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चचेरी बहन की रजाई
#27
अब वो मेरे दिमाग मे बस चुकी थी. मुझे अब बस किसी भी तरीके से उसकी चुदाई करनी थी. मैंने इधर – उधर बहुत दिमाग दौड़ाया लेकिन कैसे करूं ये मैं सोच नहीं पा रहा था.

शाम को जब सभी खाने के लिए उपस्थित हुए तो वो आकर मेरे बगल वाली कुसी पर ही बैठ गई. उसे अपने बगल में बैठे देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया और घबराहट में गलती से मेरा पैर उसके पैरों से टच हो गया. पैर टच होते ही उसने गुस्से से मेरी तरफ देखा, यह देख मैं तो डर ही गया.

फिर मैंने जल्दी से खाना खाया और वहां से उठ कर अपनी किताबें लेने के लिए अपने कमरे में आ गया. तभी पीछे से वर्षा कमरे में आई और उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और बोली, “मुझे छूने में इतना टाइम क्यों लगा दिया? मैं तो कब से तुमसे प्यार करती हूं”.

उसके मुंह से इतना सुनते ही मैंने उसे गले से लगा लिया और उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया. मैं करीब 10 मिनट तक उसके होंठों को चूसता रहा. फिर धीरे से मैंने अपना हाथ उसके दूधों पर रख दिया. मेरे ऐसा करते ही उसके मुंह से ‘आहहह’ की एक मादक सिसकारी निकली और फिर उसने अपना हाथ मेरे हाथ के ऊपर रख दिया और दबाव बना अपने दूधों को जोर – जोर से दबवाने लगी.

दूसरी तरफ नीचे मेरा खड़ा लंड उसकी चूत पर ठोकर मार रहा था. थोड़ी देर तक उसके दूध दबाने के बाद फिर मैं अपना एक हाथ नीचे ले गया और उसकी पैंटी के अंदर डाल दिया, साथ ही एक हाथ से उसके दूध भी दबाता रहा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: चचेरी बहन की रजाई - by neerathemall - 08-01-2021, 12:41 PM



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