23-03-2019, 10:33 AM
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अचानक थापा थोडा नीचे गया और उसने दिव्या कि टाँगे चौड़ी करते हुए अपने लंड को उसकी चूत के सामने रख दिया ..
हर्षित चिल्लाया : "अबे थापा …बोला न ..ये मत कर …समझता नहीं है साले ..”
थापा : "यार ….इतना कुछ तो कर ही रहे हैं …अब ये भी कर डालते हैं ..”
हर्षित : "नहीं …ये गलत है ..इसकी बेहोशी का ऐसे फायदा उठाना गलत है .."
राजेश : "हाँ थापा ….हर्षित सही केह रहा है …अगर ज्यादा ही आग लगी है तो इसके मुंह में कर लेते हैं .."
हर्षित को भी राजेश कि बात सही लगी ..पर सवाल ये कौन डालेगा उसके मुंह के अंदर अपना लंड ..क्योंकि मुंह में लंड डालने कि बात सुनते ही सभी के चेहरे पर रौनक सी आ गयी थी ..
राजेश बोला : "मेरे पास एक आईडिया है …"
और इतना कहते हुए उसने अपनी जेब से ताश कि गड्डी निकाल ली और बोला : "हम तीनो एक – २ पत्ता बाँटेंगे , जिसका बड़ा पत्ता आएगा वो डालेगा भाभी के मुंह में अपना लंड ..”
सभी को उसकी बात सही लगी ..दिव्या मन ही मन सोचने लगी कि यहाँ भी इन जुआरियों को जुआ खेलने से फुर्सत नहीं है ..
राजेश ने पत्ते निकाले और दिव्या के ऊपर ही पत्ते बांटने शुरू कर दिए , एक पत्ता दिव्या के दांये मुम्मे पर , दूसरा उसके बाएं मुम्मे पर और तीसरा उसकी चूत पर ..
तीनो के दिल कि धड़कन तेजी से चल रही थी ..सभी ने अपने-२ पत्ते उठा लिए ..और ऊपर वाले का नाम लेकर धीरे -२ देखा ..
थापा के पास बेगम आयी थी ..वो ख़ुशी से हवा में उड़ने लग गया ..राजेश के पास पांच नंबर था ..उसने पत्ते को नीचे वापिस दिव्या कि चूत पर फेंक दिया ..उसके ऊपर थापा ने अपनी बेगम फेंक दी ..
अब दोनों कि नजरें हर्षित पर थी ..उसने जैसे ही अपना पत्ता देखा वो ख़ुशी से उछल पड़ा ..उसके पास इक्का आया था ..उसने सीना फुला कर अपना पत्ता बेगम के ऊपर दे मारा …
थापा का चेहरा फीका पड़ गया ..
हर्षित अपने लंड को सहलाते हुए दिव्या के चेहरे कि तरफ आकर बैठ गया ..
अब तक दिव्या को भी पता चल चूका था कि क्या हुआ है ..और वो खुश भी थी कि हर्षित ये बाजी जीता है ..क्योंकि राजेश और थापा के दुर्गन्ध वाले शरीर के अपने पास बिठाकर ही वो इतनी परेशान थी कि उनके लंड अपने मुंह में लेने का सोचकर ही उसे उलटी सी आ रही थी ..
राजेश ने अपनी पेंट पूरी तरह से उतार दी ..और दिव्या के चेहरे के दोनों तरफ अपने घुटने मोड़कर अपने लंड को उसके चेहरे के आगे लटका दिया ..और फिर उसके गुलाब जैसी पंखुड़ी वाले होंठों को खोलकर उसके मुंह के अंदर अपना लंड धकेल दिया .
और धीरे-२ धक्के लगाकर उसके मुंह कि चुदाई करने लगा ..
दिव्या के मुंह के अंदर वो पूरा नहीं आ रहा था ..पर उसका चॉकलेटी स्वाद उसे बहुत पसंद आया था ..इसलिए उसने भी अपनी जीभ से उसके लंड कि सिंकाई करनी शुरू कर दी ..
एक पल के लिए तो हर्षित को लगा कि दिव्या उसके लंड को सच में चूस रही है …वो सोचने लगा कि कहीं वो बेहोशी का नाटक तो नहीं कर रही ..और ये सोचकर वो थोड़ी देर के लिए रुक गया ..दिव्या को भी इसका आभास हो गया और उसने भी लंड कि चुसाई बंद कर दी ..और जब हर्षित को लगा कि सब ठीक है तो उसने फिर से अपने लंड को उसके मुंह के अंदर पेलना शुरू कर दिया ..
