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चचेरी बहन की रजाई
#47
इतना सब हो जाने के बाद भी मैं सोने का नाटक करती रही. उसके ऐसा करने से मेरी बुर पानी – पानी हो रही थी. मैं इतनी उत्तेजित हो चुकी थी कि मुझे लग रहा था मैं ही उसके ऊपर चढ़ जाऊं और उसके मोटे लन्ड को पकड़ ल अपनी बुर में घुसा लूं.

फिर उसने पहले मेरा लोवर और फिर पैंटी को और नीचे खिसका दिया. इसके बाद वह कभी मेरी गांड के छेद को तो कभी बुर के छेद को सहलाने लगा. मेरी बुर लगातार पानी छोड़ रही थी, जिससे उसको भी समझ आ गया था कि मैं सोयी नहीं जग गयी हूं. पर क्या करे वो भी? उससे भी कंट्रोल नहीं जो रहा था, आखिर आग और मोम का सवाल जो ठहरा है.

फिर उसने पीछे से मेरी बुर के ऊपर लन्ड को रखा और एक बार डालने की कोशिश की लेकिन उसका लन्ड अंदर नहीं गया. मेरी बुर काफी टाइट थी. आज तक मैं किसी से चुदी भी नहीं थी इसलिए मुझे दर्द हो रहा था. दूसी तरफ चुदने का भी मन था इसलिए मैं भी उसके लंड के लिए जगह बना रही थी.

उसने एक बार फिर से ट्राई किया. करीब 4 इंच तक उसका लन्ड मेरी चूत में घुस गया. लन्ड पहली बार अंदर जाने से मुझे काफी दर्द होने लगा. मेरी चूत जलने सी लगी थी. तभी मैंने महसूस किया कि मेरी बुर की सील टूट चुकी है क्योंकि चूत से गर्म खून से निकलता महसूस जो रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: चचेरी बहन की रजाई - by neerathemall - 08-01-2021, 12:48 PM



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