबा रहे थे।
रश्मि: अच्छा अब छोड़िए। डॉली तैयार हो गयी होगी।
अमित: हाँ यार जितनी जल्दी उसकी शादी हो जाए हम मज़े से चुदाई कर सकेंगे।
रश्मि: हाँ जी आपको भाभी तो मज़ा नहीं देती इसलिए मुझे ही रगड़ोगे आप तो। चलो अब जल्दी से वरना कोई देख लेगा। वो दोनों अलग हुए तो वह अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए बोली: देखिए पूरा ब्लाउस छाती के ऊपर कैसा मसल दिया है आपने ।कोई भी समझ लेगा कि क्या हुआ है मेरे साथ।
अमित: अरे तुम्हारी चूचियाँ हैं इतनी मस्त कि साला हाथ अपने आप ही उन पर चला जाता है। वह यह कहते हुए अपने लौड़े को पैंट में अजस्ट करने लगा।
फिर दोनों बाहर आने लगे। राज जल्दी से वहाँ से हट कर छुप गया। उनके जाने के बाद वह वापस बाहर आ गया। जय वहीं बैठकर अमित की बीवी से बातें कर रहा था।
थोड़ी देर बाद वो दोनों आए और साथ में डॉली भी आयी। उसने साड़ी पहनी हुई थी। वह माँ जैसी ही गोरी चिट्टि और थोड़े भरे बदन की नाटे क़द की लड़की थी। जय तो उसे एकटक देखता ही रह गया। डॉली ने भी भरपूर नज़र से जय को देखा और वह भी उसको बहुत पसंद आ गया।
राज ने भी डॉली को देखा और वह सच में अपनी माँ का ही प्रतिरूप थी। भरे बदन के कारण वह बहुत सेक्सी भी दिख रही थी। साड़ी से उसकी चूचियों के उभार बहुत ही ग़ज़ब ढा रहे थे। और जब वह उसको नमस्ते करके उसकी बग़ल से आकर साइड के सोफ़े में बैठी तो उसके चूतरों का उभार उसको मस्त कर गया। तभी उसे याद आया कि वह उसकी होने वाली बहु है। उसे अपने आप पर बहुत शर्म आयी और उसने अपना सिर झटका जैसे वह गंदे ख़याल अपने दिमाग़ से बाहर निकाल रहा हो।
अमित: ये है हमारी बिटिया शशी रश्मि। और रश्मि ये है जय और ये हैं इनके पिता।
रश्मि ने फिर से सबको नमस्ते किया। वह अपना सिर झुका कर बैठी थी। राज ने देखा कि जय उसे देखे ही जा रहा था। वह मन ही मन मुस्कुराया और बोला: जय मैं चाहता हूँ कि तुम और डॉली अकेले में थोड़ी देर बातें कर लो और एक दूसरे को समझ लो। अमित जी आपको कोई ऐतराज़ तो नहीं?
अमित: अरे नहीं हमें क्यों ऐतराज़ होगा अच्छा ही है वो दोनों एक दूसरे को समझ लें।
रश्मि उठी और डॉली और जय को लेज़ाकर एक कमरे में बिठा आयी।
जब वो वापस आइ तो राज उसको भरपूर नज़रों से देखा, उसको उसकी और अमित की मस्ती याद आ गयी।
रश्मि: भाई सांब लगता है दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे हैं।
राज: हाँ बड़ी ही प्यारी बच्ची है , मुझे भी लगता है कि दोनों एक दूसरे को पसंद आ गए हैं।
उधर डॉली और जय एक दूसरे से बातें किए जा रहे थे। जय उसको अपने बिज़नेस वग़ैरह के बारे ने बताया और डॉली अपनी पढ़ाई और अपने खाना बनाने के शौक़ के बारे में बतायी। जल्दी ही उन दोनों को समझ में आ गया कि वह एक दूसरे को पसंद करने लगे हैं।
थोड़ी देर बाद जय बोला: आप मुझे पसंद हो, अब आप बताओ कि मैं आपको पसंद हूँ या नहीं?
