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चचेरी बहन की रजाई
#16
तभी उसने कहा- जब से दिल्ली से आईं हूं, देख रही हूं तुम्हें, मेरे ऊपर से नजर हट नहीं रही तुम्हारी?
चोरी पकड़े जाने पर मैं सकपका गया और कुछ ना बोल पाया.

फिर उसने कहा- अब इतनी बातें हो गई तो बता दो क्या चल रहा है दिमाग में?
उसने मजाकिया लहजे में ही पूछा.
लेकिन मैंने बहुत ही प्यार से कहा- तुम अच्छी लग रही हो मुझे!
और सब सांस में कह डाला कि क्यों मैंने रुकने का फैसला किया।

चाय उबल के गिर गई और उसने मुझे ऐसे देखा की बस जैसे सन्न रह गई हो.
मैंने कहा- चाय उबल गयी.
मुझपे से नजर हटाते हुए उसने चाय उतारी और मंद मंद मुस्कुराने लगी.
मैं समझ गया तीर निशाने पे लगा है।

चाय लेकर हम अंदर कमरे में आए और रजाई में घुस गए. बाहर ठंड भी काफी थी. रजाई के अंदर हमारे पैर टकराने लगे.
उसने पहले कोई हरकत नहीं की पर बाद में वो भी धीरे से अपना पैर मेरे पैर के पास ले आई।

चाय पीकर मैंने उससे कहा- इस ठंड में गर्मी चाय से भला कहाँ मिलेगी?
इशारों में उसने भी कहा- हां, इसकी गर्मी तो पल भर की ही है।
फिर मैंने उसके गले में हाथ डाला और कहा- तो क्या तुम्हें लंबी गर्मी दे दूँ अगर तुम कहो?

मुस्कुराते हुए उसने कहा- अच्छी चीज किसे नहीं पसंद?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: चचेरी बहन की रजाई - by neerathemall - 07-01-2021, 04:39 PM



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