08-01-2021, 08:45 PM
फिर मैने उसको फिर से नीचे किया और उसको इस तराहा घुमाया कि उसकी चुनमुनियाँ बेड के बगल मे रखे आईने की तरफ हो गयी. मैं उसको फिर से चोद्ने लगा. और उसे कहा, “भाभी, आप अपने चुनमुनियाँ को आईने मे देखिए कि मेरा लंड आपकी चुनमुनियाँ मे कैसे अंदर-बाहर हो रहा है.” मैने भी मूड के देखा. बहुत सुंदर द्रिश्य था. एक दुबला सा युवक का लंड, गोरी मांसल जाँघ वाली की चिकनी चुनमुनियाँ मे आराम से अंदर बाहर हो रहा था और चुनमुनियाँ के चारों ओर सफेद सा लिक्विड फैला हुआ था. वो बोली, “चुनमुनियाँ तो मेरी बहुत लस्लसि दिख रही है, और आपका लंड चुनमुनियाँ को कैसे चीरते हुए अंदर चला जा रहा है!” फिर मैने अपने पैरों को उसकी कमर के साइड मे रखा और अपना लंड उसकी गीली चुनमुनियाँ मे फिर से पेल कर चुनमुनियाँ के उपर ही बैठ गया. थोड़ा देरी इसी पोज़िशन मे बैठा रहा और उसको चोद्ने लगा. उसके बाद मैने उसकी टाँगे सटा कर सीधी कर दी और लंड फिर से चुनमुनियाँ मे घुसा दिया. अब लंड थोड़ा टाइट जा रहा था. लेकिन मैं जानता था कि इस पोज़िशन मे ज़्यादा कंटिन्यू करना मतलब लंड का झड़ना है. मैने 15-20 हल्के धक्के के बाद लंड निकाला.
घड़ी मे 12:55 हो गये थे. मैने भाभी को बेड से उठाकर बगल के टेबल पे बैठने का इशारा किया. वो इशारा समझ गयी और चुनमुनियाँ सामने कर के टाँगें फैलाकर आराम से बैठ गयी. वो मेरा फॅवुरेट पोज़िशन है और अक्सर मैं चुदाई के लास्ट स्टेज के लिए बचा के रखता हूँ. उस टेबल की हाइट मेरी कमर के बराबर है. पिछली बार भी भाभी को उसी पोज़िशन मे चोद कर झाड़ा था. वो पोज़िशन बहुत कंफर्टबल लगता है. चुदवाने वाली भी आराम से बैठी रहती है और चोद्ने वाला भी आराम से खड़े होके चोद सकता है.
मैने भाभी की चुनमुनियाँ मे फिर से शहद लगाया और उसको दुबारा चाटना शुरू किया. 8-10 मिनट तक़ चपर-चपार करके खूब चाटा, शहद और चुनमुनियाँ रस का खूब चूसा. उसको शायद कुच्छ ज़्यादा ही मज़ा आ रहा था, तभी तो उसने मेरे सिर को ज़ोरों से जाकड़ रखा था. वो बहुत उत्तेजित सी लग रही थी, बोली, “आशीष, अब लंड चुनमुनियाँ मे पेलिए ना!”
मैं उठा और लंड को उसकी चुनमुनियाँ मे घुसेड दिया और हौले हौले चोद्ने लगा. 40-50 स्लो मूव्स के बाद मैने स्पीड बढ़ाई. मैं भी अब जोश कंट्रोल से बाहर हो रहा था. ढप-डप चोद्ने लगा. कभी कभी लंड पूरा खींच कर निकाल कर तेज़ी से घुसेड देता, लंड पूरा समा जाता, ऐसा लग रहा था कि लंड चुनमुनियाँ के अंदर किसी दीवार पे टकरा रहा है. वो मुझसे ज़ोर से चिपक गयी और चिल्लाने लगी, “आशीष, आपने मुझे चुदक्कड बना दिया, चोदिये… चोदते रहिए.” मैने पूछा, “भाभी आपका पीरियड ख़तम हुए 3-4 दिन हुए है ना!!” वो बोली, “ठीक 4 दिन. लेकिन आप को कैसे मालूम?” मैने कहा, “कॅल्क्युलेशन करके भाभी.”
ऐसे पीरियड के 6 दिन तक प्रेग्नेन्सी का ज़्यादा चान्स नहीं होता, फिर भी मैने सोचा कि यहाँ रिस्क नहीं लेना चाहिए. कहीं बच्चा ठहर गया तो हम दोनों के फ्यूचर के लिए ठीक नहीं होता.
मैं ललिता भाभी को चोद्ता रहा. मेरे अंडकोष उसकी गांद और थाइ से टकरा रहे थे, धप-धप की आवाज़ उसी से आ रही थी. वो बोली, “ये कैसी आवाज़ आ रही है!!” वो मुझे बेतहासा चूमने लगी. मैं उसकी चुनमुनियाँ मे धक्के मारता रहा. लेकिन चूँकि चुनमुनियाँ काफ़ी गीली और गीली हो गयी थी, घर्सन कम होने से आनंद तो आ ही रहा था, लेकिन लंड झाड़ ही नहीं रहा था. इसी बीच ऐसा लगा कि चुनमुनियाँ से रस बहुत निकल रहा है. वो फिर से झाड़ गयी थी. वो मुझसे चिपक गयी. मैं थोड़ी देर शांत रहा. उसकी चुनमुनियाँ की ओर इशारा करते हुए बोला, “देखिए भाभी, मेरा लंड आपकी चुनमुनियाँ मे कैसा धन्सा है.” ट्यूब लाइट की रोशनी मे गीली चुनमुनियाँ चमक रही थी.