डॉली ने सिर झुका कर कहा: आप भी मुझे पसंद हो।
फिर दोनों उठकर बाहर आए और राज ने पूछा: हाँ अब बताओ कि क्या इरादा है?
जय: पापा मेरी तो हाँ है।
अमित: और बेटी तुम्हारी?
डॉली ने शर्माकर अपना सिर हाँ में हिला दिया।
अब राज ख़ुशी से खड़ा हुआ और अमित भी खड़े होकर उसके गले मिला। और उन्होंने एक दूसरे को बधाइयाँ दी। रश्मि ने भी राज को बधाई दी। फिर जय और डॉली ने सबके पैर छुएँ। अमित ने सबको मिठाई खिलाई।
अब राज भी कार से मिठाई और एक अँगूठी निकाल लाया। रश्मि भी एक अँगूठी लायी। अब जय और डॉली ने एक दूसरे को अँगूठी पहनायी। सबने उनको बधाइयाँ दी।बहुत से फ़ोटो खिंचे गए। फिर सबने नाश्ता किया और बाद में जय और राज वापस अपने घर आ गए।
रास्ते में राज बोला: बेटा पहली बार में ही लड़की पसंद आ गई ?
जय: जी पापा वो बहुत ही समझदार लड़की है और अपनी ज़िम्मेदारी भी समझती है।
राज हँसते हुए बोला :और सुंदर भी है । है ना?
जय: जी पापा सुंदर तो है ही ।
राज: तुम दोनों की जोड़ी ख़ूब जँचेगी। मुझे ख़ुशी है कि पहली बार में ही इतना बढ़िया रिश्ता मिल गया।
रात को सोते हुए राज रश्मि के बारे में सोच कर गरम होने लगा। क्या दूध हैं उसके। फिर अचानक उसको डॉली के भी साड़ी से उभरे हुए दूध याद आ गए और उसका लौड़ा खड़ा हो गया। फिर उसे शर्म आइ और वह अपने आप को कोसा और सोने की कोशिश करने लगा।
सुबह उसने शशी के लिए दरवाज़ा खोला और आकर सोफ़े पर बैठ गया। शशी भी आकर उसकी गोद में बैठ गयी और बोली: तो क्या हुआ कल ? बहू पसंद आयी या नहीं?
राज: बहुत पसंद आयी और हमने तो रोका भी कर दिया। अब सगाई की तारीख़ निकालेंगे।
शशी: कैसी है दिखने में?
राज: बहुत प्यारी और सुंदर। तुमको फ़ोटो दिखाता हूँ। यह कहकर उसने शशी को मोबाइल पर कल की फ़ोटो दिखाई।
शशी: हाँ बहुत सुंदर है। भैया बहुत लकी है। वैसे भरी हुई है जैसी आपको अच्छी लगती हैं वैसे ही है।
राज: बिलकुल खाते पीते घर की है, तुम्हारे जैसी सूखी और सुक़ड़ी सी नहीं है। यह कहते हुए वह हँसा और उसको चूम लिया। फिर उसकी छाती पर हाथ फेरने लगा।
शशी हँसते हुए बोली: आपकी बहू की छाती तो इतनी बड़ी है कि मेरी दोनों छातियाँ उसकी एक के बराबर होंगी।
राज: अरे नहीं इतनी भी बड़ी नहीं हैं पर हाँ तुम्हारी छाती से काफ़ी बड़ी हैं।
शशी हँसते हुए: काफ़ी ध्यान से देखा है बहू की छातियों को? इरादा नेक है ना?
राज: अरे तुम भी क्या फ़ालतू बात कर रही हो। ऐसी कोई बात नहीं है। वैसे इसकी माँ की चूचियाँ तुम्हारी से दुगुनी होंगी, ये देखो । ये कहकर उसने रश्मि की फ़ोटो में उसकी छाती को ज़ूम करके दिखाया।
शशी: हाँ सच में इनकी बहुत बड़ी हैं। ये आपकी होने वाली समधन हैं क्या?
