08-01-2021, 09:05 PM
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त ससुर बहू की मस्त चुदाई की कहानी लेकर हाजिर हूँ दोस्तो ये कहानी कुछ ज़्यादा ही मस्ती भरी है ये मेरा वादा है कि ये कहानी आपको ज़रूर पसंद आएगी . तो दोस्तो चलिए कहानी की तरफ चलते हैं ....राज अपने कमरे में उदास बैठा है, और कमरे की खाली दीवारों को घूर कर अपने दुखी मन को शांत करने की कोशिश कर रहा है। वह 44 साल का एक तंदूरूस्त हट्टा क़ट्टा गोरा व्यक्ति है और उसकी इस २५ लाख की आबादी वाले शहर में कपड़ों की बड़ी दुकान है।
उसने यह काम बड़े ही छोटे लेवल पर चालू किया था पर आज वह एक बहुत ही शानदार शोरूम का मालिक था। पर पिछले एक महीने से वह शोरूम पर नहीं गया था। शोरूम पर उसका जवान बेटा जय ही बैठ रहा था जो कि २५ साल का हो चला था। उसकी एक २४ साल की बेटी भी है जिसकी शादी को तीन साल हो चुके हैं और वह एक दूसरे शहर में रहती है।
राज के दुःख का कारण यह है कि एक महीने पहले उसकी पत्नी का किसी बीमारी से देहांत हो गया। वह अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था और उसे दुःख इस बात का है कि बिना किसी पूर्वाभास के वह बीमार हुई और क़रीब एक महीने में स्वर्गवासी भी हो गयी। सब रिश्तेदार आए थे और अब सब अपने घर वापस चले गए । आख़िर में जाने वाली उसकी बेटी थी । अब सबके जाने के बाद वह फिर अकेला महसूस कर रहा था। बेटे जय ने कहा भी कि काम में मन लगाइए ताकि दुःख कुछ कम हो जाए, पर वह अभी भी सामान्य नहीं हो पाया था।
अपनी सोचो से बाहर आते हुए राज ने टीवी ऑन कर लिया , अचानक टेलीविजन का चैनल बदलते हुए एक फ़िल्म लग गयी जिसमें एक भरे बदन की हीरोईंन बारिश के पानी में भीग रही थी और उसके बहुत ही मादक अंग साड़ी से दिख ज़्यादा रहे थे और छुप कम रहे थे। ये देखकर अचानक उसके लंड ने झटका मारा और उसका हाथ अपने लंड पर चला गया और वह उसे दबाने लगा। उसे अभी अभी महसूस हुआ कि आज पूरे दो महीने के बाद उसके लंड में हरकत हुई है। वरना एक महीने की पायल की बीमारी और एक महीने का शोक – उसका तो लंड- जैसे खड़ा होना ही भूल गया था।
उसे बड़ा अच्छा लगा और वह लंड को सहलाता ही चला गया। फिर उसने उसे अपनी लूँगी और चड्डी से बाहर निकाल लिया और अपने बड़े बड़े बॉल्ज़ को सहलाते हुए उसने मूठ्ठ मारनी शुरू की। उसका क़रीब ८ इंचि मोटा लौड़ा उसकी मूठ्ठी में आधा भी समा नहीं रहा था। क़रीब १० मिनट उसे हिलाते हुए पायल के साथ बिताए हुए मादक लमहों को याद करते हुए वह झड़ने लगा। उसे लगा कि वह पायल के मुँह में झड़ रहा है। और वह पहले की तरह उसका गाढ़ा वीर्य स्वाद लेकर पीते जा रही है।
पर जब उसने आँख खोली तो अपने को अकेला पा कर उसने आह भरी और पायल को याद करके उसकी आँख भर आइ।
हालाँकि वह पायल को बहुत प्यार करता था पर अनेक सफल मर्दों की तरह वह भी कभी कभी यहाँ वहाँ मुँह मार लिया करता था उसकी कमज़ोरी भरे बदन की कम उम्र की लड़कियाँ थीं। उसने कई लड़कियों से मज़े लिए पर कभी भी किसी से रिश्ता नहीं बनाया। ज़्यादातर लड़कियाँ एक रात की ही मेहमान होती थीं। बस सिर्फ़ तीन लड़कियों से ही उसके सम्बंध अपेक्षाकृत लम्बे चले, यही कोई तीन चार महीने। इसके बारे में आगे कहानी में पता चलेगा, कि किन हालातों में उन तीन लड़कियों से उसका रिश्ता बना।
