08-01-2021, 01:11 PM
गीतिका की गर्मी शांत की
महिमा और मेरे बीच के झगड़े बढ़ते ही जा रहे थे और मेरे पास अब कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था सिवाय महिमा से अलग होने का। मैंने भी सोच लिया था कि मैं महिमा को डिवोर्स दे दूंगा क्योंकि इसमे महिमा की भी सहमति थी इसलिए हम दोनों ने अपने रिश्ते को खत्म करने के बारे में सोच लिया था और हम दोनों ने डिवोर्स ले लिया था। महिमा और मैं कॉलेज में साथ में पढ़ा करते थे और हम दोनों के बीच कॉलेज के समय से ही प्यार था। हम दोनों की लव मैरिज थी। हालांकि हम दोनों के परिवार वाले हम दोनों की शादी से बिल्कुल भी खुश नहीं थे लेकिन फिर भी हम दोनों ने शादी कर ली थी। हमने कोर्ट मैरिज की और मैं और महिमा साथ में रहने लगे थे। मुझे लगा था कि महिमा और मैं एक दूसरे के साथ बहुत खुश है लेकिन समय के साथ साथ अब सब कुछ बदलता चला गया था।
महिमा और मेरे बीच में बहुत सारी प्रॉब्लम होने लगी थी और हम दोनों एक दूसरे से झगड़ने भी लगे थे जिस वजह से महिमा और मैं अब एक दूसरे से अलग होना चाहते थे। हम दोनों एक दूसरे से अलग हो चुके थे। हालांकि यह मेरे लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं था क्योंकि मैं महिमा को बहुत ज्यादा प्यार करता था और महिमा भी मुझे काफी प्यार करती थी लेकिन ना जाने हम दोनों के बीच क्यों इतने झगड़े होने लगे थे। हम दोनों अलग हो चुके थे लेकिन फिर भी मैं महिमा को अभी तक भूल नहीं पाया हूं। मैं और महिमा बेंगलुरु में साथ में रहा करते थे लेकिन जब मेरा डिवोर्स महिमा के साथ हुआ तो उसके बाद मैं जयपुर लौट आया था और महिमा भी जयपुर में ही रहने लगी थी। हम दोनों जयपुर के रहने वाले हैं और हमारी शादी के बाद हम दोनों बेंगलुरु में रहने लगे थे लेकिन अब मैं जयपुर आ चुका था।
जयपुर आने के बाद पापा चाहते थे कि मैं उनके बिजनेस को संभाल लूं। हालांकि मैंने पहले पापा को इस बारे में मना किया था लेकिन फिर पापा ने मुझे मना लिया और फिर मैं पापा के बिजनेस को संभालने लगा था। मैं पापा के बिजनेस को संभालने लगा और पापा भी इस बात से बड़े खुश थे। समय बीता जा रहा था और सब लोग चाहते थे कि मैं अब शादी कर लूं लेकिन मैं इस बात के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था कि मैं शादी करूं। पापा मम्मी को मैंने साफ तौर पर मना कर दिया था। वह लोग मुझे कहने लगे कि बेटा तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए परन्तु मेरे दिमाग से अभी तक महिमा का ख्याल निकल नहीं पाया था और मैं नहीं चाहता था कि मैं किसी और से शादी करूं। एक दिन मैं अपने घर लौटा उस दिन शाम के 7:00 बज रहे थे, जब मैं घर लौटा तो उस दिन हमारे पड़ोस में रहने वाले राजेंद्र अंकल हमारे घर पर आए हुए थे।
राजेंद्र अंकल और पापा की काफी अच्छी बनती है इसलिए वह हमारे घर पर अक्सर आया करते हैं लेकिन उस दिन उनके आने का मकसद कुछ और ही था। उस दिन वह अपने किसी रिश्तेदार की लड़की का रिश्ता मेरे लिए लेकर आए थे। जब इस बारे में मुझे मां ने बताया तो मैंने मां को कह दिया कि मैं शादी नहीं करना चाहता हूं। मां मुझे कहने लगी कि देखो बेटा तुम्हें शादी तो करनी ही पड़ेगी, हम लोग चाहते हैं कि तुम अपने जीवन में आगे बढ़ जाओ और जब तुम शादी कर लोगे तो तुम्हारे जीवन में सब कुछ ठीक हो जाएगा। मां के कहने पर मैं भी उनकी बात मान चुका था और मैं जब पहली बार गीतिका को मिला तो मुझे गीतिका से मिलकर अच्छा लगा।
