08-01-2021, 08:39 PM
मैने ललिता के मुँह के अंदर अपना जीव घुसा दिया, उसने भी जवाब दिया, हमारी जीव आपस मे खेलने लगी. क्यूंकी मैं भींग चुका था, तो मेरे से चिपकने से उसके कपड़े भी भींग गये. वो बोली, “आशीष, मेरी सारी भींग रही है.” ये सुनकर मैने कहा, “ऐसी बात है तो इसे उतार ही देता हूँ.” और मैं उसकी सारी उतार कर बाथरूम से बाहर फेंक दिया. फिर उसके ब्लौज और ब्रा को भी खोल दिया. ब्रा के खुलते ही उसके बड़े बड़े बूब्स आज़ाद हो गये. मैं उसके बूब्स को थोड़ी देर सहलाया और चूसा.
उसके बाद मैं नीचे बैठा और उसकी पेटिकोट के अंदर घुस गया और उसकी जांघों को सहलाने लगा. वो बोली, “अरे, आप कहाँ घुस गये, निकलिये गुदगुदी होती है.” मैने चुनमुनियाँ की ओर देखा तो मैं बहुत खुश हुआ. ललिता ने आज पैंटी नहीं पहना था, मतलब वो चुदने का मन बनाके आई थी. फिर उसकी पेटिकोट से बाहर निकला और पेटिकोट का नाडा खोल कर उसको भी नंगा कर दिया. अरे ये क्या!! उसकी चुनमुनियाँ पे आज एक भी बाल नहीं था!! उसकी चुनमुनियाँ एकदम चिकनी लग रही थी, पिछली बार की चुदाई के टाइम तो बाल थे उसकी चुनमुनियाँ पर!! मतलब वो पूरी तैयारी के साथ आई हुई है!! मैने पूछा, “भाभी यहाँ के जंगल कौन काट गया?” वो बोली, “मैने कल ही सॉफ कर दिया था हेर रिमूवर लगाके. ज़य जी को रिझाने के लिए, लेकिन उनको क्या फ़र्क पड़ता है, चुनमुनियाँ देवी के वो ठीक से दर्शन ही नहीं करते हैं!” जहाँ तक मेरी पसंद का सवाल है, मुझे बिना झांट वाली चुनमुनियाँ ज़्यादा आकर्षित करती है, ज़्यादा सुंदर लगती है और चिकनी, सॉफ-सुथरी चुनमुनियाँ की चटाई और चुदाई मे ज़्यादा आनंद आता है. ये सब पर्सनल टेस्ट होते हैं, किसी को झांतदार चुनमुनियाँ ज़्यादा भाती है. मैने कहा, “डॉली भी अपनी चुनमुनियाँ का बाल सॉफ करते रहती है, इसलिए मैं उसकी चुनमुनियाँ का पुजारी हूँ. सॉफ चुनमुनियाँ को चाटने और चोद्ने मे आसानी होती है.” उसने मेरे लंड की ओर इशारा करते हुए कहा, “तो आपके लंड के आस-पास ये हल्के बाल क्यूँ हैं?” मैने कहा, “भाभी, ऐसे तो मैं हमेशा झांट सॉफ करते रहता हूँ, रोज़ नहाते समय अपने रेज़र से सॉफ करता हूँ. सॉफ लंड ही अच्छा लगता है. लेकिन डॉली जब से गयी है, मैने सॉफ नहीं किया.” मैने दरवाजा खोला और वॉश बेसिन के पास से अपना सेविंग क्रीम लाया और झांतो मे लगा दिया. मैं अपना रेज़र ललिता को देते हुए कहा, “आज तो आप ही सॉफ कर दीजिए, लेकिन ज़रा संभलके, झांट के बदले लंड ना काट दीजिएगा!!” वो मुस्कुराइ और रेज़र हाथ मे ली और धीरे धीरे उसने मेरे झांट सॉफ कर दिए.
झांट की सफाई के बाद मैं उसके साथ फिर से चिपक गया. और मग से पानी लेकर उसके बदन पे डालने लगा. पानी की बूँदें उसके बदन पे चमकने लगी. मैने भी उसके बदन पे खूब साबुन लगाया, उसके बूब्स पे साबुन मलकर झाग-झाग कर दिया. उसने भी दूसरा साबुन पकड़ा और मेरे छाती पे साबुन लगाया. हमारे बाथरूम मे दो अलग साबुन रहते हैं. मैं उससे फिर लिपट गया, उसकी बूब्स और मेरी छाती चिपक गये और मैं अपनी छाती को उसके बूब्स पे रगड़ने लगा. फिर अपने हाथों से हौले हौले उसकी मांसल, गोल चूतड़ को सहलाने, दबाने लगा. फिर मैं नीचे बैठा और उसकी टाँगों पे भी साबुन लगाया. और फिर मैने उसकी चुनमुनियाँ पे साबुन लगाकर सॉफ किया.
मैने अपनी बीबी डॉली के साथ भी बाथरूम मे चुदाई किया है. ऐसा मैं डॉली के साथ हर वीकेंड मे नहाता हूँ, वो मुझे सॉफ करती और मैं उसको सॉफ करता. गर्मियों मे तो हम दोनों रात को भी साथ नाहकार चुदाई करते थे. फ्रेश होने के बाद चुदाई करना बहुत रेफ्रेशिंग सा लगता है. ओरल सेक्स का मज़ा दोगुना हो जाता है, एक दूसरे के बदन को किस करने, चाटने का भी मज़ा ज़्यादा हो जाता है.
औरत के कोमल शरीर से खेलना अच्छा लगता है, वो भी दूसरे की बीबी हो तो और अच्छा लगता है. चेंज सबको अच्छा ही लगता है. खाना चाहे जितना भी अच्छा हो, रोज़ वही खाना खाएँगे तो उतना अच्छा नहीं लगता, पर एक दिन आप दूसरे टाइप का खाना खाएँगे तो बेटर ही लगेगा. मेरी बीबी डॉली, ललिता से तो बेटर ही है हर लिहाज से, पर आज ललिता भी बहुत अच्छी लग रही थी. मैने ललिता की बूब्स और चूतड़ को भी सहला सहला कर सॉफ किया. उसने भी मेरे लंड पे साबुन लगाकर अच्छी तरहा सॉफ किया.।
फिर मैने वहीं बाथरूम मे उसको नीचे लिटा दिया. उसकी टाँगों के पास बैठा और उसके पैरों को उठाकर उसके अंगूठे को किस करने लगा, मैं धीरे धीरे उपर जांघों की ओर जीव चलाता हुआ आया. वो लेटी रही. फिर उसकी चुनमुनियाँ के आस-पास जीव चलाने लगा. थोड़ी देर जांघों को, नाभि को हल्के हल्के चाटने के बाद मैने उसकी चुनमुनियाँ मे जीव घुसेडि. चुनमुनियाँ मे जीव लगते ही उसने मेरे सिर को पकड़ लिया. और उसके मुँह से आवाज़ निकली, “आ..ह आशीष, अच्छा लग रहा है. और चाटिये ना इसी तरहा.” मैं उसकी चिकनी चुनमुनियाँ को मज़े से चाट्ता रहा बहुत देर तक़. धीरे धीरे जीव फेरता रहा. क्यूंकी चुनमुनियाँ की सफाई अभी हुई थी इसीलिए कोई गंध नहीं आ रही थी.