मैं फिर से धक्के मारने लगा. उच्छल उछल कर धक्के मारता रहा. मैं भी अब बहुत थक गया था. बड़ी मेहनत के बाद 4-5 मिनट मे मेरा अल्टिमेट सिचुयेशन आने को हुआ. मैने अपना लंड उसकी चुनमुनियाँ से खींच लिया और अपना सारा लंड-रस उसकी चुनमुनियाँ के उपर नाभि और पेट पे गिरा दिया.
हम दोनों उसी अवस्था मे थोड़ी देर चिपके रहे. दोनों की साँसे लंबी लंबी चलने लगी. 1:15 बज चुके थे. मैने भाभी के होंठो को किस किया और अलग हुए. ललिता टेबल से उतर कर नगी ही बाथरूम की ओर चली. मैने पीछे से उसकी चाल देखी, उसके गोल-गोल चूतड़ बड़े शानदार अंदाज़ मे हिल रहे थे. मैं भी उसके पीछे नंगा ही बाथरूम मे गया. बाथरूम मे दोनों दुबारा नहाए और नंगे ही बाहर निकले. उसने बाथरूम के दरवाजे के पास पड़ी अपनी सारी और ब्लौज उठाया और पहन लिए. ब्रा ज़्यादा भींग गयी थी, इसीलिए उसने ब्रा नहीं पहना. मैने भी टी-शर्ट और लोंग निकर पहन लिया. मैने भाभी से कहा, “भाभी आज मैं आपको खाना बनाके खिलाता हूँ.” वो बोली “ठीक है.”
मैं किचन मे गया, चावल और दाल चढ़ा कर आया. हम टीवी देखने लगे. फिर मैं किचन मे गया. चावल, दाल तैयार हो गये थे. 4 अंडे (एग्स) बचे हुए थे रेफ्रिजरेटर मे, मैने सबका एग-बुरजी बनाया. और हम दोनों ने साथ खाया. मैने भाभी को बोला, “जैसा भी है, खा लीजिए. बस इतना ही जानता हूँ खाना बनाना. मसाला, आयिल ज़्यादा नहीं यूज़ करता हूँ मैं.” वो खाते हुए बोली, “खराब भी तो नहीं बनाया आपने, अच्छा ही लग रहा है. आप मसाला और आयिल ज़्यादा नहीं खाते ये तो आपको और डॉली को देखके ही पता चलता है.” खाना 2:15 मे कंप्लीट हो गया. ललिता ने बर्तन मांझ दिए.
वो थोड़ी देर बैठने के बाद बोली, “आशीष मैं अब जाती हूँ.” मैने तुरंत कहा, “घर जाकर क्या कीजिएगा अभी. थोड़ा बैठिए, बातें करते हैं, फिर ना जाने मौका मिलेगा कि नहीं, क्यूंकी अगले साप्ताह तो डॉली आ जाएगी.” वो रुक गयी. मैने पूछा, “ज़य जी तो बहुत स्वस्थ दिखते हैं, उसका लंड भी मोटा-तगड़ा होगा!!” मैने यूँ ही कहा था, जबकि मुझे हक़ीकत मालूम था, मैं बस उसके मुँह से सुनना चाहता था. उसने बताया, “क्या बताऊ, आशीष! हमारी लव मॅरेज है, इन फॅक्ट आज भी हम दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं, आदमी वो बहुत अच्छे हैं, बहुत ध्यान रखते हैं मेरा, सभी सुख-सुविधाएँ हैं हमारे पास, लेकिन वो बस चुदाई करने मे मार खा गये. वो बहुत कन्सर्वेटिव वे मे चोदते हैं, जबकि आप तो बड़े सलीके से चुदाई करते हैं. कहाँ से सीखा आपने? ज़य जी तो कपड़े भी पूरा नहीं खोलते, लगता है वो चुदाई सिर्फ़ फॉरमॅलिटी के लिए करते हैं, सहलाते भी नहीं हैं, सारी उपर सरका कर लंड चुनमुनियाँ मे जल्दी से डाल देते हैं और मेरे जोश मे आने से पहले ही जल्दी ही झाड़ जाते हैं. और मैं तड़प्ती रहती हूँ. और आगे भी मैं ऐसे ही तड़प्ते रहूंगी.”
मैने कहा, “भाभी दिल छोटा ना कीजिए, ये कमज़ोरी मन से पनपती है, उनको कॉन्फिडेन्स नहीं होगा. इसीलिए ठीक से कर नहीं पाते हैं. चुदाई हमेशा आराम से की जाती है, जल्दबाज़ी मे नहीं. लेकिन मैं ज़य जी की कमज़ोरी के बारे कुच्छ नहीं बोलूँगा. जहाँ तक़ मेरा सवाल है, ये सब हमारे एक्सपेरिमेंट्स और एक्सपीरियेन्स से आया है. इसमे डॉली का भी बहुत सहयोग रहा. इंटरनेट से भी बहुत ज्ञान प्राप्त किया है. मैं चुदाई सिर्फ़ मज़ा लेने के लिए नहीं, अपने पार्ट्नर को मज़ा देने के लिए करता हूँ.” मैं ज़य के बारे नेगेटिव नहीं बोलना चाहता था, क्यूंकी वो अपने पति को बहुत प्यार करती है. मैने फिर पूछा, “ज़य जी ने कभी आपकी चुनमुनियाँ चाटि है या आपने उसका लंड कभी चूसा है?” उसने बताया, “नहीं, आज तक ऐसा नहीं किया. उन्होने कभी इसके लिए इनिशियेटिव नही लिया. वो चुनमुनियाँ चाटना तो दूर, चुनमुनियाँ भी नहीं सहलाते हैं. सिर्फ़ डाइरेक्ट चुनमुनियाँ मे लंड पेलते हैं. शायद उनको घृणा लगती होगी की चुनमुनियाँ पे हाथ और मुँह क्या मारना, उसके जस्ट उपर से तो पेसाब भी निकलता है, और नीचे गुदा भी है.” मैने कहा, “भाभी, मैं डॉली को प्यार करता हूँ. उसकी चुनमुनियाँ मे लंड डालकर मज़ा लेता हूँ तो मैं उसकी चुनमुनियाँ के स्वाद और गंध से भी प्यार करता हूँ.” ये सुनकर वो हँसी, “ढत्त!”