आज उसने अपना वीर्य साफ़ किया और बाद में सोफ़े पर आकर दुकान का हिसाब देखने की कोशिश किया। दिन के ११ बज गए थे। जय को दुकान गए १ घंटा हो चुका था। तभी कॉल बेल बजी। उसने दरवाज़ा खोला और सामने कांता खड़ी थी। वह घर की नौक रानी थी और पायल की बहुत चहेती थी। उसकी उम्र करींब ३५ साल की थी और वह एक चूसे हुए आम की तरह थी। वह आकर किचन में चली गई। वह घर के सब काम करती थी और अब पायल के जाने के बाद खाना भी बना देती थी।
जय अपने काम में लग गया और तभी कांता वहाँ झाड़ू लगाने लगी। उसके सुखी हुई काया उसके सामने थी और दो महीने का प्यासा राज ये सोचने लगा कि क्या इसे ही चोद लूँ? पर जब साड़ी से उसकी नीचुड़ि हुई चूचियाँ देखा तो उसका लौड़ा शांत हो गया। उसने अपना ध्यान काम में लगाया।
तभी कांता का मोबाइल बज उठा और वह किचन में उसे लेकर बात करने लगी। थोड़ी देर बाद वह बाहर आयी और बोली: साहब, मुझे छुट्टी जाना होगा क्योंकि मेरी बहु को बच्चा होने वाला है। कम से कम तीन महीने लगेंगे।
राज: अरे तो हमारा क्या होगा? तुम किसी को काम पर लगा कर जाओ।
कांता: जी साहब, कल से मेरी भतीजी आएगी , उसका नाम शशी है वही काम करेगी, मेरी अभी उससे बात भी हो गई है।
राज: ओह उसको खाना बनाना आता है ना?
कांता: हाँ आता है वो कई साल एक परिवार में काम की है उसको सब आता है। आजकल ख़ाली है तो आपके यहाँ काम कर लेगी।
राज: क्या शादीशुदा है?
कांता: जी हाँ शादी को ७ साल हो गए हैं। मगर बेचारी को कोई बच्चा नहीं है। इसके कारण दुखी रहती है।
राज: ओह ऐसा क्या? अब ये तो भगवान की मर्ज़ी है ना ?
कांता फिर अपने काम में व्यस्त हो गई और राज भी अपने काम में लग गया। फिर उसने जय को फ़ोन लगाया: बेटा तुम्हारा कल का हिसाब ठीक है , अब तुम बढ़िया काम कर रहे हो। आज मुझे तुमसे एक ज़रूरी बात भी करनी है। रात को मिलते हैं।
रात को जय क़रीब ९ बजे घर पहुँचा और वो दोनों खाना खाए। बाद में राज बोला: बेटा, आज मैं तुमको एक बात कहना चाहता हूँ, मैं पायल के जाने के बाद बहुत अकेला हो गया हूँ, मैं सोच रहा था कि मैं दूसरी शादी कर लूँ। तुम्हारा क्या ख़याल है इस बारे में?
जय चौक कर बोला: क्या पापा, ये क्या बोल रहे हैं आप? कितना अजीब लगेगा प्लीज़ ऐसा मत करिए।
राज: अगर मैं नहीं कर सकता तो तुम कर लो। बेटा, घर में एक औरत होनी ही चाहिए। घर औरत के बिना अधूरा होता है।
जय: ठीक है पापा, अगर आप ऐसा चाहते हो तो यही सही।
राज: अब ये बताओ कि तुम्हारी कोई गर्ल फ़्रेंड है?
जय: पापा आप जानते ही हो कि मेरी किसी लड़की से दोस्ती नहीं है। मुझे तो दुकान से ही फ़ुर्सत नहीं मिलती।
राज: तो फिर मैं तेरे लिए लड़की देखनी शुरू करूँ?
जय: ठीक है पापा आप देखिए । काश मॉ होती तो ये काम वो करतीं? है ना?
राज: हाँ बेटा वो तुम्हारी शादी का बहुत अरमान रखती थी पर बेचारी के अरमान पूरे ही नहीं हो सके।
थोड़ी देर और बातें करके वह दोनों अपने अपने कमरे में सोने चले गए।
सुबह ५ बजे उठकर राज फ़्रेश होकर एक घंटे की सैर पर गया। वहाँ बग़ीचे में कई लड़कियाँ और औरतें भी ट्रैक सूट में अपने गोल गोल चूतरों को उभारे घूम रही थीं और राज का मन बड़ा बेचेंन हो रहा था। उनकी छातियाँ भी दौड़ने के दौरान ऊपर नीचे होकर उसकी ट्रैक सूट के अंदर उसके हथियार को कड़ा किए जा रहीं थीं। इसी हालत में वह वापस आया और कमरे में बैठ के पसीना सुखाने लगा। तभी काल बेल बजी और उसने दरवाज़ा खोला।
बाहर एक दुबली सी लड़की खड़ी थी। वह समझ गया कि यह शशी ही होगी। उसने पूछा: तुम शशी हो ना?
