07-01-2021, 04:39 PM
मेरा नाम (परिवर्तित) अविनाश है, मेरी चचेरी बहन का नाम (परिवर्तित) अनुपमा है। उसका सुडौल बदन, खुले बाल, कपड़ों को पहनने का तरीका और मस्त रहने का अंदाज किसी को भी आसानी से आकर्षित कर सकता है। उसका फिगर 32-28-34 कसम से किसी का भी ईमान डोल जाए। खास कर जब से उसने कॉलेज जाना शुरू किया था उसकी जवानी और उभर के बाहर आना शुरू हो गई थी, उसकी फोटो देख देख कर मैंने कई बार अपनी गर्मी भी मिटाई और तय किया कि इस बहना को जरूर चोदना है चाहे जो हो।
बात तब की है जब वो दिल्ली यूनिवर्सिटी से ठंडी की छुट्टियों में घर आती थी, घर में सब लोग उन छुट्टियों में जमा हुए थे. मैं भी कानपुर में पढ़ाई करता हूं तो मैं भी छुट्टियों में घर गया हुआ था। सब मजे में एक दूसरे के साथ मस्ती करते हसी मजाक करते घूमते फिरते। छुट्टियां अच्छी बीत रही थी.
उस ठंड के मौसम में अनुपमा को देख देख कर घर पर मैंने दो तीन बार मुट्ठियां पेल दी थी। बस सोचता ही रहता था कि कैसा इसकी जवानी को पाऊंगा।
पर तभी एक ऐसा दिन आया जिसने मेरी जिंदगी बदल दी।
हुआ यूं कि घर वाले रिश्तेदारी में शादी में जाने वाले थे. सभी का जाना तय हुआ लेकिन तभी हमारी दादी कि तबीयत खराब हुई और कहा गया कि अनुपमा घर पे रहे ताकि दादी को उठाना बैठना, नहलाना करा सके. दादी की उम्र काफी थी और सुनती भी कम थी।
मेरी नजर अनुपमा पे तभी से टिकी थी जब से वो दिल्ली से वापस आई थी. कुछ सोचने के बाद मैं भी दादी की सेवा के बहाने रुक गया और घर वाले चले गए।
उस दिन मैंने सोचा कि आज इस मिठाई को चख कर जरूर रहूंगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.