करीब 40 मिनट जैसा ऐसे ही बात करते रहे. इतना समय मेरे लिए रिलॅक्स करने के लिए बहुत था. मैं चाहता था कि ललिता भाभी के अपने घर जाने से पहले एक क्विक ट्रिप मार लूँ. इसीलिए मैने उसे पूछा, “भाभी, एक क्विक राउंड मार लेते हैं?” वो बोली, “अभी!! फिर से!! … आप बहुत टाइम लगा दोगे!” मैं बोला, “चिंता मत कीजिए, ये क्विक राउंड ही होगा, विस्वास कीजिए. अभी 3 बज रहे हैं. 3:30 बजे तक़ निपटा दूँगा. ज़य जी तो 5 बजे आएँगे ना!” वो कुकछ सोचने लगी. मैने फिर कहा, “सोचिए मत, इसके बाद मौका शायद ही मिलेगा. डॉली के आने के बाद तो मुझसे चुद्वाने के लिए डॉली को ही मानाना पड़ेगा आपको, पता नहीं वो ये पसंद करेगी कि नहीं!” उसने कहा, “ठीक है, लेकिन जल्दी ख़तम कीजिए.”
मैं उठा और टीवी बंद कर दिया. और मैने भाभी के लिप्स पे एक किस दिया और उसके पैरों के पास बैठ गया. उसकी सारी उपर सरकाते हुए, उसकी टाँगों को सहलाया. उसने आँखें बंद कर ली. ये देखकर मैं उसकी सारी के अंदर घुस गया. उसने पैंटी नहीं थी आज. उसकी चुनमुनियाँ के चोंचले को हाथ से हल्के हल्के मसल्ने लगा. उसकी टाँगों को सहलाया और चाटने लगा. इसी बीच उसकी सारी को नाभि तक उठा दिया और 1-2 मिनट उसकी गोरी चिकनी मांसल जांघों को देखने लगा, की फिर इनके दर्शन होंगे कि नहीं. मैने उसकी टाँगों को फैलाकर उसकी चुनमुनियाँ को दुबारा चाटना शुरू कर दिया. चुनमुनियाँ लसलसाने लगी. और मैं चाट्ता रहा. 5-6 मिनट बाद मैं वहाँ से हटा. उसने भी मेरा निक्कर और अंडरवेर उतार दिया और वो लंड को मुँह मे लेकर चूसने लगी. उसने 3 मिनट लंड चुसाई की.
फिर मैने उसको वही सोफे के बगल वाले छोटे बेड पर लिटाया और उसकी चुनमुनियाँ को फिर से चाटने के बाद चुनमुनियाँ मे लंड पेल दिया. धीरे धीरे हिलाना शुरू किया, 5-6 मिनट आराम से चोद्ने के बाद मैने उसके उपर ही लेट कर 1-2 मिनट के लिए लंबी सांस ली, रिलॅक्स हुआ.
मैने ललिता को बेड से उठाया और सिंगल सोफे पर बैठाया. सारी उसकी नाभि के उपर उठी हुई थी. उसकी चुनमुनियाँ के दरवाजे खुले हुए थे जैसे कि मेरे लंड को आमंत्रित कर रहे हो! मैने उसकी टाँगों को उठाया और अपनी कंधों पे रखा. ये पोज़ भी बड़ा एरॉटिक लगता है. मैने अपना लंड फिर से चुनमुनियाँ मे धकेल दिया, लंड फ़चक से अंदर गया, लगा कि लंड चुनमुनियाँ के अंदर किसी गरम नरम दीवार से टकराकर ही रुका. मैने लंड पूरा खींच निकाला और वापस तेज़ी से पेल दिया. ज़ोर के झटके से वो चिहुनक जाती थी. उसी पोज़ मे 2-3 मिनट चोदा, क्यूंकी उसकी टाँगे थोड़ी भारी लग रही थी. मैने उसकी टाँगों को नीचे रखा और लंड को चुनमुनियाँ के अंदर रखकर फिर थोड़ा रिलॅक्स किया और फाइनल राउंड के लिए रेडी हो गया.
पिच्छले 4 साल से मैने डॉली को कई डिफरेंट पोज़िशन्स मे चोदा है. और मुझे पता है कि डॉगी स्टाइल मे चोद्ने से लंड जल्दी झड्ता है. ये मेरा पर्सनल एक्सपीरियेन्स है, पता नहीं दूसरों के साथ ऐसा हुआ या नहीं. क्यूंकी पिछे से चोद्ने मे लंड चुनमुनियाँ के अंदर थोड़ा टाइट सा जाता है. और मैं जितना भी कंट्रोल करने की कोशिश करता, उस पोज़िशन मे 5-6 मिनट से ज़्यादा होल्ड नहीं कर पाता.
मैं ललिता के पिछे आया, उसकी पीठ को किस किया, उसके बूब्स को दबाया. फिर उसको धकेल कर आगे झुकाया और घोड़ी जैसा बना दिया. उसकी टाँगों को थोड़ा फैलाकर रखा, जिससे चुनमुनियाँ वाला हिस्सा खुल गया. मैं उसके पैरों और हाथों के बीच घुसकर बैठ गया और उसकी चुनमुनियाँ को फिर से चाटने लगा. इसी बीच वो भी अपना मुँह नीचे लाकर मेरे लंड को चूसने लगी.