दूसरी तरफ थापा कि हालत खराब होने लगी ..उसके लंड से पिचकारी निकलने को हो रही थी ..उसने अपना मुंह सीधा लेजाकर दिव्या कि चिकनी चूत पर लगाया और वहाँ से निकल रहा शहद चूसते हुए अपने लंड को जोर से मसलने लगा ..
राजेश भी अपने चरम पर था, उसने भी दिव्या के दोनों स्तनों को बारी-२ से मसलते हुए अपने लंड कि नसों में सफ़ेद वीर्य का पर्वाह करने का पूरा इंतजाम कर लिया ..
दिव्या के साथ जो भी हो रहा था , उसका मन कर रहा था कि वो उठ बैठे और पूरी तरह से भोगने दे सभी को अपना जिस्म ..पर ना जाने क्या उसे अंदर से वो सब कुछ करने से रोके हुआ था ..
सबसे ज्यादा मजा तो उसकी चूत से निकल रही तरंगो से मिल रहा था उसे ..जिसे थापा किसी जंगली कुत्ते कि तरह चाट रहा था .उसकी जीभ इतनी लम्बी थी कि चूत के आखिरी सिरे तक पहुंचकर वहाँ से भी मलाई को समेट कर ला रही थी . और उसके निप्पल तो उसकी बॉडी का सबसे सेंसेटिव पॉइंट थे , जिन्हे राजेश ऐसे मसल रहा था जैसे उनमे कोई जान ही ना हो ..कोई और मौका होता तो वो चिल्ला रही होती ..पर आज वो चिल्लाती भी कैसे, उसके मुंह में हर्षित का लंड जो था जिसे वो मुंह में भींचकर अपनी चीख को दबा रही थी .
अचानक थापा उठ बैठा और अपने लंड को दिव्या कि तरफ करके चिल्लाया : "अह्ह्हह्ह …….उम्म्म्म …..”
सभी समझ गए कि उसकी तोप के गोले निकलने वाले हैं …और यही हाल राजेश और हर्षित का भी था …हर्षित ने भी अपना लंड बाहर खींच लिया और दिव्या के साईड में आकर खड़ा हो गया ..राजेश तो पहले से ही उसके दूसरी तरफ खड़ा था ..
और फिर एक साथ सभी अपने-२ लंड मसलकर दिव्या के सेक्सी बदन को देखकर मुठ मारने लगे ..
सबसे पहले थापा के लंड कि बरसात हुई दिव्या के गर्म जिस्म पर …उसपर वीर्य कि बूंदे पड़ते ही उसका जिस्म सुलग पड़ा ..
थापा चिल्लाया : "अह्ह्ह्हह्ह्ह …..भाभी …….ओह्ह्हह्ह …..दिव्या भाभी …….उम्म्म्म्म्म्म्म ….”
और उसने अपने लंड का पानी दिव्या के नाम कुर्बान कर दिया ..
और फिर राजेश और हर्षित ने भी एक साथ अपनी पिचकारियों से उसके शरीर को भिगोना शुरू कर दिया ..राजेश का निशाना उसके मुम्मे थे और हर्षित का निशाना उसका चेहरा ..
और देखते ही देखते दोनों ने अपने रस से उसके ऊपर सफ़ेद और गाड़े रस कि चादर सी बिछा दी ..
दिव्या को ऐसा लगा कि ठण्ड के मौसम में किसी ने उसके शरीर पर गर्म चादर औढ़ा दी हो ..वो पूरी तरह से उनके रस में नहाकर भीग गयी थी ..
और जब तूफ़ान थमा तो सभी सोचने लगे कि अब क्या किया जाए ..किसी कि समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे …क्योंकि एक तो वो पूरी तरह से नंगी थी और ऊपर से उन्होंने उसके शरीर पर अपना वीर्य गिराकर उसे गन्दा भी कर दिया था ..
तभी दिव्या ने बेहोशी से उठने का नाटक करते हुए धीरे -२ हिलना शुरू कर दिया …
हर्षित बोला : "लगता है होश आ रहा है ..एक काम करो ..इन्हे उठाकर किनारे पर लिटा दो ..”
थापा और राजेश ने दिव्या के हाथ पाँव पकड़कर उठाया और उसे नदी के किनारे पर लिटा दिया ..जहाँ का पानी उसके आधे शरीर तक आ रहा था ..और पानी कि एक दो लहरो ने आकर उसके शरीर पर लगे चिपचिपे रस को धोकर रख दिया ..