राज: हाँ ये रश्मि है मस्त माल है। और चालू भी है। ये कहते हुए उसका लौड़ा अकड़ने लगा और शशी को गाँड़ में चुभने लगा।
शशी गाँड़ को उचका कर बोली: आह इसे क्यों खड़ा कर लिए? समधन का जादू है क्या? आपने उसे चालू क्यों बोला?
राज ने उसे अमित और रश्मि की मस्ती के बारे में बताया कि कैसे वो एक दूसरे से लिपट कर मज़ा कर रहे थे और डॉली की शादी का इंतज़ार कर रहे थे ताकि खुल कर मज़े ले सकें।
राज: मुझे लगता है कि डॉली के कारण वो ज़्यादा मज़ा नहीं ले पाते होंगे। वैसे भी अमित की बीवी तो बहुत बीमार दिख रही थी। वो क्या इनके मज़े में ख़लल डाल पाएगी?
शशी: तब तो डॉली को भी इसका अंदाज़ा तो होगा ही कि उसकी माँ उसके ताया जी के साथ फँसी हुई है। और वो चुदाई के बारे में सब जानती होगी। वैसे भी उसका भरा हुआ बदन देखकर लगता है कि वो शायद चुदवा चुकी होगी।
राज: क्या फ़ालतू बात कर रही हो? वो एक बच्ची की तरह मासूम है। बहुत नादान है वो बिलकुल एक नगीना यानी कि हीरा है।
शशी हँसते हुए बोली: उस बिचारि नगीना को क्या पता कि उसका ससुर कितना कमीना है?
राज झूठा ग़ुस्सा दिखाकर बोला: मैंने क्या कमीनी हरकत की है?
शशी हँसते हुए बोली: अपनी बहू के दूध देखना और उसको मेरे दूध से तुलना करना क्या कमीनापन नहीं है? अच्छा ये बताइए उसकी गाँड़ कैसी है? आपको तो बड़े चूतड़ अच्छे लगते हैं ना? बहू के कैसे हैं? वैसे इस फ़ोटो में तो बड़े मस्त गोल गोल दिख रहे हैं। !
राज का लौड़ा अब पूरा खड़ा हो कर उसकी गाँड़ में ठोकर मार रहा था। वह बोला: साली कमिनी , ख़ुद मेरी बहू के बारे में गंदी बात कर रही है और मुझे कमीना बोल रही है। चल अभी तेरी गाँड़ मारता हूँ मादरचोद।
ये कहकर वह उसको अपनी गोद में उठाकर बेडरूम में ले जाकर बिस्तर पर पटका और उसकी साड़ी ऊपर करके उसकी बुर में दो ऊँगली डाल दिया। इस अचानक हमले से शशी हाय्य्यय कर उठी पर वह उसकी बुर में उँगलियाँ अंदर बाहर करने लगा । जल्दी ही बुर गीली हो गई और उसने अपना लोअर और चड्डी उतारा और फनफना रहे लौड़े को उसकी बुर में एक झटके में पेल दिया। फिर उसके ऊपर आकर उसके ब्लाउस और ब्रा को ऊपर किया और चूचियाँ मसलते हुए उसकी बेरहमी से चुदाई करने लगा।
शशी भी आऽऽऽहहह हाय्य्य्य्य कहकर मस्ती से कमर उछालने लगी और बोली: सच में बोलो ना बहू भी अपनी माँ की तरह माल है ना?
