08-01-2021, 01:06 PM
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रचना की चूत का पानी
10/01/202
मैं अपने ऑफिस में था और अपने ऑफिस का काम कर रहा था कि तभी दीदी का फोन आया और दीदी मुझसे फोन पर बातें करने लगी। दीदी उस वक्त कुछ परेशान नजर आ रही थी मैंने उनसे जब उनकी परेशानी का कारण पूछा तो उन्होंने मुझे कुछ नहीं बताया। मैंने दोबारा से उन्हें पूछना चाहा परंतु उन्होंने मुझे इस बारे में कुछ नहीं बताया। मुझे यह तो मालूम चल चुका था कि वह बहुत ज्यादा परेशान है और उनकी परेशानी का कारण मैं जानना चाहता था। जब मैं शाम के वक्त घर लौटा तो पापा से मैंने इस बारे में पूछा लेकिन उन्होंने मुझे कुछ नहीं बताया। अगले दिन मेरे ऑफिस की छुट्टी थी इसलिए मैं दीदी से मिलने के लिए उनके घर पर ही चला गया। जब मैं उनको मिलने के लिए उनके घर पर गया तो उनके चेहरे को देखकर मुझे साफ तौर पर पता चल चुका था कि वह काफी परेशान है। मैंने उनसे उनकी परेशानी की वजह जानने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मुझे कुछ नहीं बताया परंतु मैंने जब उन्हें कहा कि दीदी तुम्हें मुझे बताना होगा कि आखिर तुम इतनी क्यों परेशान हो?
दीदी ने भी मुझे कहा कि मेरी परेशानी की वजह मेरे पति हैं। दीदी की शादी को हुए 4 वर्ष हो चुके हैं लेकिन यह पहली बार था जब दीदी ने मुझे इस बारे में बताया था। जब दीदी ने मुझे जीजा जी के बारे में बताया तो मैं काफी ज्यादा गुस्से में था और मैं चाहता था कि मैं उनसे बात करूं। जीजा जी दीदी से डिवोर्स लेना चाहते थे और उन्होंने ना ही हमसे इस बारे में कुछ डिस्कशन किया था और ना ही दीदी ने हमें कुछ बताया था। दीदी ने जब हमें इस बारे में बताया तो मैं बहुत ज्यादा गुस्से में था और मैं जीजा जी से बात करना चाहता था। मैंने जब जीजा जी से इस बारे में बात की तो उन्होंने मुझे कहा कि हम दोनों के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है इसलिए मुझे लगता है कि हम दोनों को अलग हो जाना चाहिए। मैं कुछ भी समझ नहीं पा रहा था लेकिन अचानक से ही दीदी और जीजा जी के बीच में झगड़े इतने ज्यादा बढ़ चुके थे कि वह लोग अलग होना चाहते थे। मैं काफी ज्यादा परेशान था और जब यह बात पापा और मम्मी को मालूम चली तो वह लोग भी अब काफी परेशान हो चुके थे।
पापा और मम्मी बहुत परेशान थे मैंने और पापा ने जीजा जी से इस बारे में बात करनी चाही लेकिन हम लोग दीदी के घर को टूटने से बचा ना सके। दीदी का डिवोर्स जीजाजी से हो चुका था दीदी पूरी तरीके से टूट चुकी थी और मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा था। दीदी घर में रहती थी लेकिन वह किसी से भी बात नहीं करती थी दीदी ने अपने कमरे को ही अपनी दुनिया बना लिया था और काफी समय तक ऐसा ही चलता रहा। धीरे धीरे दीदी को भी यह बात समझ आने लगी थी कि इन सब से कोई भी फायदा नहीं होने वाला है। शायद इसी वजह से दीदी ने अब नौकरी करने का फैसला किया और दीदी ने जब नौकरी करने का फैसला किया तो मैं भी समझ चुका था कि दीदी के जीवन में अब सब कुछ ठीक चलने लगा है। दीदी के जीवन में पहले की तरह ही खुशियां वापस लौटने लगी थी और वह हम लोगों से पहले की तरह ही बातें करने लगी थी।