गीतिका बात करने में बड़ी ही अच्छी है और वह बड़ी बिंदास लड़की है लेकिन मैं शादी के लिए अभी भी तैयार नहीं था और मैंने पापा मम्मी को साफ तौर पर मना कर दिया था। उसके बाद मैं गीतिका को एक दिन मिला था गीतिका ने मुझसे बात की तो मुझे भी लगा कि मुझे गीतिका से बात करनी चाहिए। हम दोनों ने एक दूसरे से बात की तो हम दोनों को ही अच्छा लगा हम दोनों साथ में बैठे हुए थे और मैं गीतिका को समझने की कोशिश कर रहा था। गीतिका से बात करना मुझे अच्छा लगा और गीतिका को भी मुझसे बात करके काफी अच्छा लगा। हम दोनों की काफी बातें हुई और मुझे बहुत ही अच्छा लगा जब उस दिन मैं और गीतिका साथ में थे। हम दोनों ने साथ में काफी अच्छा समय बिताया उसके बाद मैं गीतिका को काफी लंबे समय तक तो नहीं मिल पाया था लेकिन जब मैं गीतिका को एक दिन मिला तो उस दिन गीतिका से मेरी बात हुई और मुझे भी लगा कि गीतिका बहुत ही अच्छी लड़की है और गीतिका और मुझे अब एक दूसरे से बातें करनी चाहिए।
हम दोनों ने एक दूसरे से बातें करना शुरू कर दिया था हम एक दूसरे से फोन पर बातें करने लगे थे और मुझे गीतिका से बात कर के बड़ा अच्छा लगता। जब भी मैं गीतिका के साथ होता तो मैं बहुत ही ज्यादा खुश होता और वह भी बहुत ज्यादा खुश होती जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे से बातें किया करते। हम दोनों की फोन पर भी काफी ज्यादा बातें होने लगी थी और मैं गीतिका को काफी अच्छे से समझने लगा था। शायद यही वजह थी कि गीतिका और मैं एक दूसरे से बहुत ज्यादा प्यार करने लगे थे और अब हम दोनों एक दूसरे के बिना बिल्कुल भी रह नहीं पाते थे। हालांकि गीतिका को मेरे जीवन से जुड़ी सारी बातें पता थी लेकिन उसके बावजूद भी गीतिका को इससे कोई परेशानी नहीं थी। मैं बहुत ज्यादा खुश था जिस तरीके से गीतिका और मैं एक दूसरे से शादी करने के लिए तैयार हो चुके थे। हमारी फैमिली को इससे कोई ऐतराज नहीं था और मेरे पापा और मम्मी बहुत ही ज्यादा खुश थे जब मैंने उनसे शादी के बारे में बात की।
मैं अब अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा था और गीतिका ने मेरे जीवन में आगे बढ़ने में काफी मदद की। मैं बड़ा खुश था जिस तरीके से मैं और गीतिका अपने जीवन में आगे बढ़ चुके थे। गीतिका से मेरी शादी होने वाली थी और हम दोनों बड़े ही खुश थे। शादी की अब सारी तैयारियां हो चुकी थी मेरी और गीतिका की शादी बड़े ही धूमधाम से हुई। हमारी शादी से पापा और मम्मी बड़े खुश हैं और अब गीतिका मेरी पत्नी बन चुकी थी। शायद मेरे लिए इससे बड़ी खुशी की बात कुछ और नहीं थी कि गीतिका मेरे जीवन में आ चुकी थी। गीतिका के मेरे जीवन में आने से मेरे जीवन में पूरी तरीके से बदलाव आने लगा था और मैं बहुत ज्यादा खुश था। हम दोनों की शादी को दो महीने से ऊपर हो चुका था और गीतिका ने घर की सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली थी। वह घर की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाने लगी थी इस बात से पापा और मम्मी बड़े खुश थे।