राज: आऽऽहहह मादरचोओओओओओओओद फिर वही। कहा ना माँ साली रँडीइइइइइइइ है। बहू तो अभी बच्चीइइइइइइइइ है।
शशी: फिर भी उसके चूतड़ और चूची तो मस्त है ना? वैसी है जैसे आपको अच्छी लगती है । है नाआऽऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽह बोओओओओओओलो ना।
राज ज़ोर ज़ोर से धक्का मारते हुए बोला: आऽऽऽहहह ह्म्म्म्म्म्म हाँआऽऽऽऽ सालीइइइइइइ बहू भी मस्त माआऽऽऽऽऽऽऽल है। डॉली की भी मस्त गोओओओओओओओल गाँड़ है आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह मैं गयाआऽऽऽऽऽऽ । साली क़ुतियाआऽऽऽऽऽऽ लेeeee मेराआऽऽऽऽ माआऽऽऽऽलल्ल अपनी बुर में। ह्म्म्म्म्म्न कहते हुए वह झड़ गया।
फिर जब वो सफ़ाई करके लेटे हुए थे, तब राज बोला: सच में डॉली बहुत मासूम सी बच्ची है। मुझे उसके बारे में ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए।
शशी: पर मुझे तो लगता है कि आप उसकी भी ले लोगे।
राज ग़ुस्से से : क्या बकवास कर रही हो? वो मेरे बेटे की बीवी होगी। उसके बारे में ऐसा कैसे कर सकता हूँ। हाँ उसकी माँ की बुर ज़रूर रगड़ूँगा। साली सिर्फ़ अमित को क्यों मज़ा दे ? हम साले मर गए हैं क्या?
शशी उठती हुई बोली: एक बात बताइए कि हमारा मिलन कैसे होगा बहु के आने के बाद?
राज: ये चिंता तो मुझे भी है देखो कोई रास्ता निकालेंगे। ये कहकर वह फिर से उसको अपनी बाँहों में खींच लिया और बोला: तुम्हारा महवारी याने पिरीयड कब आता है?
शशी: अभी दस दिन हैं। क्यों पूछ रहे हैं आप?
राज: अरे इसीलिए कि इस बार नहीं आएगा। तुमको गर्भ से जो कर चुका हूँ।
शशी: आप इतने यक़ीन से कैसे कह सकते हैं?
राज: मैंने तुमको बताया था ना कि मैं पहले भी तीन लड़कियों को गर्भवती कर चुका हूँ और तीनों एक महीने की ही चुदाई में माँ बनने के रास्ते पर चल पड़ीं थीं।
शशी: मैं तो आपको कितनी ही बार पूछ चुकी हूँ पर आप अभी तक एक के बारे में भी नहीं बतायें हैं।
राज: चलो अभी चाय पिलाओ और बाद में जय के दुकान जाने के बाद मैं तुमको बताऊँगा कि कैसे मैंने बुलबुल को गर्भवती किया। वही पहली लड़की थी जिसे मैंने करीब पाँच साल पहले चोद के माँ बनाया था।
शशी: ठीक है बताइएगा आज बुलबुल के बारे में। ये कहकर वह किचन मे चली गयी।
बाद में जय उठकर आया और चाय पीते हुए बाप बेटा बातें करने लगे।
राज: फिर बरखुरदार, रात को नींद आयी या नहीं? कहीं रात भर शादी के सपने तो नहीं देखते रहे?
जय: क्या पापा आप भी ना ? छेड़ रहे हैं मुझे?
राज हँसते हुए बोला: अरे बहु का सेल नम्बर लिया था कि नहीं?
जय शर्माकर: कहाँ ले पाया? सब कुछ इतनी जल्दी में हो गया।
राज : अच्छा चल मैं ही जुगाड़ करता हूँ तेरे लिए। ये कहकर उसने अमित को फ़ोन लगाया।
उधर से रश्मि ने फ़ोन उठाया और बोली: हेलो कौन बोल रहे हैं?
राज: मैं राज बोल रहा हूँ भाभीजी । आप कैसी हैं?
रश्मि: नमस्ते भाई सांब । मैं ठीक हूँ। आप लोग कल अच्छे से पहुँच गए थे ना?