शशी: जी साहब मैं ही कांता चाची की भतीजी हूँ।
राज: आओ अंदर आओ ।फिर उसने उसे पूरा घर दिखाया और कहा : पहले चाय बना दो। किचन से बाहर आते हुए उसने शशी को भरपूर निगाहों से देखा। वह कोई २०/२१ से बड़ी नहीं दिख रही थी। दुबली पतली , छाती भी छोटी और चूतरों में भी कोई ख़ास उभार नहीं। वह उसकी टाइप की तो लड़की है ही नहीं। उसे तो भरी हुई लड़की अच्छी लगती है।
थोड़ी देर बाद वह चाय लायी । चाय लेते हुए वह बोला: तुम सच में शादी शूदा हो? बहुत छोटी सी दिखती हो ।
शशी: जी साहब मेरी शादी को सात साल हो गए हैं । वैसे मैं ऐसी ही पतली दुबली हूँ शुरू से ।
राज: क्या उम्र है तुम्हारी? दिखती तो २०/२२ की हो।
शशी: जी मैं २७ की हूँ। पतली होने के कारण शायद छोटी लगती हूँ। फिर वह अपने काम में व्यस्त हो गयी। राज सोचने कहा कि साली थोड़ी सी भरे हुए बदन की होती तो कुछ मज़ा ले भी लेता पर ये तो मरी हुई चुहिया जैसी है। क्या मज़ा आएगा इसके साथ।
थोड़ी देर बाद वह उसके कमरे में झाड़ू लगा रही थी तो उसकी क़ुरती ऊपर चढ़ गयी थी और उसके चूतड़ सलवार से दिख रहे थे। राज सोचने लगा कि इतनी भी बुरी नहीं है। मज़ा लिया जा सकता है। जय अभी भी सो रहा था, वह अक्सर ८ बजे से पहले नहीं उठता था।
राज ने बात चलायी: कौन कौन घर में है तुम्हारे?
शशी : मेरा पति और मेरी सास।
राज जानबुझ कर पूछा: और बच्चे?
शशी उदास होकर बोली: जी नहीं हैं।
राज: शादी को सात साल हो गए? डॉक्टर को दिखाया कि नहीं?
शशी: जी दिखाया है वो बोले कि मेरे में कोई कमी नहीं है। और मेरा मर्द तो डॉक्टर के पास जाने को राज़ी ही नहीं है। क्या कर सकती हूँ भला मैं!
राज: ओह तो कमी उसी में होगी । सास कुछ बोलती नहीं तुमको?
शशी: दिन भर ताने सुनाती है और बेटे की दूसरी शादी की भी धमकी देती है।
राज: ओह ये तो बड़ी समस्या है। वैसे एक बात बोलूँ , तुमको अपने शरीर का ख़याल रखना चाहिए। इतनी दुबली हो अगर गर्भ ठहर भी गया तो बच्चा भी तेरे जैसा दुबला ही होगा ।
शशी: साहब ग़रीब लोग हैं हम लोग। आपके जैसा खाने पीने को थोड़े मिलता है।
राज हँसते हुए बोला: चलो अब हमारे घर में रहोगी तो तुम वही खाओगी जो हम खाएँगे। और जल्दी ही तगड़ी हो जाओगी।
शशी उसको अजीब निगाहों से देख रही थी, शायद यह समझने की कोशिश कर रही थी कि यह बुज़ुर्ग उसमें इतनी दिलचस्पी क्यों दिखा रहा है। वैसे उसे यह कुछ बुरा नहीं लगा। ये सच है कि उसे ज़्यादा अटेन्शन नहीं मिलता था।
इसलिए साहब का उसमें दिलचस्पी लेना उसे अच्छा ही लग रहा था।
राज नहाने चला गया और उसे बग़ीचे की सेक्सी लड़कियाँ याद आ रही थीं और उसका लौड़ा खड़ा हो गया। आऽऽह क्या मस्त दूध थे और क्या उभरी हुई गाँड़ थी। वह अपने लौड़े को दबाए जा रहा था। तभी उसके ध्यान में शशी का बदन और उसके सलवार में चिपके चूतड़ आये और वह मज़े से मुस्कुराया और सोचा कि शायद उसको चोदने में भी बड़ा मज़ा आएगा।
वह नहा कर बाहर आया और टी शर्ट और लोअर पहन कर तैयार हुआ और किचन में जाकर शशी को बोला: दो ग्लास केसर बादाम डाल कर दूध बनाओ। साथ ही २ सेब केले और नाशपाती भी काट के लाओ। शशी ने हाँ में सिर हिलाया और काम में लग गयी।
थोड़ी देर में वह एक ट्रे में दूध का दो गिलास और फल काटकर लायी। और सामने टी टेबल पर रख दिया जो कि सोफ़े के सामने रखा था।
राज ने एक गिलास दूध उठाया और उसके हाथ में दे दिया। शशी ने प्रश्न सूचक नज़रों से देखा और बोली: छोटे सांब उठ गए क्या? उनको देना है?