थोड़ी देर मे उसके नीचे से निकला और उसकी चूतड़ के पिछे खड़ा हुआ. मैने चुनमुनियाँ मे लंड भिड़ा कर लंड को अंदर डालने की कोशिश किया. लेकिन निशाना ग़लत लगा, लंड गांद मे टच हो गया था. ललिता उचक गयी, “अरे आप कहाँ लगा रहे हैं? वहाँ नहीं, थोड़ा नीचे लगाइए.” मैने फिर से निशाना लगाया और बोला, “भाभी आप ही लगा दो निशाना.” उसने मेरा लंड पकड़ा और चुनमुनियाँ से लगाया. मैने धीरे से लंड घुसाना शुरू किया. लंड जब पूरा घुस गया तो मैं भाभी की कमर पकड़ कर धक्के मारने लगा. धीरे धीरे चोद्ता रहा. बीच-बीच मे लंड निकाल लेता था. 3-4 मिनट तक़ धीरे धीरे किया. उसकी फूली हुई चूतड़ को भी खूब सहलाया. फिर मैने स्पीड बढ़ा दी, धाप-धाप धाप-धाप की आवाज़ गूंजने लगी. वो भी अपनी गांद पीछे धकेल कर चुनमुनियाँ मे लंड लेने लगी. वो बोल रही थी, “आप चोदिये, चोदते रहिए, चुनमुनियाँ फाड़ दीजिए आज!” मैं हंसते हुए बोला, “भाभी, मेरे छोटे लंड से आपकी फूली हुई चुनमुनियाँ कैसे फटेगी? आपकी चुनमुनियाँ मे तो मेरे लंड जैसे 5 लंड घुस जाएँगे एक साथ!!” वो बोली, “इतनी भी चौड़ी नहीं है मेरी चुनमुनियाँ!”
मैं उसकी कमर पकड़कर चुनमुनियाँ मे धक्के लगाता रहा. फाइनली, अगले 4-5 मिनट मे मैं बेकाबू हो गया, मैं झड़ने को हुआ तो मैने कहा, “भाभी .. मैं झाड़ रहा हूँ…!” मैने लंड चुनमुनियाँ से बाहर खींच लिया और उसकी गांद और पीठ पे वीर्य गिरा दिया. मैने अपनी चड्डी उठाई और उसकी गांद और पीठ को पोंछ दिया. वो बोली, “आधे घंटे की चुदाई क्या क्विक राउंड होता है! इतने मे तो मेरे प्यारे पातिदेव का 5-6 राउंड हो जाएगे!!”
मैने उसको अपनी ओर घुमाया और उससे लिपट गया. उसको मैने फिर से माथे और होंठ पे एक-एक किस दिया. उसने भी जवाब मे एक किस होंठ पे दिया. उसकी आँखों मे संतोष झलक रहा था. फिर हम अलग हुए. वो तुरंत बाथरूम गयी और चुनमुनियाँ सॉफ करके आई. मैं भी लंड धोकर आया. उसने अपनी सारी ठीक की. शाम के 3:40 बज गये थे.
वो बोली, “आशीष, अब मैं जाती हूँ. आपने मुझे थका दिया.” मैं बोला, “ठीक है भाभी. अब आप जाइए. मैं भी अब थक गया हूँ. थोड़ा देरी सो जाउन्गा. आपने मुझे एक नया अहसास और मज़ा दिया भाभी. सुक्रिया.” वो बेड रूम गयी और अपनी ब्रा उठा लाई. उसके बाद वो अपने घर चली गयी.
मैं दरवाजा बंद करके सो गया. शाम को उठा तो 7 बज चुके थे. आँखों के सामने अब भी दिन मे ललिता भाभी की चुदाई वाले सीन्स घूम रहे थे. मैं उठा और वॉश बेसिन पे जाकर ब्रश किया और चेहरा धोया. मोबाइल देखा तो उसमे डॉली के 4 मिस्ड कॉल थे. मैने डॉली को फोन लगाया, “हेलो!” उधर से उसकी डाँट पड़ी, “कहाँ गये थे, फोन भी नहीं उठाते हैं!!” मैं बोला, “यार, मैं सो रहा था, क्या करूँ जागता हूँ तो तुम्हारी याद आती रहती है. फोन टीवी रूम मे रह गया था. अभी उठा हूँ.” उसने कहा, “मेरी याद या मेरी चुनमुनियाँ की!!” मैं समझ गया वो अकेली है इस समय. मैने तपाक से जवाब दिया, “जो भी समझो यार, चुनमुनियाँ की ही याद आती है, लेकिन चुनमुनियाँ तो तेरी जांघों के बीच ही है ना, इसीलिए तुम्हारी याद आ जाती है. तुम्हारे बिना रहा नहीं जाता यार. माताजी अब कैसी हैं?” उसने कहा, “माजी ठीक हैं अब. अरे मेरी भी हालत यहाँ खराब है. मन तो करता है आपके पास उड़कर आ जाऊ और आपके लंड को चुनमुनियाँ मे 24 घंटे डालकर 1 महीने की भडास निकाल दूं!” मैने कहा, “ऐसा क्या!! तब तो मुझ जैसे 24 लौन्डे बुलाने पड़ेंगे.” वो बोली, “ढत्त!! आप भी! पता है मैने कल यहाँ क्या देखा!! वो देखके मेरी हालत और खराब हो गयी.” मैने पूछा, “ऐसा क्या देख लिया?” वो बोली, “अरे बाबा, आपके दोस्त मनीष, मेरे भैया और भाभी की चुदाई देख ली थी.” मैने कहा, “यार तुम भी कितनी चुदक्कड हो गयी हो, क्या-क्या देखती हो, छी… कितनी गंदी हो गयी! अपने भैया-भाभी की चुदाई देखती हो!!” वो चहकते हुए बोली, “इसमे छी की क्या बात है, आप डीवीडी मे चुदु-चुदु फिल्म देखते हैं, मुझे लाइव फिल्म देखने का मौका मिल गया और देख ली तो क्या हुआ? मैं आके आपको बताउन्गि तो आप को भी मज़ा आएगा.” मैने कहा, “ठीक है डॉल, फिलहाल तुम फोन रखो, आके सुनाना वो किस्सा. लेकिन जल्दी आओ, अपनी सुंदर सी चिकनी सी गोरी सी प्यारी सी चुनमुनियाँ को जल्दी ले आओ. मेरा लंड उसके इंतेज़ार मे सूख गया है. बाइ!” उसने कहा, “ठीक है, अपना ध्यान रखिए, ठीक से खाइए. आइ लव यू.” फिर हमने एक दूसरे को फोन चुंबन दिया और फोन काट दिया.
