08-01-2021, 12:43 PM
जब मैं उससे मिला तो देखते ही मेरा लंड खड़ा होकर फुंफकारने लगा. क्या मस्त माल थी यार! मेरा तो मन हुआ कि वहीं के वहीं पटक के चोद दूं लेकिन चूंकि वो रिश्ते में मेरी बहन लग रही थी और मैं सामाजिक बंधनों में बंधा था तो कुछ नहीं कर पाया.
वो भी मुझे देख के काफी खुश थी. शायद इतने दिनों बाद हमारा मिलना उसे भी अच्छा लगा था. हमने आपस में ढेर सारी बातें कीं. ऐसा लग रहा था जैसे हमारी बातें ही नहीं खत्म होंगी.
रात हुई सब लोग खाने के बाद सोने की तैयारी करने लगे. घर के सारे बड़े लोगों ने नीचे सोने का निश्चय किया और बाकी लोगों को ऊपर मेरे कमरे में सोने के लिए बोल दिया गया. मेरे साथ तनु और मेरी बुआ को सोना था. मेरी बुआ की उम्र 28 साल थी.
फिर हम मेरे कमरे में पहुंचे. वहां बुआ मेरे बायीं ओर एयर तनु दायीं तरफ लेट गयीं. इसके बाद फिर मैंने लाइट बंद की और सोने की कोशिश करने लगा. ठंड का मौसम था. रात होने के साथ ठंड बढ़ने लगी. इस कारण तनु मेरे से चिपक गई.
तभी अचानक मेरी नींद खुली और मैंने तनु को खुद से चिपके हुए देखा. फिर क्या था, मैंने मौके का फायदा उठाया और हाथ उसकी पीठ पर रख कर उससे एक दम से चिपक गया. इसके बाद फिर धीरे – धीरे मैं उसकी पीठ सहलाने लगा. उसने कोई विरोध नहीं किया. इससे मेरी हिम्मत बढ़ गयी.
फिर मैं अपना हाथ आगे ले आया और उसके बूब्स पर रख कर धीरे – धीरे दबाने लगा.
वो भी मुझे देख के काफी खुश थी. शायद इतने दिनों बाद हमारा मिलना उसे भी अच्छा लगा था. हमने आपस में ढेर सारी बातें कीं. ऐसा लग रहा था जैसे हमारी बातें ही नहीं खत्म होंगी.
रात हुई सब लोग खाने के बाद सोने की तैयारी करने लगे. घर के सारे बड़े लोगों ने नीचे सोने का निश्चय किया और बाकी लोगों को ऊपर मेरे कमरे में सोने के लिए बोल दिया गया. मेरे साथ तनु और मेरी बुआ को सोना था. मेरी बुआ की उम्र 28 साल थी.
फिर हम मेरे कमरे में पहुंचे. वहां बुआ मेरे बायीं ओर एयर तनु दायीं तरफ लेट गयीं. इसके बाद फिर मैंने लाइट बंद की और सोने की कोशिश करने लगा. ठंड का मौसम था. रात होने के साथ ठंड बढ़ने लगी. इस कारण तनु मेरे से चिपक गई.
तभी अचानक मेरी नींद खुली और मैंने तनु को खुद से चिपके हुए देखा. फिर क्या था, मैंने मौके का फायदा उठाया और हाथ उसकी पीठ पर रख कर उससे एक दम से चिपक गया. इसके बाद फिर धीरे – धीरे मैं उसकी पीठ सहलाने लगा. उसने कोई विरोध नहीं किया. इससे मेरी हिम्मत बढ़ गयी.
फिर मैं अपना हाथ आगे ले आया और उसके बूब्स पर रख कर धीरे – धीरे दबाने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.