इतना करने के बाद सभी वहाँ से दुम दबा कर भाग लिए ..
हर्षित चिल्लाया : "अबे थापा …बोला न ..ये मत कर …समझता नहीं है साले ..”
थापा : "यार ….इतना कुछ तो कर ही रहे हैं …अब ये भी कर डालते हैं ..”
हर्षित : "नहीं …ये गलत है ..इसकी बेहोशी का ऐसे फायदा उठाना गलत है .."
राजेश : "हाँ थापा ….हर्षित सही केह रहा है …अगर ज्यादा ही आग लगी है तो इसके मुंह में कर लेते हैं .."
हर्षित को भी राजेश कि बात सही लगी ..पर सवाल ये कौन डालेगा उसके मुंह के अंदर अपना लंड ..क्योंकि मुंह में लंड डालने कि बात सुनते ही सभी के चेहरे पर रौनक सी आ गयी थी ..
राजेश बोला : "मेरे पास एक आईडिया है …"
और इतना कहते हुए उसने अपनी जेब से ताश कि गड्डी निकाल ली और बोला : "हम तीनो एक – २ पत्ता बाँटेंगे , जिसका बड़ा पत्ता आएगा वो डालेगा भाभी के मुंह में अपना लंड ..”
सभी को उसकी बात सही लगी ..दिव्या मन ही मन सोचने लगी कि यहाँ भी इन जुआरियों को जुआ खेलने से फुर्सत नहीं है ..
राजेश ने पत्ते निकाले और दिव्या के ऊपर ही पत्ते बांटने शुरू कर दिए , एक पत्ता दिव्या के दांये मुम्मे पर , दूसरा उसके बाएं मुम्मे पर और तीसरा उसकी चूत पर ..
तीनो के दिल कि धड़कन तेजी से चल रही थी ..सभी ने अपने-२ पत्ते उठा लिए ..और ऊपर वाले का नाम लेकर धीरे -२ देखा ..
थापा के पास बेगम आयी थी ..वो ख़ुशी से हवा में उड़ने लग गया ..राजेश के पास पांच नंबर था ..उसने पत्ते को नीचे वापिस दिव्या कि चूत पर फेंक दिया ..उसके ऊपर थापा ने अपनी बेगम फेंक दी ..
अब दोनों कि नजरें हर्षित पर थी ..उसने जैसे ही अपना पत्ता देखा वो ख़ुशी से उछल पड़ा ..उसके पास इक्का आया था ..उसने सीना फुला कर अपना पत्ता बेगम के ऊपर दे मारा …
थापा का चेहरा फीका पड़ गया ..
हर्षित अपने लंड को सहलाते हुए दिव्या के चेहरे कि तरफ आकर बैठ गया ..
अब तक दिव्या को भी पता चल चूका था कि क्या हुआ है ..और वो खुश भी थी कि हर्षित ये बाजी जीता है ..क्योंकि राजेश और थापा के दुर्गन्ध वाले शरीर के अपने पास बिठाकर ही वो इतनी परेशान थी कि उनके लंड अपने मुंह में लेने का सोचकर ही उसे उलटी सी आ रही थी ..
राजेश ने अपनी पेंट पूरी तरह से उतार दी ..और दिव्या के चेहरे के दोनों तरफ अपने घुटने मोड़कर अपने लंड को उसके चेहरे के आगे लटका दिया ..और फिर उसके गुलाब जैसी पंखुड़ी वाले होंठों को खोलकर उसके मुंह के अंदर अपना लंड धकेल दिया .
और धीरे-२ धक्के लगाकर उसके मुंह कि चुदाई करने लगा ..
दिव्या के मुंह के अंदर वो पूरा नहीं आ रहा था ..पर उसका चॉकलेटी स्वाद उसे बहुत पसंद आया था ..इसलिए उसने भी अपनी जीभ से उसके लंड कि सिंकाई करनी शुरू कर दी ..
एक पल के लिए तो हर्षित को लगा कि दिव्या उसके लंड को सच में चूस रही है …वो सोचने लगा कि कहीं वो बेहोशी का नाटक तो नहीं कर रही ..और ये सोचकर वो थोड़ी देर के लिए रुक गया ..दिव्या को भी इसका आभास हो गया और उसने भी लंड कि चुसाई बंद कर दी ..और जब हर्षित को लगा कि सब ठीक है तो उसने फिर से अपने लंड को उसके मुंह के अंदर पेलना शुरू कर दिया ..