मैने एक मग पानी लिया और उसकी चुनमुनियाँ पे डाल दिया, फिर अपनी उंगलियों से चुनमुनियाँ की पखुड़ियों को फैलाकर अपना जीव चुनमुनियाँ के अंदर डालकर लॅप-लापाने लगा. वो भी नीचे से कमर हिलाने लगी. 5-6 मिनट आराम से चुनमुनियाँ चटवाने का मज़ा लेने के बाद वो उठ कर बैठ गयी और मैं खड़ा हो गया. उसने मेरा लंड पकड़ लिया और हौले हौले मुठियाने लगी. और देखते ही देखते उसने मेरा लंड मुँह मे ले लिया और मुझे लंड चुसाई का मज़ा देने लगी. मैं चुप-चाप दीवार के सहारे खड़े होकर मज़ा लेने लगा. फिर मुझसे रहा नहीं गया, मैने उसका सिर पकड़ा और उसके मुँह को ही हौले हौले चोद्ने लगा.
थोड़ी देर ऐसा करने के बाद मैने वहीं ललिता को फिर से लिटाया और उसकी चुनमुनियाँ मे लंड लगाकर अंदर धकेलने लगा. ललिता ने लंड का सूपड़ा चुनमुनियाँ के सही जगह पे लगाया तो लंड चुनमुनियाँ के अंदर घुस गया. वैसे ही लंड चुनमुनियाँ मे डालकर थोडी देर उसके उपर लिपटा रहा. छाती को उसके बूब्स के उपर रगड़ते हुए उसके चुनमुनियाँ की गर्मी को लंड के सुपाडे के उपर महसूस करता रहा. फिर मैं धीरे धीरे कमर हिलाने लगा. साथ साथ मैं उसकी गर्दन को चूमने लगा. आज भी कोई जल्दबाज़ी नहीं, क्यूंकी मुझे चुदाई लीला लंबा खींचना था. 6-8 मिनट उसी पोज़िशन मे उसको चोदा.
क्यूंकी बाथरूम थोड़ा छोटा था, चोद्ने के लिए स्पेस कम पड़ रहा था, सो मैने भाभी से कहा, “भाभी, यहाँ थोड़ा अनकंफर्टबल लग रहा है, इसीलिए बेड रूम मे चलें क्या?” वो बोली, “ठीक है, मुझे क्या, चुद्ना ही है ना, यहाँ भी मज़ा आ ही रहा है.” मैने उसकी चुनमुनियाँ से लंड निकाला और पेसाब किया. उसने भी पेसाब किया वहीं. मैने साबुन लेकर अपना लंड और उसकी चुनमुनियाँ फिर से सॉफ की. दोनों के बदन पे फिर से पानी डाला और उसके साथ बेड रूम मे आ गया.
बेड रूम के वॉल क्लॉक मे 12 बज रहे थे. मतलब भाभी के साथ बाथरूम मे आधे घंटे की लीला चली. ललिता की कमर पे हाथ डालकर उसको अपने बराबर खड़ा किया और ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े हो गये. और भाभी को सामने आईने मे दिखाते हुए कहा, “देखिए भाभी, हम दोनों की जोड़ी कैसी लग रही है?” वो मुस्कुराइ. वो क्या बोलेगी!! मेरी और भाभी ललिता की जोड़ी थोड़ी अजीब सी लग रही थी. उमर और वजन मे बड़ी ललिता और साधारण कद-काठी का जवान लड़का मैं!! लेकिन हमे इससे क्या, हम दोनों जानते थे कि ये जोड़ा जबरदस्त मज़ा ले चुका है और आज भी लेगा. मैने वहीं भाभी को अपनी ओर खींचा, लंड उसकी नाभि पे टच हो रहा था. मैने उसकी मुँह के अंदर अपनी जीव घुसेड दी और उसकी जीव को चाटने लगा. हमारी जीव थोड़ी देर सलाइवा का आदान-प्रदान करती रही.
इससे पहले कि मैं ललिता को बेड पे पटकता, उसने मुझे उठाया और बेड पर फेंक कर लिटा दिया और वो मेरे उपर झुक गयी. उसने मेरे बदन पे किस बरसाना फिर से शुरू किया. पूरे बदन को किस की, पूरे बदन पे जीव चलाई, अपने कोमल हाथों से सहलाती रही. बहुत सिर-सिरी हो रही थी मुझे. बस आँखें बंद करके उसकी इस हरकत का मज़ा लेता रहा.।
इसी बीच मैने उसको पलटकर अपने नीचे लाया और मैं उसके उपर आ गया. उसके बूब्स को सहलाते हुए, पेट और नाभि को चाटते हुए, चुनमुनियाँ के चारों ओर जीव फेरा. मुझे पता है, ऐसा करने से औरतों को बहुत आनंद आता है. मैने उसकी मांसल जांघों को सहलाया. मैं उसके चुनमुनियाँ को फिर से चाटने लगा, उसकी चुनमुनियाँ से रस निकलने लगा और मैं चुनमुनियाँ के रस को चूस्ता गया. मेरी बीबी डॉली की बात कहु तो उसने मुझे कई बार कहा है कि चुनमुनियाँ चटवाना और चुसवाना, लंड से चुदने से भी ज़्यादा मज़ा देता है और उस समय ललिता की हालत देखके यही लग रहा था कि ललिता भी चुनमुनियाँ चटवाने का मज़ा ले रही है. खैर, मैं चिकनी चुनमुनियाँ के रस को 5-6 मिनट जैसा चाट्ता-चूस्ता रहा.