राज: हाँ जी सब बढ़िया है। मैंने इसलिए फ़ोन किया कि मुझे डॉली का नम्बर चाहिए ,जय माँग रहा है। वो दोनों बातें करेंगे तो एक दूसरे को समझेंगे ना।
रश्मि: जी बिलकुल ठीक कहा आपने। मैं अभी आपको sms करती हूँ। जय है क्या बात करवाइए ना?
जय ने फ़ोन लेकर कहा: नमस्ते मम्मी जी।
रश्मि: नमस्ते बेटा , कैसे हो? डॉली को हम लोग बहुत छेड़ रहे हैं तुम्हारा नाम लेकर।
जय: मम्मी आप लोग भी ना बेचारी को क्यों तंग कर रहे हो?
रश्मि: लो अभी से उसकी तरफ़ से बोलने लगे? वाह जी वाह।
जय: मम्मी मेरी आप खिंचाई तो मत करो।
फिर कुछ देर इधर उधर की बातें करके वह फ़ोन राज को दे दिया।
राज: तो भाभीजी आप हमारे घर कब आ रही हैं? आपने तो हमारा घर भी नहीं देखा है।
रश्मि: भाई सांब जल्दी ही आएँगे। आपने सगाई का कुछ सोचा?
राज: आज पंडित जी से बात करूँगा मुहूर्त के लिए। डॉली की कुंडली भी भेज दीजिएगा। जय की कुंडली से मिलवा लेंगे।
रश्मि: भाई सांब सगाई कहाँ करेंगे?
राज : आप जहाँ बोलेंगी वहाँ करेंगे। अजी हम तो आपके हुक्म के ग़ुलाम हैं।
रश्मि: कैसी बात कर रहे हैं, हम लड़की वाले हैं हम झुक कर रहेंगे।
(तभी जय का फ़ोन बजा और वह अपने बेडरूम में चला गया। )
राज: अरे भाभीजी आप जैसी सुंदर महिला की ग़ुलामी करने का मज़ा ही कुछ और है।
रश्मि: भाई सांब आप भी अब मुझे खींच रहे हैं ।
राज: अरे भाभी जी मेरी क्या औक़ात है आपकी खींचने की? मैं तो ख़ुद ही खिंचा जा रहा हीं आपकी तरफ़।
रश्मि: भाई सांब आपको बातों ने जीतना बहुत मुश्किल है।
राज: भाभीजी बातों में जीत सकती है पर हमें एक बार सेवा का मौक़ा दीजिए। सच कहता हूँ आप भी क्या याद करेंगी।
इस बार राज ने द्वीयर्थी डायलॉग बोल ही दिया।वह अपने लौड़े को हल्के से दबाया जो अपना सिर उठा रहा था।
रश्मि एक मिनट के लिए तो चुप सी हो गयी फिर बोली: चलिए सगाई आपके यहाँ ही रखते हैं , देखते हैं कितनी सेवा करते हैं आप?
राज ख़ुश होकर बोला: ये हुई ना बात ।भाभीजी ऐसी सेवा करूँगा आप भी याद रखोगी। बस एक मौक़ा तो दीजिए। और हाँ अपना नम्बर भी दे दीजिए। अमित के नम्बर पर आपको बार बार फ़ोन नहीं कर सकता।
रश्मि: भाई सांब रखती हूँ । भैया आ रहे हैं। मैं आपको sms करती हूँ अपना और डॉली का नम्बर।
फिर फ़ोन कट गया। राज अभी भी लौड़ा दबाये जा रहा था। तभी शशी आयी और मुस्कुरा कर बोली: क्या हो रहा है? मैं दबा दूँ? समधन को पटा रहे थे? मैं सब सुन रही थी।
राज: जय को दुकान जाने दो फिर जो करना है कर लेना। समधन तो साली रँडी है उसे तो शादी के पहले ही चोद दूँगा।
तभी जय के आने की आवाज़ आइ और शशी वहाँ से बाहर चली गई। तभी रश्मि का sms भी आ गया। उसने डॉली का नम्बर जय को फ़ॉर्वर्ड कर दिया और अपने फ़ोन में भी बहू के नाम से सेव कर लिया। और रश्मि का नम्बर भी सेव कर लिया।
अब जय भी अपने समय पर दुकान को चला गया।
उसके जाने के बाद शशी आकर राज के पास आकर बैठी और राज ने उसे अपनी गोद में खींच लिया और उसको चूमने लगा। वो रश्मि से बात करके उत्तेजित हो चुका था ।
तभी शशी बोली: आज आप मुझे बुलबुल के माँ बनने की कहानी सुनाएँगे।याद है ना?