दूसरी तरफ थापा कि हालत खराब होने लगी ..उसके लंड से पिचकारी निकलने को हो रही थी ..उसने अपना मुंह सीधा लेजाकर दिव्या कि चिकनी चूत पर लगाया और वहाँ से निकल रहा शहद चूसते हुए अपने लंड को जोर से मसलने लगा ..
राजेश भी अपने चरम पर था, उसने भी दिव्या के दोनों स्तनों को बारी-२ से मसलते हुए अपने लंड कि नसों में सफ़ेद वीर्य का पर्वाह करने का पूरा इंतजाम कर लिया ..
दिव्या के साथ जो भी हो रहा था , उसका मन कर रहा था कि वो उठ बैठे और पूरी तरह से भोगने दे सभी को अपना जिस्म ..पर ना जाने क्या उसे अंदर से वो सब कुछ करने से रोके हुआ था ..
सबसे ज्यादा मजा तो उसकी चूत से निकल रही तरंगो से मिल रहा था उसे ..जिसे थापा किसी जंगली कुत्ते कि तरह चाट रहा था .उसकी जीभ इतनी लम्बी थी कि चूत के आखिरी सिरे तक पहुंचकर वहाँ से भी मलाई को समेट कर ला रही थी . और उसके निप्पल तो उसकी बॉडी का सबसे सेंसेटिव पॉइंट थे , जिन्हे राजेश ऐसे मसल रहा था जैसे उनमे कोई जान ही ना हो ..कोई और मौका होता तो वो चिल्ला रही होती ..पर आज वो चिल्लाती भी कैसे, उसके मुंह में हर्षित का लंड जो था जिसे वो मुंह में भींचकर अपनी चीख को दबा रही थी .
अचानक थापा उठ बैठा और अपने लंड को दिव्या कि तरफ करके चिल्लाया : "अह्ह्हह्ह …….उम्म्म्म …..”
सभी समझ गए कि उसकी तोप के गोले निकलने वाले हैं …और यही हाल राजेश और हर्षित का भी था …हर्षित ने भी अपना लंड बाहर खींच लिया और दिव्या के साईड में आकर खड़ा हो गया ..राजेश तो पहले से ही उसके दूसरी तरफ खड़ा था ..
और फिर एक साथ सभी अपने-२ लंड मसलकर दिव्या के सेक्सी बदन को देखकर मुठ मारने लगे ..
सबसे पहले थापा के लंड कि बरसात हुई दिव्या के गर्म जिस्म पर …उसपर वीर्य कि बूंदे पड़ते ही उसका जिस्म सुलग पड़ा ..
थापा चिल्लाया : "अह्ह्ह्हह्ह्ह …..भाभी …….ओह्ह्हह्ह …..दिव्या भाभी …….उम्म्म्म्म्म्म्म ….”
और उसने अपने लंड का पानी दिव्या के नाम कुर्बान कर दिया ..
और फिर राजेश और हर्षित ने भी एक साथ अपनी पिचकारियों से उसके शरीर को भिगोना शुरू कर दिया ..राजेश का निशाना उसके मुम्मे थे और हर्षित का निशाना उसका चेहरा ..
और देखते ही देखते दोनों ने अपने रस से उसके ऊपर सफ़ेद और गाड़े रस कि चादर सी बिछा दी ..
दिव्या को ऐसा लगा कि ठण्ड के मौसम में किसी ने उसके शरीर पर गर्म चादर औढ़ा दी हो ..वो पूरी तरह से उनके रस में नहाकर भीग गयी थी ..
और जब तूफ़ान थमा तो सभी सोचने लगे कि अब क्या किया जाए ..किसी कि समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे …क्योंकि एक तो वो पूरी तरह से नंगी थी और ऊपर से उन्होंने उसके शरीर पर अपना वीर्य गिराकर उसे गन्दा भी कर दिया था ..
तभी दिव्या ने बेहोशी से उठने का नाटक करते हुए धीरे -२ हिलना शुरू कर दिया …
हर्षित बोला : "लगता है होश आ रहा है ..एक काम करो ..इन्हे उठाकर किनारे पर लिटा दो ..”
थापा और राजेश ने दिव्या के हाथ पाँव पकड़कर उठाया और उसे नदी के किनारे पर लिटा दिया ..जहाँ का पानी उसके आधे शरीर तक आ रहा था ..और पानी कि एक दो लहरो ने आकर उसके शरीर पर लगे चिपचिपे रस को धोकर रख दिया ..
इतना करने के बाद सभी वहाँ से दुम दबा कर भाग लिए ..