राज: अरे वो तो ९ बजे उठेगा। यह तुमको पीना है। मैंने कहा था ना कि तुमको तगड़ी बनाना है। तो चलो पीओ अब।
वह हैरान होकर उसको देखी और राज ने दूसरा गिलास उठाया और पीने लगा। और फिर से उसे पीने का इशारा किया। वह धीरे से पीने लगी। साफ़ लग रहा था कि उसे बहुत अच्छा लग रहा था।
फिर राज ने फल की प्लेट उठायी और पास ही खड़ी शशी को बोला: लो फल भी खाओ।
वह झिझकते हुए बोली: साहब पेट भर गया।
राज ने उसके पेट की तरफ़ इशारा करके कहा: देखो इतना छोटा भी नहीं है तुम्हारा पेट कि इसमे फल की भी जगह नहीं हो। चलो खाओ। फिर उसका हाथ पकड़कर पास में बिठाया और उसके मुँह में सेब का एक टुकड़ा डाल दिया। वो थोड़ी सी परेशान दिख रही थी, पर खाने लगी।
राज: सुबह से कुछ खाया है? उसने नहीं में सिर हिलाया। तब उसने एक टुकड़ा और उसके मुँह में डाल दिया। अब राज भी खाने लगा और उसे। भी खिलाए जा रहा था। शशी को कभी इतना अटेन्शन नहीं मिला था सो वह भी इन पलों का आनंद लेने लगी। फल ख़त्म होने के बाद राज बोला: शाबाश, बहुत बढ़िया। फिर उसके हाथ को पकड़कर बोला: आधे घंटे के बाद मैं पराँठा और ओमलेट खाऊँगा, वो भी मेरे और अपने लिए भी बना लेना। साथ ही खाएँगे। ठीक है?
शशी: जी साहब । फिर वह खड़ी होने लगी तो राज ने उसका हाथ छोड़ दिया। वह किचन में चली गयी। राज भी पेपर पढ़ने लगा। जय अभी भी सो रहा था।
आधे घंटे के बाद वह नाश्ता डाइनिंग टेबल पर लगा दी। उसने राज के लिए एक प्लेट भी लगा दी थी।
राज: तुम्हारी प्लेट कहाँ है? मैंने कहा था ना कि जो मैं खाऊँगा वही तुमको भी खाना है। चलो प्लेट लाओ और बैठो यहाँ।
शशी: साहब मैं खा लूँगी, अभी आप खालो।
राज: पक्का बाद में खा लोगी?
शशी: पक्का खा लूँगी।
राज: अच्छा चलो एक कौर तो मेरे हाथ से खाओ। ये कहकर उसने उसके मुँह में एक कौर डाला और वो उसको खाते हुए किचन में चली गयी। उसने बड़े प्यार से गरम गरम पराँठे खिलाए और राज ने भी उसकी पाक कला की बहुत तारीफ़ की। वो शायद तारीफ़ की भी भूकी थी क्योंकि वह बहुत ख़ुश हो गयी थी। फिर राज ने दो कप चाय माँगी। जब वह चाय लायी तो उसने उसे ज़िद करके अपने बग़ल में बैठाया और चाय पीने को बोला। वह चुपचाप चाय पीने लगी।
राज: तुम्हारा पति तुम्हें प्यार तो करता है ना?
शशी की आँख गीली ही गयी और बोली: जैसे आज आपने इतने प्यार से खिलाया ऐसे भी आजतक उसने मुझे सात साल में कभी नहीं पूछा। वो औरत को बस एक काम के लिए ही समझता है।
राज ने भोलेपन से पूछा: किस काम के लिए?