राज उसकी बुर को साड़ी के ऊपर से दबाकर बोला: ज़रूर मेरी जान, बिलकुल सुनाएँगे।
शशी की बुर साड़ी के ऊपर से दबाकर वह बोला: चलो चुदाई करते हैं।
शशी: अभी नहीं पहले बुलबुल के बारे में बताइए की उसको कैसे गर्भ वती किया आपने?
राज: अच्छा पीछे पड़ गयी हो , ठीक है सुनो। फिर उसने अपनी बात बोलनी शुरू की——————
तभी काँच का दरवाज़ा खुला और उसमें से एक बहुत ही गोरी सुंदर थोड़ी भारी बदन की क़रीब मेरे ही उम्र की महिला अंदर आइ और साथ ही तेज़ सेंट की ख़ुशबू दुकान में फैल गयी। मेरी नींद उड़ गयी और मैं उठकर उसके पास आया और बोला: आइए मैडम जी, बैठिए।
वो मुस्कुरा कर बोली: मुझे कुछ नई साड़ियाँ दिखाइए।
मैं उसे नई डिजाइन की साड़ियाँ दिखाने लगा। वह हर साड़ी को अपने ऊपर रखती और शीशे में देखती थी। ये करते हुए उसका पल्लू खिसक जाता था और मुझे उसकी बड़ी बड़ी चुचीयो की और उनके बीच की घाटी के दर्शन हो जाते थे। ऐसा करते हुए आख़िर उसने दो साड़ियाँ पसंद कीं। मेरा लौड़ा गरमाने लगा था। वह जब शीशे के सामने खड़ी होती तो उसके मस्त चूतरों के उभार तो जैसे मुझे दीवाना कर रहे थे।
फिर वह बोली: आपके यहाँ कोई सेल्ज़ गर्ल नहीं है क्या?
मैं: है ना मगर सब अभी सामने होटेल में खाना खाने गए हैं क्योंकि उंनमें से एक का आज जन्म दिन है। आपको कुछ चाहिए तो आप मुझे बताइए ना?
उसने हिचकिचाते हुए कहा: मुझे अंडर गारमेंट्स चाहिए।
मैं: आइए इस काउंटर पर आइए मैं निकालता हूँ।
यह कहकर मैं एक काउंटर जे पीछे पहुँचा और वहाँ रखे ब्रा और पैंटी को दिखाकर बोला: बताइए किस पैटर्न में दिखाऊँ?
वह बोली: आप मुझे सभी दिखायीये मैं पसंद कर लूँगी।
मैंने उसको जानबूझकर पैडेड ब्रा के डिब्बे से ब्रा निकाल कर दिखाया।
वह बोली: मुझे बिना पैडेड वाली ब्रा चाहिए।
मैं मुस्कुराकर उसकी छाती को देखकर बोला: आप सही कह रही हैं , आपको भला पैड की क्या ज़रूरत है?
वो मेरी बात का मतलब समझ कर लाल हो गई पर कुछ नहीं बोली।
फिर मैंने जानबुझकर उसको ३६ साइज़ की लेस वाली ब्रा दिखाई। वह उसको देखकर बोली: हाँ ये पैटर्न तो सही है पर मुझे बड़ी चाहिए।
मैंने पूछा: क्या साइज़ है मैडम?
