08-01-2021, 01:20 PM
बड़ी दीदी की काली काली चूत
Badi didi ki kaali kaali chut:
अमझार से और ये जबलपुर के पास एक छोटा सा गाँव है | मुझे यहाँ रहना र खेती करना बहुत पसंद है क्यूंकि यहाँ पर मेरी औकात है | अगर आपसे कोई कहे चलो बाहर चले जाओ और वहां रहके कुछ करो तो आप भी मना कर दोगे और यही मेरे साथ भी है | दोस्तों आप को बताना चौंगा कि मैंने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है और मुझे एक अच्छी नौकरी मिल रही थी पर मैंने उसे ठुकरा दिया और अपने गाँव में चैन से रहके दो वक्त की रोटी खा रहा हूँ |
दोस्तों जैसा मैंने आपको बताया मैं गाँव में खेती करता हूँ तो आपको ये भी पता होगा कि ये कितना मुश्किल काम है और इसमें कितनी मेहनत लगती है | खैर हम अमीर किसान हैं और हमारे पास साडी चीज़ें हैं इसलिए हमे किसी चीज़ की दिक्कत नहीं है पर सबसे बड़ी दिक्कत आती है गर्मी में | यहाँ पानी के लिए बस एक ही सहारा है और वो है नदी | नदी में ज्यादा पानी रहता नहीं है और सरकार की तरफ से भी कोई मदद नहीं मिलती | मुझे पता नहीं कब ये सब ठीक होगा पर इस बार चुनाव के समय ये मुद्दा उठाना ज़रूरी है | इस बार हमारे गाँव से सुम्मी दीदी खड़ी हो रही थी चुनाव में और वो हमारी बहुत अच्छी रिश्तेदार है | मुझे वो पहले से ही पसंद थी पर वो काली है और उसका फिगर भी बिलकुल सूखा है और उसकी आँखे ऐसी हो गयी है जैसे उसने एक लाल का पौवा मारा हो | पर मुझे इससे क्या मुझे अपना लंड उसकी काली चूत में डालना था और उसके काले बदन पे अपने सफ़ेद सफ़ेद मुट्ठ की बारिश करवानी थी |
पर मैं करता भी तो क्या क्यूंकि मुझे खेत पे काम होता था और चुनाव में साथ रहने के लिए वो मुझे हमेशा चिल्लाती रहती थी | एक दिन वो मेरे खेत आई और मेरे खेत वाले घर में बैठ गयी | वो अकेली थी और मैं भी अकेला था | अब उसकी आंखे तो हमेशा चढ़ी रहती थी तो मैंने सोचा शायद आज इसका चुदवाने का मन है इसलिए यहाँ अकेले में आई है | मैंने कहा दीदी आज क्या हुआ यहाँ का रास्ता कैसे भूल गयीं आप | उसने कहा यार राज मुझे ना तुझसे एक मादा चाहिए तो मैंने कहा क्या मदद चाहिए दीदी बस आप बताओ | मैंने मन में सोचा दीदी बस मेरा लंड मांगलो और कुछ ना कहो | उसने कहा ठंडा पानी पिला दे यार | मेरे मूड की वहीँ मैय्या छुड़ा गयी और मैंने कहा दीदी मटके का पानी है चलेगा क्या ? उसने कहा अरे दौड़ेगा तू बस ले आ मेरे लिए | मैं गया और उसके लिए पानी लेकर आया | पानी पीने के बाद उसने कहा सुन मुझे ना कैसे भी करके जीतना है तो तू बस मेरे लिए कहीं न काहीं से फर्जी वोट का इंतज़ाम कर दे |
मैंने कहा ठीक है दीदी वो तो मैं कर दूंगा पर ये बताओ इसके बदले में मुझे क्या मिलेगा ? उसने कहा अरे तू सोच भी नहीं सकता पगले ऐसा इनाम दूंगी तुझे | उसके बाद हमारी बात दुसरे मोड़ पर चली गयी और धीरे धीरे नाता लोगों पे आ गयी | उसने कहा सब साले गए गुज़रे हैं उनको बाद बदन की भूख है | मैंने कहा ये आप क्या कह रहे हो दीदी क्या सच में ऐसा है ? उसने कहा नहीं तो क्या मुझे ऐसे ही टिकेट मिल गयी | मैंने कहा मतलब आपने अपनी इज्ज़त बेच दी क्या ? उसने कहा नहीं अभी इतने बुरे दिन नहीं आये हैं पर हैं कई ऐसे जो मेरी चूत के पीछे पड़े हैं | मुझे ये सब उसके मुंह से सुनके हैरानी हो रही थी क्यूंकि आज तक मैंने कभी किसी औरत के मुंह से ये सब नहीं सुना था और शायद मुझे अच्छा भी लग रहा था क्यूंकि मुझे उसकी चूत ही चाहिए थी | हमारी थोड़ी देर तक ऐसे ही बात हुयी और उसके बाद उसने कहा चल मैं जा रही हूँ बस तू अपना काम देख लेना जो मैंने तुझे बोला है नहीं मेरी गांड मार लेंगे पार्टी वाले |