अब घर में भी खुशियां लौट आई थी दीदी अपनी जॉब में पूरी तरीके से ध्यान लगाने लगी थी और वह बहुत ज्यादा खुश थी। समय बीतता जा रहा था और एक दिन दीदी ने मुझे कहा कि राकेश आज हम लोगों को कहीं घूमने के लिए जाना चाहिए। मैंने दीदी से कहा कि हां दीदी वैसे भी आज मेरी छुट्टी है और आज हम लोग कहीं घूमने चलते हैं। हमारी पूरी फैमिली काफी लंबे समय के बाद एक साथ कहीं घूमने के लिए गए थे। हम लोगों ने साथ में समय बताया तो सब लोग बड़े ही खुश थे और मुझे भी बहुत ज्यादा अच्छा लगा जिस तरीके से हम लोगों ने उस दिन साथ में समय बिताया। मुझे बहुत ही अच्छा लगा था और दीदी भी बहुत ज्यादा खुश थी दीदी के चेहरे की खुशी बयां कर रही थी कि दीदी अपनी जिंदगी में खुश है। हम लोग भी इस बात से बड़े खुश थे जिस तरीके से उस दिन हम सब लोगों ने साथ में समय बिताया। मैं काफी लंबे समय से अपने दोस्तों के टच में नहीं था लेकिन उस दिन जब मैं अपने दोस्त महेश को मिला तो मुझे काफी अच्छा लगा। मेरी महेश से काफी लंबे समय बाद मुलाकात हो रही थी और महेश को मिलकर मुझे बड़ा अच्छा लगा था।
महेश ने मुझे कहा कि तुमसे आज कितने सालों के बाद मुलाकात हो रही है। मैंने भी महेश को कहा कि मुझे भी आज काफी अच्छा लग रहा है जिस तरीके से तुम से आज मेरी मुलाकात हुई है और मैं बड़ा खुश हूं। मैं और महेश काफी लंबे समय बाद एक दूसरे को मिल रहे थे महेश ने मुझे कहा कि मैं चाहता हूं कि हम लोग अपने कुछ पुराने दोस्तों को मिले। महेश ने एक पार्टी अरेंज की जिसमें कि हमारे साथ पढ़ने वाले सारे दोस्त मिले। मुझे काफी अच्छा लगा उस दिन मैं बड़ा खुश था और अपने पुराने दोस्तों से मिलकर हम लोगों ने अपनी पुरानी यादें ताजा की। उस दिन के बाद महेश से मेरी अक्सर फोन पर बातें होती रहती थी और जब भी मेरी महेश से बात होती तो मुझे बड़ा ही अच्छा लगता और महेश को भी बहुत ज्यादा अच्छा लगता था जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे को मिलते और एक दूसरे से अपनी बातों को शेयर किया करते। महेश अपने पापा के बिजनेस को संभाल रहा है।
एक शाम मैं अपने ऑफिस से घर लौट रहा था उस दिन जब मैं अपने ऑफिस से घर लौटा तो घर पर मामा जी आए हुए थे मामा जी से मैं काफी लंबे समय बाद मिल रहा था और उनसे मिलकर मुझे बड़ा अच्छा लगा। मामा जी अक्सर हमारे घर पर आते जाते रहते हैं लेकिन काफी लंबे समय के बाद वह घर पर आए थे। मामा जी ने मुझसे पूछा बेटा तुम्हारी जॉब कैसी चल रही है मैंने मामा जी को कहा कि मेरी जॉब तो अच्छी चल रही है। कुछ देर तक मैं मामाजी के साथ ही बैठा रहा। मैं मामाजी के साथ बैठा हुआ था और मुझे काफी अच्छा लगा जब मैं उनके साथ बातें कर रहा था। काफी लंबे समय के बाद मैं मामाजी के साथ बैठा था और मुझे बड़ा अच्छा लगा जिस तरीके से मैं उनके साथ बैठा था और मैं बड़ा ही खुश था। मामा जी ने उस दिन मुझे कहा कि बेटा तुम शादी कर लो तुम्हारी शादी की उम्र हो चुकी है लेकिन मैं शादी नहीं करना चाहता था।