वो थोड़ा सा हिचकिचाके बोली: ४० की चाहिए।
मैंने ख़ुश होकर कहा: आपकी और मेरी बीवी की साइज़ एक ही है। अच्छा ज़रा रुकिए , मैंने अपनी बीवी के लिए कुछ नई नाट्टि ब्रा लाया था। उसमें से कुछ शायद आपको भी पसंद आ जाएँ। यह कहकर मैंने उसे बहुत सेक्सी ब्रा दिखायीं। उंनमें निपल के छेद बने थे और निप्पल की जगह किसी में नेट लगा था।
वह ये देखकर बोली: आप अपनी बीवी के लिए ऐसे ब्रा ख़रीदे है ? छी मुझे तो बहुत शर्म आ रही है।
मैं: मुझे तो वो इसमें बहुत सेक्सी लगती है। आप भी बहुत सेक्सी लगेंगी।
वो बोली: नहीं नहीं मुझे आप ये सादी वाली ही दे दीजिए। और अब पैंटी दिखा दीजिए।
मैं उसके कमर को देख कर बोला: आपको तो xxl ही आती होगी। मेरी बीवी का भी यही साइज़ है। फिर मैंने उसे सेक्सी जाली वाली पैंटी ही दिखाई। वह उसे देखकर बोली: छी ये पहनने या ना पहनने में क्या फ़र्क़ है भला।
मैं: अरे मैडम ये भी बहुत सेक्सी है आप पर बहुत फबेगी।
वो: नहीं नहीं मैं ऐसे कपड़े नहीं पहन सकती। फिर मैंने उसे सादी पैंटी दिखाई तो वह उसने ले ली। मैं समझ गया था कि वह एक शरीफ़ महिला है। पर क्या करता मेरा आवारा लौड़ा कड़ा होकर मुझे बार बार उसकी ओर खींच रहा था।
मैं: मैडम मैं आपको भाभी जी बोल सकता हूँ?
वो: हाँ हाँ क्यों नहीं? भाई सांब आपके कितने बच्चे हैं?
मैं: दो और आपके? आपके पति का बिज़नेस है क्या?
वो: जी हाँ उनका इक्स्पॉर्ट का काम है । मेरे एक ही बेटा है, उसकी शादी हो चुकी है।
मैं: तो आप दादी भी बन गयी क्या?
वो दुखी होकर बोली: नहीं अभी तक तो नहीं बनी हूँ।
फिर मैं बिल बना रहा था तो मैंने उसका नाम पूछा। उसने अपना नाम साधना बताया। मैंने उसका मोबाइल नम्बर और पता भी ले लिया। फिर बिल का पैसा देकर वो जाने लगी तो मैं बोला: भाभी जी आते रहिएगा।
साधना: ठीक है फिर आऊँगी।
अचानक मुझे पता नहीं क्या हुआ कि मैं बोला: भाभी जी , कल शाम को एक कॉफ़ी साथ में पियें क्या?
साधना हैरानी से बोली: जी? क्या मतलब?
मैं: बस एक कप कॉफ़ी का तो बोला है और क्या? यहाँ पास में एक कॉफ़ी शाप है चौक पर । कल आपका वहाँ शाम को पाँच बजे इंतज़ार करूँग़ा ।
साधना: पाँच बजे नहीं चार बजे। छह बजे मेरे पति और बेटा घर आ जाते हैं।
मैं: ठीक है चार बजे। वह मुस्कुराकर चली गयी।
और मैं अपना लौड़ा मसलते हुए उसके मस्त गदराये बदन का सोचने लगा।
उस रात मैंने सरिता याने अपनी बीवी को जबदरस्त तरीक़े से चोदा। और ये सोचकर चोदा कि साधना को चोद रहा हूँ।