इतने मे ललिता ने कहा, “आप अपना लंड मेरे चेहरे के उपर लाइए. आपने मुझे बहुत मज़ा दे दिया, मैं भी चुस्ती हूँ लंड को.” मैं घूमकर उसके उपर आ गया. इस तरहा उसका सिर मेरी जाँघो के नीचे आ गया और वो मेरे लंड से थोड़ी देर खेली, हल्का हल्का सहलाई, मुठियाई और फिर लंड को मुँह मे दुबारा ले लिया. ललिता नीचे लेट कर मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसके उपर से चुनमुनियाँ चाट रहा था. बीच बीच मे 1-2 अंगुली भी घुसा देता था चुनमुनियाँ के अंदर. मैं अपनी उंगलियों के नाख़ून अक्सर काटते रहता हूँ. डॉली की अक्सर उंगली से चुदाई करता हूँ. इससे चुनमुनियाँ के अंदर नाख़ून से चोट लगने की संभावना नहीं रहती है. चुनमुनियाँ के अंदर का टेंपरेचर शरीर के बाकी अंगों से थोड़ा ज़्यादा रहता है, ये उंगली को चुनमुनियाँ के अंदर डालने से ही पता चलता है.
मैं सोच रहा था कि एक कन्सर्वेटिव फॅमिली मे पाली हुई औरत, जो दिखने मे भोली और शरीफ लगती है, जो अपने पति को बहुत प्यार करती है; वो भी इस तरहा खुलकर दूसरे मर्द से चुद्वा सकती है!! खुद दूसरे मर्द के घर चुदने के लिए आने लगी!! दूसरे मर्द का लंड बेशर्मी से चूस रही है!! लेकिन शायद ये उसकी अतृप्त वासना ही उसे ऐसा करने पे मज़बूर कर रही है. शायद ऐसा हर औरत चाहती होगी कि उसको प्यार और धन-दौलत के साथ चुदाई का भी भरपूर आनंद मिले.
ज़्यादा देरी तक लगातार लंड चूसने से कंट्रोल नहीं होता है, झाड़ जाता है. इसलिए मैने भाभी को रोका, “भाभी, ज़रा रुकिये.” उसने मुँह से लंड हटाया. तभी उसकी नज़र क्लॉक पे गयी, 12:20 बज रहे थे. वो बोली, “अरे बाप रे, टाइम बहुत हो गया! आशीष, अब अपना लंड मेरी चुनमुनियाँ मे पेलिए और जल्दी ख़तम कीजिए. खाना भी बनाना है. ज़्यादा लेट होगा तो भूक लगेगी.” मैने कहा, “कोई बात नहीं भाभी, आज हम यहीं खाना खा लेंगे. ज़य तो 4 बजे के बाद आएँगे ना!”
उसने कहा, “रुकिये थोड़ा कन्फर्म कर लेती हूँ. कहीं वो जल्दी काम निपटाकर घर आ जाएँगे तो गड़बड़ हो जाएगी.” उसने अपना मोबाइल उठाया और ज़य को फोन लगाया. उसने स्पीकर फोन चालू कर दिया था. “हेलो! ललिता बोल रही हूँ. कहाँ हैं आप? खाना खाने आएँगे ना आप? आपके लिए भी खाना बना लूँ?” उधर से ज़य की आवाज़ सुनाई थी, “अरे यार ऑफीस मे ही हूँ, काम बहुत ज़्यादा है, लगता नहीं कि 5 बजे से पहले आ पाउन्गा. तुम खाना खा लेना. मैं इधर ही लंच कर लूँगा.” ललिता बोली, “ठीक है, एक काम कीजिए, शाम को सब्जी लेते आईएगा.” ज़य बोला, “ठीक है, आके बात करेंगे, बाइ.” उसके बाद ललिता ने फोन रख दिया.
अब मैं निसचिंत हो गया. अब मैने सोच लिया कि आज ललिता की चुनमुनियाँ इतना चाटूँगा कि वो झाड़ जाए, फिर उसकी चुनमुनियाँ लंड पेल कर खुद झदूँगा. ये चुदाई सेशन कंप्लीट करने के बाद भाभी को यहीं खाना बनाकर खिलाउन्गा और फिर कुच्छ देर रिलॅक्स कर एक क्विक राउंड लगाउँगा. मैं फिर पेसाब करने गया और लंड धोकर लाया. बेड के बगल के टेबल पे रखा जग उठाया और पानी पिया. हम अपने बेड रूम मे पानी हमेशा रखते हैं. रात को जब भी प्यास लगती है पानी पीते हैं. मेरी और डॉली की चुदाई अक्सर लंबी ही चलती है तो बीच मे प्यास लगती ही है. ललिता ने भी पानी पिया.
मैने ललिता से पूछा, “भाभी, अब तो कोई दुविधा नहीं है ना! डर त्याग दीजिए और चुदाई का मज़ा लीजिए!” उसने अपनी बाँहे फैलाई और मुझसे लिपट गयी और मेरी गर्दन पे किस करने लगी. शायद वो भी निसचिंत हो गयी थी. वो बोली, “अब आराम से करते हैं, खाना लेट ही चलेगा.” मैने भी उसके माथे को किस किया, फिर गालों और गर्दन को किस किया.
मैने भाभी को बेड पे लिटाकर सीधा किया. उसके अंगूठे को फिर से किस करते हुए उपर आया, टाँगों को, जांघों को, पेट को, बूब्स को, गर्दन को किस करते हुए लिप्स तक़ आया. उसको पलट कर उसकी पीठ के चारों तरफ जीव चलाया, हाथों से बूब्स सहलाया, चूतड़ सहलाया. उसके चिकने, गोल चूतड़ को किस किया.
उसको वापस पीठ के बल लिटाया. मैं बेड से उतरा और डॉली की ड्रेसिंग टेबल का ड्रॉयर खोला और उसमे से शहद की सीसी ले आया और भाभी की टाँगे फैलाकर उन्हे घुटनों पे मोड़ा. मैने 2 चम्मच जैसा शहद निकाला और उसकी चुनमुनियाँ और चुनमुनियाँ के चारों ओर शहद लगाया. मैं उसकी जांघों के बीच आया और अपनी जीव से चुनमुनियाँ पे लगे शहद को चाटने लगा. शहद के स्वाद से चुनमुनियाँ चाटने और चूसने का मज़ा बहुत बाद गया. उसकी चुनमुनियाँ अब मीठी मीठी लगने लगी.