-:-समाप्त-:-
घड़ी मे 12:55 हो गये थे. मैने भाभी को बेड से उठाकर बगल के टेबल पे बैठने का इशारा किया. वो इशारा समझ गयी और चुनमुनियाँ सामने कर के टाँगें फैलाकर आराम से बैठ गयी. वो मेरा फॅवुरेट पोज़िशन है और अक्सर मैं चुदाई के लास्ट स्टेज के लिए बचा के रखता हूँ. उस टेबल की हाइट मेरी कमर के बराबर है. पिछली बार भी भाभी को उसी पोज़िशन मे चोद कर झाड़ा था. वो पोज़िशन बहुत कंफर्टबल लगता है. चुदवाने वाली भी आराम से बैठी रहती है और चोद्ने वाला भी आराम से खड़े होके चोद सकता है.
मैने भाभी की चुनमुनियाँ मे फिर से शहद लगाया और उसको दुबारा चाटना शुरू किया. 8-10 मिनट तक़ चपर-चपार करके खूब चाटा, शहद और चुनमुनियाँ रस का खूब चूसा. उसको शायद कुच्छ ज़्यादा ही मज़ा आ रहा था, तभी तो उसने मेरे सिर को ज़ोरों से जाकड़ रखा था. वो बहुत उत्तेजित सी लग रही थी, बोली, “आशीष, अब लंड चुनमुनियाँ मे पेलिए ना!”
मैं उठा और लंड को उसकी चुनमुनियाँ मे घुसेड दिया और हौले हौले चोद्ने लगा. 40-50 स्लो मूव्स के बाद मैने स्पीड बढ़ाई. मैं भी अब जोश कंट्रोल से बाहर हो रहा था. ढप-डप चोद्ने लगा. कभी कभी लंड पूरा खींच कर निकाल कर तेज़ी से घुसेड देता, लंड पूरा समा जाता, ऐसा लग रहा था कि लंड चुनमुनियाँ के अंदर किसी दीवार पे टकरा रहा है. वो मुझसे ज़ोर से चिपक गयी और चिल्लाने लगी, “आशीष, आपने मुझे चुदक्कड बना दिया, चोदिये… चोदते रहिए.” मैने पूछा, “भाभी आपका पीरियड ख़तम हुए 3-4 दिन हुए है ना!!” वो बोली, “ठीक 4 दिन. लेकिन आप को कैसे मालूम?” मैने कहा, “कॅल्क्युलेशन करके भाभी.”
ऐसे पीरियड के 6 दिन तक प्रेग्नेन्सी का ज़्यादा चान्स नहीं होता, फिर भी मैने सोचा कि यहाँ रिस्क नहीं लेना चाहिए. कहीं बच्चा ठहर गया तो हम दोनों के फ्यूचर के लिए ठीक नहीं होता.
मैं ललिता भाभी को चोद्ता रहा. मेरे अंडकोष उसकी गांद और थाइ से टकरा रहे थे, धप-धप की आवाज़ उसी से आ रही थी. वो बोली, “ये कैसी आवाज़ आ रही है!!” वो मुझे बेतहासा चूमने लगी. मैं उसकी चुनमुनियाँ मे धक्के मारता रहा. लेकिन चूँकि चुनमुनियाँ काफ़ी गीली और गीली हो गयी थी, घर्सन कम होने से आनंद तो आ ही रहा था, लेकिन लंड झाड़ ही नहीं रहा था. इसी बीच ऐसा लगा कि चुनमुनियाँ से रस बहुत निकल रहा है. वो फिर से झाड़ गयी थी. वो मुझसे चिपक गयी. मैं थोड़ी देर शांत रहा. उसकी चुनमुनियाँ की ओर इशारा करते हुए बोला, “देखिए भाभी, मेरा लंड आपकी चुनमुनियाँ मे कैसा धन्सा है.” ट्यूब लाइट की रोशनी मे गीली चुनमुनियाँ चमक रही थी.
मैं फिर से धक्के मारने लगा. उच्छल उछल कर धक्के मारता रहा. मैं भी अब बहुत थक गया था. बड़ी मेहनत के बाद 4-5 मिनट मे मेरा अल्टिमेट सिचुयेशन आने को हुआ. मैने अपना लंड उसकी चुनमुनियाँ से खींच लिया और अपना सारा लंड-रस उसकी चुनमुनियाँ के उपर नाभि और पेट पे गिरा दिया.
हम दोनों उसी अवस्था मे थोड़ी देर चिपके रहे. दोनों की साँसे लंबी लंबी चलने लगी. 1:15 बज चुके थे. मैने भाभी के होंठो को किस किया और अलग हुए. ललिता टेबल से उतर कर नगी ही बाथरूम की ओर चली. मैने पीछे से उसकी चाल देखी, उसके गोल-गोल चूतड़ बड़े शानदार अंदाज़ मे हिल रहे थे. मैं भी उसके पीछे नंगा ही बाथरूम मे गया. बाथरूम मे दोनों दुबारा नहाए और नंगे ही बाहर निकले. उसने बाथरूम के दरवाजे के पास पड़ी अपनी सारी और ब्लौज उठाया और पहन लिए. ब्रा ज़्यादा भींग गयी थी, इसीलिए उसने ब्रा नहीं पहना. मैने भी टी-शर्ट और लोंग निकर पहन लिया. मैने भाभी से कहा, “भाभी आज मैं आपको खाना बनाके खिलाता हूँ.” वो बोली “ठीक है.”
