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चचेरी बहन की रजाई
#46
अब मेरी आंखों से नींद गायब हो चुकी थी. करीब पंद्रह मिनट के बाद जब भाई को लगा कि मैं सो गई हूं तो वह मेरी तरफ घूम गया और मेरी गांड के बीच में अपना लंड लगा दिया. जब उसने शुरू में लन्ड मेरी गांड से सताया था तब ज्यादा पता नहीं चल रहा था पर थोड़ी ही देर में उसका लन्ड मोटा और लंबा होकर मुझे महसूस होने लगा.

उसका लंड मेरी गांड के बीचों बीच था, पर वो ना हिल रहा था ना मैं हिल रही थी. फिर भाई ने कपड़े के ऊपर से लन्ड को एक – दो बार ऊपर नीचे किया. इससे मैं बैचेन हो गयी. आज तक मेरे यौनांगों से किसी मर्द के लन्ड का स्पर्श नहीं हुआ था.

धीरे – धीरे मैं उत्तेजित होने लगी और फिर अचानक मैंने दबाव बनाकर अपनी गांड को भाई की तरफ किया और सोने का नाटक करने रही. यह देख भाई ने अपनी एक टांग मेरे ऊपर चढ़ा दी और अपने लंड को निकाल कर मेरे दोनों जांघों के बीच में घुसा दिया.

फिर उसने हाथ आगे किया और मेरी टी – शर्ट में डाल कर ब्रा के ऊपर से ही बूब्स दबाने लगा. मैं अभी चुपचाप पड़ी थी. थोड़ी देर बाद फिर उसने पीछे से मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे बड़े – बड़े मम्मों को अपने हाथ में लेकर दबाने लगा. उसकी सांसें तेज चल रही थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: चचेरी बहन की रजाई - by neerathemall - 08-01-2021, 12:48 PM



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