गीतिका ने घर की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाना शुरू कर दिया था। मैं भी बड़ा खुश था जिस तरीके से गीतिका और मैं एक दूसरे के साथ होते उससे हम दोनों को बड़ा अच्छा लगता। गीतिका ने घर की सारी जिम्मेदारी को बखूबी निभा लिया था मैं भी बड़ा खुश था जिस तरीके से गीतिका ने घर की सारी जिम्मेदारी को निभा लिया था। गीतिका और मैं कुछ दिनों के लिए गीतिका के पापा मम्मी से मिलने के लिए गए। उस रात जब गीतिका और मैं साथ में थे तो मैंने गीतिका को अपनी बाहों में भर लिया था वह मेरी बाहों में थी। वह कहने लगी आज आप बड़े मूड में नजर आ रहे हैं। मेरा गीतिका के साथ सेक्स करने का मन था और गीतिका भी मेरे साथ सेक्स करने के लिए तड़प रही थी। मैंने उसके बदन से सारे कपड़े उतार दिए जिस तरीके से हम दोनो एक दूसरे को महसूस कर रहे थे उस से गीतिका बड़ी ही खुश थी और मैं भी बड़ा खुश था।
हम दोनों गरम होते जा रहे थे मैंने गीतिका के स्तनों को चूसना शुरू कर दिया था और गीतिका के स्तनों का रसपान करने में मुझे मजा आने लगा था। उसके निप्पलो को चूसकर मुझे बड़ा आनंद आता वह भी बहुत ज्यादा खुश थी जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे का साथ दे रहे थे। हम दोनों पूरी तरीके से तड़पने लगे थे। मैं और गीतिका बहुत ज्यादा खुश थे। मैंने अपने लंड को गीतिका के सामने किया तो वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर उसे सकिंग करने लगी थी। उसने मेरे लंड को चूसा जब मैंने गीतिका की चूत को चाटा तो वह अपने पैरों को खोलने लगी थी उसकी योनि से बहुत ज्यादा अधिक मात्रा में गिला पदार्थ बाहर निकलने लगा था। मैंने गीतिका की चूत को चाटना शुरू किया गीतिका की चूत गीली हो चुकी थी और मैंने उसकी चूत में लंड को डाल दिया था। मेरा लंड गीतिका की चूत मे चला गया था मुझे मजा आने लगा था। गीतिका को भी मजा आ रहा था वह जिस तरीके से मेरा साथ दे रही थी।
मैं उसे बडे ही तेज गति से धक्के दिए जा रहा था हम दोनों एक दूसरे का साथ का साथ दे रहा था मुझे मजा आ रहा था। हम दोनों को मजा आने लगा था गीतिका की मादक आवाज बढने लगी थी। वह मुझे कहने लगी तुम मुझे बस ऐसे ही धक्के दिए जाओ। मैंने गीतिका के दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया था जिससे कि मेरी आग और भी ज्यादा बढने लगी थी। मेरा लंड गीतिका की योनि के अंदर बहार बड़ी आसानी से होने लगा था मुझे मजा आने लगा था। मैं जिस तरीके से उसे धक्के दे रहा था हम दोनों को बड़ा अच्छा लग रहा था। अब हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बढ़ा रहे थे हम दोनों ने एक दूसरे की गर्मी को काफी बढा कर रख दिया था। मेरा वीर्य बाहर की तरफ गिर चुका था और गीतिका बड़ी खुश थी हम दोनों ने जिस प्रकार सेक्स का मजा लिया। हम दोनों के बीच सेक्स संबध बनते ही रहते है लेकिन मुझे उस दिन गीतिका को चोदने में बड़ा मजा आया था और गीतिका को भी बड़ा मजा आया था जिस तरीके से उसने और मैंने सेक्स किया था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.