मैं किचन मे गया, चावल और दाल चढ़ा कर आया. हम टीवी देखने लगे. फिर मैं किचन मे गया. चावल, दाल तैयार हो गये थे. 4 अंडे (एग्स) बचे हुए थे रेफ्रिजरेटर मे, मैने सबका एग-बुरजी बनाया. और हम दोनों ने साथ खाया. मैने भाभी को बोला, “जैसा भी है, खा लीजिए. बस इतना ही जानता हूँ खाना बनाना. मसाला, आयिल ज़्यादा नहीं यूज़ करता हूँ मैं.” वो खाते हुए बोली, “खराब भी तो नहीं बनाया आपने, अच्छा ही लग रहा है. आप मसाला और आयिल ज़्यादा नहीं खाते ये तो आपको और डॉली को देखके ही पता चलता है.” खाना 2:15 मे कंप्लीट हो गया. ललिता ने बर्तन मांझ दिए.
वो थोड़ी देर बैठने के बाद बोली, “आशीष मैं अब जाती हूँ.” मैने तुरंत कहा, “घर जाकर क्या कीजिएगा अभी. थोड़ा बैठिए, बातें करते हैं, फिर ना जाने मौका मिलेगा कि नहीं, क्यूंकी अगले साप्ताह तो डॉली आ जाएगी.” वो रुक गयी. मैने पूछा, “ज़य जी तो बहुत स्वस्थ दिखते हैं, उसका लंड भी मोटा-तगड़ा होगा!!” मैने यूँ ही कहा था, जबकि मुझे हक़ीकत मालूम था, मैं बस उसके मुँह से सुनना चाहता था. उसने बताया, “क्या बताऊ, आशीष! हमारी लव मॅरेज है, इन फॅक्ट आज भी हम दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं, आदमी वो बहुत अच्छे हैं, बहुत ध्यान रखते हैं मेरा, सभी सुख-सुविधाएँ हैं हमारे पास, लेकिन वो बस चुदाई करने मे मार खा गये. वो बहुत कन्सर्वेटिव वे मे चोदते हैं, जबकि आप तो बड़े सलीके से चुदाई करते हैं. कहाँ से सीखा आपने? ज़य जी तो कपड़े भी पूरा नहीं खोलते, लगता है वो चुदाई सिर्फ़ फॉरमॅलिटी के लिए करते हैं, सहलाते भी नहीं हैं, सारी उपर सरका कर लंड चुनमुनियाँ मे जल्दी से डाल देते हैं और मेरे जोश मे आने से पहले ही जल्दी ही झाड़ जाते हैं. और मैं तड़प्ती रहती हूँ. और आगे भी मैं ऐसे ही तड़प्ते रहूंगी.”
मैने कहा, “भाभी दिल छोटा ना कीजिए, ये कमज़ोरी मन से पनपती है, उनको कॉन्फिडेन्स नहीं होगा. इसीलिए ठीक से कर नहीं पाते हैं. चुदाई हमेशा आराम से की जाती है, जल्दबाज़ी मे नहीं. लेकिन मैं ज़य जी की कमज़ोरी के बारे कुच्छ नहीं बोलूँगा. जहाँ तक़ मेरा सवाल है, ये सब हमारे एक्सपेरिमेंट्स और एक्सपीरियेन्स से आया है. इसमे डॉली का भी बहुत सहयोग रहा. इंटरनेट से भी बहुत ज्ञान प्राप्त किया है. मैं चुदाई सिर्फ़ मज़ा लेने के लिए नहीं, अपने पार्ट्नर को मज़ा देने के लिए करता हूँ.” मैं ज़य के बारे नेगेटिव नहीं बोलना चाहता था, क्यूंकी वो अपने पति को बहुत प्यार करती है. मैने फिर पूछा, “ज़य जी ने कभी आपकी चुनमुनियाँ चाटि है या आपने उसका लंड कभी चूसा है?” उसने बताया, “नहीं, आज तक ऐसा नहीं किया. उन्होने कभी इसके लिए इनिशियेटिव नही लिया. वो चुनमुनियाँ चाटना तो दूर, चुनमुनियाँ भी नहीं सहलाते हैं. सिर्फ़ डाइरेक्ट चुनमुनियाँ मे लंड पेलते हैं. शायद उनको घृणा लगती होगी की चुनमुनियाँ पे हाथ और मुँह क्या मारना, उसके जस्ट उपर से तो पेसाब भी निकलता है, और नीचे गुदा भी है.” मैने कहा, “भाभी, मैं डॉली को प्यार करता हूँ. उसकी चुनमुनियाँ मे लंड डालकर मज़ा लेता हूँ तो मैं उसकी चुनमुनियाँ के स्वाद और गंध से भी प्यार करता हूँ.” ये सुनकर वो हँसी, “ढत्त!”