मैंने भी कह दिया अरे दीदी आप बस देखते जाओ मैं क्या करता हूँ | अब बात थी बात वाली क्यूंकि अपन जुबान दे चुके थे | इसलिए मैंने सोचा चलो कुछ तो करना ही पड़ेगा | मैं पूरे गाँव में घूमा और ऐसे लोगों की जानकारी ली जो कि मर चुके थे या फिर गाँव छोड के जा चुके थे | मैं अपने काम में सफल हो गया और मैंने सारी रूप रेखा तैयार कर ली | उसके बाद चुनाव आने वाले थे अगले महीने और मैं तैयार था और सुम्मी मुझसे कुछ ज्यादा ही चिपकने लगी थी | मैंने भी एक मौका नहीं छोडा और उसे ये एहसास दिला दिया कि मैं ही उसका सबसे करीबी हूँ | दोस्तों अगर अपने किसी को ऐसा एहसास दिला दिया तो बस समझ लो आपका आधा काम हो गया | मैंने पैंतरा काम कर गया और उसके बाद मैंने अपना चुनावी काम चालु कर दिया | चुनाव के एक दिन पहले सुम्मी ने मुझे दो पेटी दारु दी और कहा सुन अपने घर के आस पास सबके घर में भेज दे और पैसे भी दिए और कहा साथ में पैसे बी देना ताकि वोट अपने पास ही आये |
मैंने दारु भिजवा दी और पैसे अपने पास रख लिए क्यूंकि मुझे दारु में कोई इंटरेस्ट नहीं था | अब चुनाव का दिन आ गया और उस दिन सब बूथ मेरे अंडर में थे और मुझे पता था मुझे क्या करना है | मैंने सारे फर्जी वोट डलवा दिए और चुनाव ख़त्म हो गए | उसके एक दिन बाद सुम्मी जीत गयी और मुझे उसके सुनोने दिख रहे थे | जीतने के बाद खू जश्न मनाया और उसके बाद सुम्मी दीदी ने मुझे रात में बुलाया और कहा तुझे मस्त तोहफा मिलेगा और इतना बोलते हुए वो अपने कपडे उतारने लगी | मैंने कहा दीदी ये हुई ना बात | उसने कहा सुन नाता से अच्छा कोई अपना मेरी चूत चोद ले | उसका बदन ज्यादा भरा नहीं था पर ठीक था और सच बताऊँ तो मुझे बस उसको चोदने का मन था | उसको किस करने में मुझे शर्म आ रही थी क्यूंकि वो काली थीं | पर मैंने ना चाहते हुए भी उसको किस करना चालु किया और उसके दूध दबाना भी चालु कर दिया | उसके दूध छोटे थे और मैं उन्हें ब्रा के ऊपर से ही मसल रहा था और वो भी मुझे किस किया जा रही थी |
उसके बाद उसने एक एक करके मेरे कपडे उतार दिए और मुझे नंगा करने लगी तो मुझे भी जोश आने लगा और मैंने उसके ब्रा को खोल दिया | उसके निप्पल भी काले थे पर मुझे क्या मैंने उनको चूसना चालु कर दिया | वो मेरे लंड को मसलने लगी और उसके बाद वो कहने लगी वाह क्या मस्त कड़क लंड है मुझे इससे चुदने में मज़ा आ जायेगा | मैंने कहा बस कुछ देर और उसके बाद तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा दीदी | फिर क्या मैंने उसको बैठा दिया और कहा मेरा लंड चूसो | जी ही उसने अपना मुंह मेरे लंड पे लगाया मुझे आनंद की अनुभूति होने लगी | मेरे मुंह से आअह्ह्ह्ह ऊऊउम्म्म्म ऊऊउफ़् आआह्हह्हह ऊऊऊह्हह आअह्ह्ह्ह ऊऊउम्म्म्म ऊऊउफ़् आआह्हह्हह ऊऊऊह्हह आअह्ह्ह्ह ऊऊउम्म्म्म ऊऊउफ़् आआह्हह्हह ऊऊऊह्हह निकलने लगी और उसके बाद वो मेरा लंड जोर जोर से खींच के चूसने लगी | मुझे ऐसा लग रहा था जैसे आज ये मेरा मुट्ठ नहीं मेरा लंड ही निकाल लेगी | पर कुछ भी हो मैं आअह्ह्ह्ह ऊऊउम्म्म्म ऊऊउफ़् आआह्हह्हह ऊऊऊह्हह आअह्ह्ह्ह ऊऊउम्म्म्म ऊऊउफ़् आआह्हह्हह ऊऊऊह्हह आअह्ह्ह्ह ऊऊउम्म्म्म ऊऊउफ़् आआह्हह्हह ऊऊऊह्हह करते हुए मज़े ले रहा था और वो लंड चूस रही थी |
उसके बाद मैंने सोचा कि इसकी चूत चाट लेता हूँ पर जैसे ही मेरी नज़र उसपर गयी मेरा मन बदल गया | मैंने सीधे उसको घोड़ी बनाया और अपने बड़े मोटे लंड को उसकी चूत में भर दिया एक बार में | वो वो चिल्लाने लगी और उसके बाद मैंने उसको भर ताकत से चोदना शुरू कर दिया | थोड़ी देर बाद वो आअह्ह्ह्ह ऊऊउम्म्म्म ऊऊउफ़् आआह्हह्हह ऊऊऊह्हह आअह्ह्ह्ह ऊऊउम्म्म्म ऊऊउफ़् आआह्हह्हह ऊऊऊह्हह आअह्ह्ह्ह ऊऊउम्म्म्म ऊऊउफ़् आआह्हह्हह ऊऊऊह्हह करते हुए चुदवाने लगी | मैंने उसको पूरी रात चोदा और उसके बदन को अपने सफ़ेद मुट्ठ से नेहला दिया |
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.