शशी ने नज़रें झुका लीं और बोली: वही जो मर्द को चाहिए बिस्तर में औरत से।
राज: ओह अब समझा। सच में तुम्हारा मर्द ऐसा है? ये तो बड़ी अजीब बात है।
शशी: साहब हम ग़रीब औरतों का यही हाल है?
राज ने उसकी पतली कलाई पकड़ी और उसको सहलाने लगा और बोला: देखो तुम कितनी दुबली हो? मैं तो तुमको तगड़ी करके ही मानूँगा।
शशी हँसकर बोली: क्या आप मुझे तगड़ी बना कर पहलवानी करवाओगे? इस पर दोनों हँसने लगे।
फिर शशी अपने काम में लग गई, थोड़ी देर बाद जय भी उठकर आया और राज ने उसके लिए भी चाय मँगवाई। शशी चाय लाई और जय को नमस्ते की। राज ने बताया कि यह नई नौकशशी है। जय ने ओह कहकर चाय पी। फिर दोनों बाप बेटा दुकान की बात करने लगे। बाद में जय नहाने चला गया। राज ने शशी को उसके लिए नाश्ता और लंच के लिए डिब्बा भी बनाने को कहा।
जय तैयार होकर नाश्ता करके लंच का डिब्बा लेकर १० बजे दुकान चला गया। अब घर में फिर से दोनों अकेले हो गए। थोड़ी देर बाद राज ने शशी को आवाज़ दी और बोला: मैं ज़रा बाज़ार जा रहा हूँ, तुम्हें कुछ चाहिए? फिर अचानक उसकी निगाहें उसकी बड़ी बड़ी आँख पर पड़ीं और उनमें एक सफ़ेदी सी देखकर वह उसका हाथ पकड़ा और उसकी उँगलियों के नाख़ून को चेक किया और बोला: अरे तुमको तो आयरन की कमी है , ऐसी ही कमी एक बार मेरी बीवी को भी हो गयी थी, तभी तुम इतनी कमज़ोर हो। मैं आज दवाई लाउँगा। ये कहकर उसने उसका हाथ छोड़ा और बाहर निकल गया।
वो पास के बाज़ार में एक दुकान में गया और वहाँ अपने दोस्त से मिला जिसने उसका बड़े तपाक से स्वागत किया। इधर उधर की बातों के बाद चाय पीकर राज बोला: यार, मैंने जय की शादी करने का फ़ैसला किया है, तेरी निगाह में कोई लड़की है उसके लायक तो बताना।
दोस्त: हाँ यार क्यों नहीं , थोड़ा सोच लेने दे जैसे ही ध्यान में आएगा बताऊँगा।
राज: ठीक है भाई फिर चलता हूँ।
वहाँ से निकल कर वह दवाई की दुकान से मल्टीविटामिन और आयरन टॉनिक ख़रीदा और कुछ ज़रूरी चीज़ें लेकर घर आया।
शशी को उसने पानी और चम्मच लाने को कहा। फिर उसने दो दो चम्मच दोनों दवाइयाँ उसको अपने हाथ से पिलायीं। शशी की आँखों में आँसू छलक आए। आज तक किसी ने भी उसकी इतनी फ़िक्र नहीं की थी। राज ने उसके आँसू पोंछें और झुक कर उसका माथा चूम लिया और बोला: अरे रो क्यों रही हो, अब तो जल्दी ही तुम तगड़ी हो जाओगी और फिर कुश्ती लड़ना। वह भावुक होकर बोली: आप बहुत अच्छे हैं साहब, मैं आपको बाऊजी बोल सकती हूँ क्या?