करीब 40 मिनट जैसा ऐसे ही बात करते रहे. इतना समय मेरे लिए रिलॅक्स करने के लिए बहुत था. मैं चाहता था कि ललिता भाभी के अपने घर जाने से पहले एक क्विक ट्रिप मार लूँ. इसीलिए मैने उसे पूछा, “भाभी, एक क्विक राउंड मार लेते हैं?” वो बोली, “अभी!! फिर से!! … आप बहुत टाइम लगा दोगे!” मैं बोला, “चिंता मत कीजिए, ये क्विक राउंड ही होगा, विस्वास कीजिए. अभी 3 बज रहे हैं. 3:30 बजे तक़ निपटा दूँगा. ज़य जी तो 5 बजे आएँगे ना!” वो कुकछ सोचने लगी. मैने फिर कहा, “सोचिए मत, इसके बाद मौका शायद ही मिलेगा. डॉली के आने के बाद तो मुझसे चुद्वाने के लिए डॉली को ही मानाना पड़ेगा आपको, पता नहीं वो ये पसंद करेगी कि नहीं!” उसने कहा, “ठीक है, लेकिन जल्दी ख़तम कीजिए.”
मैं उठा और टीवी बंद कर दिया. और मैने भाभी के लिप्स पे एक किस दिया और उसके पैरों के पास बैठ गया. उसकी सारी उपर सरकाते हुए, उसकी टाँगों को सहलाया. उसने आँखें बंद कर ली. ये देखकर मैं उसकी सारी के अंदर घुस गया. उसने पैंटी नहीं थी आज. उसकी चुनमुनियाँ के चोंचले को हाथ से हल्के हल्के मसल्ने लगा. उसकी टाँगों को सहलाया और चाटने लगा. इसी बीच उसकी सारी को नाभि तक उठा दिया और 1-2 मिनट उसकी गोरी चिकनी मांसल जांघों को देखने लगा, की फिर इनके दर्शन होंगे कि नहीं. मैने उसकी टाँगों को फैलाकर उसकी चुनमुनियाँ को दुबारा चाटना शुरू कर दिया. चुनमुनियाँ लसलसाने लगी. और मैं चाट्ता रहा. 5-6 मिनट बाद मैं वहाँ से हटा. उसने भी मेरा निक्कर और अंडरवेर उतार दिया और वो लंड को मुँह मे लेकर चूसने लगी. उसने 3 मिनट लंड चुसाई की.
फिर मैने उसको वही सोफे के बगल वाले छोटे बेड पर लिटाया और उसकी चुनमुनियाँ को फिर से चाटने के बाद चुनमुनियाँ मे लंड पेल दिया. धीरे धीरे हिलाना शुरू किया, 5-6 मिनट आराम से चोद्ने के बाद मैने उसके उपर ही लेट कर 1-2 मिनट के लिए लंबी सांस ली, रिलॅक्स हुआ.
मैने ललिता को बेड से उठाया और सिंगल सोफे पर बैठाया. सारी उसकी नाभि के उपर उठी हुई थी. उसकी चुनमुनियाँ के दरवाजे खुले हुए थे जैसे कि मेरे लंड को आमंत्रित कर रहे हो! मैने उसकी टाँगों को उठाया और अपनी कंधों पे रखा. ये पोज़ भी बड़ा एरॉटिक लगता है. मैने अपना लंड फिर से चुनमुनियाँ मे धकेल दिया, लंड फ़चक से अंदर गया, लगा कि लंड चुनमुनियाँ के अंदर किसी गरम नरम दीवार से टकराकर ही रुका. मैने लंड पूरा खींच निकाला और वापस तेज़ी से पेल दिया. ज़ोर के झटके से वो चिहुनक जाती थी. उसी पोज़ मे 2-3 मिनट चोदा, क्यूंकी उसकी टाँगे थोड़ी भारी लग रही थी. मैने उसकी टाँगों को नीचे रखा और लंड को चुनमुनियाँ के अंदर रखकर फिर थोड़ा रिलॅक्स किया और फाइनल राउंड के लिए रेडी हो गया.
पिच्छले 4 साल से मैने डॉली को कई डिफरेंट पोज़िशन्स मे चोदा है. और मुझे पता है कि डॉगी स्टाइल मे चोद्ने से लंड जल्दी झड्ता है. ये मेरा पर्सनल एक्सपीरियेन्स है, पता नहीं दूसरों के साथ ऐसा हुआ या नहीं. क्यूंकी पिछे से चोद्ने मे लंड चुनमुनियाँ के अंदर थोड़ा टाइट सा जाता है. और मैं जितना भी कंट्रोल करने की कोशिश करता, उस पोज़िशन मे 5-6 मिनट से ज़्यादा होल्ड नहीं कर पाता.
मैं ललिता के पिछे आया, उसकी पीठ को किस किया, उसके बूब्स को दबाया. फिर उसको धकेल कर आगे झुकाया और घोड़ी जैसा बना दिया. उसकी टाँगों को थोड़ा फैलाकर रखा, जिससे चुनमुनियाँ वाला हिस्सा खुल गया. मैं उसके पैरों और हाथों के बीच घुसकर बैठ गया और उसकी चुनमुनियाँ को फिर से चाटने लगा. इसी बीच वो भी अपना मुँह नीचे लाकर मेरे लंड को चूसने लगी.
थोड़ी देर मे उसके नीचे से निकला और उसकी चूतड़ के पिछे खड़ा हुआ. मैने चुनमुनियाँ मे लंड भिड़ा कर लंड को अंदर डालने की कोशिश किया. लेकिन निशाना ग़लत लगा, लंड गांद मे टच हो गया था. ललिता उचक गयी, “अरे आप कहाँ लगा रहे हैं? वहाँ नहीं, थोड़ा नीचे लगाइए.” मैने फिर से निशाना लगाया और बोला, “भाभी आप ही लगा दो निशाना.” उसने मेरा लंड पकड़ा और चुनमुनियाँ से लगाया. मैने धीरे से लंड घुसाना शुरू किया. लंड जब पूरा घुस गया तो मैं भाभी की कमर पकड़ कर धक्के मारने लगा. धीरे धीरे चोद्ता रहा. बीच-बीच मे लंड निकाल लेता था. 3-4 मिनट तक़ धीरे धीरे किया. उसकी फूली हुई चूतड़ को भी खूब सहलाया. फिर मैने स्पीड बढ़ा दी, धाप-धाप धाप-धाप की आवाज़ गूंजने लगी. वो भी अपनी गांद पीछे धकेल कर चुनमुनियाँ मे लंड लेने लगी. वो बोल रही थी, “आप चोदिये, चोदते रहिए, चुनमुनियाँ फाड़ दीजिए आज!” मैं हंसते हुए बोला, “भाभी, मेरे छोटे लंड से आपकी फूली हुई चुनमुनियाँ कैसे फटेगी? आपकी चुनमुनियाँ मे तो मेरे लंड जैसे 5 लंड घुस जाएँगे एक साथ!!” वो बोली, “इतनी भी चौड़ी नहीं है मेरी चुनमुनियाँ!”