शहद लगाकर मैने डॉली की चुनमुनियाँ को भी बहुत बार चटा है, उसे चाटने वाले को भी मीठा और चटवाने वाली को मज़ा बहुत आता है. चुनमुनियाँ मे शहद लगाकर मैने डॉली को अक्सर इतना चाट्ता कि वो झाड़ जाती थी. ऐसे तो मार्केट मे ड्यूर्क्स एट्सेटरा के ओरल-सेक्स क्रीम मिलते हैं, लेकिन शहद ईज़िली अवेलबल होता है, सस्ता भी होता है.
मैं भाभी की चुनमुनियाँ को बहुत देर तक़ चाटा. एक तो उसकी चुनमुनियाँ बिना झांट के थी, उपर से मीठी शहद का चिकनापन. जीव चुनमुनियाँ के उपर आराम से फिसल रही थी. बीच-बीच मे चुनमुनियाँ की पंखुड़ियों को होंठों से खींच लेता. उसने भी मेरे सिर को चुनमुनियाँ मे दबाए रखा. 10-12 मिनट मे वो शहद ख़तम हो गया था. मैने फिर से उसकी चुनमुनियाँ पे शहद लगाया और खुद नीचे लेट गया और कहा, “भाभी, अपना चुनमुनियाँ मेरे मुँह के उपर लगाइए.” वो तुरंत अपने चुनमुनियाँ को मेरे मुँह पे लगा दी और मैं सुरूफ़-सुरूफ़ चाटने लगा. वो पोज़िशन उतना कन्वीनियेंट नहीं लगा क्यूंकी उसके नीचे मैं दब रहा था.
मैने उसको फिर से नीचे लिटाया और फिर से शहद भरे चुनमुनियाँ को चूसने का आनंद लेने लगा. वो भी जोश मे आने लगी, अपनी चुनमुनियाँ उपर नीचे करने लगी, कमर हिलाने लगी. 4-5 मिनट के बाद लगा कि उसकी उत्तेजना चरम पे पहुँचने लगी है. मैं तेज़ी से जीव और होंठ चलाने लगा. और अगले 2-3 मिनट मे ऐसा लगा कि शहद के साथ उसके चुनमुनियाँ से कुच्छ गरम गरम लिक्विड रिसने लगा. मैं उस लिक्विड को चूस्ता गया और उसने भी मेरे सिर को दोनों हाथों से चुनमुनियाँ पे दबा दिया. और वो थोड़ी ढीली हो गयी. मैं समझ गया कि वो झाड़ गयी है. उसने कहा, “आशीष, ये आपने क्या कर दिया, ऐसा भी मज़ा मिल सकता है!” वो थोड़ी देर चित लेटी रही. करीब 12:40 बज चुके थे.
अब भाभी ने मुझे नीचे लेटने का इशारा किया. उसने भी शहद निकाल कर मेरे लंड, अंडकोष और सूपदे पे लगाया. और वो उस शहद को चाटने लगी. फिर सूपदे को मुँह मे लेकर चूसने लगी. मैने भाभी से कहा, “भाभी बहुत अच्छा लग रहा है, पर धीरे कीजिए नहीं तो आपके मुँह मे ही झाड़ जाउन्गा.” 2 मिनट चुसवाने के बाद मैने उसको रोका.
मैने उसको बेड पे लिटाया और उसके बगल मे खुद लेट कर उसकी चुचि और नाभि और जगहों को सहलाया. ऐसा करते हुए मैं रेस्ट ले रहा था. अब आगे के लिए तैयार था. मैं उठा, उसकी जांघों के बीच आया, चुनमुनियाँ को एक किस दिया और चुनमुनियाँ पे निशाना लगाकर अपने कमर को एक झटका मारा. मेरा लंड चुनमुनियाँ मे आराम से पूरा घुस गया. 5.5” लंबा लंड और बड़ी चुनमुनियाँ हो तो ऐसा होना ही था! ये पोज़िशन सबसे कामन होता है, लेकिन सबसे कंफर्टबल भी, और इस पोज़िशन मे लंड भी अंदर तक़ जाता है. मैं एकदम आराम से आहिस्ता आहिस्ता कमर हिलाने लगा. धीरे धीरे उसकी चुनमुनियाँ चिकनी और रसीली होती गयी.
4-5 मिनट बाद मैने अपना दायां पैर उसकी बायें पैर के नीचे सरकाया, अपना बाईं टाँग उसकी टाँगों के बीच लगाई और उसकी दाईं पैर को मेरे कमर के उपर रख दिया. वो पीठ के बल लेटी थी और मैं अपने बाएँ साइड पे. मैने फिर से अपने लंड को उसकी चुनमुनियाँ मे फिर से पेल दिया. ये पोज़िशन भी काफ़ी कंफर्टबल होता है, लेकिन इसमे डीप पेनेट्रेशन नहीं होता, लेकिन मज़ा डीप पेनेट्रेशन से नहीं होता, लंड का सिर्फ़ सूपड़ा सेन्सिटिव होता है और चुनमुनियाँ का सिर्फ़ बाहर के और 1-2 इंच अंदर वाले हिस्से ही सेन्सिटिव होते हैं. उसी पोज़िशन मे 40-50 स्लो मूव्स लगाया. उस समय मैं उसकी दाईं जाँघ को सहलाता रहा.
इसी बीच वो उठी और उसने मुझे लिटा दिया. उसने थोड़ी देर लंड को फिर से चूसा और वो मेरी तरफ मुँह करके लंड को चुनमुनियाँ से लगाकर उसके उपर बैठ गयी और लंड उसकी चुनमुनियाँ मे समा गया. वो लंड को किसी राजगद्दी की तरहा समझ रही थी शायद, तभी तो वो उसी अवस्था मे 1-2 मिनट बैठी रही, “आशीष जी पूरा घुस गया आपका लंड महाराज तो!!” मैने कहा, “आपको ये बात समझना चाहिए कि तरबूज चाकू पे गिरेगा, तब भी क़ाटना तो तरबूज ही को है ना!” वो बोली, “हां ये तो है.” वो मुझे उपर से 4-5 मिनट चोदि. मैं भी बीच-बीच मे नीचे से झटके मार लेता था, उसकी बूब्स को सहला देता था. वो मेरा छाती सहलाती रही. कभी कभी झुक कर मुझे किस करने लगी. वो मुझसे भारी थी लेकिन तब मुझे उसका वजन महसूस नहीं हो रहा था. वो लंड को चुनमुनियाँ मे लेकर ही पीछे घूम गयी और फिर लंड के उपर नीचे होने लगी. मैं तब उसकी पीठ सहला रहा था. किसी औरत से इस तरहा चुद्वाना, उसको चोद्ने से ज़्यादा संतूस्ती देता है. ये उन्ही लोगों को पता होगा, जिन्होने अपनी गर्लफ्रेंड या बीबी से इस तरहा चुद्वाया हो. पीछे से उसकी गोल गोल गांद को देखना बड़ा अच्छा लग रहा था.
