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चचेरी बहन की रजाई
#39
हम दोनों का टिकट एक एसी बस के स्लीपर क्लास का था और होल नाइट जर्नी थी. बस में बैठने के बाद हम दोनों भाई – बहन इधर – उधर की बातें करने लगे. धीरे – धीरे अंधेरा बढ़ने लगा. बाहर बढ़ रहे अंधेरे से बेखबर हम अपनी बातों में मशगूल थे. तभी अचानक बस रुकी और हम चौंक गए कि क्या हुआ! हालांकि, फिर हमें पता चला कि बस एक ढाबे पर रुकी है.

इसके बाद सभी यात्रियों के साथ हम भी उतरे और खाना वगैरह खा कर वापस बस में बैठ गए. बस फिर चलने लगी. अब मुझे नींद आ रही थी तो मैं लेट गई और कुछ ही देर में नींद के आगोश में चली गई. थोड़ी देर बाद भाई भी आकर मेरे बगल में अपनी सीट पर लेट गया.

फिर थोड़ी रात और होने पर मुझे मेरे हाथों पर कुछ महसूस हुआ और मेरी नींद खुल गई. मैंने देखा कि भाई मेरा हाथ पकड़े हुए है और नींद आने का बहाना कर रहा है. लेकिन मैं समझ गई कि वो जाग रहा है. इसके बाद भी मैं लुक नहीं बोली.

हाथ अकेले पकड़ने में क्या मज़ा. भाई को भी नहीं आ रहा था तो कुछ देर बाद उसने मेरा हाथ छोड़ दिया और एक हाथ मेरे सीने पर रख कर फेरने लगा. इस पर भी मैंने कुछ नहीं कहा क्योंकि अब मुझे भी मज़ा आने लगा था और मैं धीरे – धीरे गर्म भी होने लगी थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: चचेरी बहन की रजाई - by neerathemall - 08-01-2021, 12:45 PM



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