मैं उसकी कमर पकड़कर चुनमुनियाँ मे धक्के लगाता रहा. फाइनली, अगले 4-5 मिनट मे मैं बेकाबू हो गया, मैं झड़ने को हुआ तो मैने कहा, “भाभी .. मैं झाड़ रहा हूँ…!” मैने लंड चुनमुनियाँ से बाहर खींच लिया और उसकी गांद और पीठ पे वीर्य गिरा दिया. मैने अपनी चड्डी उठाई और उसकी गांद और पीठ को पोंछ दिया. वो बोली, “आधे घंटे की चुदाई क्या क्विक राउंड होता है! इतने मे तो मेरे प्यारे पातिदेव का 5-6 राउंड हो जाएगे!!”
मैने उसको अपनी ओर घुमाया और उससे लिपट गया. उसको मैने फिर से माथे और होंठ पे एक-एक किस दिया. उसने भी जवाब मे एक किस होंठ पे दिया. उसकी आँखों मे संतोष झलक रहा था. फिर हम अलग हुए. वो तुरंत बाथरूम गयी और चुनमुनियाँ सॉफ करके आई. मैं भी लंड धोकर आया. उसने अपनी सारी ठीक की. शाम के 3:40 बज गये थे.
वो बोली, “आशीष, अब मैं जाती हूँ. आपने मुझे थका दिया.” मैं बोला, “ठीक है भाभी. अब आप जाइए. मैं भी अब थक गया हूँ. थोड़ा देरी सो जाउन्गा. आपने मुझे एक नया अहसास और मज़ा दिया भाभी. सुक्रिया.” वो बेड रूम गयी और अपनी ब्रा उठा लाई. उसके बाद वो अपने घर चली गयी.
मैं दरवाजा बंद करके सो गया. शाम को उठा तो 7 बज चुके थे. आँखों के सामने अब भी दिन मे ललिता भाभी की चुदाई वाले सीन्स घूम रहे थे. मैं उठा और वॉश बेसिन पे जाकर ब्रश किया और चेहरा धोया. मोबाइल देखा तो उसमे डॉली के 4 मिस्ड कॉल थे. मैने डॉली को फोन लगाया, “हेलो!” उधर से उसकी डाँट पड़ी, “कहाँ गये थे, फोन भी नहीं उठाते हैं!!” मैं बोला, “यार, मैं सो रहा था, क्या करूँ जागता हूँ तो तुम्हारी याद आती रहती है. फोन टीवी रूम मे रह गया था. अभी उठा हूँ.” उसने कहा, “मेरी याद या मेरी चुनमुनियाँ की!!” मैं समझ गया वो अकेली है इस समय. मैने तपाक से जवाब दिया, “जो भी समझो यार, चुनमुनियाँ की ही याद आती है, लेकिन चुनमुनियाँ तो तेरी जांघों के बीच ही है ना, इसीलिए तुम्हारी याद आ जाती है. तुम्हारे बिना रहा नहीं जाता यार. माताजी अब कैसी हैं?” उसने कहा, “माजी ठीक हैं अब. अरे मेरी भी हालत यहाँ खराब है. मन तो करता है आपके पास उड़कर आ जाऊ और आपके लंड को चुनमुनियाँ मे 24 घंटे डालकर 1 महीने की भडास निकाल दूं!” मैने कहा, “ऐसा क्या!! तब तो मुझ जैसे 24 लौन्डे बुलाने पड़ेंगे.” वो बोली, “ढत्त!! आप भी! पता है मैने कल यहाँ क्या देखा!! वो देखके मेरी हालत और खराब हो गयी.” मैने पूछा, “ऐसा क्या देख लिया?” वो बोली, “अरे बाबा, आपके दोस्त मनीष, मेरे भैया और भाभी की चुदाई देख ली थी.” मैने कहा, “यार तुम भी कितनी चुदक्कड हो गयी हो, क्या-क्या देखती हो, छी… कितनी गंदी हो गयी! अपने भैया-भाभी की चुदाई देखती हो!!” वो चहकते हुए बोली, “इसमे छी की क्या बात है, आप डीवीडी मे चुदु-चुदु फिल्म देखते हैं, मुझे लाइव फिल्म देखने का मौका मिल गया और देख ली तो क्या हुआ? मैं आके आपको बताउन्गि तो आप को भी मज़ा आएगा.” मैने कहा, “ठीक है डॉल, फिलहाल तुम फोन रखो, आके सुनाना वो किस्सा. लेकिन जल्दी आओ, अपनी सुंदर सी चिकनी सी गोरी सी प्यारी सी चुनमुनियाँ को जल्दी ले आओ. मेरा लंड उसके इंतेज़ार मे सूख गया है. बाइ!” उसने कहा, “ठीक है, अपना ध्यान रखिए, ठीक से खाइए. आइ लव यू.” फिर हमने एक दूसरे को फोन चुंबन दिया और फोन काट दिया.
-:-समाप्त-:-