उसके बाद मैं नीचे बैठा और उसकी पेटिकोट के अंदर घुस गया और उसकी जांघों को सहलाने लगा. वो बोली, “अरे, आप कहाँ घुस गये, निकलिये गुदगुदी होती है.” मैने चुनमुनियाँ की ओर देखा तो मैं बहुत खुश हुआ. ललिता ने आज पैंटी नहीं पहना था, मतलब वो चुदने का मन बनाके आई थी. फिर उसकी पेटिकोट से बाहर निकला और पेटिकोट का नाडा खोल कर उसको भी नंगा कर दिया. अरे ये क्या!! उसकी चुनमुनियाँ पे आज एक भी बाल नहीं था!! उसकी चुनमुनियाँ एकदम चिकनी लग रही थी, पिछली बार की चुदाई के टाइम तो बाल थे उसकी चुनमुनियाँ पर!! मतलब वो पूरी तैयारी के साथ आई हुई है!! मैने पूछा, “भाभी यहाँ के जंगल कौन काट गया?” वो बोली, “मैने कल ही सॉफ कर दिया था हेर रिमूवर लगाके. ज़य जी को रिझाने के लिए, लेकिन उनको क्या फ़र्क पड़ता है, चुनमुनियाँ देवी के वो ठीक से दर्शन ही नहीं करते हैं!” जहाँ तक मेरी पसंद का सवाल है, मुझे बिना झांट वाली चुनमुनियाँ ज़्यादा आकर्षित करती है, ज़्यादा सुंदर लगती है और चिकनी, सॉफ-सुथरी चुनमुनियाँ की चटाई और चुदाई मे ज़्यादा आनंद आता है. ये सब पर्सनल टेस्ट होते हैं, किसी को झांतदार चुनमुनियाँ ज़्यादा भाती है. मैने कहा, “डॉली भी अपनी चुनमुनियाँ का बाल सॉफ करते रहती है, इसलिए मैं उसकी चुनमुनियाँ का पुजारी हूँ. सॉफ चुनमुनियाँ को चाटने और चोद्ने मे आसानी होती है.” उसने मेरे लंड की ओर इशारा करते हुए कहा, “तो आपके लंड के आस-पास ये हल्के बाल क्यूँ हैं?” मैने कहा, “भाभी, ऐसे तो मैं हमेशा झांट सॉफ करते रहता हूँ, रोज़ नहाते समय अपने रेज़र से सॉफ करता हूँ. सॉफ लंड ही अच्छा लगता है. लेकिन डॉली जब से गयी है, मैने सॉफ नहीं किया.” मैने दरवाजा खोला और वॉश बेसिन के पास से अपना सेविंग क्रीम लाया और झांतो मे लगा दिया. मैं अपना रेज़र ललिता को देते हुए कहा, “आज तो आप ही सॉफ कर दीजिए, लेकिन ज़रा संभलके, झांट के बदले लंड ना काट दीजिएगा!!” वो मुस्कुराइ और रेज़र हाथ मे ली और धीरे धीरे उसने मेरे झांट सॉफ कर दिए.
झांट की सफाई के बाद मैं उसके साथ फिर से चिपक गया. और मग से पानी लेकर उसके बदन पे डालने लगा. पानी की बूँदें उसके बदन पे चमकने लगी. मैने भी उसके बदन पे खूब साबुन लगाया, उसके बूब्स पे साबुन मलकर झाग-झाग कर दिया. उसने भी दूसरा साबुन पकड़ा और मेरे छाती पे साबुन लगाया. हमारे बाथरूम मे दो अलग साबुन रहते हैं. मैं उससे फिर लिपट गया, उसकी बूब्स और मेरी छाती चिपक गये और मैं अपनी छाती को उसके बूब्स पे रगड़ने लगा. फिर अपने हाथों से हौले हौले उसकी मांसल, गोल चूतड़ को सहलाने, दबाने लगा. फिर मैं नीचे बैठा और उसकी टाँगों पे भी साबुन लगाया. और फिर मैने उसकी चुनमुनियाँ पे साबुन लगाकर सॉफ किया.
मैने अपनी बीबी डॉली के साथ भी बाथरूम मे चुदाई किया है. ऐसा मैं डॉली के साथ हर वीकेंड मे नहाता हूँ, वो मुझे सॉफ करती और मैं उसको सॉफ करता. गर्मियों मे तो हम दोनों रात को भी साथ नाहकार चुदाई करते थे. फ्रेश होने के बाद चुदाई करना बहुत रेफ्रेशिंग सा लगता है. ओरल सेक्स का मज़ा दोगुना हो जाता है, एक दूसरे के बदन को किस करने, चाटने का भी मज़ा ज़्यादा हो जाता है.
औरत के कोमल शरीर से खेलना अच्छा लगता है, वो भी दूसरे की बीबी हो तो और अच्छा लगता है. चेंज सबको अच्छा ही लगता है. खाना चाहे जितना भी अच्छा हो, रोज़ वही खाना खाएँगे तो उतना अच्छा नहीं लगता, पर एक दिन आप दूसरे टाइप का खाना खाएँगे तो बेटर ही लगेगा. मेरी बीबी डॉली, ललिता से तो बेटर ही है हर लिहाज से, पर आज ललिता भी बहुत अच्छी लग रही थी. मैने ललिता की बूब्स और चूतड़ को भी सहला सहला कर सॉफ किया. उसने भी मेरे लंड पे साबुन लगाकर अच्छी तरहा सॉफ किया.।
फिर मैने वहीं बाथरूम मे उसको नीचे लिटा दिया. उसकी टाँगों के पास बैठा और उसके पैरों को उठाकर उसके अंगूठे को किस करने लगा, मैं धीरे धीरे उपर जांघों की ओर जीव चलाता हुआ आया. वो लेटी रही. फिर उसकी चुनमुनियाँ के आस-पास जीव चलाने लगा. थोड़ी देर जांघों को, नाभि को हल्के हल्के चाटने के बाद मैने उसकी चुनमुनियाँ मे जीव घुसेडि. चुनमुनियाँ मे जीव लगते ही उसने मेरे सिर को पकड़ लिया. और उसके मुँह से आवाज़ निकली, “आ..ह आशीष, अच्छा लग रहा है. और चाटिये ना इसी तरहा.” मैं उसकी चिकनी चुनमुनियाँ को मज़े से चाट्ता रहा बहुत देर तक़. धीरे धीरे जीव फेरता रहा. क्यूंकी चुनमुनियाँ की सफाई अभी हुई थी इसीलिए कोई गंध नहीं आ रही थी.