मैं चाहता था कि पहले दीदी की जिंदगी में सब कुछ ठीक हो जाए क्योंकि कहीं ना कहीं पापा और मम्मी भी चाहते थे कि दीदी दोबारा से शादी कर ले और इसी वजह से मैंने उन्हें कहा कि अभी फिलहाल मैं शादी नहीं करना चाहता हूं। हमारे ऑफिस में रचना काम करती है। मैं रचना को बहुत ही ज्यादा पसंद करता हूं लेकिन कभी भी मैं रचना को अपने दिल की बात नहीं कह पाया था लेकिन एक दिन रचना मेरे पास आकर बैठी। उस दिन हम दोनों ने साथ में लंच किया मुझे रचना के साथ बात कर के अच्छा लगा। रचना से मेरी काफी देर तक बात हुई मुझे भी बहुत अच्छा लगा। अब रचना और मैं फोन पर एक दूसरे से बात करने लगे थे। हम दोनों एक दूसरे के साथ जब भी बातें करते तो हम दोनों को बड़ा ही अच्छा लगता था जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे से बातें करते उससे हम दोनों को बहुत अच्छा लगता। रचना और मैं फोन पर एक दूसरे से बातें करने लगे थे।
एक दिन फोन पर हम दोनों की गरम बातें हुई उस दिन जब हम दोनों की फोन पर बातें हुई तो अगले दिन मैं रचना के साथ सेक्स करने के लिए तड़पने लगा था और वह भी तड़प रही थी। रचना और मैं एक दूसरे के साथ सेक्स करना चाहते थे। अब हम दोनों ने एक दूसरे के साथ सेक्स करने का मन बनाया था, ऑफिस खत्म होने के बाद रचना और मैं होटल में रुके हम दोनों जब उस दिन होटल में रुके तो मैंने उसके होठों को गर्म करने की कोशिश की थी वह बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी। मुझे भी बड़ा अच्छा लगा जिस तरीके से वह गर्म हो चुकी थी मैं उसके स्तनों को दबाने लगा था मैंने रचना के स्तनों को दबाना लगा था। मैंने उसके कपड़ों को उतार दिया था मैंने रचना के कपड़ों को उतारा और उसकी योनि को चाटने लगा।
रचना की चूत से पानी निकालने लगा था उसकी चूत से बहुत ज्यादा पानी निकाल रहा था वह चाहती थी मैं उसकी चूत में लंड को घुसा दूं। मैंने अपने लंड को रचना की योनि के अंदर घुसा दिया। उसकी योनि में मेरा लंड जाते ही वह बहुत जोर से चिल्लाने लगी वह मुझे कहने लगी मेरी चूत से खून निकलने लगा है। मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बढा रहे थे उससे रचना को मजा आने लगा था और मुझे भी मजा आ रहा था। वह अपने पैरों के बीच में मुझे जकडने की कोशिश करती जा रही थी मुझे बड़ा अच्छा लगता जब मैं उसे धक्के दिए जा रहा था। मेरे धक्को मै और भी तेजी आती जा रही थी। मैंने उसे बहुत देर तक चोदा जब मुझे एहसास होने लगा मैं ज्यादा देर तक रह नहीं पाऊंगा मैंने उसकी योनि में अपने माल को गिरा दिया था। मैं और रचना बड़े खुश थे उस दिन के बाद हम दोनों के बीच ना जाने कितनी बार सेक्स संबध बने।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.