राज ने उसे खींचकर अपने से लिपटा लिया और बोला: क्यों नहीं ज़रूर बोलो। और उसके गालों पर चिमटी काट दी। वह हँसते हुए भाग गयी। अब जब भी मौक़ा मिलता राज उसके हाथ पकड़ लेता और कभी गाल भी सहला देता।
इस बीच राज ने अपने रिश्तेदारों को भी फ़ोन किया और जय के लिए लड़की ढूँढने को कहा।
इसी तरह पाँच दिन निकल गए और अब भी राज शशी को अपने हाथ से ही फल खिलाता और दवाई भी पिलाता। शशी की झिझक अब काफ़ी कम हो गयी थी। कई बार वह उसे अपने से चिपका लेता और प्यार से उसके गाल भी सहला देता। क़रीब पाँच दिनों में ही दोनों ने एक तरह का बोंड सा हो गया था। राज का अकेलापन दूर हो गया था और शशी भी अटेन्शन की भूकी थी जो उसे भरपूर मिल रहा था। वो सुबह आती फिर २ बजे अपने घर चली जाती और फिर ५ बजे से ८ बजे तक रात का खाना बना कर चली जाती। राज उसके तीनों टाइम के खाने का ध्यान रखता और उसे खिलाकर ही छोड़ता था। इस तरह के अच्छे खाने और ख़ुश रहने के कारण उसके चेहरे में एक चमक सी आने लगी थी और शरीर भी थोड़ा सा गदराने सा लगा था।
क़रीब एक हफ़्ते के बाद एक दिन सुबह जब उसने शशी के लिए दरवाज़ा खोला तो उसकी आँख के नीचे गाल में सूजन थी। वह चौंक कर बोला: शशी क्या हुआ ? ये चोट कैसी?
शशी अंदर आयी और ज़मीन पर बैठ गयी और फफक कर रोने लगी। राज थोड़ा सा परेशान हो कर उसको उठाया और सोफ़े पर बिठा कर उसके बग़ल में बैठ गया और उसको अपने से सटा कर उसकी पीठ पर हाथ फेरा और बोला: अरे क्या हुआ? बताएगी भी? क्या मर्द ने मारा?
शशी उसके कंधे पर सिर रखकर रोते हुए बोली: हाँ बहुत मारा। ये देखिए, कहते हुए उसने अपना गला भी दिखाया जहाँ लाल निशान थे । फिर उसने अपनी सलवार भी पैरों से उठाकर अपनी टांगो को दिखाया जहाँ लाल निशान थे । उसकी बाँह भी लाल हुई जा रही थी। राज उठकर दवाई लाया और उसकी सब जगह दवाई लगाया। वह फिर से रोने लगी और बोली: मैं मर जाऊँगी। मुझे नहीं जीना।
अब राज ने उसे खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया और उसके गाल को चूमते हुए बोला: ऐसा नहीं बोलते। मैं हूँ ना अभी । अच्छा अब बताओ क्या हुआ था?
शशी: कल रात को वह देर से आया और उसने शराब पी हुई थी। वह बिस्तर पर आया और मेरी मैक्सी उठाने लगा। मैंने मना किया कि तुम बहुत बास मार रहे हो। वह ग़ुस्सा हो गया और चिल्लाया कि साली बच्चा भी नहीं पैदा कर सकती और मुझे करने भी नहीं देती, मादरचोद , आज तेरी लेकर ही रहूँगा। मैं बहुत चिल्लायी और रोई पर उसने एक नहीं मानी और मेरी मैक्सी उठाने लगा। मेरे विरोध करने पर उसने मुझे बहुत मारा और आख़िर में उसने अपनी मन की कर ही ली।
राज उसकी बाँह सहलाते हुए बोला: ओह तो वो तुमको ज़बरदस्ती चोद लिया? ये तो बलात्कार हुआ।
शशी एक मिनट के लिए राज की भाषा पर चौकी पर उसके घर में तो इस तरह की भाषा का उपयोग होते ही रहता था , सो उसने ध्यान नहीं दिया। शशी बोली: क्या करें बाऊजी हम औरतों का तो यही हाल होता है? साला ख़ुद नामर्द है और मुझे बाँझ कहता है। कमीना कहीं का। ये कहते हुए उसने राज की छाती पर अपना सिर रख दिया। वो अभी भी उसकी गोद में बैठी थी।
अब राज ने उसे प्यार से देखते हुए उसकी बाँह को सहलाते हुए उसके गाल चूमने शुरू किए। फिर वह उसके सब लाल निशान को चूमने लगा। उसकी बाँह गाल और गरदन भी चूमा। फिर उसने अपने से जकड़ कर कहा: इस समस्या का एक ही हल है शशी।
शशी ने उसकी छाती से अपना सिर उठाया और बोली: क्या हल है बाऊजी?
राज उसकी आँखों में देखते हुए बोला: तुम्हें माँ बनना पड़ेगा। तभी उस कमीने का मुँह बंद होगा।
शशी: पर ये कैसे होगा?
राज झुका और उसके होंठ चूमकर बोला: मैं हूँ ना, इस काम के लिए।
शशी चौक कर बोली: आप ये क्या कह रहे हैं? मैं ऐसी औरत नहीं हूँ।