मैने एक मग पानी लिया और उसकी चुनमुनियाँ पे डाल दिया, फिर अपनी उंगलियों से चुनमुनियाँ की पखुड़ियों को फैलाकर अपना जीव चुनमुनियाँ के अंदर डालकर लॅप-लापाने लगा. वो भी नीचे से कमर हिलाने लगी. 5-6 मिनट आराम से चुनमुनियाँ चटवाने का मज़ा लेने के बाद वो उठ कर बैठ गयी और मैं खड़ा हो गया. उसने मेरा लंड पकड़ लिया और हौले हौले मुठियाने लगी. और देखते ही देखते उसने मेरा लंड मुँह मे ले लिया और मुझे लंड चुसाई का मज़ा देने लगी. मैं चुप-चाप दीवार के सहारे खड़े होकर मज़ा लेने लगा. फिर मुझसे रहा नहीं गया, मैने उसका सिर पकड़ा और उसके मुँह को ही हौले हौले चोद्ने लगा.
थोड़ी देर ऐसा करने के बाद मैने वहीं ललिता को फिर से लिटाया और उसकी चुनमुनियाँ मे लंड लगाकर अंदर धकेलने लगा. ललिता ने लंड का सूपड़ा चुनमुनियाँ के सही जगह पे लगाया तो लंड चुनमुनियाँ के अंदर घुस गया. वैसे ही लंड चुनमुनियाँ मे डालकर थोडी देर उसके उपर लिपटा रहा. छाती को उसके बूब्स के उपर रगड़ते हुए उसके चुनमुनियाँ की गर्मी को लंड के सुपाडे के उपर महसूस करता रहा. फिर मैं धीरे धीरे कमर हिलाने लगा. साथ साथ मैं उसकी गर्दन को चूमने लगा. आज भी कोई जल्दबाज़ी नहीं, क्यूंकी मुझे चुदाई लीला लंबा खींचना था. 6-8 मिनट उसी पोज़िशन मे उसको चोदा.
क्यूंकी बाथरूम थोड़ा छोटा था, चोद्ने के लिए स्पेस कम पड़ रहा था, सो मैने भाभी से कहा, “भाभी, यहाँ थोड़ा अनकंफर्टबल लग रहा है, इसीलिए बेड रूम मे चलें क्या?” वो बोली, “ठीक है, मुझे क्या, चुद्ना ही है ना, यहाँ भी मज़ा आ ही रहा है.” मैने उसकी चुनमुनियाँ से लंड निकाला और पेसाब किया. उसने भी पेसाब किया वहीं. मैने साबुन लेकर अपना लंड और उसकी चुनमुनियाँ फिर से सॉफ की. दोनों के बदन पे फिर से पानी डाला और उसके साथ बेड रूम मे आ गया.
बेड रूम के वॉल क्लॉक मे 12 बज रहे थे. मतलब भाभी के साथ बाथरूम मे आधे घंटे की लीला चली. ललिता की कमर पे हाथ डालकर उसको अपने बराबर खड़ा किया और ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े हो गये. और भाभी को सामने आईने मे दिखाते हुए कहा, “देखिए भाभी, हम दोनों की जोड़ी कैसी लग रही है?” वो मुस्कुराइ. वो क्या बोलेगी!! मेरी और भाभी ललिता की जोड़ी थोड़ी अजीब सी लग रही थी. उमर और वजन मे बड़ी ललिता और साधारण कद-काठी का जवान लड़का मैं!! लेकिन हमे इससे क्या, हम दोनों जानते थे कि ये जोड़ा जबरदस्त मज़ा ले चुका है और आज भी लेगा. मैने वहीं भाभी को अपनी ओर खींचा, लंड उसकी नाभि पे टच हो रहा था. मैने उसकी मुँह के अंदर अपनी जीव घुसेड दी और उसकी जीव को चाटने लगा. हमारी जीव थोड़ी देर सलाइवा का आदान-प्रदान करती रही.
इससे पहले कि मैं ललिता को बेड पे पटकता, उसने मुझे उठाया और बेड पर फेंक कर लिटा दिया और वो मेरे उपर झुक गयी. उसने मेरे बदन पे किस बरसाना फिर से शुरू किया. पूरे बदन को किस की, पूरे बदन पे जीव चलाई, अपने कोमल हाथों से सहलाती रही. बहुत सिर-सिरी हो रही थी मुझे. बस आँखें बंद करके उसकी इस हरकत का मज़ा लेता रहा.।
इसी बीच मैने उसको पलटकर अपने नीचे लाया और मैं उसके उपर आ गया. उसके बूब्स को सहलाते हुए, पेट और नाभि को चाटते हुए, चुनमुनियाँ के चारों ओर जीव फेरा. मुझे पता है, ऐसा करने से औरतों को बहुत आनंद आता है. मैने उसकी मांसल जांघों को सहलाया. मैं उसके चुनमुनियाँ को फिर से चाटने लगा, उसकी चुनमुनियाँ से रस निकलने लगा और मैं चुनमुनियाँ के रस को चूस्ता गया. मेरी बीबी डॉली की बात कहु तो उसने मुझे कई बार कहा है कि चुनमुनियाँ चटवाना और चुसवाना, लंड से चुदने से भी ज़्यादा मज़ा देता है और उस समय ललिता की हालत देखके यही लग रहा था कि ललिता भी चुनमुनियाँ चटवाने का मज़ा ले रही है. खैर, मैं चिकनी चुनमुनियाँ के रस को 5-6 मिनट जैसा चाट्ता-चूस्ता रहा.
इतने मे ललिता ने कहा, “आप अपना लंड मेरे चेहरे के उपर लाइए. आपने मुझे बहुत मज़ा दे दिया, मैं भी चुस्ती हूँ लंड को.” मैं घूमकर उसके उपर आ गया. इस तरहा उसका सिर मेरी जाँघो के नीचे आ गया और वो मेरे लंड से थोड़ी देर खेली, हल्का हल्का सहलाई, मुठियाई और फिर लंड को मुँह मे दुबारा ले लिया. ललिता नीचे लेट कर मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसके उपर से चुनमुनियाँ चाट रहा था. बीच बीच मे 1-2 अंगुली भी घुसा देता था चुनमुनियाँ के अंदर. मैं अपनी उंगलियों के नाख़ून अक्सर काटते रहता हूँ. डॉली की अक्सर उंगली से चुदाई करता हूँ. इससे चुनमुनियाँ के अंदर नाख़ून से चोट लगने की संभावना नहीं रहती है. चुनमुनियाँ के अंदर का टेंपरेचर शरीर के बाकी अंगों से थोड़ा ज़्यादा रहता है, ये उंगली को चुनमुनियाँ के अंदर डालने से ही पता चलता है.
मैं सोच रहा था कि एक कन्सर्वेटिव फॅमिली मे पाली हुई औरत, जो दिखने मे भोली और शरीफ लगती है, जो अपने पति को बहुत प्यार करती है; वो भी इस तरहा खुलकर दूसरे मर्द से चुद्वा सकती है!! खुद दूसरे मर्द के घर चुदने के लिए आने लगी!! दूसरे मर्द का लंड बेशर्मी से चूस रही है!! लेकिन शायद ये उसकी अतृप्त वासना ही उसे ऐसा करने पे मज़बूर कर रही है. शायद ऐसा हर औरत चाहती होगी कि उसको प्यार और धन-दौलत के साथ चुदाई का भी भरपूर आनंद मिले.
ज़्यादा देरी तक लगातार लंड चूसने से कंट्रोल नहीं होता है, झाड़ जाता है. इसलिए मैने भाभी को रोका, “भाभी, ज़रा रुकिये.” उसने मुँह से लंड हटाया. तभी उसकी नज़र क्लॉक पे गयी, 12:20 बज रहे थे. वो बोली, “अरे बाप रे, टाइम बहुत हो गया! आशीष, अब अपना लंड मेरी चुनमुनियाँ मे पेलिए और जल्दी ख़तम कीजिए. खाना भी बनाना है. ज़्यादा लेट होगा तो भूक लगेगी.” मैने कहा, “कोई बात नहीं भाभी, आज हम यहीं खाना खा लेंगे. ज़य तो 4 बजे के बाद आएँगे ना!”
उसने कहा, “रुकिये थोड़ा कन्फर्म कर लेती हूँ. कहीं वो जल्दी काम निपटाकर घर आ जाएँगे तो गड़बड़ हो जाएगी.” उसने अपना मोबाइल उठाया और ज़य को फोन लगाया. उसने स्पीकर फोन चालू कर दिया था. “हेलो! ललिता बोल रही हूँ. कहाँ हैं आप? खाना खाने आएँगे ना आप? आपके लिए भी खाना बना लूँ?” उधर से ज़य की आवाज़ सुनाई थी, “अरे यार ऑफीस मे ही हूँ, काम बहुत ज़्यादा है, लगता नहीं कि 5 बजे से पहले आ पाउन्गा. तुम खाना खा लेना. मैं इधर ही लंच कर लूँगा.” ललिता बोली, “ठीक है, एक काम कीजिए, शाम को सब्जी लेते आईएगा.” ज़य बोला, “ठीक है, आके बात करेंगे, बाइ.” उसके बाद ललिता ने फोन रख दिया.
अब मैं निसचिंत हो गया. अब मैने सोच लिया कि आज ललिता की चुनमुनियाँ इतना चाटूँगा कि वो झाड़ जाए, फिर उसकी चुनमुनियाँ लंड पेल कर खुद झदूँगा. ये चुदाई सेशन कंप्लीट करने के बाद भाभी को यहीं खाना बनाकर खिलाउन्गा और फिर कुच्छ देर रिलॅक्स कर एक क्विक राउंड लगाउँगा. मैं फिर पेसाब करने गया और लंड धोकर लाया. बेड के बगल के टेबल पे रखा जग उठाया और पानी पिया. हम अपने बेड रूम मे पानी हमेशा रखते हैं. रात को जब भी प्यास लगती है पानी पीते हैं. मेरी और डॉली की चुदाई अक्सर लंबी ही चलती है तो बीच मे प्यास लगती ही है. ललिता ने भी पानी पिया.
मैने ललिता से पूछा, “भाभी, अब तो कोई दुविधा नहीं है ना! डर त्याग दीजिए और चुदाई का मज़ा लीजिए!” उसने अपनी बाँहे फैलाई और मुझसे लिपट गयी और मेरी गर्दन पे किस करने लगी. शायद वो भी निसचिंत हो गयी थी. वो बोली, “अब आराम से करते हैं, खाना लेट ही चलेगा.” मैने भी उसके माथे को किस किया, फिर गालों और गर्दन को किस किया.
मैने भाभी को बेड पे लिटाकर सीधा किया. उसके अंगूठे को फिर से किस करते हुए उपर आया, टाँगों को, जांघों को, पेट को, बूब्स को, गर्दन को किस करते हुए लिप्स तक़ आया. उसको पलट कर उसकी पीठ के चारों तरफ जीव चलाया, हाथों से बूब्स सहलाया, चूतड़ सहलाया. उसके चिकने, गोल चूतड़ को किस किया.
उसको वापस पीठ के बल लिटाया. मैं बेड से उतरा और डॉली की ड्रेसिंग टेबल का ड्रॉयर खोला और उसमे से शहद की सीसी ले आया और भाभी की टाँगे फैलाकर उन्हे घुटनों पे मोड़ा. मैने 2 चम्मच जैसा शहद निकाला और उसकी चुनमुनियाँ और चुनमुनियाँ के चारों ओर शहद लगाया. मैं उसकी जांघों के बीच आया और अपनी जीव से चुनमुनियाँ पे लगे शहद को चाटने लगा. शहद के स्वाद से चुनमुनियाँ चाटने और चूसने का मज़ा बहुत बाद गया. उसकी चुनमुनियाँ अब मीठी मीठी लगने लगी.
शहद लगाकर मैने डॉली की चुनमुनियाँ को भी बहुत बार चटा है, उसे चाटने वाले को भी मीठा और चटवाने वाली को मज़ा बहुत आता है. चुनमुनियाँ मे शहद लगाकर मैने डॉली को अक्सर इतना चाट्ता कि वो झाड़ जाती थी. ऐसे तो मार्केट मे ड्यूर्क्स एट्सेटरा के ओरल-सेक्स क्रीम मिलते हैं, लेकिन शहद ईज़िली अवेलबल होता है, सस्ता भी होता है.
मैं भाभी की चुनमुनियाँ को बहुत देर तक़ चाटा. एक तो उसकी चुनमुनियाँ बिना झांट के थी, उपर से मीठी शहद का चिकनापन. जीव चुनमुनियाँ के उपर आराम से फिसल रही थी. बीच-बीच मे चुनमुनियाँ की पंखुड़ियों को होंठों से खींच लेता. उसने भी मेरे सिर को चुनमुनियाँ मे दबाए रखा. 10-12 मिनट मे वो शहद ख़तम हो गया था. मैने फिर से उसकी चुनमुनियाँ पे शहद लगाया और खुद नीचे लेट गया और कहा, “भाभी, अपना चुनमुनियाँ मेरे मुँह के उपर लगाइए.” वो तुरंत अपने चुनमुनियाँ को मेरे मुँह पे लगा दी और मैं सुरूफ़-सुरूफ़ चाटने लगा. वो पोज़िशन उतना कन्वीनियेंट नहीं लगा क्यूंकी उसके नीचे मैं दब रहा था.
मैने उसको फिर से नीचे लिटाया और फिर से शहद भरे चुनमुनियाँ को चूसने का आनंद लेने लगा. वो भी जोश मे आने लगी, अपनी चुनमुनियाँ उपर नीचे करने लगी, कमर हिलाने लगी. 4-5 मिनट के बाद लगा कि उसकी उत्तेजना चरम पे पहुँचने लगी है. मैं तेज़ी से जीव और होंठ चलाने लगा. और अगले 2-3 मिनट मे ऐसा लगा कि शहद के साथ उसके चुनमुनियाँ से कुच्छ गरम गरम लिक्विड रिसने लगा. मैं उस लिक्विड को चूस्ता गया और उसने भी मेरे सिर को दोनों हाथों से चुनमुनियाँ पे दबा दिया. और वो थोड़ी ढीली हो गयी. मैं समझ गया कि वो झाड़ गयी है. उसने कहा, “आशीष, ये आपने क्या कर दिया, ऐसा भी मज़ा मिल सकता है!” वो थोड़ी देर चित लेटी रही. करीब 12:40 बज चुके थे.
अब भाभी ने मुझे नीचे लेटने का इशारा किया. उसने भी शहद निकाल कर मेरे लंड, अंडकोष और सूपदे पे लगाया. और वो उस शहद को चाटने लगी. फिर सूपदे को मुँह मे लेकर चूसने लगी. मैने भाभी से कहा, “भाभी बहुत अच्छा लग रहा है, पर धीरे कीजिए नहीं तो आपके मुँह मे ही झाड़ जाउन्गा.” 2 मिनट चुसवाने के बाद मैने उसको रोका.
मैने उसको बेड पे लिटाया और उसके बगल मे खुद लेट कर उसकी चुचि और नाभि और जगहों को सहलाया. ऐसा करते हुए मैं रेस्ट ले रहा था. अब आगे के लिए तैयार था. मैं उठा, उसकी जांघों के बीच आया, चुनमुनियाँ को एक किस दिया और चुनमुनियाँ पे निशाना लगाकर अपने कमर को एक झटका मारा. मेरा लंड चुनमुनियाँ मे आराम से पूरा घुस गया. 5.5” लंबा लंड और बड़ी चुनमुनियाँ हो तो ऐसा होना ही था! ये पोज़िशन सबसे कामन होता है, लेकिन सबसे कंफर्टबल भी, और इस पोज़िशन मे लंड भी अंदर तक़ जाता है. मैं एकदम आराम से आहिस्ता आहिस्ता कमर हिलाने लगा. धीरे धीरे उसकी चुनमुनियाँ चिकनी और रसीली होती गयी.
4-5 मिनट बाद मैने अपना दायां पैर उसकी बायें पैर के नीचे सरकाया, अपना बाईं टाँग उसकी टाँगों के बीच लगाई और उसकी दाईं पैर को मेरे कमर के उपर रख दिया. वो पीठ के बल लेटी थी और मैं अपने बाएँ साइड पे. मैने फिर से अपने लंड को उसकी चुनमुनियाँ मे फिर से पेल दिया. ये पोज़िशन भी काफ़ी कंफर्टबल होता है, लेकिन इसमे डीप पेनेट्रेशन नहीं होता, लेकिन मज़ा डीप पेनेट्रेशन से नहीं होता, लंड का सिर्फ़ सूपड़ा सेन्सिटिव होता है और चुनमुनियाँ का सिर्फ़ बाहर के और 1-2 इंच अंदर वाले हिस्से ही सेन्सिटिव होते हैं. उसी पोज़िशन मे 40-50 स्लो मूव्स लगाया. उस समय मैं उसकी दाईं जाँघ को सहलाता रहा.
इसी बीच वो उठी और उसने मुझे लिटा दिया. उसने थोड़ी देर लंड को फिर से चूसा और वो मेरी तरफ मुँह करके लंड को चुनमुनियाँ से लगाकर उसके उपर बैठ गयी और लंड उसकी चुनमुनियाँ मे समा गया. वो लंड को किसी राजगद्दी की तरहा समझ रही थी शायद, तभी तो वो उसी अवस्था मे 1-2 मिनट बैठी रही, “आशीष जी पूरा घुस गया आपका लंड महाराज तो!!” मैने कहा, “आपको ये बात समझना चाहिए कि तरबूज चाकू पे गिरेगा, तब भी क़ाटना तो तरबूज ही को है ना!” वो बोली, “हां ये तो है.” वो मुझे उपर से 4-5 मिनट चोदि. मैं भी बीच-बीच मे नीचे से झटके मार लेता था, उसकी बूब्स को सहला देता था. वो मेरा छाती सहलाती रही. कभी कभी झुक कर मुझे किस करने लगी. वो मुझसे भारी थी लेकिन तब मुझे उसका वजन महसूस नहीं हो रहा था. वो लंड को चुनमुनियाँ मे लेकर ही पीछे घूम गयी और फिर लंड के उपर नीचे होने लगी. मैं तब उसकी पीठ सहला रहा था. किसी औरत से इस तरहा चुद्वाना, उसको चोद्ने से ज़्यादा संतूस्ती देता है. ये उन्ही लोगों को पता होगा, जिन्होने अपनी गर्लफ्रेंड या बीबी से इस तरहा चुद्वाया हो. पीछे से उसकी गोल गोल गांद को देखना बड़ा अच्छा लग रहा था.